RE: XXX Kahani नागिन के कारनामें (इच्छाधारी नागिन )
वक्त का पहिया अपने नियम से घूम रहा था। न जाने क्यों इन दिनों राज पर एक अजीब सी उकताहट और आदमी सी छाई रहती थी।
हालांकि सतीश जैसे बच्चे दोस्त का साथ, ज्योति जैसी हसीन भाभी की रेशमी मुस्कराहटें और क्रिस्टल के गिलासों में भरी सुनहरी स्कॉच उसे उपलब्ध रहते थे। लेकिन उसका मन बेचैन रहता था।
उस स्थिति से तंग आकर राज ने सोचा कि वो कुछ दिनों के लिए कहीं दूर चला जाए। जहां की हर चीज और हर इन्सान उसके लिए अजनबी हो। जहां उसे पूर्ण शांति मिल सके।
लेकिन किसी जगह का चुनाव भी तो उसके लिए मुश्किल हो रहा था, वो किसी होटल या पब में बैठा शराब पीता रहता। यह समस्या भी राज की जल्दी ही हल हो गई। एक दिन जब वो कमरे से निकल कर किसी शराबखाने में जाने का प्रोग्राम बना ही रहा था कि डॉक्टर गुप्ता की फोन कॉल मिली उसे। राज ने बढ़कर रिसीवर उठाया
"हैलो, डॉक्टर राज!"
"राज, मैं नरेन्द्र गुप्ता बोल रहा हूं। क्या तुम एक अर्ध सरकारी खोज अभियान में मिस्र जाना चाहोगे।" डॉक्टर नरेन्द्र गुप्ता ने संक्षेप में कह दिया।
"मिस्र?" राज ने हैरत और खुशी से कहा, "गुप्ता जी, मैं मिस्र जरूर जाऊंगा। तुम मेरा इन्तजार करो, मैं अभी तुम्हारे पास पहुंच रहा हूं।"
राज रिसीवर रख कर नेहरू अस्पताल की तरफ पैदल ही चल पड़ा था। इतने दिनों से कहीं जाने की सोच रहा था, लेकिन कहां जाए, यह फैसला नहीं कर पा रहा था। अब अचानक ही उसे मिस्र जाने की दावत मिल रही थी, वो भी सरकारी खर्च पर।
राज की खुशी की हद न रही और वो अपने दिल में एक नया उत्साह महसूस करने लगा। जीवन की उमंग, जो इन दिनों हालात ने उससे छीन ली थी।
चलते-चलते उसकी कल्पना मिस्र की रहस्यमय और आकर्षक सरजमीन पर उड़ान भरने लगी। भव्य पिरामिड उसकी आंखों के सामने नाचने लगे और मिस्र के बारे में पढ़ी हुई कहानियों और देखी हुई फिल्मों की यादें ताजा होने लगीं। हजारों साल पहले के बादशाहों और मलिकाओं की ममियां उसके दिमाग में तैरने लगीं।
महारेगिस्तान के तपते हुए पिंड और ठण्डी रातें। मिस्र जैसे प्राचीन देश के ख्याल ने उसकी तमाम उदासियां खत्म कर दी और वो अपने आप को शांत महसूस करने लगा। उसके दिल की बेचैनी भी दूर हो गई।
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