RE: Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड
उर्मिला रमेश को देखते हुए धीरे से अपनी एक ऊँगली दुसरे हाथ की उँगलियों के टाइट छल्ले में डालने की कोशिश करती है तो रमेश समझ जाते है की वो पायल की बूर बहुत टाइट होने का इशारा कर रही है. रमेश भी अपनी एक ऊँगली दुसरे हाथ की उँगलियों के टाइट छल्ले में घुसाने की कोशिश करते है और जोर लगा कर घुसा देते है फिर ३-४ बार जोर-जोर से अन्दर-बाहर कर देते है. उर्मिला भी बाबूजी का पायल की सील तोड़ के उसकी जम के बूर चुदाई करने का इशारा समझ जाती है. दोनों एक दुसरे को देख कर हँसते है और फिर उर्मिला बाबूजी से विदा ले कर स्टेशन के अन्दर जाने लगती है.
उधर पायल काफी देर से बैचैन हो कर पापा के आने का इंतज़ार कर रही है. पापा आयेंगे तो क्या करेंगे ये सोच कर उसकी धड़कने बार-बार तेज़ हो जा रही है. वैसे तो पायल पापा के साथ कई बार मस्ती कर चुकी थी पर ना जाने क्यूँ आज किसी के न होने पर भी उसका दिल घबरा रहा था. उसके अन्दर की बेशर्मी न जाने कहाँ चली गई थी. पापा के आने के खयाल से ही वो शर्मा जा रही थी. सोफे पर बैठे हुए उसकी नज़रे हर गुजरती गाड़ी को आशा भरी नज़रों से देखने लगती. तभी एक गाड़ी की आवाज़ से उसके चेहरे पर मुस्कान आ जाती है. वो झट से खिड़की से झांक कर देखती है तो पापा की गाड़ी गेट के अन्दर घुस रही है. उसकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहता है.
रमेश गाड़ी से उअतर कर गेट बंद करते है और दरवाज़े के पास आते है. वो जैसे हे दरवाज़े की घंटी बजने के लिए हाथ उठाते है, दरवाज़ा खुलता है और सामने पायल शर्माते हुए खड़ी है. पायल को देख कर रमेश के चेहरे पर भी मुस्काम आ जाती है. वो अन्दर आते है और दरवाज़ा अन्दर से बंद कर देते है. अपने हाथ की दोनों पन्नी टेबल पर रख कर वो सोफे पर बैठ जाते है. पायल दौड़ कर रसोई में जाती है और एक गिलास में ठंडा पानी ला कर रमेश को देती है.
पायल : पापा...! पानी पी लीजिये...
रमेश गिलास लेते हुए पायल की ऊपर से निचे घुर कर देखते है. पापा की इस खा जाने वाली नज़र से पायल शर्म से लाल हो जाती है.
रमेश : पायल बेटी. अब तो २ दिनों तक घर में सिर्फ हम दोनों अकेले है. बहुत दिनों से मैंने अपनी प्यारी बिटिया के साथ वक़्त नहीं बिताया. अब पूरे २ दिनों तक मैं अपनी पायल के साथ ही रहूँगा. ना कोई कसरत, ना कोई टहलना. सिर्फ मैं और मेरी पायल बिटिया. ठीक है ना बेटी?
रमेश की बात सुन कर पायल शर्मा जाती है. अपनी नज़रे झुका कर शर्माते हुए पायल कहती है.
पायल : हाँ पापा. ठीक है. अब २ दिनों तक में भी टीवी नहीं देखूंगी और पढ़ाई भी नहीं करुँगी. सिर्फ अपने पापा के साथ ही रहूंगी.
दोनों एक दुसरे की तरफ देखते है. दोनों की आँखों में प्यार के साथ-साथ हवस भी दिखाई पड़ रही थी. कुछ देर वैसे ही नज़रों से बातें करने के बाद रमेश खड़े होते है.
रमेश : अच्छा पायल ये तुम्हारी भाभी ने कुछ तुम्हारा सामान दिया था, देख लो. मैं कपडे बदल के आता हूँ. फिर दोनों बाप-बेटी अराम से बातें करेंगे. अब तो २ दिनों तक कोई रोकने-टोकने वाला भी नहीं है.
पायल : (मुस्कुराते हुए) जी पापा..
रमेश के जाते ही पायल टेबल पर रखी एक पन्नी खोल कर देखती है तो उसमे माला-डी की गोलियां है. वो देखते ही पायल थोड़ी शर्मा जाती है और भाभी को याद कर के वो मुस्कुरा देती है. तभी उसकी नज़र दुसरी पन्नी पर पड़ती है. उत्सुकता से वो उस पन्नी में हाथ डालकर उसमे रखी एक शीशी बाहर निकालती है. जैसे ही उसकी नज़र उस शीशी पर पड़ती है तो उसकी आँखे फटी की फटी रह जाती है. शीशी पर बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा हुआ था - 'शीलाजीत - एक्स्ट्रा पॉवर'.
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
|