Antarvasnax मेरी कामुकता का सफ़र
12-27-2021, 02:04 PM,
RE: Antarvasnax मेरी कामुकता का सफ़र
फिर मुझे लगा ये तो कदम पीछे खींचने वाली बात हुई, क्या मुझे इतनी आसानी से हार मान लेनी चाहिए या कोशिश करते रहना चाहिए, एक दिन तो राहुल खुल कर सामने आएगा। मैंने फिर से वैसे कपड़े पहने जैसे कल पहने थे, घुटनो तक स्कर्ट और टाइट टॉप।
उसके केबिन में जाते ही मैंने साइड पॉज में खड़े हो एक हाथ अपनी कमर पर रखा और अपने आगे और पीछे के कर्व दिखाने की कोशिश की। पर इन सब का भी उस पर कोई फर्क नहीं पड़ा। पता नहीं किस मिट्टी का बना हुआ था राहुल।
अगले कई दिनों तक मैंने प्रयत्न किया कि कभी तो राहुल मेरी तरफ देख कर अपनी नजरे रोक देगा और मेरी खूबसूरती या बदन की तारीफ़ करेगा। पर वो दिन तो आ ही नहीं रहा था।

अब तक के सारे प्रयास विफल हो चुके थे। मैं अपने बॉस को मेरी तारीफ़ करने के लिए मजबूर नहीं कर पा रही थी।
धीरे धीरे मुझे कोफ़्त होने लगी थी। एक दिन सुबह तैयार होते वक़्त सोचा आज तो वो मिनी स्कर्ट पहन ही लेती हु। पर मन में कही एक डर भी था अगर इससे भी राहुल नहीं पिघला तो ख़ामखा दूसरे मर्दो को जरूर मजा मिल जायेगा।
इतने समय में मेरा राहुल से अच्छा सामंझस्य हो गया था और उसका मेरे पर भरोसा भी बढ़ गया था। ये सोचते हुए एक दूसरा धांसू प्लान मेरे दिमाग में आया।
मैं अपना सफ़ेद पतला टाइट शर्ट पहना मगर अंदर अपना ब्रा नहीं पहना। उस शर्ट का एक बटन खोला और फिर दो बटन खोल कर देखे, दो में कुछ ज्यादा ही क्लीवेज दिखने लगा था तो मैंने एक बटन ही खुला रखा और प्लान के मुताबिक एक चेन से लगा पेंडेंट पहन लिया।
मैंने वो स्कार्फ़ पहन अपना सीना ढक दिया और ऑफिस पहुंच गयी। राहुल के ऑफिस पहुंचते ही इंतजार करने लगी कब वो काम से मुझे बुलाये। उसका बुलावा आया भी। मैंने अपना स्कार्फ़ निकाला और शर्ट का ऊपर का एक बटन खोल दिया। शर्ट को वहा से थोड़ा हटा कर अपना थोड़ा सा क्लिवेज दिखाया और थोड़ा कांपते हुए उसके केबिन में दाखिल हुई .
पता था हमेशा की तरह वो मेरी तरफ ध्यान नहीं देगा। मैं फाइल समझने के लिए उसकी कुर्सी के पास गयी और काम ख़त्म होते ही मैंने अपना प्लान शुरू किया।
मैं: “राहुल, आपको कुछ दिखाना हैं। ”
वो मेरी तरफ बिना घूमे ही फाइल में देखते हुए बोला “क्या?”
मैं: “फाइल में नहीं इधर देखो।”
वो कुर्सी पर बैठा था और मैं खड़ी थी तो उसकी तरफ झुकते हुए मैंने अपनी दो उंगलियों में अपना पेंडेंट पकड़ा। वो मेरी तरफ घुमा और मेरे हाथ के इशारे के अनुसार मेरे सीने पर नजर गयी।
मैं: “मेरे हस्बैंड ने मुझे ये पेंडेंट गिफ्ट दिया हैं, कैसा लगा?”
पहली बार उसकी नजर मेरी आँखों के अलावा मेरे शरीर के किसी और हिस्से पर दो सेकण्ड्स से ज्यादा रही थी। उसकी आँखें थोड़ी बड़ी हुई। शायद मेरे झुकने से मेरे शर्ट के खुले हिस्से से उसको मेरे बिना ब्रा के मम्मे की हलकी सी झलक मिल चुकी थी। पुरे पांच सेकण्ड्स के बाद उसकी नजरे वहा से हटी।
राहुल: “नाइस, अच्छा हैं। कल की मीटिंग की तैयारी कर लेना। ”
ये बोल कर वो फिर अपने लैपटॉप लगा। मैं वापिस अपने क्यूबिकल में लौट आयी।
मुझे नहीं पता मैंने अपना जो अंगप्रर्दशन किया वो ठीक था या नहीं, मेरे ऊपर बस ये भूत सवार था कि मैं राहुल की उस तपस्या को भंग करना चाहती थी। इतने दिनों के प्रयास के बाद आखिर मैंने उसको विचलित कर ही दिया था । इसके लिए मुझे भले ही अनुचित तरीके का उपयोग करना पड़ा।
मैं अपनी जीत पर बहुत खुश हुई। पर कही ना कही मेरे दिमाग में दो विरोधी बातें चल रही थी। एक ये कि मैंने जो भी किया वो गलत तरीका था, एक छल था। दूसरा ये कि उसने अभी भी मेरी खूबसूरती या कपड़ो की तारीफ़ नहीं की थी पर मेरे पेंडेंट की तारीफ की थी। वो तो उसको अच्छा नहीं लगा होता तो भी करता क्यों कि मैंने ही तो उसको पूछा था। तारीफ़ तो वो होती हैं जो सामने वाले से बिना पूछे मिल जाये।
कही राहुल को पता तो नहीं चल गया होगा कि मैं ऐसी हरकत क्यों कर रही हु। अगर पता चला होगा तो मेरे लिए बहुत बुरा होगा। मेरी अच्छी बनी बनाई इमेज ख़राब हो जाएगी।
मैंने ठरकी बॉस से बचने के लिए ये वाली नौकरी चुनी थी मगर अब मैं खुद राहुल जैसे सीधे इंसान को भ्रष्ट बनाने में लगी थी। मैंने फैसला कर लिया कि मैं अब और ऐसे प्रयोग नहीं करुँगी।
मैंने जो कपड़े ख़रीदे थे उनको पहनना जारी रखा पर बटन हमेशा बंद और स्कार्फ़ हमेशा सीने को ढके रहता था। जो चल रहा था मैंने उसी में सब्र कर लिए था। इस तरह कुछ समय और निकल गया गया और राहुल पहले की तरह जितनी बात करनी होती उतनी ही करता, उस पैंडेंट वाली घटना से उस पर कोई असर नहीं हुआ लगता था जो मेरे लिए भी ठीक था।
दो महीने बाद ऑफिस में एक हलचल होनी शुरू हो गयी थी। पता चला कंपनी का सालाना उत्सव होने वाला हैं। मेरे लिए तो ये पहली बार था पर बाकी के सहकर्मी काफी उत्साहित थे। बार बार इस चीज का जिक्र निकल ही आता था। हर बार की तरह इस बार भी ये उत्सव राहुल के फार्महाउस पर होनेवाला था।
मुझे बाकी लोगो की उत्सुकता देख थोड़ी हैरानी हुई, शायद काम के बाद एक मुफ्त की पार्टी और मजे करने को मिले तो लोग खुश ही होते हैं। हालांकि मुझे इस उत्सव से कोई लेना देना नहीं था और न ही कोई उत्साह था, शायद राहुल के साथ काम कर कर के मैं भी उसके जैसी वर्कहोलिक बन गयी थी।
उस पार्टी में अभी भी कुछ दिन बचे थे और बाकी लोग ये जानने में व्यस्त थे कि कौन कौन अपनी फॅमिली ला रहा हैं क्यों कि फॅमिली को भी ला सकते थे। पार्टी के दो दिन पहले रात को मेरे मन में एक और ख्याल आया और मेरा पुराना शरारती दिमाग फिर दौड़ने लगा। मैं जब भी राहुल से मिली हु तो ऑफिस में या फिर किसी क्लाइंट मीटिंग में जाते हैं तो भी ऑफिस के काम से। ये पहला मौका होगा जब राहुल बिना ऑफिस के काम के हमसे मिलेगा ।
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RE: Antarvasnax मेरी कामुकता का सफ़र - by desiaks - 12-27-2021, 02:04 PM

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