Antarvasnax मेरी कामुकता का सफ़र
12-27-2021, 01:43 PM,
RE: Antarvasnax मेरी कामुकता का सफ़र
मेरे धक्को की गति एकदम से बढ़ गयी और मैं पागलो की तरह सब भुला कर लगातार तेज धक्के मारते हुए सिसकिया निकालने लगी. आह्ह आह्ह ओह्ह ओह्ह उह्ह उह्ह उम्म उम्म.

बढे हुए वजन के कारण या लम्बे समय से कसरत नहीं करने से मैं जल्द ही थकने लगी और धक्को की गति कम होने लगी और थोड़ी देर में रुक गयी.

लेकिन तब तक पियूष को आग लग चुकी थी. उसने एक जोर का धक्का मारा और मेरी चूत के बहुत अंदर तक अपने होने का अहसास कराया.

उसके बाद वो नहीं रुका, उसने एक के बाद झटके मारते हुए मुझे चोदना शुरू कर दिया.

थोड़ी देर चोदने के बाद उसकी सिसकियाँ निकलनी शुरू हो गयी थी. मेरी भी सिसकियाँ निकलनी शुरू हो गयी थी. उसके झटको से मेरे खुले पड़े ब्लाउज से मेरे मम्मे लटकते हुए आगे पीछे तेजी से हिल रहे थे.

थोड़ी देर में मुझे सच्चाई का भी आभास हुआ, कही मैं फिर से पहले वाली गलती तो नहीं कर रही.

मैं: “आह्हह पियूष रुको, कुछ हो जायेगा.”

पियूष: “अब मत रोको भाभी, अब तो पुरे मजे लेने ही दो. देखो, आपको भी मजा आ रहा हैं न? ये लो और जोर से मारता हूँ.”

मैं: “आह्हहह, रुक जाओ, उम्ममम्म मैं प्रेगनेंट हो जाउंगी, तुम समझ नहीं रहे.”

पियूष: “चिंता मत करो, दो बच्चो के बाद मैंने अपनी नसबंदी करा ली थी. अब कोई चिंता नहीं, जम के चुदवाने के मजे लो.”

मैं: “सच में?”

पियूष: “अरे हां, मैं झूठ क्यों बोलूंगा.”

मैं: “तो फिर धीरे धीरे क्यों मार रहे हो, जल्दी जल्दी से कर लो. अशोक के आने से पहले काम ख़त्म कर लो, उसने देख लिया तो मेरी शामत आ जाएगी.”

पियूष ने आव देखा ना ताव जोर से जोर से मुझे चोदने लगा. उसका और मेरा पानी बनने लगा तो उसका लंड फिसलता हुआ चप चप की आवाज करता हुआ मेरी चूत के अंदर तेजी से अंदर बाहर होता रहा.

पियूष: “भाभी, मेरा तो अब पानी निकलने वाला हैं, आपका कितना बाकि हैं?”

मैं: “तुम अपना कर लो, मेरी चिंता मत करो.”

पियूष: “रुको आपका भी करता हूँ.”

उसने अपना लंड मेरी चूत से निकाला और मुझे सीधा लेटा दिया. फिर उसने अपनी दो उंगलिया मेरी चूत में घुसा दी और तेज तेज अंदर बाहर खोदने लगा. उसकी उंगलियों की रगड़ से मेरा नशा फिर चढ़ने लगा.

अगले पांच मिनट में ऐसे ही उंगलियों से चोदते चोदते उसने मेरा पानी निकालना शुरू कर दिया था.

मैं अपने हाथ दोनों तरफ फैलाये बिस्तर के चद्दर को पकड़ खिंच कर तड़पते हुए आहें भरे जा रही थी. मुझे लगने लगा अब मैं झड़ने वाली हूँ तो मैंने पियूष को रोका.

मैं: “पियूष मेरा अब होने वाला हैं, तुम अब मेरे ऊपर आ जाओ और पूरा कर लो.”

पियूष अब मेरे ऊपर चढ़ गया और मुझसे चिपक कर लेट गया. लेटते लेटते उसने मेरा ब्लाउज और ब्रा को मेरे मम्मो से पूरा हटा दिया और अपना टीशर्ट भी निकाल दिया. उसका सीना अब मेरे मम्मो को दबा रहा था.

उसने एक बार फिर मेरी चूत में अपना लंड डाल दिया. इतनी देर से उसकी पतली उंगलियों से चुदाने के बाद उसके मोटे लंड के अंदर जाते ही मुझे ज्यादा सुखद अहसास हुआ और मेरी चूत में होती रगड़ भी बढ़ गयी थी.

दो तीन मिनट बाद ही हम दोनों बड़ी गहरी और तेज सिसकियाँ भरते हुए एक दूसरे से चुदने के मजे लेने लगे. उसने मेरे दोनों हाथों की उंगलियों में अपनी उंगलिया फंसा ली और झटके मारने की गति एक दम बढ़ा ली.

महीनो बाद झड़ने का लुत्फ़ उठाने के लिए मैंने भी अपनी दोनों टाँगे उठा कर पहले तो उसकी टैंगो पर लपेट दी.

थोड़ी देर बाद मैंने अपनी टाँगे और भी ऊपर उठा पियूष के कमर पर अजगर की तरह लपेट दी. मेरी चूत का छेद और भी खुल गया और पियूष मेरी चुत की और भी गहराइयों में उतारते हुए चोदने लगा.

आहह्ह्ह्ह आहह्ह्ह ओहह्ह्ह मम्मी ओ मम्मी आअहह्ह्ह आअह आअ जोर जोर से चीखते हुए हम दोनों एक साथ झड़ गए.

काफी समय बाद मैंने अपना काम पूरा किया था तो एक संतुष्टि हुई. हम दोनों उठ कर फिर कपडे पहनने लगे. पियूष ने जल्दी से कपडे पहने और वो बाहर हॉल में चला गया. मैं भी अपनी साड़ी फिर से पहन कर बाहर आ गयी.

सारे पछतावे गुनाह करने के बाद ही याद आते हैं. मेरे साथ भी यही हुआ. मैंने अपनी बेवकूफी में या महीनो की जरुरत पूर्ति नहीं होने से पियूष के साथ गलत काम कर लिया था. मेरी बात कही खुल ना जाये इसलिए मैंने बाहर आकर पियूष को समझाना चाहा.

मैं: “पियूष, किसी को इस बारे में बताना मत.”

पियूष: “क्या बात कर रही हो. मेरे भी बीवी बच्चे हैं, मैं क्यों बताने लगा.”

मैं: “सब कुछ कैसे हुआ पता ही नहीं चला.”

पियूष: “कोई बात नहीं, कभी कभी ऐसा हो जाता हैं. जो भी हुआ अच्छा ही हुआ.”

पियूष ने मुझे रेन हार्वेस्टिंग सिस्टम के प्लान के बारे में ब्रोचर दिया, ताकि मैं अशोक को बता सकू और जाने लगा.

मैं: “पियूष, प्लीज इसे भूल जाना कि हमारे बीच कभी कुछ हुआ था. जो भी था एक गलती थी.”

पियूष ने आँखों से हां का इशारा कर मुझे सांत्वना दी और वहा से चला गया.

अशोक को मैंने वो ब्रोचर पढ़ा दिया और हमने रेन हार्वेस्टिंग सिस्टम को कुछ और समय तक नहीं लगवाने का विचार किया. मैंने ही ज्यादा फ़ोर्स किया क्यों कि मैं पियूष का सामना फिर से नहीं करना चाहती थी.
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RE: Antarvasnax मेरी कामुकता का सफ़र - by desiaks - 12-27-2021, 01:43 PM

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