RE: XXX Kahani नागिन के कारनामें (इच्छाधारी नागिन )
आज उसे यह भी समझ में आ गया था कि डॉक्टर जय ने उस दिन यह दावा क्यों किया था कि वो हमेशा अपनी प्रेमिका के होंठ ही चूमता हैं, गोलों को छुआ तक नही है।
बात दरअसल यह थी कि ज्योति अपने गाल रात-दिन मिस्त्र जहर से जहरीला रखती थी। मिस्त्री सांप का मुंह वो दिन में दो तीन बार अपने गालों से लगा लिया करती थी और वो ज्योति के गाल चाट लिया करता था और उसकी जुबान का जहर ज्योति के गालों पर लगा जाता था।
उसके बाद जाहिर हैं, सतीश प्यार के जोश में उसके रसीले होंठों को चूमता हो, मदभरी आंखों को चूमता होगा तो गोलों का नम्बर भी आता ही होगा।
जब वो गालों को चूमा होगा तो वह जहर उसके मुंह के जरिये उसके जिस्म में चला जाता होगा। लेकिन इतनी कम मात्र में की शरी पर एकदम से घातक असर न डाले, धीरे-धीरे असर दिखाता रहे और सतीश को मौत की तरफ धकेलता जाए।
अब ज्योति खुद जहर का ही शिकार हो गई थी, जो चालाकी से काल लेकर अपने पांच पतियों की जान ले चुकी थी, और उनकी दौलत पर कब्जा कर चुकी थीं अब सतीश को धीमी मौत मार कर उसकी दौलत पर भी कब्जा जमा लेना चाहती थी।
उस दिन भी वो नहाने के बाद उसी सांप का जहर लगाना चाहती थी, मगर उसे मालूम नही था कि नेकलेस बाला बिना दांतों का सांप बदल चुका हैं और उसकी जगह एक निहायत खतरनाक और दांता वाला सांप नेकलेस में बन्द हैं। इसलिए , ज्योति ने जैसे ही नेकलेस खोलकर सांप को गाल से लगाया होगा, अपनी आदत के अनुसार सांप ने उसके गुलाबी गालों पर डस लिया होगा और डॉक्टर सजय के कहे मुताबिक, तीन मिनट के अन्दर-अन्दर वो बेहद हसीन जादूगरनी मर गई थीं
मरते-मरते उसने जय.........धोखा शब्द कहे थे। इसका मतलब ज्योति ने यह समझा होगा कि डॉक्टर जय ने उसे धोखा दिया है। यादि असली सांप अपने पास रख कर दांतो वाला सांप उसे दे दिया था। उसे मारने के लिए। लेकिन डॉक्टर जय के बारे में उसने यही दो शब्द टूटे-फूटे ढंग से कहे थे, इसलिए राज के सिवा कोई न समझ पाया कि उन शब्दों का मतलब क्या है।
आनन-फानन ज्योति की मौत की खबर सारे शहर में फैल गई थी, क्योंकि सतीश और ज्योति दोनों ही हाई सोसाइटी में बहुत लोकप्रिय थे, इसलिए एक घंटे बाद ही शोक प्रकट करने वालों को तांता लग गया।
ज्योति की लाश उठा कर उन लोगों ने उसके कमरे में रख दी थी, सतीश सफेद कपड़े पहने उसके सिरहाने सिर झुकाए बिलकुल खामोश बैठा हुआ था।
सतीश के दुख का अन्दाजा नही लगाया जा सकता था। उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि यह सब क्या हो गया। उसकी प्रेमिका, उसकी प्यारी बीवी अचानक मर क्यों गई हैं? गम की अधिकता से उसके आंसू सूख गए थे। ऐसा लग रहा था जैसे उसे लकवा मार गया हों, कभी वो घर आने-जाने वालों को पागलों की तरह घूरने लगता था ओर कभी फिर गर्दन झुका लेता था।
रात को भी काफी देर तक शोक प्रकट करने वाले आते-जाते रहे। लेकिन हैरत की बात थी कि ज्योति का आधिक आखिरी बार अपनी प्रेमिका का मुंह देखने भी नही आया।
घटना के थोड़ी देर बार ही राज ने डॉक्टर जय को भी फोन कर दिया था, ताकि कम से कम उसे सूचना ही दे दे। लेकिन उसके नौकर ने बताया था कि डॉक्टर जय घर पर नही है। तब राज ने कहा कि डॉक्टर जय आए तो नौकर तुरत उसे इस दुर्घटना की खबर दे दे। इसके बावजूद डॉक्टर जय ज्योति को देखने या सतीश को तसल्ली देने अभी तक नहीं पहुंचा था।
पहले राज ने डॉक्टर जय के प्यार में मर मिटने के दावे सुन कर यही समझा था कि इस आदमी के बारे में कुछ नही कहा जा सकता था कि यह कब क्या कर गुजरे।
लेकिन अब नीकलण्ठ को महसूस हो रहा था कि उसके दावे भी आम आशिकों की तरह सिर्फ दावे ही थे। जिसमें हकीकत नाममात्र भी नही पाई जाती । वर्ना यह कैसे हो सकता था कि प्यार के नाम पर मर मिटने के दावे करने वाला अपनी प्रेमिका के मरने पर भी उसकी सूरत देखने ने पहुंचे ?"
सतीश अभी तक सारे घटनाक्रम से अनजान था। वो यही समझ रहा था कि जब ज्योति नहाने के लिए कपड़े उतार कर बाथरूम जा रही थी, या नहाकर आ रही थी तो कहीं से उस सांप ने निकल कर उसे डस लिया था। राज ने भी फिलहाल उसे सब कुछ बताना उचित नहीं समझा।
वो पूरी रात राज और सतीश ने कमरे में बैठकर जागते हुए गुजारी। सारी रात राज उसे तसल्लियां देता रहा,उसका दिल बहलाने की कोशिश करता रहा, और सतीश एक शब्द भी बोले बगैर चुपचाप राज की बातें सुनता रहा।
सुबह चार बजे जब सोफे पर बैठे-बैठे सतीश को झपकी आ गई थी, तब अचानक फोन की घंटी बज उठी थी ।राज ने फौरन रिसीवर उठाया
"हैलों, कौन साहब ?' उसने धीरे से पूछा, ताकि सतीश की आंख न खुल जाए।
लेकिन दूसरी तरफ का जवाब सुनकर वो चौक उठा, हैरत और खौफ से रिसीवर उसके हाथ से गिरते-गिरते रह गया। दूसरी तरफ से सतीश का नौकर कह रहा था
“क्यों........अचानक क्या हो गया उन्हें ?"
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