Antarvasnax मेरी कामुकता का सफ़र
12-27-2021, 01:20 PM,
#85
RE: Antarvasnax मेरी कामुकता का सफ़र
डीपू ने अब नई चाल चली. उसने अपना पुराना अनुभव इस्तेमाल किया और मेरे मम्मे छोड़ दिए और अपने दोनों हाथों की एक एक ऊँगली से मेरे तने हुए निप्पलों को दाए से बाए और बाए से दाए ठोकर मारने लगा, जैसे बिजली का स्विच बंद चालू कर रहा हो.

उसने अब ठोकर मारने की गति बढ़ा दी. मेरे निप्पल अब लगातार दाए बाए हो कर मुझे गुदगुदी कर रहे थे.

इससे मेरी हालत ओर ख़राब हो गयी. मेरे निप्पल फूल कर ओर मोटे हो गये. उसकी बाकी की मुड़ी हुई उंगलिया जब भी मेरे मम्मो के उभार को छूती मुझे अहसास होता कि मेरे मम्मो के उभार कुछ ज्यादा ही कठोर हो गए थे.

इतना कठोर कि वहां से स्किन खींचने लगी थी. मेरे मम्मे छाती फाड़ कर बाहर आने को उतारू थे.

मेरी पैंटी काफी गीली हो चुकी थी. मुझे लगा अब तो मुझे झड़ने से कोई नहीं रोक सकता, और पायल के सामने मैं चेलेंज हार जाउंगी.

मेरे हाथ उन दोनों ने दबा रखे थे और पाँव पर डीपू बैठा था. मैं बाकी बचे शरीर को दाए बाये हिलाते हुए तड़प रही थी.

मेरे मुँह से लगातार शब्द झरने की तरह बह रहे थे. “ह ह ह, आ ह, आ अ ह, हम्म , हा हा, मत करो, प्लीजजज, उप्स, अहा , माय गॉड”.

अचानक पति के मोबाइल का स्टॉप टाइमर बज उठा, और डीपू को मुझे छोड़ना पड़ा. उन दोनों ने मेरा हाथ भी छोड़ दिया.

पायल: “क्या यार, इसका होने ही वाला था. बस दस पंद्रह सेकण्ड्स ओर मिल जाते तो मैं जीत जाती. पर तुमने बहुत अच्छा नियंत्रण किया, क्यों कि डीपू ये काम बहुत अच्छे से करता हैं.”

वो तीनो तारीफ़ करते हुए मेरे लिए भी ताली बजाने लगे. अपनी हालत मैं ही जानती थी. मुझे उनकी तालिया सुनाई दे रही थी पर मैं कुछ सेकण्ड्स तक वही पड़ी रही.

उन लोगो ने भी मेरी हालत देखते हुए मुझे थोड़ा समय दिया. पति ने नीचे पड़ा मेरा स्लीप शर्ट लाकर मेरे सीने पर रख दिया.

मैं अब उठी और अपना शर्ट अपने सीने से दबाये रखे मम्मे छुपा दिए. मैं अपना सर अविश्वास में हिलाने लगी.

मैं: “ये क्या था यार. तुम तीनो मिलकर तो मेरे पीछे ही पड़ गए. मुझे बाँध कर रख दिया. हिलने भी नहीं दिया. और इस बदमाश पायल ने तो वो कपडा ही हटा दिया.”

मैंने अब शर्ट पहन कर बटन बंद कर दिए.

पायल: “कैसा लगा ये बता. मजा आया कि नहीं?”

मैं: “बहुत खतरनाक था, पूछो मत.”

डीपू: “सही में माहौल बहुत गरम हो गया था.”

अशोक: “बधाई हो, तुम दोनों ही पास हो गए. दोनों संस्कारी हो और इच्छाशक्ति काफी मजबुत हैं”

पायल : “यार, लेवल वन की छाती की मसाज से ये हालत हैं, तो सोचो अगर हमने लेवल टू की योनी मसाज भी प्लान किया होता तो पता नहीं तुम्हारा क्या हाल होता. तुमने अपनी हालत देखी थी, मैंने तो सोचा था कि तुम मुझसे भी ज्यादा कंट्रोल कर पाओगी.”

मैं: “नाम भी मत लो लेवल टू का.”

पायल “क्या हुआ फट गयी तुम्हारी लेवल वन से ही.”

डीपू : “अरे, इस तरह की बात मत करो. शब्दों का ध्यान रखो.”

पायल : “देखो, हमारा प्रश्न अभी भी वही का वही हैं. संस्कार की क्षमता कितनी हैं. अभी हमने सिर्फ एक तिहाई क्षमता पायी हैं.”

अशोक: “एक तिहाई कैसे? दो में से एक लेवल पार किया तो पचास प्रतिशत हुआ न.”

पायल: “असल में तीन लेवल हैं. मैंने सिर्फ दो ही बताये थे क्यों कि दोनों मसाज से जुड़े थे.”

अशोक: “तो तीसरा लेवल क्या हैं? दूसरे से भी खतरनाक हैं क्या?”

पायल: “जब हम दूसरा लेवल ही नहीं कर रहे तो तीसरे के बारे में बोलने से भी क्या फायदा.”

डीपू: “तुम्हे ट्राय करना हैं क्या दूसरा लेवल?”

पायल: “पहले के बाद मुझे डाउट हैं कि मैं दूसरा कर भी पाउंगी. क्या बोलती हो प्रतिमा?”

मैं: “मुझे अपनी इच्छाशक्ति पर यकीन हैं कि मैं कोई भी चेलेंज पूरा कर सकती हूँ. मैं ये कर सकती हूँ पर करुँगी नहीं. मुझे ये ठीक नहीं लगता.”

पायल : “कर सकती हूँ और कर लिया में बहुत फर्क होता हैं. या तो आप बोलो मत या फिर करके दिखाओ.”

अशोक: “प्लीज पायल, इसकी इच्छा नहीं हैं तो फाॅर्स मत करो.”

पायल: “मैं कहा फाॅर्स कर रही हूँ. मैं तो बस इतना कह रही हूँ कि या तो बोलो मत या फिर करो.”

डीपू “हम मर्दो को चेलेंज दिया होता तो अब तक हम लेटे हुए होते. हा हा हा, क्या बोलते हो अशोक”.

अशोक: “मगर इनकी तरह इतना टिक नहीं पाते.”

डीपू: “बात ये नहीं हैं कि आप मुकाबला जीतते हो या नहीं, बात हैं मुकाबले में उतरने की हिम्मत. मैंने थोड़ी देर पहले ही कहा था कि लड़किया थोड़ी डरपोक होती हैं.”

मैं: “मैंने तब भी कहा था मैं तुम्हारी राय से इत्तेफ़ाक़ नहीं रखती.”

पायल: “ठीक हैं, मैं रेडी हूँ लेवल दो के लिए. मगर मेरे नीचे वहां पर कपड़ा ढक कर रखना होगा. और प्रतिमा मुझसे बदला लेने के लिए कपडा हटा मत देना.”

मैं: “मैं तुम्हारी तरह नहीं हूँ. वैसे भी अगर मैंने कपडा हटाया तो मेरा नंबर आएगा तब तुम भी मुझे थोड़े ही छोड़ोगी.”

पायल “तुम्हारा नंबर ! मतलब तुम भी रेडी हो लेवल दो के लिए? क्या बात हैं.”

मैं: “नहीं ऐसा नहीं हैं. मेरे मुँह से निकल गया था.”

पायल: “हां , दिल की बात जुबान पर आ ही गयी.”

अशोक: “चलो पिछली बार की तरह सबकी वोटिंग कर लेते हैं लेवल टू के लिए.”

पायल: “मैं रेडी हूँ पर कपड़ा ढकना पड़ेगा.”

डीपू: “औरतो की हिम्मत की दाद देने के लिए, पायल के लिए मेरी हां.”

अशोक: “मुझे नहीं पता मैं कर पाऊंगा या नहीं. पर कोशिश कर सकता हूँ.”

मैं: “मैं सिर्फ पायल को हारते देखना चाहूंगी इसलिए हां.”

पायल: “अब प्रतिमा के लिए वोटिंग करते हैं”

मैं: “पहले तुम्हारा हो जाने दो फिर देखते हैं.”

पायल: “नहीं, अब ये नहीं चलेगा. मेरा हो जायेगा और फिर तुम मना कर दोगी, तो मैं ना इधर की रहूंगी ना उधर की.”

डीपू : “फेयर पॉइंट हैं. या तो दोनों ही मत करो या करो तो दोनों करो”.

अशोक: “सही हैं, एक लड़की को हम अकेला नहीं छोड़ सकते. अब ओर कोई वोटिंग नहीं होगी. प्रतिमा का हां मतलब दोनों लड़कियों की हां और ना मतलब दोनों की ना.”

मैं थोड़ा सोच में पड़ गयी. सारा दारमदार अब मेरे निर्णय पर था. मैंने अपने पति से नजरे मिलाते हुए आँखों से सवाल पूछा.

अशोक: “मैं अपना निर्णय तुम पर थोपना नहीं चाहता. हम घूमने आये हैं. बस कोई किसी से नाराज होकर न जाये. ख़ुशी ख़ुशी जाए. इसलिए सिर्फ तुम्हारा निर्णय होगा.”

मैं: “ठीक हैं, मैं भी रेडी हूँ. पर रूल पहले से बना लो, वरना पायल पहले की तरह चीटिंग करेगी.”

पायल “मोहब्बत और जंग में सब कुछ जायज हैं. पर क्यों कि चेलेंज मसाज का हैं तो सेक्स छोड़ कर कुछ भी कर सकते हैं उकसाने के लिए. वो ढकने के लिए दुपट्टा याद रखना.”

डीपू: “ठीक हैं मैडम, तो आप ही लेवल टू की शुरुआत करो.”

पायल: “प्रतिमा का लेवल वन देख कर मेरी गीली हो गयी हैं. पहले मैं साफ़ करके आती हूँ.”

पायल अब बाथरूम में चली गयी और थोड़ी देर बाद वापिस आयी. उसके चेहरे पर लेवल टू का तनाव स्पष्ट दिखाई दे रहा था.

डीपू: “बेस्ट ऑफ़ लक, किला फतह कर आना.”

पायल: “थैंक यू. अगर मेरे बाद प्रतिमा ने चेलेंज करने से मना कर दिया तो? मना करने के लिए कोई सजा भी तो होनी चाहिए.”

अशोक: “सभी लोग अपनी मर्जी से कर रहे हैं. ना करने पर सजा का क्या मतलब.”

मैं: “अरे बोला ना, मैं कर लुंगी. पर फिर भी यकीन नहीं तो जो तुम बोलो वो सजा.”

अशोक: “सजा पहले ही लिख लो वरना बाद में कोई बढ़ा चढ़ा सकता हैं.”

पायल ने नोट पैड लिया और छुपा के एक सजा लिख दी. फिर वो कागज़ फोल्ड कर अपने पर्स में डाल दिया.

फिर पायल आकर अब बिस्तर के बीच बैठ गयी. उसके एक तरफ डीपू था तो दुरी तरफ मैं थी. अशोक उसके पांवो की तरफ बैठे थे.

पायल: “अरे मैं कपडा लाना भूल गयी नीचे से ढकने के लिए.”

मैंने उसी का पहले वाला पारदर्शी सफ़ेद कपड़ा संभाल कर रखा था.

मैं: “ये रहा कपड़ा, अब लेट जाओ मैं लगा देती हूँ.”

पायल अब लेट गयी. डीपू अपने मोबाइल के स्टॉप टाइमर के साथ तैयार था. मैंने पायल के कमर से जांघो तक के हिस्से को उस कपड़े से ढक दिया.

अशोक: “पायल रेडी?”

पायल: “उम्म, हां रेडी.”
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RE: Antarvasnax मेरी कामुकता का सफ़र - by desiaks - 12-27-2021, 01:20 PM

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