RE: XXX Kahani नागिन के कारनामें (इच्छाधारी नागिन )
राज फौरन पहचान गया वो चेहरा उसी भयानक सूरत आदमी का था जिसे राज ने उस दिन रेड रोज क्लब के बाहर सड़क पर देखा था।
अगले पल कार सड़क पर हवा से बातें करती हुई उनकी निगाहों से ओझल हो गई थी । सतीश चूंकि सड़क की तरफ पीठ किए राज की तरफ देख रहा था, इसलिए उसे इस पूरे मामले की कोई खबर नहीं थी। वो गिर कर उठा था और खौफ भरे स्वर में बोला था
“य.......यह क्या था? वो अपने कपड़ें झाड़ रहा था।
"अभी बताता हूं।''राज बोला।
उसके बाद वो उसा पेड़ की तरफ गया जिसके तने में वो चमकता खंजर घुस गया था। वहां पहुच कर उसकी आशका सही साबित हुई। पेड़ के तने में एक अरबी ढंग का मुड़ा हुआ खंजर आधा घुसा हुआ था। राज ने उसे खीचकर बाहर निकाला और उसे लाकर सतीश को दिखाकर कहा
"यह चक्क र था........।"
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“ सतीश हैरान और परेशान था।
"क्-क्या मतलब ?"
“मतलब यह हैं कि किसी ने हम दोनों में से एक को खत्म करने के लिए इस खंजर से हमला किया था । लगता हैं वो चाकू फेंकने का माहिर हैं, वो तो ऐन वक्त पर मेरी निगाह पड़ गई, वर्ना आज हममें से एक ही जिन्दा बचता।
सतीश ने खौफ और हैरत से खंजर को हाथा में लेते हुए कहा
“आखिर कौन था वो ? बॉम्बे में हमारा कौन दुश्मन हो सकता
"मुझे क्या पता !" राज ने झूठ बोला।
क्योंकि उस भयानक चेहरे वाले की सूरत देखते ही उस दिन की सारी घटनाएं राज की आंखों के सामने घूम गई थी- जिनके बारे में उसके सिवा कोई नहीं जानता था। उस भयानक शख्स का उन्हें गौर से देखना, फिर उनके रवाना होते ही उसका दौड़कर शिंगूरा के भाई के पास जाना और फिर आज उन पर हमला करना, एक ही जंजीर की कड़ियां थीं
, राज के ख्याल से, शिगूरा चाहे कोई भी हो, वो उन दोनों फिर यही सवाल पैदा होता था कि शिंगूरा आखिर हैं कौन ?"
और क्यों उनसे भयभीत हैं ? और क्यों उन्हें रास्ते से हटाना चाहती हैं?
"क्या सोचने लगे ?' सतीश ने उसे सोच मे डूबे देखकर पूछा।
'राज चौंक उठा। फिर उसने मुस्कुराते हुए जवाब दिया
'कुछ नही। मैं सोच रहा था, वो कौन शख्स हैं जो हमें कत्ल करना चाहता है.......और क्यों कत्ल करना चाहता हैं हमें ?
'राज ने कई दिनों से शिंगूरा के प्रति अपने दिल मेंपहपने वाले सन्देहों को सतीश से छुपा लिया ताकि सतीश भयभीत न जो जाए।
"चलों अब जल्दी से घर चले।" सतीश ने कहा, "कहीं कोई लफड़ा न हो जाए। सुबह को हमारी लाशें ही उस सड़क पर पाई जाए।"
"चलो।"
राज बोला और वो दोनों वहां से चल पड़े। थोड़ी दूर चलने के बाद सतीश ने कहा
"अब हमें हमेशा बहुत सतर्क रहना चाहिए। आईन्दा हम कार में आया करेंगे।"
“मुझें क्या मालूम था कि मेरा पैदल चलने का शौक खतरनाक भी साबित हो सकता हैं?" राज ने कहा। बाकी रास्ता उन्होंने बड़ें चौंकन्ने होकर गुजारा और तेज-तेज चलते हुए सही सलामत घर पहुंच गए।
दूसरे दिल राज जब डॉक्टर सांवत के यहां गया तो वह चकमता खंजर भी साथ लेता गया था। राज ने उसे रात की पूरी घटनाएं विस्तार से सुनाइ तो वह हैरान रह गया।
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