Antarvasnax मेरी कामुकता का सफ़र
12-27-2021, 02:13 PM,
RE: Antarvasnax मेरी कामुकता का सफ़र
मैं अनियंत्रित होने लगी, कही मैं झड़ ही ना जाऊ इसलिए मैंने उसको रोका और थोड़ा आगे हटी। अपनी स्कर्ट नीचे कर दी और पीछे खिसक कर टेबल से उतर गयी । मैं अपनी स्कर्ट का हुक फिर बांधती उससे पहले ही उसने मुझे मेरी कमर से पकड़ कर मुझ सहित अपनी कुर्सी पर बैठ गया। मैं उसकी जांघो पर बैठी थी।
उसने एक हाथ से मुझे झकड़े हुए दूसरे हाथ से अपने पैंट की चैन खोल दी और अपना कड़क हो चुका लंड बाहर निकाल दिया। वो एकदम तैयार था चोदने के लिए। क्या वो मुझे यही ऑफिस में चोदने वाला था। मैं उसको मना करने लगी कि यहाँ नहीं कर सकते पर उसने मेरी स्कर्ट को पीछे से ऊपर कर अपनी गोद में बैठा लिया।
मैं अपनी गांड पर उसके कठोर लंड की छुअन का अनुभव कर रही थी। मेरी चूत तो पहले ही गीली थी तो आसानी से उसका लंड एक झटके में मेरी चूत के अंदर फिसल गया। बाकी का उसने जोर लगाते हुए मेरी चूत में चार पांच इंच लंड अंदर कर दिया। मैं उठने की कोशिश कर रही थी पर वो मुझे नीचे बैठाये रख रहा था।
मैं उठने की कोशिश करती और वो मुझे नीचे बैठा देता, इस चक्कर में उसका लंड मेरी चूत के अंदर बाहर हो रहा था। मैं तो पहले ही झड़ने वाली थी पर अब उसके लंड की चूत में होती रगड़ से मैं झड़ने की करीब आ गयी।
मैंने अब ऊपर उठना ही बंद कर दिया। पर उसका लंड उत्तेजना के मारे मेरी चूत में बिना हरकत के ही सिकुड़ और फुल रहा था। जिससे मेरी चूत में भी कम्पन हो रहा था। मैं किसी भी क्षण झड़ने वाली थी।
मैं: “राहुल, मेरा पानी निकलने वाला हैं, तुम्हारी पैंट खराब हो जाएगी।”
राहुल ने मुझे छोड़ दिया और बोला: “चलो छोड़ दिया, तुम्हारी इच्छा तुम उठना चाहती हो या चुदना चाहती हो”
मेरी ऐसी हालत थी कि मैं चाहते हुए भी उठ नहीं पा रही थी। मैंने सोचा मैं पूरा कर ही लेती हूँ। पर तभी दरवाजे पर दस्तक हुई और मैं घबरा कर राहुल के ऊपर से उठी। एक सांस में मैंने जल्दी से अपनी स्कर्ट नीचे की और उसका हुक लगा लिया। मैं वापिस टेबल के दूसरी तरफ आ गयी, तब तक राहुल ने भी अपनी चैन बंद कर कुर्सी सही लगा ली।
ये सब मुश्किल से पांच सात सेकण्ड्स में हो गया और राहुल ने दस्तक देने वाले को अंदर बुलाया। वो सुधा आंटी थी, वो शायद किसी काम से आयी थी।
मैं एकदम घबराई हुई खड़ी थी और राहुल से इजाजत लेकर बाहर आयी और सीधा वाशरूम गयी। मेरी चूत में अभी तक हलकी सी हलचल थी, मेरी पैंटी भी राहुल की कुर्सी के आस पास कही गिरी पड़ी थी जो जल्दबाजी में मैंने नहीं उठायी थी क्यों कि पहनने का समय ही नहीं था ।
मैं बाल बाल बची, अगर कोई बिना दस्तक अंदर आ जाता तो पुरे ऑफिस में मेरी ही बातें होती। वाशरूम से मैं वापस आयी देखा सुधा आंटी केबिन से बाहर आ चुकी थी।
मुझे अंदर जाकर अपनी पैंटी लेनी थी पर हिम्मत नहीं हो रही थी। मैं सीधा अपनी जगह आकर बैठ गयी। अंदर पैंटी नहीं पहने होने से कुछ खाली खाली सा लग रहा था। करीब आधे घंटे बाद मैं फिर राहुल के केबिन में गयी।

राहुल ने ऑफिस के केबिन में ही मेरे मजे लूट लिए थे और हम पकडे जाने से बाल बाल बच गए थे। इस चक्कर में मेरी पैंटी उसके केबिन में रह गयी जो मुझे चाहिए थी, मैं फिर राहुल के केबिन में गयी।
मैं: “मेरे कपड़े यहाँ रह गए थे”
राहुल: “कौन से कपड़े?”
मुझे पता था वो जानबूझ कर अनजान बन मेरे मुँह से सुनना चाहता था। मैं वापिस जाने लगी तो उसने आवाज लगा कर रोका। मैंने मुड़ कर देखा वो अपने हाथ में मेरी पैंटी पकड़ हिला रहा था।
राहुल: “ये चाहिए तुम्हे?”
मैंने आगे आकर अपना हाथ बढ़ाया, पर उसने अपना हाथ पीछे खिंच लिया।
राहुल: “इसे मैं तुम्हे पहनाउंगा ”
मै: “नहीं चाहिए, तुम्ही पहन लो”
राहुल: “अच्छा ये लो। पर इसे हाथ में लेकर बाहर कैसे जाओगी? किसी ने देख लिया तो ! पहनना तो यहाँ मेरे सामने ही पड़ेगा।”
बात तो उसकी भी सही थी। ऑफिस के अंदर तो पर्स लेकर नहीं घूम सकती। मुझे उसके सामने ही वो पैंटी पहननी थी। मैंने उससे वो पैंटी ली और उसकी तरफ पीठ कर मैंने पैंटी पांवो में डाल ऊपर खिंच ली और बड़ी सावधानी से बिना अपने ज्यादा अंग दिखाए वो पहन ली।
राहुल: “थोड़ा थोड़ा करने से मजा नहीं आया, पूरा करना हैं ढंग से”
मैं: “आगे से मैं ऑफिस में तुम्हारे पास भी नहीं आउंगी, पकड़े जाते तो आज?”
राहुल: “यहाँ नहीं करेंगे तो कहा करेंगे?”
मैं: “क्या करना हैं तुम्हे?”
राहुल: “चार काम करने हैं। पहला, तुम्हारे ऊपर और नीचे के होंठो का जी भर कर रस चूसना हैं। दूसरा, तुम्हारे मम्मे देखने हैं और चूसने हैं। तीसरा, तुम्हारे मम्मो को अपने हाथो से दूध दुहना हैं। चौथा, सामने से तुम्हारी चूत के दर्शन कर पूरा चोदना हैं”
मैं: “सैंड्रा का शुक्र मनाओ कि तुम मेरे कपड़े खोल पाए और कल पीछे से कुछ कर पाए। बाकि के ये चारो काम तुम सपने में ही करना”
राहुल: “ये चारो काम आज रात को ही होंगे पार्टी के बाद । तुम आज रात मेरे साथ मेरे फार्म हाउस पर ही रुकने वाली हो। अपने घर पर बोल कर आना कि सुबह आओगी”
मैं: “ऐसा कुछ नहीं होने वाला हैं”
राहुल: “और पांचवा काम तुम करने वाली हो, मैं तुम्हारा नीचे का रस लूंगा तो तुम भी तो मेरा रस चुसोगी”
मैं: “मैं भी देखती हु, कैसे होता हैं ”
मैं अब बाहर अपनी सीट पर आ गयी। मगर मन में यही चल रहा था कि क्या वो मेरे साथ सच में ये सब करने वाला हैं। पर मैं क्यों उसके साथ रात को रहूंगी। इतने लोगो के बीच तो वो हाथ लगा नहीं पायेगा। शाम को पार्टी के चक्कर में सब लोग ऑफिस से जल्दी निकल गए घर जाकर तैयार होने के लिए।
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RE: Antarvasnax मेरी कामुकता का सफ़र - by desiaks - 12-27-2021, 02:13 PM

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