RE: Rishton mai Chudai - दो सगे मादरचोद
में: "मा कैसा लगा अपने बेटे के मूट का स्वाद? मा चलो अब तुम खड़ी हो जाओ और आज हम दोनो बेटों के सामने खड़ी खड़ी मूटो. मा में तेरी झांतदार छूट से मूट की धार बहती हुई देखना चाहता हूँ. मुन्नने तो कई बार तुझे मूटते हुए देखा है पर मेने तो आज तक किसी औरत को ही मूटते हुए नहीं देखा."
मा: "तुम बहुत शरारती हो. माको छोड़ तो तूने कल ही लिया था और आज अपना मूट पीला उसे अपनी रंडी बना लिया. जब तुम लोगों ने मुझे अपनी रंडी बना ही लिया है तो में खुद भी रंडी बन पूरा मज़ा क्यों ना लून. मुझे तुम दोनो से प्यार है, तुम दोनों के लुंडों से प्यार है, तुम्हारे वीर्या को छूट में झदाने से प्यार है और सच कहूँ तो तेरा मूट भी मुझे बहुत मजेदार लगा. उसे पी कर तो में पूरी मस्त हो गई हूँ. में एक रंडी बन गई हूँ, एक ऐसी रंडी जो पूरी बेशरम हो कर छुड़वाना चाहती है, तुम लोगों से गांद मरवाना चाहती है, तुम लोगों का मूट पीना चाहती है. तो तू मुझे मूटते हुए देखना चाहता है. अब में मूट के खाली दिखावँगी नहीं बल्कि तुम दोनों के खुले मुख में मूतुँगी. यह सोच कर ही मुझे पेशाब करने की बहुत ज़ोर से हाज़त लग गई है." यह कह मा खड़ी हो गई. में और अजय फ्लोर पर घुटनों के बाल बैठ गये और माकी छूट पर अपनी आँखें गाड़ा दी. मेने माकी छूट थोड़ी छोड़ी कर ली और छूट के च्छेद के उपर बने पेशाब के च्छेद को अजय को दिखा हुए कहा,
में: "मुन्ना देख यह माका पेशाब करने का च्छेद है. माके मूट का झरना यहीं से बहेगा."
अजय: "भैया में तो सोचता था की जैसे हम लोगों के लंड में झड़ने का और मूतने का एक ही च्छेद है वैसे ही माका भी छोड़ने का और मूतने का एक ही च्छेद होगा पर माके तो अलग अलग हैं."
में: "अरे माके हर च्छेद का अपना अपना स्वाद है. तू देखता जा तुझे माके एक एक च्छेद की मस्ती करवाता हूँ. मा चलो अब मूतोना." मेरी बात सुन माने ज़ोर लगाया और मुत्रा च्चिद्रा से चुर्र्रर चुर्र्रर की आवाज़ से मुत्रा की तिवरा धार बह निकली. मुत्रा का रंग बिल्कुल पानी जैसा ही था. मेने फ़ौरन पूरा मुख खोल एक कप की तरह वहाँ जड़ दिया और माका वा अमृतमय मूट गतगत पीने लगा. तभी अजय ने कहा की भैया सारा अकेले मत पी जाना तोड़ा मेरे लिए भी छ्चोड़ना. अजय की बात सुनते ही मेने उस बहते झरने से मुख हटा मुन्ना का मुँह वहाँ लगा दिया. मुन्ना भी पूरा मस्त हो माका मूट पीने लगा. फिर मेने अजय का मुख वहाँ से हटा दिया और उस मुत्रा धार को अपने चेहरे पर गिरने दिया बीच बीच में अजय भी उसके सामने अपना चेहरा ले आता. हम दोनो भाई उस मादक मुत्रा स्नान का तब तक मज़ा लेते रहे जब तक मूट की धार पूरी तरह से बंद नहीं हो गई.
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