RE: XXX Kahani नागिन के कारनामें (इच्छाधारी नागिन )
दूसरे दिन वो डॉक्टर सांवत से मिले तो यो ही राज ने उससे भी उस नकाब वाली औरत का जिक्र कर दियां,
पूरी बात सुनकर डॉक्टर सावंत ठहाका लगाकर हंस पड़े।
"क्यों, क्या हुआ ?" राज ने उन्हें हंसते देखकर पूछा।
"मेरे ख्याल में आप लोग बहुत ज्यादा जिज्ञासु प्रवृति के साबित हुए है।" डाक्टर सांवत ने जवाब दिया, जिस औरत को आप लोगों ने देखा हैं, उसका नाम शिंगूरा हैं, वो काहिरा के एक अमीर खानदान से सम्बंध रखती हैं, यहां अपने भाई जमाल पाशा के साथ रहती हैं, जो कोई बिजनेस करता हैं और शिगूरा खुद मुम्बई के हाई सर्किल की जान है। करीब-करीब हर बड़े क्लब और संस्था की वो मेम्बर हैं । अगर आप चाहें तो मैं आज शाम को ही आपकी मुलाकात उससे करवा सकता हूं।।'
डॉक्टर सावंत की बात सुनकर राज ने राहत की लम्बी सांस ली कि यह तो पता चला कि वो रहस्यमयी हैं कौन ?"
"लेकिन एक बड़ा सवाल अब भी बाकी था कि वह रहस्यमयी उन्हें देखकर चौंकी क्यों थी ?" और घबरा कर भाग क्यों गई थी ?
राज और सतीश ने एक-दूसरे की तरफ देखा और और आंखों-आंखों में इशारों के बाद उन्होने डॉक्टर सांवत से अपने सन्देह बताकर शिगूरा से मिलने की इच्दा जताई। राज बोला
“डाक्टर सांबत आपकी मेहरबानी होगी। आज ही हमारा उससे परिचय करवा दें। आपकी शायद मालूम नही कि मैं काहिरा जा चुका हूं। हो सकता हैं हम लोग काहिरा में मिल चुके हों।"
"बहुत अच्छा।' डॉक्टर सांवत ने कहा, आज शाम को पांच बजे आप दोनों यहां आ जाईए, आमतौर पर शाम को वो रेड रोज क्लब से मिला करती हैं मैं भी उस क्लब का मेम्बर हूं।
उन्होने डॉक्टर सांवत का शुक्रिया अदा किया और वापस आ गए।
शाम के ठीक पांच बजे वो डॉक्टर सांवत के फ्लैट पर पहुंच गए। वो भी तैयार था, फौरन ही तीनों कार में बैठकर रेड रोज क्लब रवाना हो गए।
बीस मिनट बाद ही वो तीनों रेड रोज क्लब पी रहे थे। शिंगुरा अभी तक नहीं आई थी और वो तीनों इधर-अधर की बातें करते हुए वक्त गुजार रहे थे, लेकिन उनकी निगाहे दरवाजे पर ही लगी हुई थीं
ठीक छः बजे वो किसी रहस्यमय साये की तरह क्बल के दरवाजे पर प्रकट हुईं । वही खड़े-खड़ें उसने एक पैन करती हुई निगाह चारों तरफ डाली, फिर उसकी निगाह राज और सतीश पर पड़ी
बीच का फासला ज्यादा होने के बावजूद राज ने उसकी आंखों में हैरत के भाव देखे। लेकिन यह सिर्फ एक क्षण के लिए था फौरन ही वो सम्भल गई थी।
फौरन ही बो मुस्कराती हुई आगे बढ़ी, क्लब का हर मेम्बर शायद उसे जानता था और हर कोई चाहता था कि कुछ देर उसकी मेज पर बैठ कर उससे कुछ बातें कर ले। हम शख्स उससे तपाक से बात करता था और आंखों के आग्रह से उसे कुछ पी लेने के लिए कहता था।
वो मुस्कराती हुई, सब के अभिवादनों को जवाब देती हुई, गर्दन को जरा सा झुका कर हंसती हुई सीधी राज वाली मेज पर चली आई।
"हैलो डॉक्टर सांवत! कहिये, कैसे मिजाज हैं?"
“मेहरबानी हैं जी।" डॉक्टर सावंत ने खड़े होकर उसका स्वागत किया और उसके लिए एक कुर्सी खींच दीं राज के ख्याल में शिंगूरा की आवाज सुरीली होनी चाहिए थी, लेकिन इस वक्त भराई हुई थी। जैसे गला बैठ गया हो उसका । राज ने सोचा शायद खांसी जुकाम की वजह से हो गई हों
शिंगुरा के कुर्सी पर बैठ जाने के बाद डॉक्टर सांवत ने उनका परिचय करवाते हुए कहा
“मिस शिंगूरा, ये आपसे मिलने आए हैं, मेरे दोस्त , राज औ सतीश!" और फिर उन दोनों की तरह देखकर बोला-"और आप हैं मिस शिंगूरा। इस क्लब की आत्मा !
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"खूब......." राज ने मुस्करा कर उससे हाथ मिलाते हुए कहा।
बड़ी खुशी हुई आप से मिल कर।" उसने हल्की सा कहकहा लगाया, “काश यह हकीकत हो।8।
इस वक्त वो हल्के हरे रंग के कपड़े पहने हुए थी और इसी रंग का नकाब उसके चेहरे पर था। चश्मा भी बदला हुआ था, लेकिन शीशे इसके भी रंगीन थे।
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