RE: XXX Kahani नागिन के कारनामें (इच्छाधारी नागिन )
बल्कि पहली नजर में देखने पर ही कम से कम राज को तो ऐसा महससू हो रहा था कि उसने इस औरत को देख रखा हैं, कई बार देखा हुआ हैं, काफी करीब से देखा हुआ हैं। लेकिन कहां , यह उस वक्त उसे कतई यादनही आ रहा था।
और राज का ख्याल था कि इसी बात ने सतीश पर भी अजीब सा असर किया था, वर्ना नकाब लगाइ एक औरत जिसका चेहरा भी वो दोनों नही देख सकते थे, उसमें भला सतीश की क्या दिलचस्पी हो सकती थी।
राज!” सतीश ने राज के कंधे पर अपनी पकड़ सखत करने हुए कहा-“भगवान जाने मुझें क्या हो रहा हैं........मुझें ऐसा लग रहा हैं मैं इस औरत को बहुत अर्से से जानता हूं। मेरा दिल उसकी तरफ खिंचता जा रहा हैं......उसका सुडौल कद-काठ, जिस्म का आकार और चेहरे का खुला हिस्स मुझें जाना-पहचाना लग रहा है। राज.......आखिरकार यह हैं कौन ?"
'मुझें क्या मालूम!" राज ने उसका हाथ अपने कंधे पर से हटाते हुए कहा-“लेकिन इसमें सन्देह नही कि उसे देखकर मेरे दिल में भी यही ख्याल आ रहे है। यकीनन उस औरत को हमने पहले कई बार देख रखा हैं.......और बहुत करीब से देख रखा
"चलों, जरा पास जाकर देखें हो सकता हैं कुछ याद आ जाए।" सतीश ने सुझाव दिया।
"ठीक हैं।" राज ने जवाब दियां
वो दोनों टहलते हुए उस औरत के करीब जा खड़े हुए। वो औरत एक नौजवान से बाते कर रही थी। उसकी पीठ राज और सतीश की तरफ थी और उसे उनकी कोई खबर नही थीं
दोनो उसके बिल्कुल करीब जाकर खड़े हो गए और उसे खोजती हुई आंखों से देखते रहें बात करते हुए उसका हाथ हिलाने और आकर्षक ढंग से गर्दन को झटकने का स्टाइल भी उसके जाने-पहचाने थे। लेकिन राज को यह समझ नहीं आ रहा था कि वो कौन हैं और उसे कहां देखा हे।
वो गोरे रंग और थोड़ें गुदाज जिस्म वाली औरत थी और जितना चेहरा उसका नजर आ रहा था , उसे देखकर ही अन्दाजा लगाया जा सकता था कि वो किनी हसीन है।
काली चुस्त साड़ी और ब्लाउज उस पर खूब फब रहा था। वो राज और सतीश के दिलों में जैसे उतरी जा रही थी।
सतीश पर तो उसे देखकर जैसे जादू सा हो गया था। वो एकटक उसे औरत की तरफ ही देखे जा रहा था। अचानक बाते करते-करते वो औरत राज और सतीश की तरफ पलटी एक पल के लिए उस औरत की निगाह राज और सतीश की निगाहों से मिली।
भगवान जाने यह राज का वहम ही थी या हकीकत थी, वो उन्हें देखकर इतनी बुरी तरह चौंकी थी जैसे उसने बिजली का नंगा तार छू लिया हों
एक-दो पल के लिए उसके चेहरे का सफेदी मिला गुलाबी रंग एकदम लाल हो गया, फिर फौरन ही पीला पड़ गया। वो कुछ देर हैरत और खौफ भरी निगाहों से उन्हे घूरती रही। उसका जवाब साथी भी उसके इस व्यवहार पर कुछ हैरान था।
फिर वो तेजी से पटी और अपनी नौजवान साथी का हाथ पकड़ कर लम्बे-लम्बे डग भरती, चौपाटी की भीड़ में मिलकर गायब हो गई।
उसक निगाहों से ओझल हो जाने पर सतीश चौंका और उसने राज हा हाथ पकड़कर उसे खीचते हुए जल्दी से कहा
"चलो जल्दी....हम उसका पीछा करेंगे।"
राज बगैर कुछ बोले, सतीश के साथ चल पड़ा। लेकिन इतनी सी देर में ही काली नकाब वाली औरत को न जाने जमीन गिल गई थी या आसमान उठा ले गया था, वो उन्हें कहीं नहीं दिखाई दी
उन्होने बीच पर चारों तरफ घूम-घूम कर देखा उसे तलाश करते रहे, लेकिन वो उन्हें फिर दिखाइ नही दी जब तलाश करते-करते वो थक गए और अन्धेरा छा गया तो राज ने सतीश से कहा
"वो नही मिलेगी सतीश! मेरा ख्याल हैं कि वो अपने साथी के साथ उसी वक्त चौपाटी छोड़ गई होगी।
"लेकिन यार, फौरन से भी पहले तो हमने उसका पीछा करना शुरू कर दिया था। कम से कम जाती हुई तो वो हमें दिखाई देनी चाहिए थी न ? सतीश ने दलील दी।
कोई जरूरी थोड़ें ही था।" राज ने जवाब दिया और करीब ही खड़ी कारों की तरफ इशारा किया-'इतने समय में वो मजे-मजे से कार में बैठकर यहां से रूख्सत हो गई होगी।'
"चलो चलते हैं फिर हम भी........ " सतीश ने मुंह लटका कर कहा।
फिर वो मरे-मेरे कदमों से राज के साथ चल पड़ा लेकिन कुछ देर तक चलकर ही वो फिर रूक गया ओर राज का हाथ थाम कर बोला
"लेकिन मैं कसम खाकर कहता हूं कि अभी हम उस औरत को बहुत करीब से जानते थे और हमारे इस सन्देह की पुष्टि उस
औरत के चौकने ने भी कर दी थी। तुमने देखा था, जब उसकी नजर हम पर पड़ी थी तो वह कितने जोरों से चौकी थी ? उसके
चेहरे पर दो पल में ही कई रंग बदले थे।"
"हां! मैंने भी ये दोनों बाते महसूस की थी।" राज ने जवाब दिया।
"बस, इसका मतलब साफ है। वो औरत भी हमसे अच्छी तरह वाफिक थी, इसलिए हमें देखकर चौंकी थी। सवाल यह हैं अगर वो हमें अच्छी तरह जानती थी तो उसने हमसे बाम करने की कोशिश क्यों नही कि, हमें देखते ही चौंककर भाग क्यों खड़ी हुई,जैसे हम पिस्तौल लिए उसे मारने के लिए खड़े हो ?"
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