RE: Rishton mai Chudai - दो सगे मादरचोद
अपडेट-28
अजय: "भैया माँ पक्की चुद्दकड तो है ही साथ ही पक्की लंड खोरनी भी है. देखो मेरा पूरा लंड मुख में ले कितने आराम से चूस रही है. भैया माँ को लंड चुस्वा कर तो मज़ा आ गया. जब इसको लंड चूसाने में इतना मज़ा है तो इसको चोदने में और इसकी गान्ड मारने में कितना
मज़ा आएगा?" में माँ को कस कस के चोद रहा था. अब में झड़ने के बहुत करीब था.
में: "अरे बहुत गरम माल है यह. यह हम दोनो भाइयों को खुल के मस्ती कराएगी. में तेरे को कहता था न कि एक बार इसे पटा लेने दो फिर यह घर में ही हमें इतनी मस्ती देगी कि हमे कभी भी बाहर की ओर मुख करने की ज़रूरत ही नहीं होगी. भाई में तो झड़ने जा रहा हूँ. में अपने गाढ़े रस से इसकी चूत लबालब भर दूँगा. इसके पेट में अपना बीज डालूँगा और इसे अपने बच्चे की माँ बनाउन्गा. हां भाई में झड रहा हूँ. हाय, मेरा माल माँ की .... चूत में बह रहा है..... ओह ओह में झड रहा हूँ. यह चुद्दकड औरत मेरा सारा रस निचोड़ रही है. हाय.....
मुन्ना में माँ.. आ.. आ.. की चूत में झड रहा हूँ." यह कहते कहते में झड़ने लगा. मेरे लंड से रस की धार माँ की चूत में बहने लगी. मेने माँ की चूचियाँ अपनी मुट्ठी में जकड ली और आख़िरी के धक्के बहुत तेज़ी से मारते हुए झड रहा था. तभी माँ ने भी खूब ज़ोर ज़ोर से अपनी
गान्ड उपर उच्छालनी शुरू कर दी. उसने अपनी मुत्ठियाँ अजय की गान्ड पर कस ली और बहुत तेज़ी से मुख आगे पिछे करते हुए लंड
को चूसने लगी. माँ भी मेरे साथ झड रही थी पर अजय का लंड मुख में होने की वजह से कुच्छ भी बोल नहीं पा रही थी.
अजय; "भैया मेरा भी माँ के मुख में निकल रहा है. ले माँ...आ... मेरा सारा माल गटक जा. हाय मेरी राधा भा....भीईीईई तेरे मुख में झड
कर तो बहुत मज़ा आ रहा है. हाय मेरे भाई की जोरू..... हाय मेरी प्यारी भाभिईीई. में झड रहा हूँ."
में: "मुन्ना लंड बाहर मत निकालना. सारा माल माँ के मुख में ही झाड़ दे. अपना रस इसको पिला. देख मेने इसकी चूत अपने रस से भर दी अब तू इसका मुख अपने रस से भर दे. इसको रस से सराबोर कर दे." हम तीनों लगभग एक ही समय पर झड रहे थे. धीरे धीरे बारी बारी से हम तीनों सिथिल पड़ते गये. अजय ने माँ के मुख से लंड निकाल लिया और माके बगल में ही बिस्तर पर लेट गया. में भी मुरझाए लंड
को चूत में ही डाले माँ पर ही निढाल हो गया. उधर माने भी शरीर को ढीला छोड़ दिया और आँखें बंद कर ली. हम करीब आधा घंटा
इसी तरह पड़े रहे. फिर सबसे पहले माँ उठी और उसने अपनी पैंटी पहन ली. उसने अपने बाकी के सारे कपड़े और गहने लिए और अपने रूम में चली गई. फिर में उठा और बाथरूम में फ्रेश होने के लिए घुस गया. बाथरूम से वापस आया तो अजय वैसे ही सोया पड़ा था और में भी उसकी बगल में रोज की तरह सो गया. दूसरे दिन स्टोर जाते समय सब कुच्छ स्वाभाविक था और रात की घटना की कोई चर्चा नहीं थी.
इसके दूसरे दिन रात के खाने का काम समाप्त होने पर मा नहाने के लिए बाथरूम में चली गई और में मुन्ना के साथ बाइक पर शैर को निकल गया. में मुन्ना को ले उसी पार्क में आ गया जहाँ कभी माको ले कर गया था और जहाँ नौजवान जोड़े मस्ती के लिए आते थे. हम ने पार्क के दो चक्कर लगाए और में अजय को मस्ती करते हुए जोड़े दिखा रहा था. हम ने फव्वारों का भी कुच्छ देर आनंद लिया. फिर हम
ने आइस क्रीम के 3 कप और 3 कॅंडी ली और 10 बजे के करीब वापस घर पहून्च गये. माँ ने दरवाजा खोला. माँ पूरी खिली हुई थी और महक रही थी. उसने आज सेक्सी गाउन पहन रखा था. हम तीनों मेरे कमरे में आ गये. कमरे में आते ही मेने माँ की कमर में हाथ डाल दिया
और अपना हाथ उसकी पीठ से फिराते हुए उसकी गान्ड तक ले आया.
मैं: "मुन्ना माको छू कर देख इसने इस गाउन के नीचे कुच्छ भी नहीं पहन रखा है. गाउन के नीचे पट्ठी पूरी नंगी है. देखो कितनी समझदार है कि पहले से ही नीचे कुच्छ नहीं पहन रखा है." मेरी बात सुन अजय भी गाउन पर से माकी पीठ और गान्ड पर हाथ फेरते हुए अनुभव करने की कोशिश करने लगा की सचमुच में इसने नीचे कुच्छ पहन रखा है या नहीं.
अजय: "हां भैया, माँ चुदवाने के लिए और मरवाने के लिए बहुत उतावली दिखती है, इसे कपड़ा उतारने की भी देर बर्दास्त नहीं है. माँ तू तो भैया की एक ही चुदाई में चुदाने के लिए इतनी बेचैन हो गई, फिर तूने गाँव में 15 साल बिना चुदाये कैसे निकाल दिए. मेरे को कहती थी ना कि में गाँव में दोस्तों के सरकंड ओटाता हूँ तो तू क्या अपनी चूत में बेंगन और खीरे डालती थी? बता ना माँ तूने गाँव में कितने यार पाल रखे थे. तेरे जैसी चुद्दकड औरत बिना लंड के कैसे रह सकती है?"
इधर अजय माको छेड़ रहा था तभी मेने ब्रीफ को छोड़ मेरे सारे कपड़े निकाल दिए. मेने पास खड़ी माके गाउन के स्ट्रॅप्स खोल दिए और गाउन उसके शरीर से निकाल उसे मदर जात नंगी कर लिया. में सोफे पर बैठ गया.
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