RE: Rishton mai Chudai - दो सगे मादरचोद
अपडेट-31
दूसरा दिन रविवार का था. आज हम तीनों ने बाहर का प्रोग्राम बनाया. ईव्निंग शो में हम एक मल्टिपलेक्स में पिक्चर देखने गये. पिक्चर ख़तम होते ही हम लवर्स' पार्क में आ गये और पार्क का एक चक्कर लगाया. फिर मस्ती भारी बातें और च्छेद छ्छाद करते हुए हुँने चाट और पाव भाजी का मज़ा लिया. फिर आइस्क्रीम चूसी और छाती. इसके बाद सुगंधित पॅयन का एक एक बीड़ा हुँने एक दूसरे को खिलाया. घर वापस पाहूंचते पाहूंचते रात के 11 बाज गये थे. मा आधा घंटे में फ्रेश होकर निघट्य में मेरे कमरे में आ गई. तब तक हम दोनो भाई भी फ्रेश हो चुके थे और शॉर्ट्स और बाणयान पहने अपनी चुदसी माका इंतज़ार कर रहे थे. पिच्छले दो टीन दिनों में ही हम तीनों आपस में पुर खुल चुके थे. में बेड पर बैठा हुवा था और मुन्ना भी मेरे बगल में बेड पर ही बैठा हुवा था. जैसे ही मा बेड पर बैठने को हुई मेने माका हाथ पकड़ लिया और खींच कर उसे अपनी गोद में बैठा लिया.
में: "अरे मेरी राधा रानी! मेरी गोद के होते हुए पलंग पर क्यों बैठ रही हो? तूने तो दो ही दिनों में हुमें अपने पर लट्तू कर लिया है. मुन्ना तो तेरी एक ही छुदाई में तेरा दीवाना हो गया है, तेरी छूट का रसिया बन गया है. जब तक इसने तुझे छोड़ा नहीं था तब तक तो यह पक्का गंदू था और तेरे छुड़ाने से भी ज़्यादा मस्त हो कर अपनी गांद मरवाता था. अब यह अपनी मस्तानी गांद शायद ही मुझे मारने दे क्योंकि अब यह भी तेरी छूट का दीवाना बन गया है. क्यों रे मुन्ना ठीक कह रहा हूँ ना, क्या अब भी अपने बड़े भैया को अपनी गांद दोगे?"
अजय: "भैया आप भी कैसी बातें कर रहे हो? आप जब भी इशारा करेंगे आपके लिए तो में फ़ौरन मेरी पंत नीचे सरका लूँगा. आप कहें तो अभी यह शॉर्ट्स नीचे सरका लून. मेरे भैया के लिए मेरी गांद हरदम हाजिर है. क्या भैया आप माके सामने मेरी गांद अभी मारेंगे?"
मा: "रे अजय एक पूरा मर्द होकर तुम्हें यह गांडू शौक कैसे लग गया जो मर्दों के लंड के आयेज अपनी पंत नीची करते फिरते हो. तुम मर्दों को च्छेद में डालने के लिए बनाया गया है और हम औरतों को च्छेद में लेने के लिए बनाया गया है पर तुम तो उल्टी रीत चला रहे हो और हम औरतों की तरह अपना च्छेद उघाड़ उघाड़ दिखाते फिरते हो. कल तूने एक ही छुदाई में मेरी नस नस ढीली करके रख दी थी और मुझे दो दो बार झाड़ दिया था. किसी भी औरत को अपनी दीवानी बना लेने की तुम में पूरी ताक़त है पर फिर भी तेरा यह पिच्छावाड़े में पिलवाने का शौक़, सोच के ही मुझे तो शर्म आती है."
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