RE: XXX Kahani नागिन के कारनामें (इच्छाधारी नागिन )
आखिर नेकलेस का ख्याल जब जनून की हद तक पहुंच गया तो, नतीजे से लापरवाह होकर राज ने एक दिन रात के खाने में सतीश और ज्योति को दो-दो नींद की गोलियां खिला दी। उसका ख्याल था कि दोनो सुबह से पहले नही जाग सकेगे।
और उसका ख्याल था कि दोनों सुबह से पहले नही जाग सकेंगें। और वो रात को ज्योति के गले से नेकलेस उतारकर आराम से उसकी जांच कर सकेगा कि आखिर उसमें ऐसी क्या खास बात हैं कि ज्योति उसे अपने जिस्म से अलग ही नही करती।
अपेक्षानुसार नींद की गोलियों ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया, नौ बजे से ही दोनों की आंखों में भारीपन दिखाई देने लगा, हालांकि दोनो रोजाना ग्यारह बजे से पहले नहीं सोया करते थे। लेकिन उस दिन वो जल्दी ही सोने के लिए अपने बेडरूमें में चले गए।
ठीक दस बजे राज ज्योति के बेडरूम में गया तो दोनो 'गहरी नींद सोए पडें थे। राज जानता था कि उस वक्त ज्योति हिल भी नहीं पाएगी, फिर भी किसी अनजाने खौफ और दहशत से उसके रोंगेट खडे हो गए थे।
ज्योति अपने बिस्तर पर अर्धनग्न अवस्था में पड़ी थी। बेखबरी की नीद मैं उसकी नाईट ड्रेस कई जगह से इस तरह खुली गई थी कि उसका गोरा, गुलाबी जिस्म झांक रहा था, उसके स्वच्छ उरोज दो सुडौल कबूतरों की तरह बिल्कुल नग्न, गर्दन उठाए खड़ें थे। हल्की नीली रोशनी मे वो अपने बेड पर सोई हुई कोई अजन्ता की मूरत लग रही थी।
राज उसे उस अवस्था में सोए देख कर कुछ क्षण के लिए स्तब्ध रह गया। फिर अचानक उसकी नजर ज्योति की सुराहीदार गर्दन पर पड़ी, जहां वो रहस्यमय चांदी का सांप बल खाए पड़ा हुआ था। सांप की आंखों की जगह जड़े हुए दोनों नीलम हल्की नीली रोशनी में नीली चिंगारियों की तरह चमक रहे थे।
सांस के उतार-चढ़ाव के साथ कभी-कभी तो राज को ऐसा महसूस होता था जैसे वों सांप जिन्दा होकर हिल रहा हो।
पांच मिनट तक राज हैरत में खड़ा ज्योति को देखता रहा। उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी कि वो आग बढ़कर उस हसीन जादूगरनी की गर्दन से नेकलेस उतार सके।
काफी देर तक पेरशान खड़ें रहने के बाद राज ने एक बार जुर्रत करके नेकलेस अतारने के लिए हाथ बढ़ाया, डरते-डरते। लेकिन ठण्डा-ठण्डा नेकलेस हाथ से छूते ही उसने फौरन हाथ खींच लिया। उसे बिल्कुल ऐसा महसूस हुआ था जैसे नेकलेस के सांप ने उसे डस लिया हो।
उसके पूरे जिस्म में खौफ और दहशत की कंपकपी दौड़ गई। नसों में तेज ठण्डक सी दौड गईं घबराहट में पहले तो उसे सन्देह हुआ कि शायद सांप ने उसकी अंगलियों में इस लिया हैं । लेकिन कुछ देर में जब वो सम्भला तो उसे मालूम हुआ कि यह उसका वहम ही था। उसकी अंगुलियां बिल्कुल ठीक थी । कुछ देर में जब वो सम्भला तो उसे मालूम हुआ था कि यह उसका वहम ही था। उसकी अंगुलियां बिल्कुल ठीक थी।
आखिर उसने हिम्मत जुटाकर फिर कोशिश की और इस बार नेकलेस ज्योति की गर्दन से उतार लिया।
नेकलेस काफी भारी था। आज पहली बार राज को मालूम हुआ था कि नेकलेस लचकदार था और किसी अजीब तरीके से बनाया गया था, उसे किसी भी तरफ आसानी से मोड़ा जा सकता था। उसी तरह जैसे स्प्रिंगदार टेबल कैम्प के स्टैंड को मोड़ा जा सकता था।
अपने कमने में आकर राज को ऐसी खुशी महसूस हुई जैसे कोई जंग जीत कर आया हो या किसी खतरनाक दुश्मन से जान बचाकर आया हों नेकलेस लाकर उसने मेज पर डाल दिया और कुसी खींच कर खुद भी उसके करीब ही बैठ गया, ताकि तेज रोशनी में उसका अच्छी तरह मुआयना कर सकें
राज ने कई बार नेकलेस को घुमा-फिरा कर, तोड़-मरोड़ कर और उलट-पुलट कर देखा, लेकिन उसे नेकलेस में ऐसी कोई भी चीज नही दिखाई दी जिसे संदिग्ध समझा सकता । पहली नजर में वे सिर्फ एक नेकलेस ही था, हकीकत में भगवन जाने क्या चीज था।
आखिर में अपनी तसल्ली के लिए मैग्नीफाईग ग्लास निकला कर नेकलेस को देखना शुरू कर दिया कि शायद कोई ऐसी निशान मिल जाए जो इसमें किसी जोड़ या दूसरी किसी कमी का पता दे सके। लेकिन एक घंटे की उसकी यह जांच-पड़ताल बेकार ही रही उसे नेकलेस में कोई गड़बड़ नही नजर आई।
नेकलेस बिल्कुल साफ था, उस पर कोई निशान नहीं था। अगर उसमें कोई जादू भी था तो मुमकिन हैं किसी वक्त उस पर कोई मंत्र वगैरह लिखा गया हो,जो निरंतर पहने रहने से घिस-घिस कर मिट गया हों इस वक्त राज को महसूस हुआ कि नेकलेस
नेकलेस से मायूस हो जाने के बाद राज को बड़ी झुंझलाहट सी हुई थी, आखिर क्यों अपना इतना कीमती वक्त एक फिजल वहम के पीछे खराब कर रहा हैं? उसे अपनी तहरीक किसी और कोण से शुरू करनी चाहिए थीं उसे यह भी ख्याल आया कि इस मॉडर्न जमाने में जादू मंत्र कहां रखे हैं, अब तो हर काम साइंटिफिक तरीकों से किया जाता है।
गुस्से में आकर राज ने नेकलेस मेज पर दे पटका और खुद एक सिगरेट सुलगाकर सोचने लगा। सोचते-सोचते राज की निगाह अचानक उस सांप जैसे नेकलेस की नीलम जड़ी आंखों पर जा पड़ी जो तेज रोशनी में अजीब तरीके से चमक रही थी।
और बड़ी खौफनाक लग रही थी। एक बार फिर उसका ध्यान इस सांप-जैसे नेकलेस की तरफ आकर्षित हो गया।
जिस माचिस की तीली से राज ने सिगरेट सुलगाया था, वो बुझी हुई ताली अभी तक उसके हाथ में थी-देखते-देखते बगैर किसी इरादे कें, यो ही सांप की नीली-नीली चमकती हुई आंखों को तीली से छेड़ने लगा।
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