Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड
02-12-2022, 01:13 PM,
#19
RE: Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड
उधर पायल को देख कर सोनू का और भी बुरा हाल है. उसका लंड पैंट में बेचैन हो रहा है जैसे मानो अभी फाड़ के बाहर आ जायेगा. तभी उमा की नज़र पायल पर पड़ती है. वो चल के पायल के पास आती है. वहां मौजूद सभी को येही लगता है की अब पायल को कपड़े बदलने पडेंगे. रमेश का तो मानो मन के खराब हो जाता है. वो चुपचाप मुहँ बना के दरवाज़े के पास चला जाता है.

उमा : (पायल के गाल पर हाथ रखते हुए) कितनी प्यारी लग रही है मेरी बेटी...

ये सुनकर पायल और उर्मिला के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है. सोनू भी खुश हो जाता है की अब दीदी की बदन को अच्छे से देख पायेगा.

उर्मिला : देख क्या रही है पायल? मम्मी जी के पैर पढ़ ...

पायल उमा के पैर पढ़ती है और उमा उसके सर पर हाथ रखती है.

उमा : जुग-जुग जियो बेटी...

उर्मिला : अब चलिए भी....नहीं तो खाना ख़तम हो जायेगा...

सभी लोग हँसते हुए बहार आते है. बाबूजी दरवाज़े के बाहर खड़े है. उर्मिला बाबूजी को देखती है और धीरे से पायल को बाबूजी के पैर पढ़ने का इशारा करती है. पायल बाबूजी के पास जाती है.

रमेश : बहुत प्यारी लग रही हैं मेरी बिटिया रानी. एकदम परी जैसी.

उर्मिला : बाबूजी...ये तो पापा की परी है...हैं ना पायल ?

पायल भाभी की बात सुन के शर्मा जाती है और नज़रें नीची कर लेती है. उर्मिला सोनू और उमा के पास जा कर बातें करनी लगती है ताकि उनकी नज़र बाबूजी और पायल पर ना पड़े. पायल झुक के बाबूजी के पैर पढ़ती है.

रमेश : हमेश खुश रहो बिटिया...अपने पापा का नाम रोशन करो...

रमेश पायल के कंधो को पकड़ के उसे उठाने लगते है. थोडा ऊपर आते ही पायल की लो कट चोली से उसकी गहराई दिखने लगती है. रमेश के हाथ वहीँ रुक जाते है. पायल भी समझ जाती है की पापा को बहुत समय बाद ये नज़ारा देखने मिल रहा है तो वो भी वैसे ही झुकी रहती है. रमेश उसके कंधो को पकडे, धीरे से एक ऊँगली उसकी बगल में घुसा देता है. ऊँगली घुसाते ही रमेश को अपनी ऊँगली गीले महसूस होती है. वो एक दो बार अपनी ऊँगली पायल की बगल में अन्दर बहार करते है और फिर पायल का कन्धा पकड़ के उसे खड़ा कर देते है.

रमेश : अच्छा बेटी...चलो अब चलते है. गाड़ी में बैठो...

पायल खुश हो कर गाड़ी की तरफ जाने लगती है. रमेश झट से अपनी ऊँगली जो उसने पायल की बगल में डाली थी उसे अपनी नाक के पास ला कर एक जोर की साँसे लेता है. पायल के बगल की पसीने और परफ्यूम की मिश्रित खुशबू उसकी प्यास और बढ़ा देती है.उर्मिला बाबूजी की ये हरकत देखती है और समझ जाती है की बाबूजी की प्यास अपनी चरम सीमा पर है.
---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

१ घंटे बाद:

रमेश गाड़ी चला रहें है और उनके साथ सामने सोनू बैठा है. उमा और उर्मिला पीछे बैठे है और उन दोनों के बीच पायल. गाड़ी के अन्दर माहौल बड़ा ही हास्यपूर्ण हैं. ठहाके गूंज रहे है, और चुटकुलों की बौछार हो रही है. इस माहौल से रमेश का मूड भी ताज़ा हो जाता है. गाड़ी एक बड़े से पंडाल के पास आ कर रूकती है.

रमेश : लो जी.... आ गया हमारा ठीकाना...तुम सब रुको मई गाड़ी आगे लगा कर आता हूँ.

सभी लोग गाड़ी से उतर जाते हैं. पायल उर्मिला भाभी के साथ खड़ी हो जाती है. वहां खड़े और आते जाते सभी मर्द, बूढ़े और लड़के पायल को घुरें जा रहे है.

उर्मिला : (धीरे से ) देख पायल...तेरी जवानी कैसे कहर ढा रही है. एक बार अपना लहंगा उठा दे तो लंडों का बाज़ार लग जायेगा.

पायल : (मुहँ बनाते हुए, धीरे से) मुझे कोई लंड-वंड नहीं लेना किसी भी लंड के बाज़ार से....

उर्मिला : हाँ हाँ...मेरी चुदासन ननद....तुझे जो लंड चाहिए वो तो अभी आ रहा है ना....

तभी गाड़ी पार्किंग में लगा कर रमेश सामने से आते दिखाई देते है.

उर्मिला : ले...आ गया तेरा लंड...

रमेश वहां आते है और सभी पंडाल के अन्दर चले जाते है. पंडाल काफी बड़ा है और शहर से बाहर एक बड़े से मैदान में लगाया गया है. मैदान के सामने चालू सड़क है और पीछे बहुत से पेड़ लगे है, १-२ की.मी. का छोटा सा जंगल ही समझो. अन्दर जाते ही रमेश को कुछ पुराने दोस्त मिल जाते है और वो उनके साथ लग जाते हैं.

उमा : ये शादी में आयें हैं या अपने दोस्तों से मिलने.

उर्मिला : छोड़िये ना मम्मी जी...दूल्हा-दुल्हन से हम ही मिल लेते है. बाबूजी बाद में मिल लेंगे...

उमा मुहँ बनाते हुए उर्मिला, पायल और सोनू के साथ दूल्हा-दुल्हन से मिलने जाती है. माता-पिता और सभी रिश्तेदारों से मिलते मिलाते वो सभी दूल्हा-दुल्हन के पास पहुँचते है. दोनों उमा को देखते ही उनके पैर पड़ने लगते है.

उमा : हमेशा खुश रहो, सदा सुहागन रहो. भगवान तुम दोनों की जोड़ी हमेशा ऐसी हे बनाये रखे....(अपने परिवार की तरफ इशारा करते हुए)...ये मेरी बहु है उर्मिला, ये मेरा बेटा सोनू और ये मेरी बेटी पायल...

तीनो दूल्हा-दुल्हन को बधाई देते है. दुल्हे की नज़र पायल पर टिक जाती है. वो खड़े-खड़े पायल की चोली में झांकने की कोशिश कर रहा है. दुल्हन की नज़र उस पर पड़ती है वो वो उसे आँख दिखा देती है. ये नज़ारा उर्मिला और पायल देख लेती है. दोनों अपने मुहँ पर हाथ रख कर हँसते हुए वहां से निकल लेती है.

उर्मिला : पायल तू तो शादी से पहले ही इनका तलाक करवा देगी.

पायल : मैं क्या करूँ भाभी? वो मुझे देख ही ऐसे रहा था. अब किसी को देखने से तो मैं रोक नहीं सकती ना?

दोनों में हंसी मजाक का दौर चल रहा है और वहां बाबूजी अपने दोस्तों से विदा ले कर दूल्हा-दुल्हन से मिलते है. उनसे मिलने के बाद वो सभी को ढूंढते हुए यहाँ-वहां देखने लगते है. यहाँ उमा सभी के साथ अपने रिश्तेदारों में व्यस्थ है. बातों में पता चलता है की खाने में अभी देर लगेगी. कुछ देर पहले तेज़ हवा चली थी तो खाने में धुल मिटटी चली गई. ये सुन कर सभी का मूड खराब हो जाता है. सभी इस बात से निराश है की अभी और रुकना पड़ेगा. तभी बाबूजी भी वहां आ जाते है.

उमा : आ गए आप? मिल गई फुर्सत?

रमेश : हाँ मिल गई...अब क्या करना है वो बताओ...

उमा : करना क्या है...खाने हवा से धुल-मिटटी चली गई थी. अब तो देर लगेगी....

उर्मिला : रुकना तो पड़ेगा हे मम्मी जी...घर जा कर कौन खाना बनाये?

उमा : हाँ बहु...रुक ही जाते है. चलो .... मैं तुम लोगों को बाकी रिश्तेदारों से मिलवाती हूँ...

पायल उर्मिला का हाथ पकड़ के मुहँ बनाते हुए सर हिलाती है और 'ना' का इशारा करती है. उर्मिला समझ जाती है की पायल का मम्मी जी के साथ जाने का दिल नहीं है.

उर्मिला : चलिए मम्मी जी....अरे पायल...तुझे गोलगप्पे खाने थे ना? जा खा ले....

उमा : अरे बहु ...इसे कहाँ गोलगप्पे खाने भेज रही है? इसे भी साथ चलने दे...

उर्मिला : मम्मी जी...भूकी होगी ना ये बेचारी...घर में हे कह रही थी की भाभी कुछ खाने दे दीजिये ...बड़ी भूक लगी है.

उमा : अच्छा ठीक है...लेकिन ज्यादा इधर-उधर मत घूमना...गोलगप्पे खा कर सीधे आ जाना.

पायल : जी मम्मी जी.... (पायल वहां से चल देती है)

रमेश : उमा...मैं भी अपने दोस्तों के पास हे चला जाता हूँ. तुम औरतों के बीच मैं क्या करूँगा?

उमा : हाँ जी आप भी जाईये .... सबके सामने उतरे हुए मुहँ से तो अच्छा है की आप अपने दोस्तों के साथ ही रहें....

उमा उर्मिला और सोनू के साथ चली जाती है. रमेश भी धीरे धीरे टहलता हुआ सजावट देखते हुए आगे बढ़ता है. उसकी नज़र सजावट को देखते हुए पानी की बड़े से ड्रम की तरफ जाती है. वो पानी पीने के लिए आगे बढ़ता है तभी उसे पायल दिखाई देती है. पायल पंडाल के एक कोने पर कड़ी है. पंडाल का कपड़ा वहां से थोड़ा खुला हुआ है. पायल बाबूजी को देख रही है. बाबूजी यहाँ-वहां देखते है और फिर पायल को देखने लगते है. कुछ क्षण पायल बाबूजी को वैसे ही देखती है फिर अपने दोनों हाथों को उठा कर एक अंगडाई लेती है. बिना बाहं की चोली होने से पायल की बगल दिखने लगती है जिसमे हलके रेशमी बाल दूर से ही दिखाई दे रही है. ये देख कर बाबूजी के मुह में पानी आ जाता है. पायल अंगडाई ले कर बाबूजी को देखते हुए धीरे से पंडाल के उस खुले हुए हिस्से से बहार निकल जाती है. रमेश पानी का गिलास उठा के गटागट पानी पी जाता है और यहाँ-वहां देखता है. जब वो देख लेता है की किसी की नज़र उस पर नहीं है तो वो भी धीरे से उसी जगह से बाहर निकल जाता है. बाहर जाते ही उसकी नज़रें पायल को ढूंढने लगती है. पायल पास ही खड़ी ऊँगली मुहँ में ले कर नाख़ून काट ते हुए कुछ सोच रही है. रमेश की नज़र पायल पर पड़ती है तो वो पायल के पास जाता है.

रमेश : अरे पायल...तू अकेले यहाँ क्या कर रही है बेटी?

पायल : कुछ नहीं पापा....ऐसे ही...

रमेश : (पायल के सर पर हाथ फेरते हुए) ऐसे ही क्या बेटी? कुछ तो बात है. बताएगी नहीं अपने पापा को?

पायल : (पापा की तरफ घुमती है और उतरे हुए चेहरे से कहती है) पापा ...मुझे जोरो की पेशाब लगी है. यहाँ का बाथरूम बहुत गन्दा है. मैं निचे बैठूंगी तो मेरा लहंगा ख़राब हो जायेगा...सोच रहीं हूँ की क्या करूँ..

पायल की बात सुन कर रमेश खुश हो जाता है. वो धीरे-धीरे उसके सर पर हाथ फेरने लगता है.

रमेश : इसमें इतना परेशान होने की क्या बात है पायल? यहीं-कहीं कर ले....यहाँ कौन आ रहा है?

पायल : नहीं पापा...कोई आ गया तो? यहाँ मुझे शर्म आ रही है....

रमेश ख़ुशी के मारे पागल सा हो जाता है. उसकी नज़रें किसी सुनसान ठीकाने को ढूढ़ते हुए यहाँ-वहां दौड़ने लगती है. तभी उसकी नज़र सामने बड़े-बड़े पेड़ो पर पड़ती है. पेड़ों के पीछे अन्धीरा भी है और वो पंडाल से दूर भी है. रमेश की ख़ुशी का ठीकाना नहीं रहता.

रमेश : एक काम कर पायल...वो दूर सामने पेड़ दिखाई पड़ रहे हैं ना...तू वहीँ जा कर पेशाब कर ले. वहां तो ना कोई आएगा और ना ही किसी की नज़र पड़ेगी.

पायल : हाँ पापा....पर वहां तो बहुत अँधेरा है. और मुझे अँधेरे से बहुत डर लगता है.

रमेश : (अपनी मुस्कान पर काबू पाते हुए) कोई बात नहीं बिटिया....मैं चलता हूँ ना तेरे साथ...तू अराम से पेशाब करना और मैं वहीँ तेरे साथ रहूँगा.

पायल : (ख़ुशी से) ठीक है पापा...लेकिन आप ध्यान देना की कोई आने ना पाए....

रमेश : तू चिंता ना कर बेटी...मेरे सिवा और कोई नहीं आएगा...

दोनों बाप बेटी पेड़ों की तरफ बढ़ने लगते है. पायल आगे अपनी चुतड हिलाते हुए चल रही है और पीछे रमेश अपना लंड मसलते. तभी पंडाल के अन्दर डी.जे पर गाना बजने लगता है, "कमरिया ssss, कमरिया ssss, कमरिया कोरे लपालप ...लोलीपोप लागेलु......". गाना सुनते ही पायल को मस्ती सूझती है. वो गाने पर अपनी कमर और ज्यादा दायें-बाएं हिलाते हुए चलने लगती है. उसके पीछे चलते बाबूजी का ये देख कर बुरा हाल हो जाता है. गाने के बोल पर पायल की कमर और चुतड दोनों बराबर से हिल रही है. बाबूजी को पायल की चुतड किसी दो बड़े गोल गोल लोलीपोप की तरह दिख रही है जो आपस में चिपकी हुई है और उनका मन उसके बीच जीभ डाल कर चाटने का कर रहा है. दोनों चलते हुए पेड़ों के पास पहुँच जाते है. रमेश एक बार पेड़ के पीछे जा कर देखते है की वहां से कुछ दीखता है या नहीं. कुछ दिखाई नहीं दे रहा इस बात को सुनिश्चित कर वो पायल से कहते है.

रमेश : पायल बेटी...इस पेड़ के पीछे बैठ कर अराम से पेशाब कर लो. यहाँ से तुम्हे कोई भी नहीं देख पायेगा...

पायल बाबूजी को मुस्कुराते हुए देखती है और अपनी चुतड हिलाते हुए पेड़ के पीछे चली जाती है. बाबूजी पास ही खड़े उसे देखने की कोशिश करते है लेकिन कुछ दिखाई नहीं देता. बाबूजी ने जहाँ सोचा था पायल उस जगह पर नहीं बैठी थी. बाबूजी को अपने आप को एक तमाचा जड़ने की इच्छा हुई. तभी बाबूजी के कानो में पायल की धीमी आवाज़ आती है, "पापा...इधर आएना प्लीज...". पायल की पुकार सुनते ही रमेश का लंड जोर का झटका लेता है. वो तेज़ क़दमों से पेड़ के पीछे जाता है. सामने का नज़ारा देख कर उसके दिल की धड़कन बढ़ जाती है. सामने पायल रमेश की तरफ पीठ कर के पेशाब कर रही है. वो दोनों हाथो से लहंगे को दोनों तरफ से थोडा उठा रखा है. रमेश के कानो में पायल के पेशाब की मोटी धार की "सुर्र्रर्र्र्रर्र्रसुर्र्र्रर्रर" की आवाज़ साफ़ पड़ रही है. कुछ पल वो पायल को देखते हुए पेशाब की उस सुरली आवाज़ को ध्यान से सुनता है, फिर पायल से कहता है.

रमेश : अ..आ...हाँ पायल...क्या हुआ बेटी?

पायल : (थोडा बचपना दिखाते हुए) देखिये ना पापा....मेरा लहंगा पीछे से ज़मीन पर लगा हुआ है...ऐसे तो ये मेरी पेशाब से भीग जायेगा...आप प्लीज इसे ऊपर उठा के रखिये ना....

ये सुनते हे रमेश के चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान छा जाती है. वो एक बार अपने लंड को धोती पर से जोर से मसलता है और यहाँ-वहां देखकर किसी के ना होने की पुष्टि कर धीरे से पायल के पास जाता है.

........................
Reply


Messages In This Thread
RE: Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड - by desiaks - 02-12-2022, 01:13 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,458,965 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 539,670 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,215,170 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 918,883 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,628,828 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,061,060 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,917,038 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,945,145 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 280,878 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Incest Kahani पापा की दुलारी जवान बेटियाँ sexstories 231 6,298,393 10-14-2023, 03:46 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 20 Guest(s)