RE: Rishton mai Chudai - दो सगे मादरचोद
अपडेट-26
मुन्ना मेरे सीने से सर टिकाए माकी ओर देख मंद मंद मुस्करा रहा था और मा भी हम दोनों भाइयों का ऐसा प्यार देख गदगद होती हुई हंस रही थी.
में: "मा ऐसा प्यारा भाई पाकर में तो धान्या हो गया जो भैया की खुशी के लिए कुच्छ भी कर सकता है. तूने देखा मेरी खुशी के लिए इसने तुझे भी मेरे लिए पटाने में कोई कसर नहीं छ्चोड़ी. मेरा तो इससे कुच्छ भी च्चिपा हुवा नहीं है, जो कुच्छ भी मेरा है वा सब इसका है. अब यदि तुम भी मुझे मिली हो तो मेरे साथ साथ तुम मुन्ना की भी हो क्योंकि मुन्ना की वजह से ही तुम मुझे मिली हो. मुन्ना ने वैसे तो मेरा व्यः तुझसे करा दिया है पर असल में तुम हमारी साझे की लुगाई हो. हम दोनों तेरे मर्द हैं. तू बड़े नसीब वाली है की इस उमर में तुझे हमारे जैसे दो दो जवान पति एक साथ मिले हैं."
"में तो खुद अपने दोनों बेटों का आपस में ऐसा प्यार देख बलि बलि हो रही हूँ, नहीं तो आजके जमाने में भाई भाई का दुश्मन होता है. में तो यही चाहती हूँ की तुम दोनो की जोड़ी ऐसी ही बनी रहे. तू तो यहाँ शहर में रहता था में तो इस अजय को देख देख ही गाँव में खुश होती रहती थी और इसीके सहारे ही जिंदगी गुज़ार रही थी. तू ऐसा भाई पाकर निहाल हो गया है तो में भी ऐसा मक्खन सा चिकना देवर पाकर खुशी से भर गई हूँ. में तो अब ऐसे प्यारे गुड्डे से देवर के साथ जी भरके खेलूँगी." यह कह माने अजय को अपनी बाँहों में जाकड़ लिया. माने अजय की ठुड्डी पकड़ चेहरा उपर उठा लिया और उसके गोरे गालों की पूच्छियाँ लेने लगी. कभी एक गाल चूस्टी तो कभी दूसरा गाल. फिर मा अजय के दाढ़ी रहित गालों पर अपने गाल रगड़ने लगी. इसके बाद माने अचानक उसके होंठ अपने होंठ में जाकड़ लिए और अपने छ्होटे बेटे के होंठ चूसने लगी. मा बीच बीच में अजय के होंठों पर अपनी जीभ फेर रही थी. मा की आँखों में वासना के लाल डोरे टायर रहे थे. तभी अजय ने माको अपनी बाँहों में जाकड़ लिया और माके होंठ अपने होंठों में जाकड़ लिए. उसने माकी जीभ अपने मुख में लेली और माको अपनी मजबूत बाँहों में झकझोरते हुए जीभ चूसने लगा. वा बार बार माके होंठ मुख में भर रहा था, माके फूले फूले गाल मुख में भर रहा था.
में: "मा देखा मेरा माल कितना मस्त और मीठा है की तू भी अपने आपको रोक नहीं पाई. इसके मक्खन से चिकने गाल खाने का और इसके पतले पतले गुलाबी होंठ चूसने का मज़ा ही अलग है. में ऐसे ही इसपर तोड़ा ही मारा हूँ." उधर अजय ने मकई चूचियाँ ब्लाउस के उपर से ही अपने हाथ में भर ली और उन्हें कस कस के दबाने लगा. वा माकी चूचियों को मसल मसल कर उनसे खेल रहा था. माके चेहरे पर झुका हुवा माके होंठों का रास्पान अत्यंत कमतूर होके कर रहा था. मेने इससे पहले अजय को इतने जोश में कभी नहीं देखा. जिंदगी में पहली बार नारी शरीर को पाकर वा मतवाला हो उठा था, उसके साबरा का बाँध टूट गया था. में बहुत खुश था की मुन्ना की केवल तगड़े मर्दों में ही दिलचस्पी नहीं है बल्कि मा जैसी मस्त औरतों में मर्दों से भी ज़्यादा उसकी दिलचस्पी है.
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