RE: Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड
पायल भी सर हिला कर उर्मिला की बात मान लेती है. बस अगले स्टॉप की ओर बढती है. सामने बस स्टॉप का नज़ारा देखते ही उर्मिला और पायल की हालत खराब हो जाती है. बस स्टॉप पर बहुत सारे लोग बस का इंतज़ार कर रहे है. पायल और उर्मिला एक दुसरे को मुहँ उतार कर देखते है. आने वाली भीड़ से निपटने की तैयारी करते हुए उर्मिला अपनी कमर रमेश की सीट पर टिका देती है और एक हाथ उठा के ऊपर लगे लोहे के रॉड को पकड़ लेती है. पायल भी रमेश की सामने वाली सीट पर अपनी कमर लगा कर ऊपर वाली रॉड को पकड़ लेती है. स्टॉप पर बस जैसे ही रूकती है, भीड़ जानवरों की तरह बस के दोनों दरवाजों से अन्दर घुसने लगती है. कुछ ही पल में पूरी बस भीड़ से खचा-खच भर जाती है. पायल और उर्मिला के तीनो तरफ लोग आपस में एक दुसरे से चिपके खड़े है. चौथी तरफ बाबूजी सीट पर बैठे है. रमेश भीड़ में उर्मिला और पायल की हालत देखते है पर वो कुछ भी नहीं कर पाते है. भीड़ को देखते हुए उर्मिला मुहँ बनती है. तभी उसकी नज़र पायल के पीछे खड़े एक आदमी पर जाती है तो उसकी आँखे बड़ी हो जाती है. वो वही दो हट्टे-कट्ठे आदमियों में से एक था जिसे उर्मिला ने मंदिर के बाहर हाथ दिखाया था. वो मुस्कुराता हुआ उर्मला को देखते हुए पायल के ठीक पीछे खड़ा था. उर्मिला भी उसे देख कर बनावटी मुस्कान दे देती है. तभी भीड़ में से उसका दूसरा साथी किसी तरह जगह बनता हुआ उर्मिला और पायल के ठीक पास आ कर खड़ा हो जाता है. वो भी उर्मिला को देख कर मुस्कुरा रहा था. उर्मिला की समझ में नहीं आ रहा था की वो क्या करे. पायल भी दोनों को पहचान लेती है और आँखे बड़ी कर के उर्मिला को देखने लगती है. तभी उर्मिला के ठीक पीछे खड़ा एक आदमी कहता है. "और भाई...कैसे हो?". उर्मिला के कानो में जब वो आवाज़ पड़ती है तो उसके दिल की धड़कन बढ़ जाती है. ये आवाज़ उसने पहले भी सुन रखी थी. वो धीरे से अपनी गर्दन घुमा कर तिरछी नज़रों से पीछे देखती है तो उसकी आँखे फटी की फटी रह जाती है. वो आदमी कोई और नहीं, बल्कि वही दुबला पतला मनचला छेदी थे. पायल देखती है तो छेदी उसे देख कर मुस्कुरा रहा है. छेदी की बात का जवाब देते हुए दूसरा हट्टा-कट्ठा मर्द कहता है. "बस भाई...सब बढियां है".
छेदी : भाई कमाल है. इतनी बढियाँ बाडी-शाडी बना राखी है आप दोनों ने और अब तक शादी नहीं हुई ?
दूसरा आदमी : (हँसते हुए) बस लड़की देख रहे है जी...
छेदी की बात सुन कर उर्मिला समझ जाती है की कुछ देर पहले जो उसने झूठ बोल कर छेदी को बेवक़ूफ़ बनाया था, अब वो चोरी पकड़ी गई है. वो चुप-चाप उनकी बाते सुनते हुए खड़ी हो जाती है. येही हाल पायल का भी था. छेदी आगे कहत है.
छेदी : (दोनों हट्टे-कट्ठे आदमियों से) भाई आप दोनों से बस स्टॉप पर बात-चीत करके बड़ा मजा आया. (पायल को घूरते हुए) कुछ लोगों को आपके बारें में गलतफहमी हो गई है. कोई बात नहीं...ठीक है...हो जाता है.
उर्मिला सारी बातें चुप-चाप खड़ी हो कर सुन रही थी. उसकी सारी होशियारी निकल कर हवा हो चुकी थी. पायल भी डरे हुए उर्मिला को देखने लगती है. इन सारी बातों से बेखबर रमेश चुप-चाप सीट पर बैठा है. उसे इस बात की जरा भी भनक नहीं थी की ये सब चल क्या रहा है.
तभी दूसरा बस स्टॉप आ जाता है और बस का ड्राईवर जोरो से ब्रेक लगा देता है. बस एक झटके से रुक जाती है तो उर्मिला के पीछे खड़ा छेदी, उर्मिला से पीछे से चिपक जाता है. पायल भी झटका खा कर पीछे खड़े तगड़े आदमी से टकरा जाती है. छेदी धीरे-धीरे उर्मिला से अलग होता हुआ कहता है.
छेदी : बहुत भीड़ है भाई...बहुत भीड़ है...
रमेश इस घटना को देख लेते है. जिस तरह से एक अनजान आदमी उर्मिला के पीछे से चिपक गया था और जिस तरह से पायल एक अनजान आदमी से पीछे हो कर चिपक गई थी, रमेश को इन बातों पर गुस्सा नहीं आ रहा था. बल्कि रमेश की धोती में सोये हुए लंड में एक हरकत सी होने लगी थी. अपनी ही बहु और बेटी को किसी अनजान मर्दों से चिपकता देख कर रमेश को मजा आया था. इस बात से उर्मिला और पायल दोनों ही अनजान थे.
उस स्टॉप पर भी कुछ लोग बस में घुस जाते है तो बस के अन्दर बुरा हाल हो जाता है. दोनों दरवाजों से घुसती भीड़ की वजह से बस के बीच की जगह का बुरा हाल हो जाता है. लोग एक दुसरे से चिपक जाते है और हिलने डुलने की भी जगह मुश्किल हो जाती है. इस बात का फ़ायदा उठा कर छेदी उर्मिला की बड़ी-बड़ी चुतड पर अपने आगे का हिस्सा चिपका कर खड़े हो जाता है. पायल के पीछे खड़ा तगड़ा आदमी भी पायल की चुतड से चिपक जाता है. दूसरा तगड़ा आदमी अब उर्मिला और पायल के बीच खड़ा हो जाता है और अपना चेहरा उर्मिला की तरफ कर देता है. उर्मिला के पीछे छेदी चिपका खड़ा है और आगे दूसरा तगड़ा आदमी. उर्मिला दोनों के बीच 'सैंडविच' बनी हुई है. पायल के सामने दुसरे तगड़े आदमी की पीठ है और पीछे पहला तगड़ा आदमी. वो भी दोनों के बीच 'सैंडविच' बनी हुई है.
रमेश जब उर्मिला और पायल को इस तरह मर्दों के के बीच फंसा देखते है तो उनके लंड में तनाव आने लगता है. वो बिना कुछ कहे चुप-चाप इस नज़ारे का मज़ा लेने लगते हैं. बस निकल पड़ती है और छेदी उर्मिला के पीछे अपना काम शुरू कर देता है. बस काफी पुरानी है और चलते हुए हिल रही है. बस के इस तरह से हिलने का पूरा फायेदा उठाते हुए छेदी उर्मिला की बड़ी चूतड़ों के बीच अपनी पैंट में बने बड़े से उभार को दबा देता है. अपनी चूतड़ों के बीच किसी मोटे और सक्त चीज़ का अहसास होते ही उर्मिला समझ जाती है की ये छेदी का लंड ही है. वो सोचती है की एक दुबले पतले आदमी का ऐसा मोटा लंड कैसे हो सकता है. लंड को परखने के लिए उर्मिला अपनी चुतड हल्का सा पीछे कर देती है. उर्मिला को इस तरह से चुतड पीछे करते देख छेदी भी अपनी कमर आगे कर देता है और उर्मिला की चूतड़ों के बीच दबाव बना देता है. अब उर्मिला को यकीन हो जाता है की ये छेदी का लंड ही है जो मोटा होने के साथ-साथ लम्बा भी है.
सामने पायल का भी वैसा ही हाल था. उसके पीछे खड़ा तगड़ा आदमी पायल की चूतड़ों के बीच अपना लंड पैंट के अन्दर से चिपकाए खड़ा था. जब भी बस हिल जाती तो वो अपना लंड पायल की स्कर्ट के ऊपर से चूतड़ों पर रगड़ देता. रमेश अब उर्मिला और पायल के साथ हो रही इस घटना का पूरा मजा लेने लगा था. ये सब देख कर उसके लंड में हलचल हो रही थी. तभी बस के सामने एक गाय आ जाती है और ड्राईवर जोर से ब्रेक लगा देता है. ब्रेक लगने से उर्मिला पहले आगे होती है तो उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां सामने वाले तगड़े आदमी के सीने पर पूरी तरह से दब जाती है. पीछे छेदी भी अपनी कमर आगे कर उर्मिला की चूतड़ों के बीच दबा देता है. जैसे ही बस रूकती है तो उर्मिला झटका खाते हुए पीछे हो जाती है. पीछे छेदी अपने लंड का उभार लिए खड़ा था. जैसे ही उर्मिला पीछे हुई, छेदी ने अपने लंड का उभार उर्मिला की चूतड़ों के बीच झटके से घुसा दिया. झटका इतने जोर का था की लंड का उभार उर्मिला की साड़ी के साथ उसकी चूतड़ों के बीच घुस जाता है. अब छेदी का लंड उर्मिला की चूतड़ों में घुसी साड़ी के साथ अन्दर फस हुआ था. उर्मिला भी छेदी के लंड की मोटाई अच्छे से महसूस कर पा रही थी. अब उर्मिला भी मजा लेने लगी थी. छेदी अपने लंड को हल्का सा झटका देता तो उर्मिला भी अपनी चुतड भींच के उसके लंड को पकड़ सी लेती. छेदी भी समझ गया था की अब आगे का रास्ता असान हो गया है.
सामने पायल भी अब उसके साथ होने वाली मस्ती का मजा लेने लगी थी. तगड़े आदमी ने अब अपनी कमर पायल की चुतड से चिपकाए, एक हाथ से उसकी कमर को सहलाना भी शुरू कर दिया था. पैंट के अन्दर से अपने लंड को पायल की स्कर्ट में कैद चूतड़ों पर रगड़ते हुए वो अपने हाथ को कमर से उसके पेट पर लाने लगा था. धीरे-धीरे पायल का पेट सहलाते हुए वो अपनी कमर को पायल की चूतड़ों पर हिलाए जा रहा था. तभी बस के अन्दर जल रही तीन बत्तियों में से पीछे और बीच की बत्तियाँ बुझ जाती है और बस में लगभग अँधेरा सा छा जाता है. एक बत्ती जो ड्राईवर की सीट के पास है, वही जल रही है. बस में अँधेरा होने से रमेश अपनी आँखों पर जोर डालते हुए उर्मिला और पायल के साथ क्या हो रहा है वो देखने लगते है.
अँधेरे का फायेदा उठा के छेदी अब उर्मिला से पूरा चिपक गया था. उर्मिला की कमर में हाथ डाले वो उसके की पिछवाड़े पर निचे से ऊपर अपनी कमर रगड़े जा रहा था. उर्मिला के सामने वाले तगड़े मर्द ने थोडा झुक कर अपना मुहँ उर्मिला की बगल में घुसा दिया था. उर्मिला हाथ उठाये ऊपर रॉड पकडे खड़ी थी और वो मर्द अपना मुहँ उसकी बगल में घुसाए बाहं के निचे ब्लाउज के गीले हिस्से हो सूंघे जा रहा था. उर्मिला के ब्लाउज की बांह छोटी और हाथ ऊपर होने की वजह से उसकी बगल लगभग आधी बाहर दिख रही थी. वो आदमी बगल सूंघते हुए बीच-बीच में छोटी बाहं में जीभ घुसा कर उर्मिला की बालोवाली बगल चाट लेता. पीछे छेदी और आगे तगड़ा आदमी उर्मिला को पूरा मजा दे रहे थे.
सामने पायल की टॉप में तगड़े आदमी ने अपना हाथ घुसा दिया था. टॉप के अन्दर हाथ घुसा के वो पायल के एक दूध को दबोच कर मसले जा रहा था. पायल आँखे बंद किये अपना दूध उस अनजान मर्द से मसलवा रही थी. तेज़ साँसों के साथ पायल मस्ती में मजा ले रही थी की अचानक उसकी नज़र रमेश पर पड़ी. रमेश ये सब घुर के देख रहा था. पायल को सबसे ज्यादा हैरानी तब हुई जब उसने देखा की पापा का एक हाथ धोती के अन्दर है और वो ये सब देखते हुए अपना लंड मसल रहें है. पायल इस बात से हैरान तो हुई लेकिन ना जाने क्यूँ उसे भी इसमें मजा आ रहा था. अपने ही पापा के सामने किसी अनजान मर्द से दूध दबवाने में उसे अब मजा आने लगा था और ये मजा दुगना हो गया था जब खुद उसके पापा भी अपना लंड मसल कर मजा ले रहे थे. पायल का बदन मस्ती में झूम उठा था. रमेश लंड मसलते हुए पायल को देख रहे थे और पायल अपना दूध पराये मर्द से दबवाते हुए पापा को. तभी पापा को देखते हुए पायल ने एक हाथ से अपनी टॉप आगे से थोड़ी ऊपर कर दी तो नीचे सीट पर बैठे रमेश को हलकी सी रौशनी में पायल के बड़े दूध पर एक हाथ घूमता हुआ दिख गया जो बीच-बीच में पायल के दूध को दबोच ले रहा था तो कभी निप्पल मसल दे रहा था. ये नज़ारा देख कर रमेश ने धोती के अन्दर अपने हाथ की गति बढ़ा दी.
तभी अगला बस स्टॉप आ गया और रमेश के साथ बैठी महिला ने चिल्ला कर कहा, "बस रोको भाई. मुझे उतरना है". उस महिला की आवाज़ से छेदी और तगड़े मर्द संभल जाते है और अपना काम छोड़ कर सीधे खड़े हो जाते है. फिर वो महिला रमेश से कहती है. "भाई साहब जरा हटिये. मेरा स्टॉप आ गया है". रमेश उठ जाते है तो वो वहां से बाहर निकलती है. उसके निकलते ही रमेश पायल को इशारा करते है तो पायल झट से अन्दर घुस कर खिड़की वाली सीट पर बैठ जाती है और रमेश अपनी सीट पर बैठ जाते है. पायल को सीट पर बैठता देख तगादा मर्द निराश हो जाता है लेकिन फिर सामने उर्मिला को देख कर मुस्कुराते हुए उसकी दूसरी तरफ खड़ा हो जाता है. अब उर्मिला के पीछे छेदी है, सामने और दूसरी तरफ तगड़े मर्द और एक तरफ बाबूजी बैठे है.
उर्मिला अपने आप को किसी चक्रव्यूह में फंसा हुआ पाती है. उस चक्रव्यूह में कोई तलवार, तीर-कमान या भाले जैसे हथियार नहीं थे, बल्कि लंड और हाथ जैसे हथियार थे जो उर्मिला के बदन को घायल कर रहे थे. लंड और हाथ रुपी इन हथियारों के घाव उर्मिला को पीड़ा नहीं बल्कि उत्तेजना और आनंद से भर दे रहे थे. उसे इस चक्रव्यूह से निकालने वाले अभिमन्यु रुपी बाबूजी खुद इस का एक हिस्सा बने मजा ले रहे थे. जब उर्मिला बाबूजी की तरफ देखती है तो वो आँखे फाड़े धोती में अपना लंड मसलते हुए उसे देख रहे थे. उर्मिला बाबूजी को देखते हुए अपने ओंठ काट लेती है और आँखे बंद किये अपने शरीर को उस चक्रव्यूह के रचेता, छेदी और उन दो तगड़े आदमियों के सामने आत्मसमर्पित कर देती है.
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