RE: XXX Kahani नागिन के कारनामें (इच्छाधारी नागिन )
"यह कोई मुश्किल काम नहीं है।" राज ने कहा, "मैं अपना अनुमान बताता हूं। कल शाम सलीम शिंगूरा के साथ गया था। शिंगूरा पहले से उसे कल शाल सलीम शिंगूरा के साथ गया था। शिंगूरा पहले से उसे कल मारने का प्रोग्राम बनाए बैठी होगी। इसलिए वो अपने साथ कोई ऐसी नोकीली चीज, जिसकी नोक पर जहर लगा होगा, ले गई होगी और किसी छोटे से पाईप में वो सांप भी वहीं ले गई होगी। उसी दौरान किसी वक्त उसने वो नोकीली चीज एक-दो बार सलीम के हाथ पर चुभो दी होगी, जिससे उसके हाथ में खरोंचें आ गई होंगी। उस वक्त ज्यादा से ज्यादा यह होगा कि सलीम ने सिसकारी लेकर अपना हाथ खींच लिया होगा। प्यार मोहब्बत के क्षणों में ऐसी बातों पर कौन ध्यान देता है?" उसने भी जरा से दर्द को बर्दाश्त कर लिया होगा। उस वक्त तक शिंगूरा को प्रोग्राम का आधा हिस्सा पूरा हो गया होगा। जब वो सलीम के साथ होटल आई होगी तो उसने सलीम की नजर बचाकर कमरे में वो सांप छोड़ दिया होगा
और सांप अपनी आदत के मुताबिक कालीन के नीचे घुस कर छुप गया होगा, क्योंकि कोई भी सांप तक तक नहीं काटता, जब तक कि उसे छेड़ा न जाए। अगर वो निशान सलीम के पांव पर होते तो सोचा जा सकता था कि अन्धेरे में सांप ने उसे डस लिया होगा। लेकिन खरोंचे हाथ पर थीं, इसका मतलब उसे सांप ने नहीं काटा।"
"वाकई, दलील तो बहुत मजबूत है।” डॉक्टर सावंत ने कहा।
"एक सबूत और है।" राज बोला, "रात को सलीम हमेशा की अपेक्षा उदास था और जल्दी सोने चला गया था। यानि उसके जिस्म में जहर फैलने लगा था और उसका असर उसके दिलो-दिमाग पर होने लगा था जिसने उसे निढाल सा कर रखा
था।"
"बिल्कुल ! अब मेरी समझ में पूरा किस्सा आ चुका है। सब कुछ इसी तरह घटा होगा। लेकिन सवाल यह उठता है कि नई परिस्थितियों में हमें अब क्या करना चाहिए?"
"यही तो हमें सोचना है।" राज ने गहरी सांस लेकर कहा।
"क्यों ने पुलिस को हम अपने सारे अनुमान बता दें?"
"नहीं ! अभी मैं इसमें पुलिस को शामिल नहीं करना चाहता।" राज ने जवाब दिया।
"क्यों?" डॉक्टर सावंत ने पूछा।
"क्योंकि पुलिस एकदम बेढंगेपन से शिंगूरा के पीछे पड़ जाएगी और वो वक्त से पहले ही होशियार हो जाएगी और भागने के
रास्ते तलाश करने लगेगा। हमारे पास कोई सबूत तो है नहीं उसके खिलाफ । बस अनुमान ही अनुमान है। ऐसी हालत में अगर शिंगूरा को मालूम हो गया कि पुलिस उसके पीछे पड़ गई है तो वो फौरन या तो बम्बई छोड़ देगी या फिर वो बहुत ज्यादा सावधान हो जाएगी।"
"यह भी ठीक है।" डाक्टर सावंत ने कहा, "लेकिन अब उसकी तरफ से लापरवाह भी तो नहीं रहा जा सकता ?"
"उसके लिए हमें अब ज्यादा सतर्क हो जाना होगा और खासतौर पर उसकी गतिविधयों पर नजर रखनी होगी या फिर हममें से एक आदमी उसके साथर तैनात रहे।
"लेकिन वो हम सबको पहचानती है, फौरन समझ जाएगी। और यह बात ज्यादा देर उससे छुपी भी नहीं रह सकेगी।"
"इस काम के लिए उस टैक्सी ड्राईवर की सेवाएं प्राप्त की जा सकती हैं।" राज ने सुझाव दिया।
सतीश पहले भी यह सुझाव रख चुका था जिसका डॉक्टर सावंत ने विरोध किया था। लेकिन कुछ सोच-विचार के बाद उस वक्त वो इस सुझाव से सहमत हो गया।
उन तीनों ने मिल कर यह फैसला किया कि उस टैक्सी ड्राईवर को उचित मुआवजा देकर उसे शिंगूरा की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए तैनात कर दिया जाए।
राज ने ड्राईवर का पता नोट कर रखा था। इसी दिन शाम
को उसने ड्राईवर को तलाश कर लिया और उसे अपने साथ लेकर डॉक्टर सावंत के घर पहुंच गया।
काम किस किस्म का है, जानकार वो पहले तो हिचकिचाया, फिर जब उसे सही पैसे मिलने का अनश्वासन दिया गया और डॉक्टर सावंत ने दो हजार रूपये उसके हाथ में रखे तो वह तैयार हो गया।
यह तय हुआ कि दिन भर किसी भी तरह जिस तरह वो चाहे शिंगूरा गतिविधियों पर नजर रखे। अगर वो अपनी कोठी पर हो तो छुपकर कोठी की निगरानी करता हरे और वहां हर आने-जाने वाले पर निगाह रखे। जब वो जाए, नोट कर ले और हर रोज रात को डॉक्टर सावंत के घर पर आकर पूरे दिन की रिपोर्ट दे दिया करे। पैसे जब जरूरत हो और मांग ले।
बातचीत के दौरात डॉक्टर सावंत ने कहा
"पीछा करने के दौरान तो खैर यह अपने आप को छुपा सकता है, लेकिन कोठी की निगरानी के वक्त यह कैसे छुप सकेगा ?
क्योंकि इसके पास टैक्सी होगी, बगैर टैक्सी के यह कोठ के बाहर शिंगूरा का पीछा कैसे कर सकेगा?"
"उसकी आप फिक्र ने करें।" ड्राईवर ने, जिसका नाम बन्ता सिंह था, कहा-"उनकी कोठी से कोई दो फाग के फासले पर ईटें बनाने की एक फैक्ट्री थी कि जमाने में। लेकिन अब वहां दूर-दूर तक सिर्फ गहरी खंदकें ही रह गई हैं। वो इतनी चौड़ी
और गहरी हैं कि टैक्सी उनमें आसानी से खड़ी हो सकती है। जब मैं दिन के वक्त कोठी की निगरानी किया करूंगा तो गाड़ी किसी खंदक में छुपा दिया करूंगा और खुद कहीं आड़ में बैठकर
कोठी की निगरानी किया करूंगा। जब पीछा करने की जरूरत पड़ेगी तो भागकर टैक्सी ले लिया करूंगा। वहां से शहर आने वाली सड़क चूंकि एकदम सीधी है, इसलिए वहां चार मिनट की देरी नाल कोई फर्क नहीं पड़ेगा जी। बाद में बढ़ाकर दूरी कवर हो जाया करेगी?"
"यह तरकीब बढ़िया है।” राज ने कहा।
"ओके, तो सुबह से तुम अपना काम शुरू कर दो।" डॉक्टर सावंत ने ड्राईवर से कहा।
"ठभ्क है बाऊ जी।" बन्ता सिंह ने कहा और सिर झुका कर चला गया।
दूसरे दिन प्रोग्राम के अनुसार बन्ता सिंह शाम को डॉक्टर सावंत के यहां पहुंचा गया। उसकी रिपोर्ट थी कि दिन भर शिंगूरा की कोठी में कोई नहीं गया। न कोई कोठी से बाहर निकला था।
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