XXX Kahani छाया - अनचाहे रिश्तों में पनपती कामुकता
04-11-2022, 01:20 PM,
#13
RE: XXX Kahani छाया - अनचाहे रिश्तों में पनपती कामुकता
छाया और उसकी सहेलियां
छाया के साथ मैं अब अक्सर बाहर जाने लगा था. हमारे पास घर से बाहर जाने के कई बहाने थे. छाया के वस्त्र भी अब समय के अनुसार बदल चुके थे. अब वह जींस और टीशर्ट में आ चुकी थी. पतली टाइट फिट जींस और ढीला टॉप उसे बहुत पसंद था. वह जानबूझकर अपने टॉप को अपने कूल्हों तक रखती थी ताकि वह एक संस्कारी युवती लगे.
छाया पर बीसवां साल लग चूका था. मन ही मन वह कामुक थी पर बाहर से एक दम सौम्य थी. जब भी मैं उसे बाजार या किसी शॉपिंग मॉल में ले जाता अक्सर लोगों की निगाहें हम पर ही रहती वह अत्यंत खूबसूरत थी.
एक बार हम मॉल में घूम रहे थे तभी छाया की कॉलेज की कुछ सहेलियां वहां आ गई. उसे मेरे साथ देख कर उन्होंने छाया को छेड़ा..
‘अरे वाह हमारी परी को उसका राजकुमार मिल गया “ छाया शर्मा गई (विशेषकर राजकुमार शब्द पर) परंतु मुस्कुरा कर उनकी बात टालने की कोशिश की पर वह सब मुझसे मिलने को आतुर थीं. छाया ने मजबूरी बस उनका परिचय मेरे से कराया. छाया ने कहा..
“यह मानस जी हैं” इसके आगे वह कुछ बोलती उसकी एक सहेली बोली
“और यह छाया के बॉयफ्रेंड हैं” यह कहकर बाकी सहेलियों के साथ हंसने लगी. मैं भी मुस्कुरा दिया. उन्होंने स्वयं ही हमारा और छाया का रिश्ता अपने विवेक के हिसाब से चुन लिया था. मुझे इसमें कोई आपत्ति नहीं थी. उन्होंने मुझे छेड़ा..
“मानस जी छाया इतनी कोमल है और आप इतने हष्ट पुष्ट
हैं अपनी शक्ति वहां कम ही लगाइएगा वरना हमारी छाया आनंद लेने की बजाय घायल हो जाएगी” वो सब फिर से हंसने लगीं.
छाया ने आज तक अपनी किसी सहेली को घर पर नहीं बुलाया था. यह उसकी समझदारी ही थी अन्यथा किसी अन्य व्यक्ति को हमारे रिश्ते को समझा पाना थोड़ा कठिन होता.
ऐसे खुशकिस्मत लोग बहुत कम मिलेंगे जिनकी प्रेमिका उनके साथ एक ही छत के नीचे रह रही हो और प्रेम लीला में पूरी तरह संलग्न हो.
मैं भी अब ज्यादा खुल चुका था. मैं छाया को लेकर उसकी सहेलियों की पार्टियों में जाने लगा. पार्टियों में हमने तरह- तरह के दृश्य देखे लड़कियों का अर्धनग्न पहनावा और मदिरा पीकर पार्टियों में बिंदास थिरकना छाया के लिए बिल्कुल नयी चीज थी. वह कभी उन लड़कियों की ओर देखती कभी मेरी ओर जैसे जानना चाहती हो कि मुझे क्या अच्छा लगता है.
अगले शनिवार छाया की प्रिय सहेली पल्लवी की जन्मदिन पार्टी थी. उसने अपने कुछ चुनिंदा दोस्तों को बुलाया था. मैं और छाया भी उस पार्टी के लिए अपना मन बना चुके थे. दरअसल इस पार्टी में आने वाले सभी लड़के लड़कियां जोड़े में थे. पार्टी बेंगलुरु शहर से दूर एक खूबसूरत फार्म हाउस में थी. मैंने वह फार्म हाउस पहले भी देखा था. पल्लवी ने छाया को पहले ही बता दिया था की पार्टी के बाद रात में वहीं
रुकना है तथा अगली सुबह वापस आना है.
मुझे लगता था छाया इसी बात से उत्साहित थी. मैं छाया को लेकर बाजार गया और उसके लिए एक बहुत ही खूबसूरत स्कर्ट और टॉप लिया. मैंने अपने लिए भी अच्छे कपड़े ले लिए थे. अब माया जी की अनुमति की जरूरत थी. आखिरकार छाया को पूरी रात घर से बाहर रहना था. छाया ने माया जी को समझाने की कोशिश की “वहां सिर्फ मेरी सहेलियां है हम लोग रात भर बातें करेंगे और सुबह वापस आ जाएंगे”
माया जी छाया को अकेले भेजने में घबरा रही थी. मैं उनकी घबराहट देखकर बोला...
“ आप चिंता मत करिए मैं छाया को वहां पहुंचा भी दूंगा और सुबह लेते हुए आऊंगा. मेरा एक दोस्त वहीं पास में रहता है. मैं रात को वहीं रुक जाऊंगा.”
मेरे इस आश्वासन पर वह खुश हो गई . शनिवार को हम लोगों की छुट्टियां थी. छाया को कॉलेज नहीं जाना था और मुझे ऑफिस. माया जी जैसे ही पूजा करने के लिए हमारी सोसाइटी के मंदिर की तरफ निकलीं छाया ने दरवाजा अंदर से बंद कर लिया और मुझसे आकर लिपट गई वह बहुत खुश लग रही थी. उसने मुझे बताया….
“पार्टी में आने वाली कुल 8 - 10 सहेलियों में से अधिकतर का कौमार्य भेदन हो चुका है. पर पल्लवी ने भी अपना कौमार्य अभी तक सुरक्षित रखा है.”
मुझे लगा छाया से पल्लवी की गहरी दोस्ती मैं यही राज होगा. मैंने छाया से मजाक किया “ यदि कभी प्रेम के अतिरेक में राजकुमार ने तुम्हारा
कौमार्य भेदन कर दिया तब?”
उसने प्रेम पूर्वक कहां “राजकुमार स्वयं यह कार्य नहीं करेगा इसका मुझे पूरा विश्वास है पर यह दुष्ट राजकुमारी ही बेचैन रहती है यही खुद अपना भेदन न करा ले मुझे इसी बात का डर रहता है”
उसने अपनी राजकुमारी को एक प्यारी ही चपत लगायी और हँस पड़ी. इन बातों के दौरान ही मेरा राजकुमार उसके हाथों में आ चुका था उसने राजकुमार को पायजामे से बाहर निकाल लिया और उसे सहलाने लगी. उसने उसके आकार को नापने की कोशिश की वह उसके पंजे से बड़ा था. उसकी मोटाइ नापने की कोशिश में उसने अपनी तर्जनी और अंगूठे को मिलाकर राजकुमार को उसके अन्दर लेना चाहा पर सफल नहीं हुइ. उसने मुझे मुस्कुराते हुए बताया मेरी सहेलियां इस बारे में बात करती हैं इसलिए ही मैं अपने राजकुमार का नाप ले रही थी. इस नापतोल में राजकुमार स्खलित होने के लिए मन ही मन तैयार हो गया था. छाया को शायद राजकुमार की इस मंशा का अंदाजा नहीं था उसने उत्तेजित अवस्था में ही उसे पायजामा में डालने की कोशिश की पर वह टस से मस ना हुआ..
जैसे जिद्दी बालक ठान लेने पर खिलौने की दुकान से नहीं हटता है.
छाया मुस्कुराई और राजकुमार को अपने दोनों हाथों में लेकर हिलाना शुरु कर दिया. वह इस कला में पारंगत हो गई थी कुछ ही देर में
राजकुमार ने वीर्य दान कर दिया उसकी सारी अकड़ ठंडी हो चुकी थी. छाया ने राजकुमार को प्यार से एक चपत लगाई और वापस उसे पायजामें में बंद कर दिया. छाया के हाथ वीर्य से सुने हुए थे. उसने अपने हाथों को देखा और सोचा अब इसका क्या करूं. मेरी आंखों में देखते हुए वह अपना हाथ अपने टॉप के नीचे से अपने स्तनों पर ले गई और सारा वीर्य वहीं पोछ दिया. उसे पता था मुझे यह बहुत पसंद है.
मैंने छाया को किस किया वह मुस्कुराती हुई नहाने चली गई. मैंने रात के खाने के लिए माया जी की पसंद का खाना मंगवा दिया था. छाया तैयार हो रही थी माया जी, छाया की मदद कर रही थी. कुछ ही देर में हम दोनों टैक्सी की पीछे वाली सीट पर थे. मेरी कद काठी और हष्ट पुष्ट शरीर छाया के सौंदर्य को टक्कर देता था. हम दोनों किसी नायक नायिका से काम नहीं थे.
छाया आज चमकदार वस्त्रों में बहुत खूबसूरत लग रही थी. उसकी त्वचा अब भी उतनी ही कोमल थी बल्कि उसमे और निखार आ गया था. उसके साथ छेडछाड करते समय कई बार उसके शरीर पर मेरी उंगलियों के निशान पड़ जाते जिन्हें देखकर मैं दुखी हो जाता. मुझे अफसोस होता कहीं मैंने उसके साथ ज्यादती तो नहीं कर दी. वह तुरंत ही मुझे चुंबन देकर प्यार से बोलती अरे ठीक हो जाएगा. मैंने छाया की तरफ देखा वह खिड़की से बेंगलुरु शहर को निहार रही थी.
उसके जीवन में पिछले तीन-चार सालों में इतना परिवर्तन आया था जिसकी उसने कल्पना भी नहीं की थी. हमारी टैक्सी एक बड़ी सी हवेलीनुमा घर के दरवाजे पर रुकी. दरबान हमारी तरफ आया. छाया ने
खिड़की खोल कर पल्लवी का नाम लिया. उसने अपने साथी को इशारा कर बड़ा सा गेट खोल दिया. अंदर पहुंचकर टैक्सी रुक गई.
पल्लवी हम दोनों का इंतजार कर रही थी. हम सब एक बड़े से हॉल में आकर अपने लिए निर्धारित सोफे पर बैठ गए. बाकी सारी लड़कियां भी अपने दोस्तों के साथ आ चुकी थी. मैंने एक सरसरी निगाह से हॉल में उपस्थित छाया की सहेलियों और उनके पुरुष मित्रों को देखा. छाया की अधिकतर सहेलियों के पुरुष मित्र मेरे हम उम्र ही थे शायद उस समय तक लड़के और लड़की में उम्र का अंतर लड़कियों को भी उतना ही स्वीकार्य था.
पुरुष तो स्वभाव से ही अपने से कम उम्र की लड़की ही पसंद करता है.
पल्लवी ने हम सबका परिचय करवाना चाहा इसके लिए उसने बड़ा ही अजीब तरीका अपनाया. हम सभी अपनी अपनी प्रेमिकाओं के साथ सोफे पर बैठे हुए थे. सोफा गोल घेरे में लगा हुआ था. बीच में एक लाल रंग का कारपेट रखा था. पल्लवी के नियमानुसार प्रत्येक पुरुष को अपनी प्रेमिका को अपनी गोद में उठाकर लाना था तथा अपना और
अपनी प्रेमिका का नाम बताना था. साथ में यह भी बताना था कि उन्होंने पहली बार संभोग कब किया था. और उस समय उनकी उम्र कितनी थी. सभी खिलखिला कर हंस पड़े.
बारी बारी से लड़के अपनी अपनी प्रेमिकाओं को गोद में उठाकर लाते और अपना परिचय देते. पहले संभोग के बारे में बताते हुए लड़कियों का चेहरा लाल हो जाता. उनके विवरणों से एक बात तो स्पष्ट हो गई थी कि शहरों में कौमार्य भेदन के लिए सुहागरात की प्रतीक्षा न थी. शहर की लड़कियों ने अपना कौमार्य पहले ही खो दिया था. और अब वह खुलकर सम्भोग सुख ले रहीं थीं .
अंततः हमारी बारी भी आ गई मैंने छाया को अपनी गोद में उठाया और लाल कारपेट पर लेकर जाने लगा. स्कर्ट का कपड़ा इतना मुलायम था मुझे लगा जैसे मैंने छाया को बिना स्कर्ट के ही पकड़ लिया हो. उसकी जांघें मेरे दाहिने हाथ में थी तथा बाया हाथ उसकी पीठ पर को सहारा दिया हुआ था मेरी हथेली उसके बाए स्तन की पास थीं. छाया का
चेहरा मेरे चहरे के समीप था. चलते समय हमारे गाल कभी कभी एक दूसरे में छू रहे थे. सभी लड़कियां तालियां बजा रहीं थी. मैंने पहुंचकर अपना परिचय दिया. छाया की बारी आने पर वह शरमाते हुए बोली हमने आज तक संभोग नहीं किया है. कहकर मेरे गालों पर चुंबन जड़ दिया और मुस्कुराने लगी. सभी लड़कियां जोर-जोर से “क्यों क्यों” कह कर चिल्लाने लगी. छाया ने जी बड़ी चतुराई से कहा.
“मेरी राजकुमारी अभी इनके हष्ट पुष्ट राजकुमार के लिए तैयार हो रही है” इतना कहकर वह मेरे गोद से उतर गयी.
हम दोनों सब का अभिवादन करते हुए वापस अपनी सीट पर बैठ गए. पल्लवी भी अपने पुरुष मित्र के साथ आई और अपना परिचय दिया. पल्लवी ने एक अनोखी बात बताई..
“ दोस्तों मैंने आज तक संभोग नहीं किया पर आज जरूर करूंगी यह पार्टी मैंने इसी उपलक्ष्य में दी है. सभी लोग उठकर खड़े हो गए और पल्लवी का जोरदार अभिवादन किया.”
कुछ ही देर में हम सब आपस में घुलने मिलने लगे. हम लोगों ने थोड़ी-थोड़ी वाइन पी और तरह तरह की बातें करने लगे. छाया अपनी सहेलियों के पास चली गई थी. वो सभी वहां हंसी मजाक कर रही थी. कुछ ही देर में हम वापस हाल में आ चुके थे और अपनी अपनी प्रेमिकाओं के साथ डांस कर रहे थे. छाया ने मुझे बताया कि सारी लड़कियों ने थोड़ी-थोड़ी वाइन पी थी पर मैंने नहीं ली. मैंने उसका
उत्साहवर्धन किया यदि तुम्हें इच्छा हो तो मैं तुम्हारा साथ दे सकता हूं.
वह मुस्कुराइ और हम दोनों बार काउंटर की तरफ चल पड़े हमने वाइन ली और पास लगे टेबल पर बैठकर एक दूसरे के हाथों में हाथ डाले वाइन पीने लगे सीमा को उसका स्वाद कुछ अटपटा सा लगा पर उसकी परवाह किये बिना उसने धीरे धीरे अपना ग्लास ख़त्म कर लिया.

निराले खेल
हम वापस हाल में आकर डांस करने लगे. धीरे धीरे पार्टी में कामुकता बढ़ती जा रही थी. अमूमन सभी लड़कों ने अपनी प्रेयसीओ के या तो नितंब या स्तन पकड़ रखे थे और उन्हें बेसब्री से सहला रहे थे. कुछ ने उनके होंठ भी अपने होठों में ले रखे थे. कुछ लड़कियों के हाथ अपने पुरुष मित्रों की जांघों पर घूम रहे थे. इस कामुक माहौल में हमारी भी स्थिति कमोबेश यही थी. वाइन का असर छाया पर क्या हुआ था यह अनुत्तरित था पर वह बहुत खुश थी और मुझसे लता की तरह लिपटी हुई मेरे होंठों को चूस रही थी.
म्यूजिक बंद होने पर सब अलग अलग हुए एक लड़की ने माइक पकड़ा और मुस्कुराते हुए बोली…..
“मैं अपनी सहेलियों की स्थिति समझ सकती हूं इतनी देर तक आलिंगन बंद होकर डांस करने से हम सभी के मन में अलग भावनाएं आ रही होंगी. आप सब अपने अपने कमरे में जाकर १५ मिनट में अपनी भावनाएं शांत कर ले.” यह कहकर वह हंसने लगी..
“हॉल में लगी हुई बड़ी घड़ी की तरफ इशारा करके उसने कहा कि जो युगल 11:30 तक इस हाल में वापस नहीं आएगा उसे एक प्यारा सा दंड मिलेगा.
सभी ने कौतूहल से पूछा ..
“ क्या ”
“ उसे पार्टी खत्म होने तक अपने अधोवस्त्रों में ही रहना पड़ेगा और यह लड़का और लड़की दोनों पर लागू होगा सभी खिलखिला कर हंस पड़े”
सभी अपनी अपनी प्रेमिकाओं को लेकर अपने अपने कमरे की तरफ गए. मैं और छाया भी अपने कमरे में आ चुके थे. होटल के कमरे की साज-सज्जा सुहागरात के बेड जैसी ही थी सिर्फ फूलों की सजावट नहीं थी. पलंग के दोनों तरफ दो सुंदर ताजे फूलों के गुलदस्ते रखे हुए थे. पल्लवी ने अपने कौमार्य भेदन को एक उत्सव में बदल दिया था. छाया मेरे पास आई. मैंने उसे अपने आलिंगन में लिया उसकी स्कर्ट
को ऊपर कर मैंने उसकी पैंटी निकाल दी. उसने भी अपने पैर झटक कर उसे बाहर कर दिया. हमारे पास समय बहुत कम था. मैं भी अपने पेंट को ढीला कर घुटने तक ले आया.
छाया अब मेरी गोद में बैठ चुकी थी. उसके दोनों पैर मेरे कमर में लिपटे हुए थे. राजकुमारी राजकुमार से सटी हुई थी. नृत्य के दौरान राजकुमारी में गीलापन आ चुका था जो उसकी दरारों से निकलकर मेरे राजकुमार पर लग रहा था. हम दोनों अपनी कमर को हिलाने लगे. हमारे होंठ एक दूसरे से चिपके हुए थे. मैं एक हाथ से सीमा के नितंब सहला रहा था और दूसरे हाथ से सीमा की पीठ को सहारा दिया हुआ था. हॉल में हुई कामुक बातें और अत्यंत कामुक माहौल ने हम दोनों
को तुरंत ही स्खलित कर दिया.
स्खलित होने से पूर्व छाया ने बेड के पास पड़ा हुआ टावेल उठाकर अपनी नाभि के समीप रख लिया था. वो बहुत समझदार थी. स्खलन के पश्चात उसने जल्दी-जल्दी प्रेम रस को साफ किया. हमने देखा
11:25 हो चुके थे. हम जल्दी-जल्दी हॉल की तरफ भागे . जल्दी में दरवाजा बंद करना भी भूल गए. हम तेजी से भागते हुए हॉल में आ गए और अपने सोफे पर बैठ गए.
घड़ी में 11:30 बजते ही अलार्म बज गया. सभी हॉल में आ चुके थे सिर्फ सलमा और अब्दुल ही सीढ़ियों पर रह गए थे. देर हो चुकी थी. माइक पकड़ी हुई लड़की ने बोला..
“सलमा और अब्दुल आप लोग देर से आए हैं आप रेड कारपेट पर आ जाएं”. वो दोनों सर झुकाए रेड कारपेट पर आ चुके थे.
“शर्तों के अनुसार आपको पार्टी में अपने अधोवस्त्रों में ही रहना होगा. कृपया इसे दंड न समझे आप दोनों ही अत्यंत सुंदर हैं. आपको आपके अधोवस्त्रों में देखकर हमें खुशी होगी” चारों तरफ से आवाजें आने लगी सलमा और अब्दुल ने वस्त्र उतार दिए सलमा ब्रा और पैंटी में आ चुकी थी.
सलमा सुंदर तो थी ही इस अवस्था में सारे लड़कों की निगाह उसके स्तनों की तरफ चली गई. उसके स्तन इस पार्टी में उपस्थित सभी लड़कियों में सबसे बड़े थे. बाकी लड़कियों ने अपने अपने पुरुष मित्रों के गाल पर चपत लगाई और उनका ध्यान सलमा के स्तनों से हटाया.
अचानक मोना ने एक और घोषणा की उसने कहा...
“ जिस लड़की ने अपनी पैंटी न पहनी हो वह रेड कारपेट पर आ जाए. मैंने छाया की तरफ देखा वह घबरा गई थी. छाया ने अपने पैर एक दूसरे पर चढ़ा लिये. उसे अपनी पैंटी वहीं छोड़ आने का बड़ा अफसोस हो रहा था. मोना ने फिर से कहा…” देर करने पर सजा मिलेगी यह
कह कर हंसने लगी.”
छाया अब उठ खड़ी हुई और रेड कार्पेट पर आ गयी. सब लोग जोर जोर से हंसने लगे. मोना ने छाया की लाल पेंटी को दोनों हाथ से सभी को
दिखाते हुए मुझसे पूछा मानस क्या यही छाया की पेंटी है?
मुझे हां कहना पड़ा. उसने कहा “तो आइए और जैसे आपने अपने हाथों से उतरा था उसे वापस पहनाइए. इस तरह पानीअपनी प्रेमिका को नग्न रखना उचित नहीं है”
सभी जोर जोर से हँस रहे थे. छाया सर नीचे किये हुए मुस्कुरा रही थी. मैं कारपेट की तरफ चल पड़ा मेरे पास कोई चारा नहीं था. देर करने का मतलब सब की हूटिंग का पात्र बनना था. मैं छाया के पास पहुंचा उसे प्रपोज करने के अंदाज में नीचे बैठा और उसकी पैंटी को अपने दोनों हाथों से पकड़ा. वह अपना एक पैर ऊपर उठाई और पेंटी से पास करते हुए हुए जमीन पर रख दी. इसी प्रकार उसने दूसरा पैर भी डाल दिया. मैं उसकी पैंटी को उसके टखनों से ऊपर उठाता हुआ उसकी पिंडलियों और जांघों के रास्ते उसे कमर तक ले आया. इस दौरान मेरे लिए सबसे बड़ा कार्य यह था की सीमा के गोरे और कोमल नितम्बों के कोई और दर्शन ना सके. पर सावधानी के बाद भी कुछ लालची पुरुषों ने उसके नितम्ब देख लिए. पीछे से आवाजे आ रही थीं “बधाई हो मानस सच में छाया बहुत सुन्दर हैं” हम दोनों शर्मा गए और वापस अपनी जगह पर आ गए.
पार्टी फिर शुरू हो चुकी थी मैंने और सीमा ने वाइन का एक एक गिलास और ले लिया. मैंने यह अनुभव किया कि अधिकतर लड़कियां लहंगा स्कर्ट मिनी स्कर्ट आदि पहने हुई थी. हो सकता है सभी लड़कियों ने मिलकर यह निर्धारित किया हो. कुछ ही समय में हम सभी डांस फ्लोर पर थे.
अपनी प्रेयसी को आलिंगन में लिए हुए नृत्य करने का सुख हम सभी उठा रहे थे. छाया मेरे होठों को तेजी से चूस रही थी तथा मुझे अपनी और खींच रही थी. उसके हाथ मेरे राजकुमार को बीच-बीच में सहला दे रहे थे. अचानक मोना
की आवाज फिर से गूंजी उसने कहा..
“ दोस्तों आज हमारी पल्लवी अपना कौमार्य खोने जा रही है. आप सब भी बेसब्र हो रहे होंगे इसी उम्मीद के साथ मैं इस पार्टी की समाप्ति की घोषणा करती हूं.”
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RE: XXX Kahani छाया - अनचाहे रिश्तों में पनपती कामुकता - by desiaks - 04-11-2022, 01:20 PM

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