RE: XXX Kahani नागिन के कारनामें (इच्छाधारी नागिन )
दूसरे दिन डॉक्टर जय फिर आया। इस बार सोचे-समझे ढंग से सतीश ने बड़े तपाक से उससे मुलाकात की। जब डॉक्टर जय ज्योति का मुआयना करके वापस जाने लगा। तो राज उसे अपने कमरे में ले आया। वो डॉक्टर जय से थोड़ी देर बातें करके उससे सम्पर्क बढ़ाने का इच्छुक था।
करीब पैंतीस मिनट बातें करने के बाद राज ने डॉक्टर जय वर्मा को विदा कर दिया।
कुछ मुलाकतों के बाद राज डॉक्टर जय से खूब खुल गया था।
एक दिन डॉक्टर जय ने राज को अपनी कोठी पर आने की दावत दे डाली और राज ने भी फौरन आने का वादा कर लिया।
दरअसल, उससे दोस्ती करने में राज का मकसद था भी यही कि वो किसी तरह उसकी लेब्रॉटरी का मुआयना कर सके और सम्बंध बढ़ा कर उसके राज मालूम कर सके। मुमकिन है उसके माध्यम से कोई ऐसा सूत्र मिल जाए जिससे ज्योति की रहस्यमयी शख्सियत पर से पर्दा उठ सके।
वादे अनुसार राज तय वक्त पर जय की खूबसूरत कोठी पर पहुंच गया। कार के हॉर्न की आवाज सुनकर किसी नौकर के बजाय डॉक्टर जय वर्मा खुद दरवाजे पर आ पहुंचा था।
"हैलो राज साहब। मैं अपका ही इन्तजार कर रहा था।" डॉक्टर जय ने कहा।
'थैक्यू डॉक्टर। मैं अपने वादानुसार हाजिर हो गया हूं।" राज ने कार का दरवाजा खोल कर उतरते हुए कहा
डॉक्टर जय ने बड़े जोशीले अन्दाज में राज से हाथ मिलाया और एक अच्छे मेजबान की तरह उसे साथ ले जाकर कोठी के ड्राईंगरूम में बिठाया।
"मुझे हैरत है कि आप डॉक्टर होने के बावजूद प्रेक्टिस नहीं करते।" डॉक्टर जय ने राज को सिगरेट पेश करके लाईटर जला कर उसकी तरफ बढ़ाते हुए कहा।
"इसे एक तरह की सनक कह लीजिये।" राज सिगरेट सुलगा कर हंसते हुए बोला, "दरअसल मैंने डॉक्टरी, पेशा बनाने के लिए पढ़ी ही नहीं थी। मेडिकल सांइस से लगाव होने की वजह से पढ़ी थी।"
"शौक के भी अजीब ढंग होते हैं।" डॉक्टर जय राज के करीब ही एक कुर्सी पर बैठ गया-"अगर एक विद्या मिली है तो उसे किसी काम में लाना चाहिए.... ।
"काम भी लेता हूं, कभी-कभी जब मैं या मेरे दोस्तों में से कोई छोटी-मोटी बीमारी का शिकार हो जाता है, तब यह विद्या काम आती है।"
"बढ़िया। आप वाकई दिलचस्प आदमी हैं।" डॉक्टर जय ने कहा, शायद इसीलिए ज्योति भी आपकी बहुत तारीफ करती रहती है।'
"यह तो बढ़प्पन है आपका भी और ज्योति भाभी का भी, वर्ना बन्दा क्या हैसियत रखता है!" राज ने शालीनता से कहा।
उसके बाद बातचीत के लिए कोई उचित विषय ने मिलने पर दो तीन मिनट दोनों खामोश ही रहे और सिर्फ सिगरेट के कश लगाते रहे। फिर अचानक राज ने उससे पूछा
"आपने कभी सतीश का भी चैकअप किया है डॉक्टर?"
"हां, कई बार ।" डॉक्टर ने गहरी निगाहों से राज की तरफ देखते हुए कहा।
"आपके ख्याल में क्या बीमारी हो गई है उसे?"
"जहां तक मेरा ख्याल है, उनका दिल कमजोर हो गया है और जरूरत के अनुसार पूरी मात्र में साफ खून नहीं बन पा रहा है....।"डॉक्टर जय ने जवाब दिया-"क्या आपने उनका मुआयना नहीं किया?"
"किया था, और मुझे खेद है कि मैं आपकी राय से सहमत नहीं हूं।" राज ने कहा।
"तो फिर, और क्या है?" उसने हैरत से पूछा।
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