RE: XXX Kahani नागिन के कारनामें (इच्छाधारी नागिन )
उसके बाद डॉक्टर जय ने एक गिलास उठाया, जिसमें उस मिनी छोट सांप का जहर घुला हुआ था, जो मर चुका बताया गया था। उस गिलास का आधा पानी उसने एक प्लेट में डाल दिया और आधा दूसरी प्लेट में।
दो मिनट तक वो दोनों खामोश खड़े प्लेटों की तरफ और से देखते रहे। लेकिन प्लेटें सही सलामत रहीं। दो मिनट बाद डॉक्टर जय ने दोनों प्लेटों का पानी फिर गिलासों में उड़ेल दिया। फिर दूसरा गिलास उठाया और उसका पानी भी आधा-आधा उड़ेल दिया।
राज का मुंह उस वक्त हैरत से खुल गया जब उसने दोनों प्लेटों को चटकते हुए देखा। जैसे चीनी मिी की प्लेटें ठोकर लगने से चटक जाती हैं।
"देखा अपने!" डॉक्टर जय ने राज की तरफ देखते हुए विजेता जैसे गर्व से कहा, "मैंने कहा था न कि दोनों ही प्लेटें असली जाना चीनी की बनी हुई हैं। अब देख लीजिए, एक जहर कितनी तेज है और दूसरा कितना ठण्डा?"
"वाकई बहुत तेज जहर है यह।" राज ने स्वीकार किया।
"लेकिन यकीन कीजिए कि उस मीठे जहर के मुकाबले में यह कुछ भी खतरनाक नहीं है।'
"वाकई दोनों चीजें बहुत हैरतअंगेज हैं। दोनों जहर भी और ये दोनों प्लेटें भी।"
इस प्रयोग से फारिग होकर डॉक्टर जय ने दोनों प्लेटों को पौंछ कर दूसरी मेज पर रख दिया और दो बोतलें मंगा कर दोनों गिलासों का जहरीला पानी उनमें भर दिया। फिर वो राज की तरफ मुड़ा
"चार बज रहे हैं, चाय मंगवा ली जाए तो क्या हर्ज है?"
"चाय में क्या हर्ज हो सकता है!'' राज ने हंस कर कहा।
डॉक्टर जय ने नौकर को आवाज देकर चाय लाने के लिए कहा। चाय भी दो-चार मिनट में ही आ गई। वो दोनों चाय पीने में व्यस्त हो गए।
चाय पीने के बाद राज ने डॉक्टर जय ने पूछा
"इतनी बड़ी और शानदार कोठी है लेकिन सोई-सोई सी लगती
"क्या मतलब?” डॉक्टर जय ने ताज्जुब से राज को तरफ देखा।
"मतलब यह कि किसी हसीन मालकिन के बगैर कोठी में वो बाहर नहीं है जो होनी चाहिए.....।"
"ओह.....।" उसने गहरी सांस लेकर कहा, "आपका मतलब शायद एकाध बीवी से है?"
"जी हां!"
"बात दरअसल यह है कि राज साहब कि मैंनी कभी बीवी की जरूरत ही महसूस नहीं की। इसलिए मुझे कभी शादी का ख्याल ही नहीं आया। रात-दिन प्रयोगों में व्यस्त रहता हूं। घर के कामों के लिए कई-कई नौकर हैं। हर तरह की सुविधा और आराम उपलब्ध हैं, फिर क्यों खामखां एक मुसीबत गले बांधी जाए?"
"मुसीबत.....?"
"मुसीबत ही तो है। अगर बीवी मनपसन्द न मिले तो मुसीबत से कम नहीं होती।"
"इसका मतलब है आपके दिल पर अभी तक किसी हसीना के रंगरूप का जादू नहीं चला?"
"जी नहीं ! वैसे कई जादुई हसीनाएं मेरी जिन्दगी में आकार वापस जा चुकी हैं।" डॉक्टर जय ने कहा।
"और कोई भी अपने कदम नहीं जमा पाई....। राज ने डॉक्टर जय की बात पूरी कर दी।
"सिर्फ एक ने कदम जमाए थे मेरी जिन्दगी में.....और मेरे दिल पर।"
"तो आपको उससे सच्चा प्यार हो गया था।"
"हां, और आज तक है। लेकिन मैंने कभी उससे शादी की इच्छा नहीं जताई....और न ही कोई ऐसा इरादा है।"
"अजीब आदमी हैं आप। लोग तो अपनी प्रेमिकाओं को पाने के लिए दूध की नदियां खोद लाते हैं, पहाड़ तोड़ देते हैं, मौत से टकरा जाते हैं, अपना सब कुछ कुर्बान कर देते हैं। और आप हैं कि.....।"
"जी हां।" उसने राज की बात काटते हुए कहा-''मैं वाकई अजीब सा आदमी हूं। प्यार के बारे में मेरा ख्याल है कि अगर मैं किसी औरत से प्यार करता हूं तो जरूरी नहीं कि उसे बीवी बना लूं बाकि प्यार करता हूं तो जरूरी नहीं कि उसे बीवी बना लूं । बल्कि प्यार तो शादी के बगैर ही अच्छा लगता है। वो किसी दूसरे की बीवी होकर भी तो मेरी प्रेमिका बनी रह सकती है। इस तरह एक औरत से एक वक्त में दो मर्द फायदा उठा सकते हैं। खूबसूरत औरतें एक तरह से बेशकीमती चीजें होती है
और कीमती चीजों का लाभ जितने ज्यादा से ज्यादा आदमियों को पहुंच सके, बेहतर होता है।"
"और वो औरत....यानि कि आपकी प्रेमिका, वो भी क्या ऐसा ही नजरिया रखती है?"
"पहले नहीं रखती थी, मगर मेरी सोहबत में रहने के बाद अब रखने लगी है।"
"यानि उसने शादी भी कर ली है और एक निष्ठावान प्रेमिका की तरह अब भी आपकी भावनाएं सन्तुष्ट कर रही है।"
"बड़ी खुशी के साथ।"
"कमाल है!"
"कोई कमाल नहीं है। सिर्फ अपने-अपने नजरिये की बात है। आप मेरे खास नजरिये को दुनिया के नजरिये की कसौटी पर कस रहे हो, इसलिए आपको यह अजीब लग रहा है।"
"फिर भी मेरा ख्याल है कि पूरी दुनिया में इस नजरिये के आदमी गिने-चुने ही होंगे।"
"हां, दुनिया के ज्यादातर आदमी तंगदिल ही होते हैं।"
"क्या आपकी प्रेमिका के पति को इस स्थिति की जानकारी
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