RE: XXX Kahani छाया - अनचाहे रिश्तों में पनपती कामुकता
वर्षो बाद सीमा के साथ.
[मैं मानस ]
बालकनी से उठकर मैं भी कमरे में आ गया था. सीमा दरवाजे की चिटकिनी लगाकर मुड़ी ही थी कि मुझसे नजरें मिलते ही उसने अपनी नजरें झुका ली. उसे चिटकिनी लगाते देखकर मैंने हमारे बीच होने वाले घटनाक्रम को अंदाज़ कर लिया था. वह नजरें झुकाए खड़ी थी. मैं धीरे-धीरे उसके पास गया और उसका हाथ पकड़ लिया. इससे पहले कि वह कुछ बोल पाती मैंने उसके माथे पर चुंबन जड़ दिया. कुछ ही देर में हम दोनों एक दूसरे के आलिंगन में थे.
[मैं सीमा ]
आज लगभग 4-5 वर्ष बाद मैं मानस के साथ थी. हम दोनों ही काफी बदल गए थे. सोमिल से मेरी आखिरी मुलाकात आज से लगभग २-३ वर्ष पहले हुई थी. मैंने उसके बाद किसी और पुरुष से कोई संबंध नहीं रखा था. सोमिल की यादें मेरे जेहन में अभी भी ताजा थी. धीरे-धीरे हम दोनों एक दूसरे से प्यार कर बैठे थे. पर शायद नियति को यह मंजूर नहीं था. वह अचानक मेरी जिंदगी से दूर चला गया था और मैं चाह कर भी उसको नहीं ढूंढ पाई. मुझे नहीं पता कि वह मुझे ढूंढ रहा था या नहीं पर इस दूरी को खत्म करने का कोई उपाय नहीं बचा था . मेरे माता-पिता का दबाव मुझ पर लगातार बढ़ रहा था. उनकी इच्छा थी कि मैं शादी कर लूं. हालांकि मेरी उम्र अभी बाईस वर्ष की ही थी पर माता-पिता की नजरों में बेटियां शायद जल्दी बड़ी हो जाती है. वह मेरी शादी के लिए बहुत ही उत्सुक थे. उन्हें सोमिल से कोई दिक्कत नहीं थी परंतु वह तो ईद की चांद की तरह गायब हो गया था. मानस को अपना जीवनसाथी बनाना मेरे लिए गर्व की बात थी. पर वह मुझे किस प्रकार की लड़की समझते थे यह मेरे लिए प्रश्न चिन्ह था? मैंने किशोरावस्था में ही उसके साथ आगे बढ़कर सेक्स संबंध कायम किए थे यह मुझे अब लगता था कि लड़कियों को ऐसा नहीं करना चाहिए. मुझे लगता था मानस मुझे थोड़ी बदमाश टाइप की लड़की समझते होंगे. परंतु इस शादी के लिए उसने मुझे स्वीकार कर लिया था. मैं बहुत खुश थी और आज उसकी बाहों में लिपटी हुए उसके चुम्बनों का जवाब दे रही थी.
कुछ ही पलों में हमारे कपड़े एक दूसरे के शरीर से अलग होते चले गए. कौन किसके कपड़े कब खोल रहा था इसका हम दोनों को होश न था. शायद मानस को भी अपनी प्रेमिका से बिछड़े काफी समय हो चुका था और मैं तो किसी पुरुष शरीर को लगभग २-३ साल बाद छू रही थी. आगे क्या होने वाला था मुझे खुद नहीं पता पर मैंने दृढ़निश्चय किया हुआ था कि अपना कौमार्य विवाह के पहले भंग नहीं होने दूँगी. कुछ ही पलों में हम पूर्ण नग्न अवस्था में थे. मेरा हाथ मानस के राजकुमार को अपने आगोश में लिया हुआ था. परंतु मैं उसे देख नहीं पा रही थी क्योंकि हम दोनों के होंठ एक दूसरे में अभी भी सटे हुए थे.
अचानक “मानस भैया” ने मुझे को अपनी गोद में उठा लिया क्षमा कीजिएगा अब वह मेरे लिए “मानस भैया” नहीं थे. मैं उनकी मंगेतर बन चुकी थी.
उनका एक हाथ मेरी कमर को सहारा दिया हुआ था तथा दूसरा मेरी जांघों के नीचे था मैंने अपने हाथ उनकी गर्दन पर रख कर उन्हें पकड़ी हुयी थी. मेरा दाहिना स्तन उनके स्तन से से छू रहा था. उनका राजकुमार मेरे नितंबों के निचले भाग पर छूने लगा. वह मुझे गोद में लिए हुए धीरे-धीरे बिस्तर की ओर बढ़ने लगे. मुझे यह दृश्य बेड के साथ लगे हुए आईने में दिखाई पड़ा. अत्यंत कामुक दृश्य था. मैं खुद भी शर्मा गई. उन्होंने मुझे बिस्तर पर लाकर रख दिया. बिस्तर पर एक सुंदर सी सफेद रंग की चादर बिछी हुई थी जिस पर 2 गोल्डन कलर के तकिए पड़े हुए थे. मुझे बिस्तर पर लिटाने के बाद उन्होंने मेरे सिर के नीचे तकिया रख दी और बहुत देर तक मुझे यूं ही निहारते रहे. मेरी आंखें शर्म से झुक गई थीं. उन्होंने मेरे हर भाग को बड़े प्रेम से देखा उनकी नजरें मेरे मुख मंडल से होते हुए स्तनों, कमर. नाभि मेरी जाँघों से होते हुए मेरे पैरों तक गयीं. हर भाग को वह अपनी कामुक निगाहों से देख रहे थे. मुझे लगता है वह पुरानी सीमा को आज नए रूप में देखकर खुश हो रहे थे. मेरी नजरें भी राजकुमार पर पड़ चुकी थी. राजकुमार पहले की तुलना में ज्यादा बलिष्ठ और युवा हो चुका था. उसकी कोमलता पहले से कुछ कम हो गई थी. राजकुमार पर तनी हुई नसें साफ साफ दिखाई पड़ रहीं थीं. उसका मुखड़ा आधे से ज्यादा खुला हुआ था और एकदम लाल दिखाई पड़ रहा था. राजकुमार रह-रहकर उछल रहा था मुझे उसे अपने हाथों में लेने का बहुत मन कर रहा था. पर आज मैं सब कुछ मानस के इशारे पर ही करना चाह रही थी. उनसे नजरें मिलते ही मैं अपनी आंखें बंद कर लेती थी। वह धीरे-धीरे बिस्तर पर आ गए और मेरी दोनों जांघों के बीच आने के बाद उन्होंने मेरे जांघों को फैलाना शुरू किया. मैं उनका इशारा समझ गई. मैंने अपने हाथों से जांघों को ऊपर की तरफ ले गयी. कुछ ही देर में मेरी दोनों जांघे मेरे पेट से सटी हुई थीं और पूरी तरह फैली थी. मेरी राजकुमारी कि दोनों होंठ अब अलग हो रहे थे. मैं अपनी राजकुमारी को इस तरह मानस के सामने खुला हुआ देखकर शर्म से पानी पानी हो रही थी. पर यह तो होना ही था राजकुमारी से निकलने वाला प्रेम रस दोनों होठों के बीच लबालब भर चुका था और धीरे धीरे नीचे की तरफ बहने को तैयार था. और अंततः वही हुआ प्रेम रस की बूंद होंठों से उतर कर नीचे की ओर बढ़ने लगी और देखते ही देखते मेरी दासी पर रुक गयी. मैं मानस के अगले कदम का इंतजार कर रही थी परंतु वह सिर्फ इस अद्भुत दर्शन का आनंद ले रहे थे. अचानक उनकी आवाज मेरे कानों तक आई
“सीमा तुम बहुत ही खूबसूरत हो” मैं तुम्हें अपनी मंगेतर के रूप में पाकर बहुत प्रसन्न हूँ. अपनी आंखें बंद कर लो और जब तक मैं ना कहूं आंखें मत खोलना. मैंने अपनी आंखें बंद कर ली अचानक मुझे अपनी राजकुमारी के होठों पर किसी चीज के रेंगने का एहसास हुआ मुझे लगा की मानस अपनी उंगलियां फिरा रहे हैं पर जल्दी ही मुझे एहसास हो गया कि यह उनकी जीभ थी.
मुझे मानस द्वारा किशोरावस्था में किया गया मुख मैथुन याद आ गया. वह वास्तव में एक दिव्य अनुभूति थी और आज लग रहा था वही अनुभूति दोबारा प्राप्त होने वाली थी. मेरी राजकुमारी को चूमने वाले वह पहले पुरुष थे. मेरे इतना सोचते सोचते उनकी जीभ दोनों होठों के अंदर काफी तेजी से घूमने लगी. जब वह मेरी राजकुमारी के मुख तक आती और अंदर तक प्रवेश कर जाती. उनके होंठ मेरी राजकुमारी के होठों से छूने लगते. पर एक स्थिति के बाद वह बाद रुक जाते. वो अपनी जीभ से मेरी राजकुमारी मुकुट को भी सहला रहे थे. राजकुमारी अत्यंत उत्तेजित हो रही थी. मुझसे अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था. अचानक उन्होंने अपने हाथ मेरे स्तनों की तरफ बढ़ाएं. मेरे स्तन जो पहले छोटे हुआ करते थे अब वह सुडौल और पर्याप्त बड़े हो चुके थे. मानस के हाथों में आते ही मेरे निप्पल एकदम कड़क हो गए. उन्होंने अपनी उंगलियों के बीच में मेरे निप्पल को जैसे ही लिया मेरी राजकुमारी के कंपन शुरू हो गए अगले 10- 15 सेकंड तक मेरी राजकुमारी कांपती रही और प्रेम रस बहता रहा. मानस ने स्थिति भापकर मेरी राजकुमारी को अपने होठों से यथासंभव घेर रखा था. राजकुमारी के स्खलित होते ही मेरी जांघें ढीली पड़ गयी. मैंने अपने दोनों पैर नीचे कर लिए. मानस भी अब अपना चेहरा मेरी जांघों के बीच से निकाल चुके थे. मेरी नजर उन पर पढ़ते ही ऐसा प्रतीत हुआ जैसे कोई शेर अपना शिकार खाकर मुंह हटाया था. उनके होठों और नाक पर मेरा प्रेम रस लिपटा हुआ था. वह मेरी तरफ चुंबन करने आ रहे थे. मुझे पता था मुझे अपने ही प्रेम रस का स्वाद चखने को मिलेगा और हुआ भी यही उन्होंने अपने होंठ मेरे होंठों पर लगा दिए. उन्होंने कहा
“आज चार-पांच वर्षो बाद अपनी प्यारी राजकुमारी से मिला हूं मुझे बहुत अच्छा लगा सीमा. मेरी जिंदगी में तुम्हारा स्वागत है” होठों पर चुंबन के दौरान उनका राजकुमार मेरी राजकुमारी के होठों पर अपनी दस्तक दे रहा था. वह कभी दरारों में प्रवेश करता और राजकुमारी के मुख तक पहुंचता कभी वह मेरी भग्नाशा को छूने के बाद वापस अपनी जगह पर पहुंच जाता. वो यह बार-बार कर रहे थे. लिंग का उछलना जारी था. जब वह मेरी राजकुमारी के मुख पर पहुंचते एक बार के लिए मैं डर जाती कि कहीं मेरा कौमार्य तो नहीं भंग हो जाएगा पर वह इस बात को समझते थे. विवाह पूर्व किया गया कौमार्य भंग उन्हें बिल्कुल नापसंद था. कुछ ही पलों में उनके राजकुमार कि आगे पीछे होने की गति बढ़ती गई और राजकुमार का लावा फूट पड़ा. एक बार फिर मैंने अपने स्तनों और चेहरे पर उनके वीर्य की धार महसूस की वह भी कई वर्षों बाद. हम दोनों इसी अवस्था में लिपट कर सो गए
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