RE: XXX Kahani नागिन के कारनामें (इच्छाधारी नागिन )
उसके बाद बहुत हल्का सा जहर मिला वो पानी दूसरे खरगोश को पिलाया गया। दूसरे खरगोश ने सारा पानी पी लिया। दो मिनट तक वो भी खरगोश खूब उछला, भागा। फिर उस पर नशा सा छाने लगा, थोड़ी ही देर में वो बेहोश होकर गिर गया।
डॉक्टर सावंत खरगोश की आंखों के पपोटे उलट कर आंखें का, उसके दिल की धड़कनों का और सांसों के आने-जाने का मुआयना करता रहा।
मुआयना खत्म करने के बाद वो लेब्रॉटरी के जहर भण्डार वाले हिस्से में गया और वहां से एक छोटी सी शीशी निकाल लाया। फिर उसमें से थोड़ी सी दवा इंजेक्शन के जरिये उस खरगोश के शरीर में पहुंचा दी।
एक मिनट बाद ही खरगोश होश में आकर चलने-फिरने लगा। लेकिन हालत नशे वाली ही रही-"अब एक घंटे बाद यह ठीक हो जायेगा।" डॉक्टर सावंत ने कहा।
उसके बाद उसने खरगोश को पकड़कर दोबारा पिंजरे में बंद कर दिया। फिर बोला
"जहर कितना खरतनाक था, यह तो आपने देख ही लिया।
अब मैं आपको यह भी बता दूं कि यह जहर सिंगापुर के जंगलों में पाए जाने वाले एक घातक सांप का है। उस सांप के जहर पर मैं वैज्ञानिक प्रयोग कर चुका हूं। बाद में मैंने जो इंजेक्शन खरगोश को दिया था, उसमें इसी सांप से जहर लिया गया, जहर का तोड़ था। अगर जहर भारी मात्र में शरीर में पहुंचा हो तो तोड़ के जरिये आदमी की जान बचाई जा सकती है।"
यह जान लेने के बाद कि खंजर सांप के जहर में बुझा हुआ था, राज को सख्त हैरत हुई। इसका मतलब साफ था कि एक बार फिर वो सांपों, जहरों और हसीन दुश्मनों के जाल में फंसते जा रहे हैं।
इस वक्त राज के जेहन मे दिवंगत डॉक्टर जय वर्मा का चेहरा घूम गया, जो सांपों के जहर का माहिर था और जिसने बड़े-बड़े खतरनाक सांप पाल रखे थे और आखिरकार अपनी प्रेमिका ज्योति के मरने की खबर पाकर वो खुद भी एक सांप का जहर पीकर मर गया था।
वो तमाम घटनाएं राज के जेहन में दौड़ने लगीं। इसका मतलब था कि उनके कत्ल की कोशिश के पीछे भी किसी सांपों के जहर के माहिर शख्स का दिमाग काम कर रहा था। वर्ना आमतौर पर चाकू-छुरों को सांपों को जहरों में नहीं बुझाया जाता था। इस काम के लिए दूसरे कई घातक जहर इस्तेमाल किए जाते हैं। राज जितना सोचता था, मामला उतना ही उलझता जाता था।
एक रहस्यमयी औरत, उसकी ज्योति से समानता, उन पर सोचा-समझा कातिलाना हमला और खंजर का सांप के जहर में बुझा होना, यह सारी घटनाएं इतनी हैरत भरी थीं कि नीलकण्ड की समझ में ही कुछ नहीं आ रहा था।
अगर ज्योति उसके सामने न मर गई होती और डॉक्टर जय की लाश का उसने खुद मुआयना न किया होता तो उसने यही समझना था कि वा औरत सोना ही है इन घटनाओं के पीछे पहले की तरह ही डॉक्टर जय का दिमाग ही काम कर रहा है।
लेकिन हकीकत उसके समाने थी, वो दोनों ही मर चुके थे। फिर इस स्थिति में तो किस पर सन्देह कर सकता था? सिर्फ शिंगूरा की शख्सियत उसके सामने थी। वो ज्योति से मिलती-जुलती क्यों थी? क्यों वो उनको मार डालना चाहती थी? ये तमाम सवाल उसके जेहन में चकरा रहे थे।
अचानक राज के दिमाग में एक बात आई और उसने डॉक्टर सावंत से पूछा
"क्या ख्याल है अगर हम दोनों दोस्त बम्बई छोड़ दें?"
"हाँ! इस तरह तुम लोग खतरे से जरूर दूर हो जाओगे।" डॉक्टर सावंत ने कहा-"लेकिन जरूरी नहीं कि तुम बच ही जाओ। हो सकता है तुम्हारा पीछा किया जाए और ये हमले जारी रखें जाएं। तब तक जब तक कि वो अपने उद्देश्य में सफल ने हो जाएं, या फिर उनका भेद ही न खुल जाए। जहां तक मैंने इस मामले पर सोचा है, आप उस औरत के यानि शिंगूरा के बहुत करीब रहे हैं और उसके किसी अहम राज से वाकिफ हो गए हैं। अब अचानक वो आप लोगों को सामने देख कर घबरा गई है। वो समझती है कि आपेन उसे पहचान लिया है और चूंकि आप उसके गहरे राजों से वाकिफ हैं, इसलिए उसे नुकसान पहुंचा सकते हैं। यही वजह हो सकती है कि वह आप लोगों को कत्ल करवा कर यह किस्सा ही खत्म कर देना चाहती
"आपके ख्याल बहुत दिलचस्प हैं। लेकिन हकीकत यह है कि न तो अभी तक हमने उसे पूरी तरह पहचाना है और न ही हम उसके किसी राज से वाकिफ हैं।"
"यह अलग बात है कि तुम उसकी शख्सियत या उसके किसी राज से वाकिफ ने हो।" डॉक्टर सावंत ने कहा-"लेकिन वो ऐसा समझती है। नहीं तो खामखां दो अजनबियों की जान के पीछे हाथ धोकर क्यों पड़ जाती ?" ।
"अब क्या कहा जा सकता है?" राज ने गहरी सांस ली।
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