RE: XXX Kahani नागिन के कारनामें (इच्छाधारी नागिन )
कई मोड़ों से घूमने के बाद और कई सड़कों पर चक्कर काटकर शिंगूरा की कार शहर से बाहर जाने वाली सड़क पर पहुंच गई। इस सड़क पर चूंकि ट्रेफिफ कम होता है, इसलिए टैक्सी ड्राईवर ने दोनों गाड़ियों के बीच का फासला कुछ बढ़ा लिया। लेकिन शिंगूरा की गाड़ी को नजरों से ओझल नहीं होने लिदया।
आबादी बहुत पीछे छुट जाने के बाद भी वो काफी देर तक चलते रहे । सड़क के किनारों पर कहीं-कहीं इक्का-दुक्का मकान बने हुए थे, बाकी हर जगह सड़क वीरान ही पड़ी मिलती थी। वो कोठी एक-दूसरे से काफी काफी फासले पर बनी हुई थीं।
आखिकरकार इन्हीं छोटी-छोटी कोठियों में से एक हल्के नीले रंग की कोठी के सामने पहुंच कर शिंगूरा की कार यक गई यह कोठी दूसरी कोठियों में काफी दूर और सड़क से काफी अलग-थलग एक खाली जगह पर बनी हुई थी।
टैक्सी ड्राईवर ने भी टैक्सी काफी फासले पर रोक ली।
दस मिनट बाद जब राज को अच्छी तरह अन्दाजा हो गया था कि शिंगूरा कोठी के अन्दर चली गई है तो वो टैक्सी को आहिस्ता-आहिस्ता चलवाता हुआ कोठी के सामने से गुजरा।
राज ने कोठी को गौर से देखा, आधुनिक ढंग से बनी हुई बहुत खूबसूरत कोठी थी। पीछे की तरफ खूबसूरत फूलों से सजा बगीचा भी था।
कोठी का नक्शा और आसपास का माहौल अच्छी तरह याद करे लेने के बाद राज ने ड्राईवर से कहा
"चलो भाई, अब वापस चलते हैं।"
लेकिन वापिसी पर अपने घर जाने के बजाय वो डॉक्टर सावंत के यहां जा पहुंचा और टैक्सी ड्राईवर को साथ लेकर अन्दर चला गया, ताकि उससे प्लाजा होटल के अन्दर की बातों के बारे में पूछ सके।
डॉक्टर सावंत बड़ी बेसब्री से राज को इन्तजार कर रहा था और परेशान था कि हर रोज की तरह आज राज तय वक्त पर क्यों नहीं पहुंचा था?
राज को कमरे में दाखिल होते देखे कर वो कुछ कहना चाहता था, लेकिन राज के पीछे एक अजनबी चेहरा देखकर वो खामोश रह गया।
राज ने इत्मीनान से बैठ कर पहले तो उसे पीछा किए जाने के बारे में बतया, फिर ड्राईवर को साथ लाने का मकसद बताते हुए ड्राईवर से कहां
"अच्छा तो भाई, अब तुम बताओ कि होटल में तुमने क्या मालूम किया और तुम्हें होटल के अन्दर इतनी देर कैसे और कहां लग गई थी....।"
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ड्राईवर ने पहले खंखारकर गला साफ किया, जैसे कोई बड़ी अहम बात कहने जा रहा हो। फिर बोला-"जब मैं होटल में दाखिल हुआ था तो बहुत परेशान था कि मैं क्या करूं ? किससे पूछू? वो औरत कहीं भी मुझे नजर नहीं आई थी, न डायनिग हॉल में, न ही बार में। जब मैं मायूस होकर वापस आने लगा था तब मुझे अपना एक पुराना जानकार वेटर नजर आ गया। मुझे सारी मुश्किल हल होती नजर आने लगी। मैंने उसके पास जाकर उससे इधर-उधर की बातें की और फिर दोनों नोट उसके हाथ में रखे और उससे उस औरत के बारे में पूछा । क्योंकि वो औरत चेहरे पर अजीब सा नकाब पहने रहती है। इसलिए जो शख्स भी उसे एक बार देख लेता है, उसके दिमाग में उसकी याद रह जाती है। वेटर उस औरत की हुलिया सुनकर फौरन समझ गया। उसने मुझे सब कुछ बता दिया। उसने बताया कि पांचवीं मंजिल पर कलकत्ता का एक नौजवान बिनेसमैन ठहरा हुआ है, जो बेहम अमीर है, यह औरत पांच सौ पैंतीस नम्बर में उसी नौजवान से मिलने वहां जाती है।
वो नौजवान तीन महीने से होटल में ठहरा हुआ है और वो और बिना नागा हर रोज उसने मिलने जाती है। दोनों अक्सर साथ घूमने जाते हैं। हालात बताते हैं कि उन्हें एक-दूसरे से मोहब्बत है और उस वक्त भी वो औरत उसी दौलतमंद नौजवान के कमरे में गई हुई थी।
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