RE: XXX Kahani नागिन के कारनामें (इच्छाधारी नागिन )
"मेरी राय तो यही है कि आप दोनों सावधान रहें और किसी तरह यह मालूम करने की कोशिश करें कि शिंगूरा कौन है और आखिर चाहती क्या है। अगर आप लोग चाहें तो इस मामले में पुलिस की मदद भी ले सकते हैं। खुफिया विभाग के इंस्पेक्टर विशाल खन्ना मेरे दोस्त हैं, अगर आप चाहें तो मैं आपका उनसे परिचय करवा दूंगा।"
"नहीं डॉक्टर साहब। फिलहाल इसकी जरूरत नहीं है।" राज जल्दी से बोला, "मैं ऐसे मामलों में पुलिस या सीक्र आईक्र डीक्र का दखल पसन्द नहीं करता। ऐसे खतरों का सामना करने में मुझे खुद मजा आता है और इससे पहले भी इसी तरह के खतरों को मुकाबल पुलिस सहायता के बगैर ही कर चुका हूं।"
"जैसी आपकी इच्छा।" डॉक्टर सावंत ने कहा, "लेकिन फिर भी इतना जरूर कहूंगा कि आपको बहुत ज्यादा सावधान रहना चाहिए। इस बारे में मेरी जब भी जरूर पड़े, मैं हाजिर हूं।"
"बहुत-बहुत शुक्रिया। लेकिन फिलहाल अगर इन बातों का जिक्र सतीश से न ही करें तो बेहतर है, खामखां उसे डराने से क्या फायदा ?" राज ने कहा, ''मैं अकेला ही इसे मामले की तफ्तीश करना चाहता हूं।"
"ठीक है, मैं सतीश साहब से कुद नहीं कहूंगा।' डाक्टर सावंत ने कहा।
उसके बाद राज डॉक्टर सावंत से विदा होकर वापस अपने फ्लैट पर वापस आ गया।
उसके बाद भी कई दिन तक वो लगातार यही सोचता रहा कि क्या करना चाहिए? अपनी खोजबीन को वहां से शुरू करे? लेकिन उसकी समझ में कुछ नहीं आ रहा था।
राज और सतीश बहुत ज्यादा सावधान रहने लगे थे। रात को सोते वक्त वो फ्लैट के दरवाजे व खिड़कियां खुद बन्द करते थे और फ्लैट का कोना-कोना देख कर तसल्ली कर लेते थे, उसके बाद ही बिस्तर पर लेटते थे। बाहर जाते वक्त वो अपने ऑटोमैटिक रिवाल्वर साफ कर लेते थे। अब कार में ही आते-जाते थे और कोशिश करते थे कि रात को जल्दी वापए लौट आएं।
समझदारी का तकाजा भी यही था कि वो सतर्क रहें, क्योंकि ऐसे खतरनाक दुश्मन का क्या भरोसा कि कोई गुण्डा फ्लैट में घुसकर और छुप कर बैठ जाए और सोते हुए ही उनका काम तमाम कर जाए। या कोई दरवाजा या खिड़की खुली रह जाए और दुश्मन को घर में घुसने को मौका मिल पाए।
सतीश कभी-कभी हंस कर कहता था
"दिल्ली से यह सोचकर भागे थे कि बम्बई में निश्चित होकर मजे करेंगे। कहीं ऐसा न हो कि यहां से हमारी खबर ही बाहर जाए।"
इसी तरह दस-बाहर दिन और गुजर गए।
उस दौरान ने तो उन्हें शिंगूरा नजर आई थी और न ही कोई असाधारण घटना ही घटी थी। एक बार मार्केट में राज ने शिंगूरा के भाई को दूर से जरूर देखा था, लेकिन जब तक राज भागकर उसके करीब पहुंचा, वो भीड़ में गुम हो गया था।
शिंगूरा आजकल रेड रोज क्लब में भी नहीं जाती थी। डॉक्टर सावंत का कहना था कि जब से वो बम्बई आई है, यह पहला मौका है जब शिंगूरा क्लब से गैरहाजिर हुई है। इसका मतलब था कि राज और सतीश के दिखाई देने का उस पर यह असर हुआ था कि उसकी दिनचर्या भी प्रभावित हुई थी।
क्योंकि उनका पहला वार खाली गया था, इसलिए राज को पूरा यकीन था कि अब दूसरा वार वो बहुत सोच-समझ कर और भरपूर तरीके से करेंगे और अगर इन्होंने जरा सी भी लापरवाही बरती तो मौत के मुंह में समस जाएंगे। शिंगूरा की खामोशी तूफान से पहले की खामोशी थी और वो यकीनन कोई भयंकर योजना बना रही थी। वो किसी ऐसे पहलू से वार करना चाहते थे जहां उनकी सावधानी का घेरा कमजोर हो।
कई बार उन्होंने बम्बई छोड़ने के बारे में भी सोचा, लेकिन शिंगूरा के बारे में उनकी जिज्ञासा ने उन्हें बम्बई छोड़ने से रोक दिया।
राज और सतीश दोनों आखिर एकमत से इस नतीजे पर पहुंचे थे कि एक रहस्यमय औरत से डरकर बम्बई छोड़ने से अच्छा है कि मर जाएं। जब तक वो इस राज से पूरी तरह पर्दा नहीं उठा देंगे, तब तक वो बम्बई छोड़कर नहीं जाएंगे। चाहे हजारों खतरे उनकी राहों में आ खड़े हों।
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