RE: XXX Kahani छाया - अनचाहे रिश्तों में पनपती कामुकता
भाग -14
विवाह कार्यक्रम
(मैं छाया)
मानस की हल्दी का कार्यक्रम हो रहा था। गांव से आई हुई सारी महिलाएं मानस को हल्दी लगा रही थी और तरह-तरह के विवाह गीत गा रही थीं। विवाह गीत की मधुरता हर सुनने वाले के कान में शहद घोल देती है। कुंवारी लड़कियां और कुंवारे लड़के इन गीतों को सुनने के पश्चात स्वयं को एक बार अवश्य उस जगह रख इन गीतों का आनंद लेते हैं। मानस भैया की हल्दी और चुमावन की रस्म में गाए जाने वाले गीतों में मुझे उनकी बहन कह कर संबोधित किया जा रहा था। मेरे लिए यह रिश्ता असहनीय हो गया था। मेरे और मानस के अलग होने में इसी रिश्ते का सबसे ज्यादा योगदान था। परंतु जो होना था वह रोका नहीं जा सकता था।
हल्दी की रस्म के पश्चात मानस कमरे से लगे बाथरूम में जाने लगे और सारी महिलाएं उस कमरे से बाहर आ गयीं। मेरी मां ने कहां अरे मानस की हल्दी तो ले लो बहू (सीमा) को भेजना होगा। सीमा की हल्दी के लिए शायद यह एक रस्म थी। मेरे मुंह से तपाक से निकला "मां मैं लेकर आती हूं" मैंने कमरे का दरवाजा खटखटाया और मानस ने दरवाजा खोला। वह अब तक तोलिया लपेटकर नहाने की तैयारी कर रहे थे। मैंने पास पड़ी हल्दी का कटोरा उठाया और उनके पास आकर तोलिया हटा दिया। राजकुमार पता नहीं क्यों तनाव में था। मुझे लगा शायद हल्दी की रस्म में कई महिलाओं के हाथ शरीर पर लगने से राजकुमार उत्तेजित हो गया था। मैंने मुस्कुराते हुए अपने हाथों से हल्दी निकाली और राजकुमार पर लगा दी। मानस भैया बोले छाया मत करो कोई आ जाएगा। मैंने कहा
*मां ने कहा है आपके शरीर की हल्दी सीमा भाभी के लिए जाएगी इसलिए मैं आपसे शरीर से हल्दी ले रही हूँ" वह मेरी हल्दी लेने की इस विधि को देखकर मुस्कुराने लगे और अपने आलिंगन में ले लिया। मैंने राजकुमार को हल्दी से पूरा भिगो दिया और फिर अपने हथेलियों से दबाव बढ़ाते हुए उसके ऊपर लगी हुई सारी हल्दी उतार ली। मानस भैया के राजकुमार से निकली हुई लार इस हल्दी में शामिल हो चुकी थी। शायद यह लार सीमा भाभी के लिए उनका प्यार था। मैं उस अनूठी हल्दी को लेकर बाहर आ गयी। जब मैं मानस भैया के लिंग से अठखेलियां कर रही थी तो उन्होंने मेरे स्तनों को छू लिया था जिससे मेरे कंधों पर और स्तनों के ऊपर कपड़ों पर हल्दी के दाग लग गए थे। जैसे ही मैं कमरे से बाहर आई गांव की एक लड़की ने टोका "छाया दीदी मानस भैया के साथ साथ आपको भी थोड़ी हल्दी लग गई" मैं शरमा गई पास में खड़ी कई सारी महिलाएं हंसने लगी. वह यह तो नहीं समझ पायीं कि यह मानस के हाथों का कमाल था पर मेरी मां मुस्कुरा रही थी वह जान रही थी कि मैंने और मानस ने हल्दी की रस्म अपने हिसाब से ही निभा ली थी।
मां ने कहा छाया हल्दी लेकर जा और सीमा के घर वालों को दे दे वो इंतजार कर रहे होंगे। मैं मुस्कुराते हुए सीमा दीदी के कमरे की ओर चल पड़ी कुछ ही देर में सीमा भाभी की भी हल्दी की रस्म शुरू हो गई कमरे से आ रही हंसी की आवाजें आ रही थी। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे महिलाएं सीमा दीदी के प्यारे स्तनों और कोमल शरीर पर हल्दी लगा रही होंगी मैं भी उसमें शामिल होना चाह रही थी पर यह संभव नहीं था। मैंने इंतजार किया मैंने उस हल्दी में से कुछ भाग अपने हिस्से के लिए बचा कर रख लिया था। जैसे ही हल्दी की रस्म खत्म हुई और सारी महिलाएं बाहर आ गई तो मैंने सीमा दीदी को मोबाइल पर मैसेज कर मुझे बुलाने के लिए कहा । वह नहाने जाने से पूर्व मुझे बुलाने के लिए किसी लड़की को भेजा। मैं बाहर लॉन में इंतजार ही कर रही थी उनके बुलावे पर मैं अपने हाथ में थोड़ी सी हल्दी लिए हुए उनके कमरे में आ गयी। सीमा ने दरवाजा बंद कर लिया वह निश्चय ही यह जानती थी कि मेरे मन में कुछ ना कुछ जरूर चल रहा था उसने मुझे अपने आलिंगन में ले लिया मैं पूरी सजी-धजी थी और वह हल्दी में डूबी हुई। मैंने सीमा दीदी का घाघरा खोल दिया वह अपने वजन से नीचे की तरफ सरक गया और सीमा दीदी मेरी आंखों के सामने कमर के नीचे नंगी हो गयीं। महिलाओं ने उनकी जांघों तक में हल्दी लगा दी थी पर उनकी राजकुमारी एकद साफ बची थी। मैंने अपने हाथों में ली हुई हल्दी को उनकी राजकुमारी पर लगा दिया मानस भैया के राजकुमार के लार में डूबी हुई वह हल्दी उनकी राजकुमारी पर लगाते समय मुझे हर्ष हो रहा था। वह मुस्कुरा रही थी उन्होंने कहा
"मेरा सारा शरीर तो हल्दी से मेरे रिश्तेदारों ने ढक दिया था सिर्फ यही जगह बाकी थी जो मेरी प्यारी छाया के लिए ही बची थी सच कहूं तो मुझे भी तुम्हारी इसी अदा का इंतजार था उन्होंने मुझे होठों पर चूम लिया हमारे पास समय कम था।
(मैं मानस)
मैं छाया को तैयारियों में व्यस्त देखकर उसका ऋणी हो रहा था। पिछले दिन उसका दिया हुआ अनूठा उपहार अद्भुत था। मुझे नहीं पता की सुहागरात के बाद संभोग में मुझे ज्यादा सुख मिलता या नहीं पर जो सुख छाया ने दिया था वह अद्भुत था. विवाह के दिन भी वह कई बार मेरे राजकुमार को तनाव में ले आती उसे सहलाती और बिना स्खलित किये हट जाती. एक दो बार मैंने भी उसके नितंबों को छुआ और राजकुमारी को सहला दिया इस भरी भीड़ भाड़ में ऐसा करना पर्याप्त रिस्क लेने जैसा था. पर यही तो उसकी आदत थी वह विषम परिस्थितियों में भी उत्तेजना कायम रखती थी.
लड़के की बहन होने के कारण इस कार्यक्रम में वह मुख्य भूमिका में थी. बारात जाने के दौरान उसने जी भर कर डांस किया था. सभी लोग उसके नृत्य के कायल थे। नृत्य कला में वह पहले भी पारंगत थी. उसने अपने कालेज में भी कई प्रोग्राम किए थे. उस नवयौवना का मादक नृत्य देखकर सारे लोग अचंभित थे. उसका नृत्य सबको अलग-अलग सुख दे रहा था। विवाह में आए मनचले लड़के उस नृत्य को देखकर अपने अपने राजकुमार में जरूर तनाव महसूस कर रहे होंगे. घोड़े की पीठ पर बैठा मैं स्वयम उसका नृत्य देखकर अचंभित हो रहा था. पर आज वह एक अलग किस्म के नशे में थी. उसने पूरे रास्ते नृत्य किया. उसकी वेशभूषा अत्यंत सुंदर थी. वह पूरे समय हमारे साथ विवाह कार्यक्रम में रही उसकी सुंदरता वधू पक्ष में भी चर्चा का विषय थी. हम दोनों एक आदर्श भाई बहन की भांति दिखाई पड़ रहे थे।
पुरुष और स्त्री में संबंध आपकी निगाहों से होता है. आज से 1 वर्ष पहले माया आंटी को हम दोनों कामदेव और रति दिखाई पड़ रहे थे पर आज लोगों की निगाहों में हम आदर्श भाई बहन के रूप में खड़े थे. हमें यह रिश्ता पूर्णतयः अस्वीकार था. छाया मेरी ऐसी प्रेमिका थी जिससे मेरा विवाह ना हो पाया था. पर हमारी आत्माएं पहले ही मिल चुकीं थीं।
अंततः विवाह संपन्न हुआ छाया ने मेरा और सीमा दोनों का ख्याल रखा था। विवाह संपन्न होने के बाद हम दोनों को बधाई दी. वह बहुत खुश लग रही थी. उसने सीमा के गाल पर पप्पी ली और मेरे चरण छुए.
विवाह संपन्न हो चुका था मैं सीमा के घरवालों के बीच कुछ देर और रहा उनके द्वारा दिए गए उपहारों को स्वीकार करता रहा.
अगले दिन दोपहर तक सारे कार्यक्रम खत्म हो चुके थे. विवाह कार्यक्रम में आए लोग भी वापस जा रहे थे. छाया भी आज रात की तैयारियों में लग गई थी. आज मेरी और सीमा की सुहागरात थी.
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