Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड
02-12-2022, 01:21 PM,
#42
RE: Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड
उस जंगल में कोई रुकना भी पसंद ना करें और ये तीनो अपनी-अपनी हवस के मारे वहां अपने ही जुगाड़ में लगे थे. उर्मिला और पायल एक दुसरे को देखते है और एक साथ बाबूजी से कहते है...

उर्मिला - ठीक है बाबूजी...

पायल : हाँ ठीक है पापा...

रमेश पायल का हाथ पकड़ लेते है और उर्मिला के साथ यहाँ-वहाँ देखते हुए धीरे-धीरे सड़क से उतरने लगते है. उर्मिला सड़क के दोनों ओर ध्यान रखे हुए है की कोई उन्हें देख तो नहीं रहा है. बाबूजी भी आसपास ध्यान से देख रहे है की कोई है तो नहीं. इसी तरह छुपते-छुपाते तीनो धीरे-धीरे पेड़ के पीछे की झाड़ियों के बीच से होते हुए दूसरी तरफ निकल जाते है. झाड़ियों के उस पार निकलते ही बड़े-बड़े पेड़ हैं जो आपस में कुछ दुरी पर लगे हुए है. पेड़ों से कुछ ही आगे एक बड़ा सा मैदान है जिसके आगे फिर से घना जंगल. रमेश मुड़ के सड़क को देखने की कोशिश करते है तो बीच में घनी झाड़ियाँ है और उसके आगे पेड़. सड़क दूर-दूर तक दिखाई नहीं दे रही है. सामने देखते है तो वो बड़ा सा मैदान और फिर जंगल. रमेश समझ जाते है की यहाँ पर किसी की नज़र नहीं जा पायेगी. वो पायल को ऊपर से निचे घूरते हुए देखने लगते है. पायल भी तेज़ साँसों से पापा को देखने लगती है.

रमेश पायल का हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींच लेते है. पायल किसी कटी पतंग की तरह लहराती हुई पापा की छाती से चिपक जाती है. रमेश पायल के गुलाबी ओंठों को चूसने लगते है. एक हाथ उसकी टॉप में घुसा कर उसके एक दूध को पकड़ कर जोर-जोर से दबाने लगते है. पायल कसमसाती हुई अपनी जीभ बाहर निकाल देती है तो पापा भी अपनी जीभ निकाल कर पायल की जीभ पर घुमाने लगते है. बाप-बेटी की जीभ आपस में एक दुसरे से ऐसे लिपट रही है मानो दो प्यार करने वाले कई सालों के बाद मिले हो. कुछ देर ऐसे हे एक दुसरे की जीभ चाटते और ओंठ चूसते पापा और पायल अपने मुहँ को अलग करते है. दोनों के ओंठ एक दुसरे की लार से भरे हुए है. उर्मिला दोनों को देखती है तो धीरे से कहती है.

उर्मिला : बाबूजी...आप लोग निचे बैठ जाइये...

उर्मिला की बात सुन कर रमेश पायल को बाहों में लिए निचे बैठ जाते है. पापा पायल की टॉप को निचे से दोनों हाथों से पकड़ते है तो पायल अपने दोनों हाथों को ऊपर उठा देती है. पापा धीरे-धीरे टॉप को ऊपर उठा कर पायल के बदन से अलग कर देते है. पायल के दोनों दूध के आजाद होते ही पापा दोनों को अपने हाथों से पकड़ कर आपस में दबा देते है और फिर अपने मुहँ में एक निप्पल भर लेते है. धीरे-धीरे निप्पल को चूसते हुए पापा पायल के दोनों दूधों को दबाने लगते है. पायल मस्ती में आंख्ने बंद किये अपने दोनों हाथों को उठा के अपने बालों को पीछे करने लगती है. पायल का आधा नंगा शरीर पापा के अन्दर जोश पैदा कर रहा था. रमेश उर्मिला की तरफ देख कर कहते है.

रमेश : बहु...जरा पायल की स्कर्ट और पैन्टी उतार देना.

उर्मिला झट से निचे बैठ जाती है और पायल की स्कर्ट खींच कर उतार देती है. और फिर धीरे-धीरे उसकी पैन्टी भी. इस काम में पायल भी अपनी चुतड ऊपर उठा कर उर्मिला की मदद करती है. अब पायल पापा के सामने पूरी नंगी बैठी थी. पापा पायल की जवानी को एक बार अच्छे से देखते है फिर उसे अपने हाथों का सहारा देते हुए ज़मीन पर लेटा देते है. पायल के लेटते ही रमेश उसके पास बैठ जाते है और निचे झुक कर उसके एक दूध का निप्पल अपने मुहँ में भर लेते है. चूसते हुए रमेश पायल का निप्पल मुहँ में पकडे हुए जब अपना सर ऊपर उठाते हैं तो पायल का दूध भी ऊपर उठता चला जाता है. पापा पायल के दूध को मुहँ में भर कर ऐसे खींच रहे थे की दूध के साथ पायल को भी अपना सीना ऊपर उठा देना पड़ रहा था. जब वो दूध को अपने मुहँ में भर कर पूरा ऊपर खींच कर छोड़ते तो पायल का दूध उसके सीने पर टकराकर किसी स्प्रिंग की भाँती उच्चलने लगता. वैसे ही रमेश पायल के दुसरे दूध के निप्पल को भी मुहँ में पकड़ के ऊपर उठा के छोड़ते है तो वो भी पायल के सीने से टकरा कर स्प्रिंग की तरह उच्छलने लगता है. बारी-बारी दोनों दूध के निप्पल से खेल कर रमेश पायल से कहते है.

रमेश : पायल बेटी. गाड़ी में तेरे पीछे वाले छेद की गंध ली थी. मैं तो मदहोश हो गया था. अपने पापा को फिर से सूंघने देगी अपने पिछवाड़े की गंध.

रमेश की बात सुन कर पायल को हैरानी होती है. वो पापा से कहती है.

पायल : पापा सच में आपको मेरे पिछवाड़े के छेद की गंध इतनी पसंद आई?

रमेश : हाँ बेटी...सच. मेरा तो गाड़ी में ही दिल कर रहा था की तेरे पिछवाड़े में अपना मुहँ घुसा कर एक बार अच्छे से सूंघ लूँ.

पायल : उफ़ पापा...!!

रमेश ज़मीन पर सीधे लेट जाते है और पायल से कहते है.

रमेश : आजा बेटी...पापा के मुहँ पर अपनी चुतड खोल के बैठ जा.

पायल खड़ी होती है और जैसे ही रमेश के मुहँ का पास जाने को होती है, उर्मिला उसका हाथ पकड़ लेती है. वो पायल को घुमा कर पीठ रमेश के सर की तरफ कर देती है. पायल भी समझ जाती है की उसे क्या करना है. वो मुस्कुराते हुए पापा के सर की तरफ अपनी पीठ कर के अपने दोनों पैरों को उनके सर के इर्द-गिर्द रख देती है और अपनी चूतड़ों को हांथों से खोले और घुटनों को मोड़े धीरे-धीरे रमेश के मुहँ पर बैठने लगती है. निचे रमेश अपनी जीभ निकाले पायल की खुली चूतड़ों के लिए तैयार है. पायल दोनों हाथों से चूतड़ों को खोले रमेश के मुहँ पर बैठ जाती है. रमेश की जीभ सीधे पायल की गांड के छेद पर लग जाती है. अपनी जीभ को छेद पर घुमाते हुए रमेश धीरे-धीरे पायल की गांड की गंध भी सूंघ रहा है. उस पर मदहोशी छाने लगती है. पायल जब रमेश को पूरा मजा लेते हुए देखती है तो वो भी आगे झुक कर अपने दूध पापा के पेट पर रख देती है और उनके लंड को मुहँ में भर लेती है. पायल के आगे झुकने से उसकी चुतड और भी ज्यादा खुल जाती है और थोड़ी ऊपर उठ जाती है. अब रमेश की आँखों के सामने पायल की गांड का छेद अच्छे से दिख रहा है. रमेश अपनी नाक छेद पर लगा कर जोर से साँस लेता है तो छेद की गंद से वो पागल सा हो जाता है. अपनी कमर को झटके देते हुए वो पायल के मुहँ की चुदाई करने लगता है. बीच-बीच में रमेश पायल की बूर में जीभ डाल कर घुमा देता है तो पायल भी रमेश के लंड को मुहँ में भरे हुए कस कर चूस लेती है. जब पायल मस्ती में अपनी चुतड उठा देती तो रमेश अपने मुह में पायल की बूर भर लेता. रमेश का खुला हुआ मुहँ पायल की बूर को चारों तरफ से घेर लेता और जब वो बूर को चूसते तो बूर के ओंठ रमेश के मुहँ में चले जाते. अपनी बेटी की बूर को चूसने में आज रमेश को बड़ा मजा आ रहा था. बूर से चिप-चिपा पानी निकल कर रमेश में मुहँ में लगातार जा रहा था जिसे वो चूसते हुए निगल रहे थे.

उर्मिला भी पास ही बैठ कर बाप-बेटी की क्रीडा देख रही थी और अपनी बूर में दो उंगलियाँ अन्दर-बाहर कर रही थी. तभी उसकी नज़र सामने खाली मैदान पर जाती है. वो देखती है की २-३ मर्द हाथों में लोटा लिए चले आ रहे है. उसकी जान सुख जाती है. वो झट से बाबूजी और पायल के पास हो जाती है और धीरे से कहती है.

उर्मिला : बाबूजी...वो देखिये..कुछ लोग लोटा लिए चले आ रहे है. चलिए भागिए जल्दी से...

रमेश और पायल हडबडा कर उस ओर देखते है. वो लोग बातें करते हुए मैदान की तरफ आ रहे है. पायल झट से पापा का लंड छोड़ कर खड़ी हो जाती है और अपने कपड़े उठा लेती है. रमेश भी झट से खड़े हो कर अपनी धोती संभालने लगते है. रमेश, उर्मिला और पायल धीरे-धीरे बिना आवाज़ किये झाड़ियों के बीच घुस जाते है. सामने उर्मिला है, बीच में पायल जो नंगी है और हाथ में कपडे लिए और उसके पीछे रमेश. ऐसे नाज़ुक समय में भी रमेश का लंड पायल की नंगी चुतड देख कर खड़ा का खड़ा ही था. धीरे-धीरे चलते हुए तीनो झाड़ियों से निकल कर बड़े-बड़े पेड़ों के बीच आ जाते है. सामने कुछ दुरी पर थोड़ी उंचाई पर सड़क है. पेड़ों के बीच खड़े हो कर पायल जैसे ही अपने कपडे पहनने जाती है, रमेश उसे रोक लेते है.

रमेश : बस २ मिनट रुक जाओ पायल बेटी. (फिर उर्मिला को देखते हुए) बहु...अपनी साडी उठा कर मेरे पास आ जाओ. मुझे बस ५ मिनट लगेंगे. घर पहुँचने का इंतज़ार अब मैं नहीं कर पाउँगा.

उर्मिला भी बाबूजी की बात समझ कर उनके पास आने लगती है. उर्मिला को अपनी बात मान कर पास आते देख रमेश झट से पायल के पीछे बैठ कर उसकी चुतड को हाथों से खोल देता है और अपना मुहँ घुसा कर सूंघने और चाटने लगता है. पायल भी आगे झुक कर पापा को अपनी चुतड सुंघने और चाटने में मदद करती है. तब तक उर्मिला अपनी साड़ी उठाये रमेश के पास आ जाती है. रमेश उर्मिला को देखता है तो झट से खड़े हो कर अपने लंड को एक बार मसलता है और उर्मिला की कमर को दोनों हाथो से पकड़ कर उसे उठाता है. उर्मिला भी उच्छल कर अपनी टाँगे बाबूजी की कमर में लपेट लेती है. रमेश एक हाथ से अपने लंड को उर्मिला की बूर के मुहँ पर रखते है तो उर्मिला बाबूजी की कमर पर अपने पैरों की पकड़ को ढीला करती है. जैसे ही पकड़ ढीली होती है, उर्मिला फिसल कर बाबूजी के लंड पर बैठ जाती है. रमेश का लंड उर्मिला की बूर में घुसता चला जाता है. कुछ हे क्षण में रमेश का लंड उर्मिला की बूर में जड़ तक धंस जाता है. रमेश अपने मजबूर हाथों से उर्मिला की दोनों चूतड़ों को निचे से पकड़ लेते है और उर्मिला उनके लंड पर उच्छालना शुरू कर देती है. रमेश का लंड तेज़ी से उर्मिला की बूर के अन्दर-बाहर होने लगता है. उर्मिला बाबूजी के गले में बाहें डाले उनके लंड पर उच्छल रही है. रमेश भी अपनी कमर को झटके देते हुए पूरा लंड उर्मिला की बूर में पेल रहे है.

पास खड़ी पायल ने तब तक कपडे पहन लिए थे. वो एक बार सड़क पर नज़र डालती है और दूर से किसी गाड़ी की रौशनी दिखाई पड़ती है. वो झट से पलट कर कहती है.

पायल : पापा जल्दी करिए, कोई गाड़ी आ रही है.

पायल की बात सुन कर रमेश अपनी गति बढ़ा देते है. लंड को उर्मिला की बूर में १५-२० बार लगातार पेलने के बाद उनके लंड का पानी बूर में छुटने लगता है. उर्मिला को सीने में दबाये रमेश अपना सारा पानी उर्मिला की बूर में गिरा देते है. पूरा पानी निकलते ही लंड फिसल कर उर्मिला की बूर से निकल जाता है. रमेश उर्मिला को निचे उतार देते है. दोनों के चेहरे पर थकावट साफ़ दिखाई पड़ रही है. रमेश किसी तरह अपनी धोती ठीक करते है और उर्मिला पसीना-पसीना हो कर बिखरे बालों के साथ रुमाल से अपनी बूर पोंछने लगती है. रमेश और उर्मिला की नज़रे मिलती है तो दोनों मुस्कुराते देते है. तीनो चलते हुए सड़क पर आ जाते है. वो गाड़ी पास आती है तो पता चलता है की वो एक ऑटोरिक्शा है. रमेश सड़क पर आ कर उसे रोकते है. औटोवाला ऑटो रोक देता है.

रमेश : कहाँ जा रहे हो भाई?

औटोवाला : (तीनो को आश्चर्य से देखते हुए) मैं तो शहर जा रहा हूँ साब पर आप लोग इस जंगल में क्या कर रहे है.

रमेश : (घबराते हुए) वो...वो..हम...

उर्मिला : (झट से बीच में बोलते हुए) वो क्या है ना भाईसाहब...हमारी गाड़ी ख़राब हो गई थी तो हम लोग बस में आ रहे थे. अब बस में इतनी भीड़ थी की हमारी साँसे फूलनी लगी और हम यहीं पास में उतर गये. सोचा की कुछ मिल जायेगा घर जाने के लिए. अब आधे घंटे से कुछ मिला ही नहीं. वो तो आप इश्वर के रूप में आ गए वर्ना पता नही हमारा क्या होता.

उर्मिला की बात सुनकर औटोवाला खुश हो जाता है.

औटोवाला : अरे आप भी क्या बात कर रही हैं मेमसाब...आईये, बैठिये. मैं आपको घर छोड़ देता हूँ.

तीनो ऑटो में बैठ जाते है. रमेश बीच में बैठे है और दोनों तरफ उर्मिला और पायल. रमेश को उर्मिला पर गर्व महसूस हो रहा था. जितना खूबसूरत शरीर उतना ही उम्दा दिमाग. जितनी रसीली बूर उतना ही तेज़ दिमाग. वो अपना एक हाथ प्यार से उर्मिला की जांघ पर रख देते है. उर्मिला बाबूजी को देख कर मुस्कुरा देती है. पायल भी पापा का हाथ पकडे अपना सर उनके कंधे पर रख देती है. तीनो ऑटोरिक्शा में बैठे घर की तरफ चल देते है.

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RE: Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड - by desiaks - 02-12-2022, 01:21 PM

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