RE: XXX Kahani नागिन के कारनामें (इच्छाधारी नागिन )
“तो फिर श्रीमान, आप आम इन्सानों से अलग हैं क्योंकि प्यार मोहब्बत तो इन्सानों के खून में रची-बची होती है। बस उसे बाहर आने का जरा सा मौका मिलना चाहिए।
राज ने हंस कर जवाब दिया
“कहते हैं इश्क जिसकों, खलल हैं दिमाग का।"
डॉक्टर जय भी हंस पड़ा
"शायद गालिब का हैं ?"
“जी हों।" राज मुस्कराया।
फिर दोनों ठहाके लगा कर हंस पड़ें और बात आई गई हो गई। बातें क्योंकि एक बिलकुल ही बेकार से विषय पर छिड़ गई थी इसलिए उसमें काफी वक्त लग या था। चाय खत्म होते ही राज ने एक जरूरी काम का बहाना किया और जाने की इजाजत मांग ली। और चल पड़ा।
वापस लौटकर राज ने महसूस किया कि वो पहले की तरह घोर अन्धेरे में ही रह गया है। इस भयानक अन्धेरे में उम्मीद की जो हल्की सी किरण दिखाई दी थी, वो फिर उसकी निगाहों से ओझल हो गई थी।
अब उसे अहसास हो रहा था कि सिर्फ कुछ आम सी घटनाओं के आधार पर उसने जो रास्ता चुना था, वो गलत था। अब उसे बढ़ती हुई उलझनों के खिलाफ नए सिरे से संघर्ष करना पड़ेगा। जबकि एक-एक क्षण कीमती था। गुजरने वाला हर क्षण सतीश को मौत के और करीब ले जा रहा था। राज की पूरी कोशिश के बावजूद रहस्य की गुत्थी सुलझने के बजाया ज्यादा उलझती जा रही थी।
एक महीना और गुजर गया और स्थिति ज्यों की ज्यों रही। इस मामले में एक खास बात यह थी कि सतीश के सामने राज ने अपने सन्देह प्रकट नहीं किए थे, क्योकि अगर वो सतीश से जिक्र भी करता तो उसे यकीन न आता, उसकी बातों पर सतीश ज्योति के खिलाफ एक शब्द भी सुनने को तैयार नहीं था। उसे कभी यकीन न आता कि उसके दिल की रानी ज्योति एक शातिर कातिला भी हो सकती हैं, जो अपने पांच पूर्व पतियों को मौत के घाट उतार देने के बाद अब उसे भी ठिकाने लगा देने की फिक्र में है।
सतीश के आसपास ज्योति ने अपने रूम का जाल इस तरह फैला रखा था कि वो ज्योति के ऊपरी रूप और दिखावटी मोहब्त से आगे कुछ नही देख सकता था ओर अपने भोलेपन की वजह से बड़ी आसानी के साथ ज्योति के फरेब का शिकार होता जा रहा था। ये राज का विचार था।
हालांकि ज्योति और डॉक्टर जय के खिलाफ राज के पास कोई सबूत नहीं था, लेकिन एक बात का उसे यकीन था कि सतीश कि खिलाफ वो दोनो एक खतरनाक साजिश रच रहे हैं।
राज की खोजबीन और विचार के मुताबिक सतीश की दुश्मन दो चीजे हो सकती थी, या तो ज्योति का वो रहस्यमय नेकलेस, जिसे वो हर गले में पहने रखती थी, और किसी दुसरू शख्स को हाथ तक नहीं लगाने देती थी, या फिर डॉक्टर जय का कोई जहर।
सोचते-सोचते एक दिन राज को ख्याल आया कि किसी तरह ज्योति के नेकलेस का राज मालूम करने की कोशिश करनी चाहिए। लेकिन नेकलेस हासिल करना भी अपनी जगह एक बड़ी समस्या थी। ज्योति उसे अपनी गर्दन से आसानी से अलग नहीं करने वाली थी।
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