RE: XXX Kahani नागिन के कारनामें (इच्छाधारी नागिन )
"अगर आप कहे तो मैं अपनी गाड़ी भेज दूं......।" राज ने हवाई छोड़ी
"नही-नहीं, इसकी जरूरत नहीं है।" डॉक्टर जय ने जल्दी से कहा, “ मैं अपनी कार से आ जाता हूं। आपकी कार आने और जाने में दोगुना टाइम खराब होगा।
राज ने पता बता दिया। ऐसा पता कि अगर डॉक्टर जय दिल्ली देहात में जिन्दगी भर भी तलाश करता रहता तो उसे कोठी ने मिल पाती । क्योंकि कोठी कहीं थी ही नहीं। इसके अलावा जगह जो उसने बताई थी, वो डॉक्टर जय के घर से इतनी दूर थी कि अगर वो जल्दी ही वहां से मायूस होकर लौटने लगे, तब भी उसे कम से कम दो घंटे वापिस आने में लग जाते , जो नीकलण्ठ के काम के लिए काफी थे।
फोन करने के आधे घंटे बाद ही राज पूरे कील-कांटे से लैस होकर डॉक्टर जय की कोठी पर जा पहुंचा, तब तक डॉक्टर जय को कोठी से गए पन्द्रह-बीस मिनट गुजर चुके थे।
राज हमेशा की तरह सीधा जाकर ड्राईग रूम में बैठ गया
और उसने नौकर को बुलाकर उससे पूछा-“डाक्टर जय कहां है। ?
“किसी मरीज को देखने गए हैं साहब।" उसने जवाब दिया, “आप बैठिए किसी चीज की जरूरत हो तो हुक्म करें।"
"ठीक हैं, जब जरूरत होगी , कह दूंगा।"राज ने कहा।
नौकर सिर झुकाकर वापस चला गया।
नौकर के जाने के बाद कुछ देर राज वक्त गुजारने के लिए अखबार देखता रहां जब उसे यकीन हो गया कि अब कुछ दूर तक कमरे में किसी के आने की आशंका नहीं हैं, तो राज चुपचाप उठा और लेब्रॉटरी की तरफ चल पड़ा।
ड्राईंग रूम और लेब्रॉटरी में तीन दरवाजों वाला एक बरामदा था, जिनमें से एक दरवाजा कोठी के अन्दरूनी हिस्से में खुलता था। बरामदे से गुजरते हुए नीकण्ठ ने सावधानी वश वो दरवाजा भी बंद कर दिया।
लेब्रॉटरी में पहुच कर राज ने वो दूसरा सांप शीशे के बॉक्स में से निकाल कर एक थैली में बन्द करके जब में डाल लिया
और आपने साथ लाए हुए मरे हुए सांप को मेज पर डाल दिया और शीशे का बॉक्स तोड़ दिया। उसके बाद पत्थर का एक भारी जार, जिसमें तेजाब भरा हुआ था, उठा कर मरे हुए सांप पर डाल दिया और तेजाब को अच्छी तरह सांप पर सांप पर उलट दिया।
वो पत्थर का जार शीशे के सांप वाले उस बॉक्स के ऊपर एक ताक में इस तरह रखा हुआ था किसी भी वक्त बॉक्स पर गिर सकता था।
तेजाब पड़ते ही मरे सांप का रंग एकदम काला पडश्न गया। अब इस सैटअप को देख कर कोई भी शख्स यही सोचता कि भारी जार गिरने की वजह से शीशे का बॉक्स टूट गया और सांप कुचला गया और तेजाब से जल भी गया, इसी वजह से उसका रंग भी बदल गया होगा।
राज की सारी कठिनाइयां एक पत्थर के जार ने हल कर दी थी। यह तरकीब भी राज के जेहन में इसलिए आ गई थी कि वो इस जार को पहले दिन ही शीशे के बाक्स के ऊपर ताक में रखे देख चुका था, तभी उसे लगा था कि जरा सा हिलने से ही जार नीचे आ गिरेगा। उसने जय ने कहा भी था कि यह जार गिर गया तो आपका एक सांप और मारा जाएगा, उस जार को यहां से हटा दीजिये , या फिर बॉक्स को।
जय उस वक्त हंस कर बात टाल गया था और जार वहीं का वहीं रखा रह गया जो आज उसके काम आ गया ह। इस पूरे काम नमें राज को मुश्किल से सात-आठ मिनट लगे होंगे। उसके बाद हर चीज को वैसे का वैसा छोड़कर वो वापस ड्राईगरूम में आकर बैठ गया था।
बरामदे का अन्दर की तरफ खुलने वाला दरवाजा अभी तक बन्द था। ड्राईगरूम में पहुंचकर राज ने इत्मीनान की सांस ली और नौकर को बुलाकर चाय की फरमाईश की।
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