RE: XXX Kahani छाया - अनचाहे रिश्तों में पनपती कामुकता
भाग -15
सीमा की सुहागरात
सीमा पारंपरिक अंदाज में शीशे के गिलास में दूध लिए हुए कमरे में आई उसने सुर्ख लाल रंग की साड़ी पहन रखी थी. उसके शरीर पर आभूषण बहुत खिल रहे थे. छाया द्वारा बनवाया गया हार उसके गले में था. साड़ी की वजह से उसके स्तन स्पष्ट रूप से उभरे हुए दिख रहे थे. लाल रंग की साड़ी के बीच से गोरा पेट स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ रहा था. पेट के बीच में उसकी नाभि खूबसूरती पर चार चांद लगा रही थी. साड़ी में स्त्रियों का उभार एक अलग ही रूप ले लेता है. साड़ी में सादगी और कामुकता दोनों का मिश्रण होता है यह आज दिखाई पड़ रहा था. आज उसकी कामुकता हावी थी साड़ी का रंग लाल था और आंखों मेमे भी लालिमा थी, आंखों में काजल और पलको की सजावट ने उसे और मादक बना दिया था. छाया ने मुझे बताया था की सीमा अभी तक कुंवारी है. मैं भी आज तक कुवारां ही था. छाया द्वारा दिया गए अनूठा उपहार पता नहीं किस श्रेणी में रखा जाएगा पर मेरे लिए तो वह अविस्मरणीय था. सीमा धीरे धीरे मेरे पास आ रही थी. उसने मुझे गिलास दिया. मैंने उसे अपने बगल में बैठा लिया. आज मैं भी इस सुहागरात के पल को अपनी जानकारी के हिसाब से यादगार बनाना चाहता था. मैंने अपने हाथों से वही दूध सीमा को पिलाना चाहा उसने अपने होंठ लगाए और एक घूंट पी लिया. मैंने भी थोड़ा सा दूध पीकर गिलास बगल में रख दिया. सीमा मेरे अगले कदम की प्रतीक्षा कर रही थी. अभी कुछ दिनों पहले ही मैंने और सीमा ने इसी बिस्तर पर रासलीला की थी. पर आज की बात विशेष थी. सीमा ने ही मुझे सबसे पहले सेक्स से परिचित कराया था. यह राजकुमार पहले उसका ही दीवाना था पर सीमा में संवेदना की कमी मुझे महसूस होती थी. वह राजकुमार को प्यारी तो थी पर ऐसा लगता था जैसे उसके लिए सिर्फ यही राजकुमार नहीं था बल्कि वह कई और राजकुमारों की सेवा करती थी. इस उधेड़बुन में सीमा व्यग्र हो रही थी. मैंने उसके हाथों को अपने हाथों में ले लिया और हथेलियों से उसे सहलाने लगा.
“ अंततः तुम मेरी हो गई”
“हां मुझे खुशी है कि मैं कि मैंने जिस राजकुमार को अपनी राजकुमारी से मिलाया था आज वही राजकुमार उसका कौमार्य भेदन करेगा “ कहकर वह मुस्कुरा रही थी. मैंने उसे गालों पर चूम लिया . मैंने उसे बताया उसकी दी गई गुरु दक्षिणा को मैंने अभी तक संभाल कर रखा है. वह यकीन नहीं कर पा रही थी. मैंने अलमारी खोलकर वह लाल पैंटी बाहर निकाल दी जिस पर हम दोनों के प्रेम रस के दाग लगे हुए थे. उसे देख कर वह बहुत खुश हुयी. उसने उस पेंटी को सीधा किया उसने मुझे चूम लिया और बोली
“सच में आप बहुत अच्छे हैं. मैं तो आपको यह मजाक में दिया था”
“तुम्हारी दी हुई थी इस दक्षिणा ने मेरे जीवन में बदलाव लाया था. तुम्हारा राजकुमारी दर्शन मेरे जीवन की अद्भुत खड़ी थी. तुम मेरी कामकला की सूत्रधार हो” वह मुस्कुराते हुए और आकर मेरे आलिंगन में आ गई. कुछ ही देर में हमारे वस्त्र हमारा साथ छोड़ते गए. सीमा के वस्त्र उतारते समय अजीब अनुभूति हो रही थी. कभी-कभी मुझे उसके स्तनों में छाया के स्तन दिखाई देते. सीमा के शरीर की कसावट मुझे तुरंत हकीकत में ले आते. कुछ ही देर में सीमा पूर्णतयः नग्न थी. वह अत्यंत मादक लग रही थी. हाथ पैरों में मेहदी की सजावट तथा कौमार्य भेदन की उत्सुकता ने उसे और शर्मीला बना दिया था. उसके चेहरे और शरीर में छाया जैसी कोमलता नहीं थे परंतु एक मदमस्त यौवना की तरह स्त्री सुलभ लज्जा अवश्य थी. उसके शरीर के उभार दर्शनीय थे मैंने उसे भी गोद में उठा लिया जिस तरह से मैं छाया को उठाया करता था. सीमा को उठाने के बाद मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे वो छाया से ज्यादा भारी थी फिर भी मैंने उसको चूमते हुए बिस्तर पर ले आया कुछ ही देर में हम दोनों अपने प्रेमलीला में व्यस्त हो गए.
सीमा की राजकुमारी को चूमते समय राजकुमार उछलने लगा था. उसे इंतजार अब बिल्कुल पसंद नहीं आ रहा था. इतनी मादक नव योजना सामने जांघें फैलाए नग्न लेटी हुई थी यह दृश्य मात्र ही राजकुमार के उछलने के लिए काफी था. सीमा की राजकुमारी के मुख पर प्रेम रस की बूंदे आ चुकी थी. मेरे राजकुमार ने उसके होठों के बीच अपनी जगह बनानी शुरू कर दी. प्रेम रस की वजह से उसकी फिसलन बढ़ चुकी थी . राजकुमार ने सबसे पहले इसी से स्नान का आनंद लिया. शायद उसे वह सुख याद आ रहा था जब वह बार-बार छाया की
राजकुमारी के मुख में जाता और वापस आ जाता. वैसे इस क्रिया की शिक्षा भी सीमा ने ही दी थी. हम लोग छुपन छुपाई के दौरान कई बार इसका आनंद भी लिया था. आज भी राजकुमार उसी आनंद में मशगूल था. मेरी नजरें सीमा से मिलते ही वह मुस्कुरा पड़ी. उसे भी शायद वह छुपन छुपाई का खेल याद आ रहा था. हम कुछ देर इसी अवस्था में रहे राजकुमार उसके मुख में हर बार कुछ ज्यादा अंदर प्रवेश कर रहा था. सीमा की धड़कनें बढ़ रहीं थीं. यह क्रिया धीरे-धीरे तीव्र होती जा रही थी . राजकुमार अब राजकुमारी के अंदर प्रवेश करने लगा था. वह अंदर प्रवेश करता है तथा उसके होठों के बीच से बाहर आ जाता. अचानक मेरा सब्र टूट गया मैंने सीमा के होठों पर किस किया और उसकी रजामंदी से राजकुमार अन्दर प्रवेश करा दिया. सीमा को तेज दर्द हुआ उसने अपने होंठ अपने दांतो के नीचे दबा लिया मैंने अपने होंठ में उसके होंठों को लेकर प्यार से चूसने लगा. सीमा की राजकुमारी अब रानी बन गयी थी. धीरे धीरे सीमा खुश हो गई थी. शायद जितने दर्द की उसने कल्पना की थी उससे कम दर्द हुआ था.
स्त्री की उत्तेजना उसके प्रथम संभोग के दर्द को कम कर देती हैं ऐसा मैंने पढ़ा था और आज अपनी आंखों से देख रहा था. सीमा की राजकुमारी पूरी तरह उत्तेजित थी और प्रेमरस बहा रही थी और इसी अवस्था में उसका कौमार्य भेदन हुआ था. कुछ देर इसी अवस्था में रहते हुए मैंने अपने राजकुमार को सीमा के अंदर और भी गहराई तक प्रविष्ट करा दिया. राजकुमार का लगभग पूरा सीमा की राजकुमारी के अंदर था. सीमा की अनुभूति एक अलग तरह की थी. उसकी आंखों में हल्के हल्के आंसू थे निश्चय ही वह शुरुआती दर्द के रहे होंगे पर अब उसमें खुशी के आंसू भी शामिल हो चुके थे. वह मंद मंद मुस्कुरा रही थी. मैं उसे उसकी जीत पर बधाई दे रहा था. मैं उसके माथे और गाल को बार-बार चूम रहा था और उसे यह बता रहा था कि उसने विजय प्राप्त कर ली है. वह खुश थी कुछ ही देर में मैंने अपनी कमर को थोड़ा आगे पीछे करना शुरू किया. मेरे राजकुमार के बाहर आने और अन्दर जाने जाने से राजकुमारी भी आनंद उठा रही थी. कुछ देर तक यह सुख लेने के बाद उसने मुझे नीचे आने का इशारा किया मैं समझ गया वह ऊपर आना चाहती है. सीमा पहली बार में ही सारे सुख ले लेना चाहती थी या हो सकता इस अवस्था में उसे कष्ट हो रहा हो. मुझे लगा था जैसे उसने भी ब्लू फिल्मे अवश्य देखी थी.
अंततः मैं नीचे और सीमा मेरे ऊपर आ चुकी थी. राजकुमार राजकुमारी से दूर था अचानक मेरी नजर उसके राजकुमारी पर पड़ी जो अब रक्तरंजित हो चुकी थी. मेरा राजकुमार भी घायल लग रहा था पर यह रक्त उसका नहीं था. यह विजय तिलक उसकी रानी ने लगाया था। सीमा का ध्यान उस ओर जाता इससे पहले ही मैंने उसे अपनी ओर खींच लिया और उसके होठों को फिर से चूम लिया. सीमा के स्तन मेरे सीने से सटे हुए थे. मैं उसके होठों को चूम रहा था. राजकुमार राजकुमारी से मिलने के लिए अपना रास्ता तलाश रहा था और कुछ ही देर में वह उसके मुख में प्रवेश कर रहा था. .
सीमा के प्रेमरस की मात्रा रक्त से ज्यादा थी जो राजकुमार को रास्ता दिखा रही थी. आगे प्रवेश करने के लिए या तो सीमा या मुझे अपनी कमर को आगे पीछे करना था. मैंने यह कार्य सीमा के हवाले कर दिया था और चुपचाप शांत पड़ा हुआ था. राजकुमार राजकुमारी के मुख के अंदर था. मैं सीमा को प्यार से चुंबन ले रहा था अचानक मैंने सीमा की राजकुमारी को पीछे की तरफ जाते महसूस किया. सीमा की कमर पीछे जा रही थी. राजकुमार राजकुमारी में विलुप्त हो रहा था. राजकुमारी राजकुमार के ऊपर आ रही थी और उसे अपनी आगोश में ले रही थी. कुछ ही देर में मेरा लिंग अब पूरी तरह प्रवेश कर चुका था. वह बहुत खुश थी की मेरे लिंग को अपने अंदर पूरी तरह ले पा रही थी. उसका दर्द खत्म हो चुका था वह अपनी कमर को धीरे-धीरे आगे पीछे करने लगी. मैं उसके स्तनों और नितंबों को सहला रहा था. कुछ ही देर में घायल राजकुमारी उग्र रूप ले चुकी थी. मैं महसूस कर पा रहा था कि अब स्खलित होने वाली थी. मैंने सीमा को अपने आगोश में ले लिया. मैंने अपनी कमर की गति को सीमा सीमा की कमर की गति से मिला लिया. मेरी इस क्रिया ने राजकुमार और राजकुमारी के बीच चल रहे संघर्ष को और बढ़ा. दिया. राजकुमारी अब स्खलित रही थी. मेरा राजकुमार की तीव्र गति, सीमा के स्खलन को बढ़ा रही थी. मैंने सीमा की अपने ऊपर पूरी तरह लिटा लिया था तथा अपने हांथो से उसे अपने से सटाया हुआ था. वह चाह कर भी हिल नहीं सकती थी. मैं चाहता तो अपनी कमर को विराम देकर राजकुमारी का सामान्य स्खलन हो जाने देता. परंतु आज का दिन विशेष था. मेरा एक हाथ उसकी कमर को मुझसे चिपकाए हुए थे तथा दूसरा उसकी पीठ पर था. उसके होंठ मेरे होंठों में थे. स्खलित हो रही राजकुमारी में राजकुमार का इस तरह तीव्र गति से अंदर बाहर होना सीमा से सहन नहीं हो रहा था वह कांप रही थी. मुझे उसकी कंपकपाहट अच्छी लग रही. वह राजकुमारी को हटाना चाह रही पर यह संभव नहीं था. राजकुमार ने भी अपना लावा उडेलना शुरू कर दिया था. अंततः राजकुमारी का स्खलन हो गया. आज मैंने अपना सारा वीर्य राजकुमारी के अंदर ही छोड़ दिया था. हम दोनों कुछ देर इसी अवस्था में रहे. राजकुमारी के अंदर भरा हुआ मेरा वीर्य अब धीरे-धीरे बाहर आ रहा था. जैसे-जैसे राजकुमार का तनाव कम होता वैसे वैसे बहाव तेज होता. इसी अवस्था में एक दुसरे को चुमते हुए हम कब सो गए पता ही नहीं चला.
एक बार मेरी नींद खुली मैं बाथरूम गया और आने के बाद मैंने देखा सीमा गहरी नींद में सोई हुई है. चादर हटी हुई थी. उसकी दोनों जांघों के बीच से झाकती उसकी रक्त रंजित राजकुमारी को देखकर मुझे अत्यंत उत्तेजना हुयी. मैंने सीमा को बाहों में ले लिया उसकी नींद खुल चुकी थी. वह मुझे फिर से प्यार करने लगी शायद उसने भी इस सुहागरात को यादगार बनाने की सोची होगी पर अत्यधिक थकावट की वजह से उसे नींद आ गई थी. वह पूरी तरह खुश लग रही थी. रक्त रंजित राजकुमारी के बारे में कुछ भी याद नहीं था. कुछ ही देर में राजकुमारी का प्रेम रस राजकुमार को आकर्षित करने लगा. दोनों एक दूसरे के संपर्क में आ रहे थे और हम दोनों एक बार फिर संभोगरत हो गए.
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