RE: XXX Kahani नागिन के कारनामें (इच्छाधारी नागिन )
लेकिन उसी दौरान एक अजीब सी घटना घट गई और राज ने बड़ी मुश्किल से अपने दिलो-दिमाग से उतार फेंका था-फिर वही तेजी और सख्ती के साथ उस पर सवार हो गया। उसके मुर्दा हो चुके सन्देह फिर से जी उठे। उस दिन ज्योति फिर से उसे एक भोली और मासूम औरत के बजाय पांच-पांच पतियों को खा जाने वाली एक भयानक डायन दिखाई देने लगी थी। सतीश की एक छोटी-सी बात ने उसकी खुशफहमियों की इमारत को धराशाही कर दिया था।
सतीश के अनुसार यह बात महज इत्तेफाक थी और मामूली भी। लेकिन यही मामूली सी बात राज के लिये किसी जुल्म से कम साबित नहीं हुई थी।
उसने राज को बताया कि एक रात अचानक सतीश की आंख खुल गई थी, ज्योति बैड पर उसकी बगल में बेसुध सो रही थी और उसके खुले हुए स्वच्छ सीने पर वही....गर्दन वाला नेकलेस कुण्डली मारे बैठा हुआ था। दूर से उसे ऐसा लगा था जैसे नेकलेस का वो सिरा, जहां सांप का फन था, वहां कोई गठरी सी बनी चीज हिल रही हो। बिल्कुल इस तरह जैसे वो चांदी का सांप जिन्दा हो गया और उसकी दोमुंही जुबान लपलपा रही हो। लेकिन जब सतीश ने करीब जाकर देखा तो नेकलेस बिल्कुल ठीक था, वो हिलने वाली चीज गायब थी।
बस इतनी सी बात थी जिसन राज का वहम बढ़ा दिया था। जबकि सतीश को यकीन था कि वो उसकी नजरों का धोखा था।
जिसे सतीश मामूली बात समझ रहा था, वही राज के लिए एक खौफनाक सवाल बन गई थी। राज सोचता रहा था कि आखिर सतीश ने उस चांदी के फन पर क्या चीज हरकत करते देखी ली थी? क्या वो वाकई उसकी नजरों का धोखा था या उस चांदी के सांप में कोई भयानक रहस्य हुपा हुआ था?
सतीश ने यह बात राज को सिर्फ इसलिए बताई थी, क्योंकि उसे मालूम थी, क्योंकि उसे मालूम था कि राज ज्योति के उस सांप जैसे नेकलेस से बहुत खौफ खाता है। यह कह कर उसने राज की हिम्मत और हौसले का मजाक उड़ाया था, ताकि राज उस नेकलेस से और ज्यादा डरने लगे और सतीश उसके डर से मजे ले सके।
हुआ भी ऐसा ही था, उस बात से राज बहुत डर गया था।
लेकिन उसने अपना खौफ और दहशत सतीश पर प्रकट नहीं किया था। वो बात को टाल गया था, चुप रह कर।
उसके बाद उसने मौका पाकर सतीश से पूछा
" सतीश, तुमने कभी ज्योति से यह भी पूछा था कि वो चांदी का वह नेकलेस हर वक्त क्यों पहने रहती हैं?" सतीश ने हंसते हुए कहा था
"पूछा था मैंने। उसने जवाब दिया था कि वो नेकलेस उसकी मां ने उसे मरते हुए दिया था, इसलिए वो नेकलेस को जान से प्यारा समझती है और खो जाने के खौफ से उसे कभी नहीं उतारती। उसकी मां को किसी महापुरूष ने वहा तोहफा दिया था, जो दबर्दस्त गुप्त और ऊपरी ताकतों के मालिक थे।"
राज उसका जवाब सुनकर खामोश रह गया था और बात आई-गई हो गई थी। उस घटनाओं को भी कई दिन गुजर गए।
उसके बाद एक महीने तक कोई सी साधारण या असाधारण घटना नहीं घटी। लेकिन राज के सन्देह खत्म नहीं हुए। लेकिन न जाने क्यों ज्योति और सतीश का ख्याल आते ही राज के दिल में खतरे की घंटियां बजने लगती थीं।
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