RE: Hindi Antarvasna - एक कायर भाई
कामिनी भाभी ने मेरी रूपाली दीदी को अपने हाथों से लाल रंग की लहंगा चोली पहनाई... मेरी दीदी के दोनों बड़े-बड़े रसीले चूचक उनकी चोली में बड़ी मुश्किल से समा रहे थे.. लहंगा भी उनकी नाभि के काफी नीचे बंधा हुआ था... इस दौरान कामिनी भाभी ने मेरी रूपाली दीदी के कामुक अंगो को खूब ... मसला खासकर उनकी गदर आई चुचियों को.. कामिनी भाभी ने मेरी रूपाली दीदी को पीछे से दबोच लिया था और पीछे से झटके दिए जा रही थी जैसे कि मर्द औरत को चोदता है... चंदा भाभी प्रियंका दीदी और बाकी सारी लड़कियां यह नजारा देखकर मुस्कुरा रही थी.. मेरे पेंट में भी तंबू बन गया था.
काले उमड़ते, घुमड़ते बादल, बारिश से भीगी मिट्टी की सोंधी-सोंधी महक, चारों ओर फैली हरी-हरी चुनरी की तरह धान के खेत, हल्की-हल्की बहती ठंडी हवा, मौसम बहुत ही मस्त हो रहा था। हरी, लाल, पीली, चुनरिया, पहने अठखेलियां करती, कजरी और मेले के गाने के तान छेड़ती, लड़कियों और औरतों के झुंड मस्त, मेले की ओर जा रहे थे, लग रहा था कि ढेर सारे इंद्रधनुष जमीन पर उतर आयें हो। और उनको छेड़ते, गाते, मस्ती करते, लम्बे, खूब तगड़े गठीले बदन के मर्द भी…
चंदा भाभी , प्रियंका दीदी, रूपाली दीदी, और कामिनी भाभी और उनके साथ गांव की लड़कियां कजरी, उसकी सहेली, गीता, पूरबी और रमा भी आ गई थीं और उनको घेरे गांव के सारे जवान तगड़े मर्द... दिनेश, सुनील, अजय, रवि और उनके दोस्त मेले की तरफ चल दिए.... मैं अपने दोस्तों के साथ उन सब के पीछे पीछे चल रहा था.... मेरे दोस्तों की निगाहें भी मेरी दीदी और भाभियों की तरफ ही ठीक हुई थी...
हम लोग हँसते खिलखिलाते मेले की ओर चल पड़े। मेले का मैदान एकदम पास आ आया था, ऊँचे-ऊँचे झूले, नौटंकी के गाने की आवाज… भीड़ एकदम बढ़ गयी थी, एक ओर थोड़ा ज्यादा ही भीड़ थी।
मेरे दोस्त ने कहा...“हे उधर से चलें…”
मैं कुछ जवाब देता हूं उसके पहले तब तक भीड़ का एक रेला आया और हम सब लोग उस संकरे रास्ते में धंस गये। मैंने अपने दोस्त का हाथ पकड़ रखा था.. हमारे आगे मेरी रूपाली दीदी ने चंदा भाभी का हाथ पकड़ रखा था और मेले में आगे बढ़ती हुई चली जा रही थी....
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