RE: XXX Kahani नागिन के कारनामें (इच्छाधारी नागिन )
नेकलेस को बंद करके राज ने उसी तरह ज्योति के गले में पहना दिया, जो अभी तक गहरी नींद सो रही थी और शायद कोई अच्छा सपना देखती हुई ही नींद में ही मुस्करा रही थी।
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अब राज सोच रहा था कि किस तरह उस मिस्त्री सांप का जहर हासिल करके उसके उसी का तोड़ बनाया जाए जिसका तरीका उसके मिस्त्री डॉक्टर दोस्त ने उसे मिस्त्र में बताया था। उसके बाद सतीश का इजाल शुरू किया जाए, मुमकिन हैं वो अभी इलाज की सीमा से बाहर न गया हो।
लेकिन समस्या यह थी कि उस सांप का जहर किस तरह हासिल किया जाए ? सांप जब तक कम से कम एक हफ्ता उसके पास न रहता, उसका जहर हासिल करना मुमकिन नहीं था। एक रात के लिए तो सांप पहले की तरह ही हासिल किया जा सकता था, लेकिन पूरे एक हफ्ते के लिये सांप को ज्योति की जानकारी के बिना गायब रखना मुश्किल था।
कई दिन तक यह समस्या भी राज को परेशान करती रही । फिर आखिर एक दिन उसके जेहन में एक तरकीब आ ही गई।
उसने सोचा कि किसी तरह डॉक्टर जय के यहां से इसी साईज और इसी रंग-रूप वाला वो दूसरा सांप चुरा लिया जाए ओर सांप चुरा लाने के बाद इसी तरह ज्योति और सतीश को नीद की गोलियां खिला कर गहरी नींद सुलाकर दोबारा नेकलेस ज्योति के गले में उतारकर उसमें से मिस्त्री सांप निकाल लिया जाए और उसकी जगह दूसरा सांप रख दिया जाए। उसके बाद नेकलेस फिर से ज्योति की सुराहीदार गर्दन मे डाल दिया, जाए।
इस तरह राज आसानी से मिस्त्री सांप की आठ-दस दिन अपने पास रखकर उसका जहर निकाल सकता था। मजें की बात यह थी कि राज के ख्याल में इस तरह ज्योति को कोई शक भी नही हो सकता था कि उसके नेकलेस में सांप बदल दिया गया हैं । काम सिर्फ इतना था कि जल्दी ही किसी दिन और किसी वक्त बड़ी सफाई से राज डॉक्टर जय की लेब्रॉटरी में से दो दूसरा सांप चुरा लाता।
लेकिन जब राज ने सांप चुराने को स्कीमों पर सोचा तो उसे पता चला कि अभी इस स्कीम में एक बड़ी अड़चन को दूर करना बाकी है। सांप की चोरी के वक्त यह भी जरूरी था कि उसकी जगह भी कोई दूसरा सांप उस शीशे के बॉक्स में रखा जाता, ताकि डाक्टर जय को सांप चोरी हो जाने का शक न हो सके।
अब यह समस्या था कि वैसा सांप कहां से मिलेगा ? लेकिन फौरन ही उसे ख्याल आ गया कि इस तरह का उसी नस्ल और रंग का सांप डॉक्टर नरेन्द्र गुप्ता की लेबॉटरी में मिल सकता है। एक कामयाबी के बाद राज का दिमाग अब बड़ी तेजी से काम करने लगा था।
उसी दिन डॉक्टर की लेब्रॉटरी से राज एक भारतीय नस्ल का छोटा सा सांप ले आया, जिसका आकार तो वैसा ही था,
लेकिन रंग अलग था। उसका रंग बदल देने की तरकीब राज पहले से सोच बैठा था।
यह काम सफलतापूर्वक कर लेने के बाद राज ने अगले दिन के लिए प्रोग्राम सैट करना शुरू कर दियां । प्रोग्राम यह था। कि चोरों की वारदात से पहले किसी तरह डॉक्टर जय को उसकी लेब्रॉटरी से चार-पांच घंटे दूर रखा जाए, ताकि सांप चोरी की स्कीम पर बड़ें आराम और शांति से अमल किया जा सके।
लेकिन इस समस्या से राज ज्यादा परेशान इसलिए नही हुआ, क्योंकि सोचने के लिए उसके पास पूरी रात पड़ी हुई थी।
अब उसे अपने दिमाग पर भरोसा भी होने लगा था कि उसके दिमाग में जासूसी की बहुत सी योग्यताएं मौजूद हैं। वही हुआ भी। सुबह जब वो नींद से जागा तो इसके लिए राज के दिमाग में एक लाजवाब तरकीब तैयार हो चुकी थी।
सुबह दस बजे राज ने एक पी.सी.ओ. से डॉक्र जय को फोन किया। धंटी बजने के करीब आधा मिनट बाद डॉक्टर जय ने खुद रिसीवर उठाया था।
"हैलो, कौन साहब बोल रहे हैं ?"
राज ने बिगड़ी हुई आवाज में जवाब दिया
"माफ कीजिएगा साहब, अगर आप डॉक्टर जय बोल रहे हैं तो तेरा नाम अरविन्द है।"
"अरविन्द साहब........?" डॉक्टर जय की उलझन मे डूबी आवाज आई-मैंने पहचान नहीं आपकों.........।"
“जी हां। वाकई आप मुझें नही जानते, लेकिन मैं आपकों अच्छी तरह जानता हूं। दरअसल इस वक्त मैंने आपकों इसलिए कष्ट दिया हैं क्योकि मैने अपने दोस्त से सुना हैं कि आपकों सांपों के जहरों का काफी अनुभव है। अभी-अभी मेरे रिश्तेदार को एक जहरीले सांप ने डस लिया है। अगर आप कृपा करके यहां तशरीफ लाए तो हमारे परिवार पर एहसान करने के साथ-साथ एक बाल-बच्च्दार आदमी की जान बचाने का पुण्य भी कमा सकते हैं।"
“ओहों, जहरीले सांप ने काट लिया हैं।" डॉक्टर जय की आवाज में दिलचस्पी भर आई,"बहुत अच्छा, मैं आ जाऊंगा। अपना पता बता दीजिए।
“पता तो मैं बता देता हूं, लेकिन आपकों हमारी कोठी ढूढ़ने में थोड़ी दिक्कत का सामना करना पड़ेगा, क्योंकि कोठी शहर से दूर देहाती इलाके में हैं" राज ने शर्मिन्दा से लहजे में कहा।
“कोई बात नही अरंविद साहब, मैं तलाश कर लूंगा।” डॉक्टर जय ने कहा था।
"अगर आप कहे तो मैं अपनी गाड़ी भेज दूं......।" राज ने हवाई छोड़ी
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