RE: XXX Kahani नागिन के कारनामें (इच्छाधारी नागिन )
शाम को शिंगूरा और उसका भाई जमाल पाशा कार में सवार होकर शहर के लिए निकले थे तो बंता सिंह ने उनका पीछा किया था। पहले वो दोनों फोर्ट इलाके की कालोनी की एक बड़ी दुकान पर गए थे। फिर एक केमिस्टर से उन्होंने कुछ
दवाईयों खरीदी थी। वहां से वो सीधा क्लब गए थे और करीब दो घंटे उन्होंने क्लब में बिताए थे और बंता सिंह उस नाईट क्लब के बाहर उनका इन्तजार करता रहा था।
नौ बजे के करीब वो क्लब से निकले थे और सीधा अपनी कोठी पहुच गए थे। बंता सिंह उनके पीछे कोठी तक गया था
और वहां से वापसी पर सीधा डॉक्टर सावंत के घर आया था।
डॉक्टर सावंत और राज ने उसकी चतुराई की तारीफ की
और उसे ज्यादा से ज्यादा सतर्क रहने का निर्देश देकर वापिस भेज दिया।
ऊपरी तौर पर उन्हें आज की रिपोर्ट से कोई खास बात नहीं मालूम हुई थी। लेकिन चूंकि उसकी गतिविधियों पर ही नजर रखनी थी, इसलिए इससे ज्यादा किया भी क्या जा सकता था।
डॉक्टर सावंत की राय थी कि क्योंकि शिंगूरा बहुत चालाक है इसलिए वो इस बड़ी वारदात के बाद अभी कोई नया काण्ड नहीं करेगी, ताकि लगातार वारदातें उसे पुलिस और पब्लिक की नजरों में संदिग्ध न बना दें।
बंता सिंह को इस ड्यूटी के बारे में राज ने सतीश को भी विस्तार से बात दिया था। सतीश ने तो जिउ भी की थी कि वो बंता सिंह के साथ-साथ खुद भी शिंगूर की निगरानी करेगा।
लेकिन डॉक्टर सावंत और राज ने उस पर सोचकर उसकी जिद नहीं मानी कि सतीश एक लापरवाह सा आदमी है और
सीधा-सादा भी, अगर शिंगूरा को जरा भी उस पर शक हो गया तो उसे बेझिझक ठिकाने लगा देगी। जाहिर है, वो राज या सतीश पर रहम नहीं कर सकती थी।
एक बात और राज को कई दिन से परेशान कर रही थी कि शिंगूरा उनकी तरफ से खामोश क्यों बैठ गई है? आखिर वो किस सोच में है? न ही उस दिन के बाद वो भयानक सूरत
आदमी ही उन्हें नजर आया था, जिसने खंजर से उन पर हमला किया था।
नीलकण्ड की यकीन था कि शिंगूरा उनके बारे में कोई निहायत
की खतरनाक चाल साचे रही होगी। शायद बीच में सलीम अनवर का मामला फस जाने की वजह से उसने इनका मामला टाल दिया था।
इसी तरह दिन गुजरते रहे, हर काम सुख-शांति से होता रहा। बंता सिंह हर रोज शाम को उन्हें उस दिन की रिपोर्ट दे दिया करता। लेकिन अभी तक इन्हें ऐसी कोई बात नहीं पता चली थी जो सन्देह पैदा करती । इस तरह नौ-दस दिन गुजर चुके
वो लोग हालात की एकरसता से उपकता चुके थे कि अचानक एक दिन एक नई घटना घट गई। उस दिन पिछले दिनों की रूटीन के खिलाफ बंता सिंह डॉक्टर सावंत के यहां नहीं पहुंचा।
रात को उन्होंने यह समझा कि शायद वो देर से शहर लौटा होगा, इसलिए इधर आने के बजाय सीधा घर चला गया होगा। लेकिन जब सुबह को भी वो नहीं आया तो राज ने दस जे के बाद बंता सिंह के घर जाकर पूछा तो उसे पता चला कि वो रात को घर भी नहीं लौटा था।
यह सचूना पाकर राज को सख्त चिंता हुई थी और वो भागा-भागा डॉक्टर सावंत के यहां पहुंचा था और उसने डॉक्टर सावंत को बंता सिंह के लापता होने के बारे में बताया।
यह खबर पाकर डॉक्टर सावंत भी परेशान हो गया। बहुत देर
तक वो दोनों मशविरे करते रहे। स्थिति की समीक्षा करते रहे।
आखिर काफी देर बाद उन्होंने यह फैसला किया कि राज टैक्सी पकड़ कर ब्रिक फैक्ट्री की उन खंदकों की तरह जाए जहां से फैक्ट्री के जमाने में ईंट बनाने के लिए मी निकाली जाती थी
और जिनका जिक्र बंता सिंह ने किया था कि वो टैक्सी उनमें से किसी एक में खड़ी किया करेगा।
पैंतीस मिनट बाद राज उन खंदकों के किनारे पहुंचा गया
टैक्सी वाले को साथ लेकर राज उन खंदकों में उतरा। बड़ी भयानक और रहसयमय जगह थी। जमीन काफी गहरी खुदी हुई
थी और इसी तरह की पतली-पतली गलियां थीं कि दिन के वक्त भी वहां खौफ सा महसूस होता था।
राज ने सोचा
"इस जगह अगर कोई किसी को कत्ल करके डाल दे तो किसी को महीनों पता न चले....।"
उसे आशंका हुई कि कहीं बंता सिंह के साथ भी ऐसा ही तो कुछ नहीं घट गया? हो सकता है शिंगरा या उसके साथी को शक हो गया हो और उन्होंने बंता सिंह का काम तमाम कर दिया हो? यह सोचते ही मारे खौफ को राज के रोंगटे खड़े हो गए।
टैक्सी ड्राईवर को उसने बता दिया कि ड्राईवर बंता सिंह कल यहां किसी काम से अपनी टैक्सी लेकर आया था, उसके बाद
वापिस नहीं गया, उसे तलाश करना है।
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