RE: Rishton mai Chudai - दो सगे मादरचोद
में: "अभी तो तूने खाली माकी चूची का ही मज़ा लिया है. माका असली माल तो इसके घाघरे में है. घाघरे में इसने अपनी सबसे खाश चीज़ च्चिपा कर रखी है. चल अब माका घाघरा तू उतार, तुझे माकी ऐसी मस्त चीज़ का दर्शन कराता हूँ की तू मर्दों के लुंडों को छ्चोड़ उसीका दीवाना हो जाएगा." मेरी बात सुन अजय ने माको खड़ा कर लिया और खुद माके सामने घुटनों के बाल बैठ गया और घाघरे की डोर खोज कर उसे खींच दी. फिर अजय ने नडा ढीला किया और घाघरा नीचे गिरा दिया. अब माकी उभरी हुई पनटी अजय की आँखों के सामने थी.
अजय: "भैया देखो माकी चीज़ कितनी फूली हुई है." अजय की बात सुन में भी अजय के साथ माके सामने घुटनों के बाल बैठ गया. में पनटी के उपर से ही माकी छूट पर हाथ फेरने लगा. हाथ फेरते फेरते उसे मुट्ठी में कस लेता. फिर मेने माकी पनटी धीरे धीरे नीचे सरकानी शुरू कर दी. उधर गहने माने खुद उतार दिए. पनटी उतरते ही मा हमारे सामने पूरी नंगी थी. माकी बड़ी छूट के चारों ओर घने काले काले झाँत के बाल थे. छूट बहुत ही उभरी हुई थी. छूट की लाल फाँक साफ दिख रही थी. अजय जिंदगी में पहली बार इतने नज़दीक से एक औरत की छूट देख रहा था और वा एक टकटकी से छूट के दर्शन कर रहा था. तभी मेने माकी छूट की पुट्तियाँ फैला दी और अजय को छूट का च्छेद ठीक से दिखाया.
में: "मुन्ना ठीक से देख यही हम दोनो का जन्मस्थान है. हम दोनो कभी यहीं से बाहर निकले थे. देख हुमारा जन्मस्थान कितना मोहक है. क्या काले काले रेशमी बालों से भारती है. जिंदगी का असली मज़ा तो इसी चीज़ में है. यह देख माकी छूट का च्छेद, भीतर से कितना लाल और गहरा है. मेरा इतना बड़ा लंड इस में कहाँ गुम हो जाएगा पता ही नहीं चलेगा. इसे खूब जी भरके देख और इसे खूब प्यार कर. हम दोनो कितने खुशनसीब हैं की इस जवानी में माकी छूट साथ साथ देख रहे हैं और मा भी मस्त हो कर हमसे अपना खजाना लुटवा रही है."
अजय: "भैया यह तो बहुत ही प्यारी है. में इसे ठीक से देखूँगा और इसे बहुत प्यार करूँगा. भैया यह तो मेने सुना था की मर्द लोग इसके पिच्चे भागते फिरते हैं पर यह चीज़ इतनी मस्त है यह मुझे पता नहीं था. इसे देख कर ही इतनी मस्ती चढ़ रही है जितनी की मुझे खड़े लंड देख कर भी नहीं चढ़ि थी. वा मा, भैया भी कम नहीं है, वे जानते थे की माने बड़ा कीमती खजाना अपनी दोनो टाँगों के बीच च्चिपा रखा है तभी तो उसे पाने के लिए पहले वे तेरे पर लाइन मारने लगे और बाद में तुझे पटाने के लिए मुझे आयेज कर दिया." अजय की बात सुन में खड़ा हो गया और माको बिस्तर पर लिटा दिया और में खुद पलंग के किनारे पर टाँग लटका कर बैठ गया. माकी गांद मेने गोद में लेली और माके घुटने मोड़ दिए जिससे माकी छूट उभर कर पलंग के किनारे पर सामने हो गई. तभी अजय भी सरक कर पलंग के किनारे के पास बैठ गया. माकी छूट ठीक अजय के मुख के सामने थी. तभी मेने दोनो हाथ की सहयता से छूट पूरी फैला दी और जन्नत का फाटक अजय के सामने खुल गया.
|