RE: Muslim Sex Kahani खाला जमीला
सभी बरामदे में बैठे हये थे। टीवी लगा हुआ था, लेकिन देख काई नहीं रहा था सभी गप्पें मार रहे थे। 10:00 बज चुके थे, लेकिन लगता था जैसे अभी किसी के साने का मूड नहीं है। शायद मौसम ठंडा था इसलिए सब एंजाय कर रहे थे।
सब का मूड बन गया चाय पीने का। बड़ी मामी उठी तो किचेन में चली गई चाय बनाने। मेरे लण्ड ने अंगड़ाई ली और कहा- "चलो मामी के पास किचन में..' में भी फिर पानी पीने के बहाने उठा और सीधा किचन में गया।
मामी मुझे देखकर खुश हो गईं। सहन में अंधेरा था, बस किचेन में रोशनी थी। मैं आगे बढ़ा और मामी को पीछे से झप्पी डाल ली, और गर्दन में किस की मामी को। मेरा लण्ड मामी के चूतड़ों में दब गया। लण्ड चूतड़ों की गर्मी पाकर खड़ा हो रहा था।
मैंने मामी के बाजू के नीचे से अपने हाथ गुजारे और मम्मे पकड़ लिए। मामी ने इस वक्त बा नहीं पहना हुआ
था। मैंने पूग- "मामी बा नहीं पहना आपने?"
मामी ने कहा- "बेटा, रात को उतार के सोती हूँ मैं.." और मामी भी अब अपने चूतड़ मेरे लण्ड पे रगड़ रही थी को अचानक लेट चली गई। हर चीज अंधेरे में डूब गईं।
मन मोके का फायदा उठाया और हाथ मामी की कमीज में डालकर नंगे मम्मे पकड़ लिए। मम्मे दबाने लगा और बीच में मामी के निपल भी मरोड़ देता था। मामी ने अपना एक हाथ पीछे किया और मेरा लण्ड पकड़ लिया उसको एक बार दबाया और अपने चूतड़ों की लाइन में फिट करके गाण्ड लण्ड पे दबा दी।
मेरा लण्ड सीधा मामी की गाण्ड में घुस गया। मम्मे दबातें हये मैं में हाथ नीचं लाया और बगल में सलवार में घुसा दिए, और मामी की मोटी-मोटी जांघों पे हाथ फेरने लगा। मामी की जांघ इस कदर चिकनी थी की मेरे हाथ फिसल रहे थे, और लण्ड झटके मार रहा था मामी के चूतड़ों में।
इतनी देर में अंदर से आवाज पड़ी. "चाय ले आओ.."
मैं पीछे हो गया मामी फटाफट चाय कपों में डालने लगी। मैंने एक ट्रे उठाई, अंदर चला गया। मामी भी पीछे से आ गईं। मोमबत्ती जलाई हई थी वहां। सब चाय पीने लगे। मैं बाजी अमीना के पास बैठ गया और अपना एक हाथ उनके चूतड़ों पे रख दिया, और बाजी की गाण्ड चेक करने लगा। वहां अंधेरा था। बाजी में अपना एक हाथ मेरी जांघ में रख दिया था।
मैंने बाजी की सलवार में पीछे से हाथ डाला। बाजी थोड़ा सा ऊपर उठ गई, जब मेरा हाथ उनके चूतड़ों के नीचे दबा तो वा बैठ गई। मुझे अपने हाथ पे बाजी के चूतड़ों का नरम-नरम और गरम सा एहसास हो रहा था। मैं अपनी उंगली हिलाकर उनकी गाण्ड का मजा ले रहा था।
इधर बाजी मेरे लण्ड के करीब पहुँच गई थी। उसकी उंगलियां अब मेरे लण्ड पे रेंग रही थी। जब पूरा हाथ लण्ड पे पहुँच गया तो उन्होंने लण्ड को मुट्ठी में दबा लिया। मेरा अकड़ा हुआ लण्ड उनकी मुट्ठी में था जिसको वो धीरे-धीरे हिला रही थी। मैंने एक टांग ऊपर रखी हुई थी, जिस वजह से मेरे लण्ड का ओला बन गया था सबसे। क्योंकी हम दोनों सबसे बगल बैठे हमें थे।
सब चाय पी चुके थे। मैंने हाथ निकाल लिया, तो मुझे खाला ने कहा- "चलो बेटा अब आ जाओं रूम में.."
-
लुबना बाजी अमीना के साथ चली गई। नानी पहले ही सो चुकी थी रूम में। रूम में पूरा अंधेरा था, बल्की पो घर में अधेरा था। लाइट शायर ट्रान्सफार्मर से खराब हो गई थी।
मैं और खाला अपनी-अपनी चारपाई में आकर लेट गये। चारपाई हमारी जड़ी हई थी। कुछ देर बाद मैंने अंधेरे में हाथ आगे किया जा खाला की गाण्ड से टकराया। खाला ने अपना हाथ पीछे किया और मेरे हाथ में अपना हाथ रखा, और धीमी आवाज में पूछा- "क्या हुवा बेटा?"
मैंने कहा- "कुछ नहीं.."
खाला मेरे हाथ को सहलाने लगी।
|