RE: XXX Kahani नागिन के कारनामें (इच्छाधारी नागिन )
डॉक्टर सावंत बहुत देर तक परेशान बैठा रहा, जब राज ने उसे शिंगूरा के बारें में अपने सन्देहों से आगाह किया और उस भयानक सूरत आदमी के बारे में बताया तो वह और ज्यादा हैरत में पड़ गया था और कुछ देर बाद बोला था
'इसका मतबल हैं राज साहब........कि शिंगूरा के बारे में आपका सन्देह और अन्दाजा गलत नहीं था। यकीनन वो रहस्यमयी....या उससे भी कुछ खतरनाक औरत है।' ।
“मैं तो उसी दिन समझ गया था, जब मैंनेउसे चौपाटी पर देखा थां हमें देख कर पहले तो वो बुरी तरह चौकी थी, उसके बाद घबरा कर वहां से भाग निकली थी मैं तभी समझ गया था। कि वो ओरत हमें पहचानती हैं और नकाब के पीछे अपना चेहरा छुपाना चाहती हैं। लेकिन यहां तक तो मैंने सोचा भी नहीं था कि वो हमें कत्ल करवाने पर ही तुम जाएगी।
“आखिर वो हैं कौन ?
“यही तो लाख टके का सवाल , जिसका जवाब मैं ढूंढ रहा हूं।
“तुम्हें याद नहीं आता कि आखिर तुमने उस औरत को कहां देखा था ?"
“नही! कुछ भी तो याद नही आ रहा कि हमने उसे कहां देखा हैं। लेकिन इतना जरूर हैं कि हमने उसे देखा हैं और कई बार बहुत करीब से देखा हैं।" नीकण्डठ ने गम्भीर लहजे में कहा, "आप उसे जानते होंगें, अगर किसी तरह से उसकी नकाब उतर जाए तो पहचान भी लेंगे कि वो कौन है?"
"और कुछ, इसके अलावा?" डॉक्टर सावंत ने पूछा।
"इसके अलावा यह कि उसका रंग और आकार तथा होंठों के ऊपर का हिस्सा एक ऐसी औरत से मिलते-जुलते हैं जिसका डेढ़ साल पहले देहांत हो चुका है। हमारी आंखों के सामने ।"
"क्या कोई दुर्घटना घटी थी उस औरत के साथ ? क्या वो औरत तुम्हारे बहुत करीब थी?”
"वो औरत...।" राज मुस्कराया-"हमारी सबसे बड़ी दुश्मन थी, जिसने सतीश को लगभग मार ही डाला था। अगर वो मर न जाती तो जरूर हम दोनों को ही मार डालती।"
राज ने रुक कर गहरी सांस ली और डॉक्टर सावंत की तरफ देखकर बोला
"अब आपसे क्या छुपाना....वो सतीश की बीवी थी।"
डॉक्टर सावंत का मुंह हैरत से खुल गया।
" सतीश की बीवी थी..?"
"जी हां।' सतीश की बीवी थी वो, जो सतीश से पहले अपने पांच पतियों को एक सांप का जहर चटा कर मार चुकी
थी...और आखिरकार खुद भी एक सांप के जहर से ही मारी गई थी।"
डाक्टर सावंत ने मेज पर आगे की तरफ झुक कर राज को गौर से देखा और फिर किसी सोच में गुम हो गया। थोड़ी देर सोच कर वो बोला
"हूं....। उसके बाद क्या हुआ था? जरा विस्तार से मुझे बताओ।"
राज ने ज्योति और डॉक्टर जय का पूरा किस्सा डॉक्टर सावंत को सुनाया। सारी घटनाओं को सुनकर डॉक्टर सावंत का मुंह हैरत से एक बार फिर खुले का खुल रह गया, काफी देर बात उसने एक लम्बी और ठंडी सांस ली और बोला
"राज साहब, ऐसी भयानक और रहस्यमयी घटना आज तक मेरी जानकारी में नहीं आई...।"
"यकीनन नहीं आई होगी।" राज बोला, "लेकिन यह भी सच है कि कई बार हरकतें किसी भी कहानी से ज्यादा खौफनाक और रहस्यमय होती हैं।''
"ठीक कहा है तुमने।" डॉक्टर ने सोचते हुए कहा।
फिर उसने मेज पर से वो चमकता खंजर उठाया और उसे उलट-पुलट कर देखने लगा। उसने खंजर की धार पर अंगुली फेर कर धार की तेजी का अन्दाजा लगाना चाहा तो राज जल्दी से बोला
"डॉक्टर साहब, इसकी धार को न छुएं, हो सकता है खंजर जहरबुझा हो।"
डॉक्टर सावंत ने फौरन अपनी अंगुली हटा ली और बोला
"हां, ऐसा हो तो सकता है।"
"दरअसल, मैं यह खंजर लाया ही आपके पास इसलिए हूं, ताकि यह जांच ही जा सके कि यह जहरबुझा है या नहीं।" राज ने कहा, ” और अगर यह जहरबुझा है तो फिर कौनसा जहर इस्तेमाल किया गया है...।"
"हां, यह ठीक रहेगा। चलो, अभी मालूम कर लेते हैं।'
"चलिये!'' राज ने कहा और उठ गया।
वो दोनों डॉक्टर सावंत की लेब्रॉटरी में जा पहुंचे। डॉक्टर सावंत की लेब्रॉटरी तीन हिस्सों में थी। पहले हिस्से में वो तरह-तरह के प्रयोग करता था जिसमें शीशे का सामान और कई नाजुक-नाजुक सी मशीनें पड़ी हुई थी और इलैक्ट्रिक और इलैक्ट्रानिक्स के कई यन्त्र भी खूबसूरती और करीने से फिट थे।
दूसरे हिस्से में डॉक्टर सावंत किस्म-किस्म के जहर इकट्टे रखता था जो वो सांपों, छिपकलियों और बिच्छुओं वगैरह से निकालता था।
लेब्रॉटरी का तीसरा हिस्सा वाकई सबसे ज्यादा खतरनाक था क्योंकि तीसरे हिस्से में ही शीशे के जारों और बोतलों में सांप-बिच्छु वगैरह सैकड़ों जहरीले जीव मरे पड़े थे। चूहे और खरगोश वगैरा यहीं पर पिजरों में बन्द करके रखे गए थे, उन्हीं पर जहरों का प्रयोग किया जाता था।
इस हिस्से के दरवाजे पर और अन्दर भी, डॉक्टर सावंत ने बड़े-बड़े अक्षरों में लिखकर लगा रखा था
"कृपया यहां की किसी भी चीज को न छुएं।"
राज और डॉक्टर सावंत आगे पीछे लेब्रॉटरी में दाखिल हुए। डॉक्टर ने खंजर को एक शीशे के बर्तन में डाला और बर्तन को एक बिजली के थर्मोस्टेट वाले हीटर पर रख दिया।
थोड़ी देर बाद पानी को चूल्हे पर से उतार लिया और गर्म पानी को बड़ी सावधानी से एक दूसरे बर्तन में डाला गया।
उसके बाद डॉक्टर अपनी लेबॉटरी के खतरनाक हिस्से से दो खरगोश पकड़ लाया। सबसे पहले उसने पानी में दस-बारह बूंदें गर्म पानी की डाली और वो पानी का बर्तन एक खरगोश के सामने रख दिया।
खरगोश पानी पीने लगा। लेकिन अभी आधा पानी भी उसके पेट में नहीं पहुंचा होगा कि खरगोश ने पानी पर से मुंह खींच लिया।
उसने गर्दन झटकी, एक हिचकी सी ली, और बेजान होकर एक तरफ ढलक गया। डॉक्टर सावंत ने खरगोश की तरफ इशारा करते हुए कहा
"आपका ख्याल ठीक निकला। देखा आपने, कैसा खतरनाक और तेल जहर था?"
"जी हां, देखा। और मुझे इस बात का यकीन भी था।" राज ने जवाब दिया।
इसके बाद डॉक्टर सावंत ने एक और बर्तन में सारा पानी डाला और सिर्फ दो बूंदें उस पर जहरीले पानी की उस सादे पानी में डालकर शीशे की एक लम्बी सलाई से पानी में जहरीला पानी मिला दिया।
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