RE: XXX Kahani छाया - अनचाहे रिश्तों में पनपती कामुकता
मानस, सीमा और मैं
[मैं छाया]
मानस और सीमा हनीमून से वापस आ चुके थे. सीमा के पास मुझे बताने के लिए बहुत कुछ था पर हम दोनों के पास समय बहुत कम था. शाम को नौकरी से आने के बाद मुश्किल से एक 2 घंटे का समय मिलता जो घर के कार्य निपटाने में चला जाता. रात में सीमा और मानस एक कमरे में चले जाते और मैं मैं अकेली रह जाती. पर कुछ ही दिनों बाद मानस को ऑफिस के कार्य से 2 दिनों के लिए बेंगलुरु से बाहर जाना पड़ा. यह मेरे और सीमा के लिए एक उचित अवसर था. मानस के जाने के बाद मैं और सीमा घर में अकेले रह गए थे. हमने उस दिन जानबूझकर छुट्टी ले ली थी मुझे सीमा के साथ सेक्स किए हुए लगभग 20 दिन बीत चुके थे. सीमा भी मुझे उतना ही प्यार करती थी हम दोनों एक दूसरे के लिए दो जिस्म एक जान थे. यदि वह पुरुष होती तो निश्चय ही मेरी मंगेतर होती ऐसा वह कहती थी.
सुबह घर के कार्य निपटाने के बाद हम दोनों बिस्तर पर आ चुके थे. सीमा अब शादीशुदा हो चुकी थी. उसने मुझे अपनी सुहागरात से लेकर हनीमून तक के सारे किस्से सुना डालें. मानस शुरू से ही रोमांटिक थे यह बात मैं भली-भांति जानती थी. मुझे पूरी उम्मीद थी कि इन दोनों का हनीमून बहुत ही सुखद और यादगार तरीके से गुजरा होगा. सीमा की बातें सुन सुन कर मेरी राजकुमारी प्रेम रस छोड़ने लगी थी. जब वह मानस के बारे में बात करती तो वह शर्मा जाती थी. मैंने पूछा
“मानस का राजकुमार ज्यादा अच्छा था या सोमिल का”
वह हंस पड़ी बोली
“दोनों अपनी अपनी जगह सही हैं मानस का राजकुमार थोड़ा छोटा सा पर है बहुत प्यारा”
वह मानस के बारे में बात करते समय थोड़ा सकुचा रही थी. मैंने पूछा तो उसने कहा
“मानस तुम्हारा भाई है तुम उसके बारे में यह सब बातें कैसे कर सकती हो?” मैंने उन्हें सामान्य करने के लिए कहा
“वह मेरा भाई बाद में है पहले मेरा जीजा है” कह कर हंस दी. वह भी हंसने लगी.
मैंने और मानस ने इस भाई बहन के थोपे गए अनचाहे रिश्ते का दंश झेला था। इसने हमारे पवित्र और पावन मिलन को रोक दिया था। हमारा मिलन तो अभी भी होता था पर उसमें सामाजिक मान्यता नहीं थी। मैंने और मानस में दृढ़ निश्चय कर लिया था कि इस अनचाहे रिश्ते में हम अपने प्रेम को कायम रखेंगे। यह भाई बहन का शब्द अब हमारी उत्तेजना का सबसे बड़ा स्रोत था। जैसे ही हम यह शब्द सुनते हमारी उत्तेजना चरम पर पहुंच जाती मानस भैया का राजकुमार भी इन संबोधनों को सुनकर हमारी सहमति में अपना सर हिलाने लगता और मेरी राजकुमारी मुस्कुरा उठती।
सीमा ने मानस के राजकुमार के बारे में विस्तार से बताया. मुझे सुनकर खुशी हो रही थी कि वह मुझसे बेझिझक होकर बातें कर रही थी. बातों ही बातों में मैंने उससे कहा
“मुझे तुम्हें संभोग करते हुए देखना है.”
“धत पगली ऐसा कैसे हो सकता है तुम्हें शर्म नहीं आएगी. मानस तुम्हारा भाई है क्या तुम अपने भाई को अपनी आंखों के सामने नग्न होकर मेरे साथ संभोग करते हुए देख पाओगी?”
मैंने कहा
“मुझे संभोग करते हुए देखना है यह अलग बात है कि संभोग करने वाला कौन है. मैं देख लूंगी पर क्या आप यह दर्शन सुख मुझे दिला पाओगी.”
सीमा के हाव भाव देखकर ऐसा लगता था जैसे उसे इन बातों में आनंद आ रहा था. वह मन ही मन मुझे इन सब दृश्यों को दिखाने की प्लानिंग कर रही थी. उसने मुझसे फिर बोला
“क्या सच में तुम देखना चाहती हो?”
मैंने कहा
“जरूर“
कुछ ही देर में हम दोनों फिर आलिंगन बद्ध हो चुके थे. धीरे धीरे हम नग्न होते गए और कुछ ही देर में हम एक दूसरे की बाहों में थे. मैंने सीमा से कहा मुझे रानी साहिबा के दर्शन करने है. उसकी राजकुमारी अब रानी बन चुकी थी. मैंने उसकी जांघों को फैला कर देखा सच में राजकुमारी के होंठ फैल चुके थे अब राजकुमारी का मुख बिना उंगलियां लगाए ही दिख रहा था. उसकी लालिमा होठों से झांक रही थी. शादी से पहले तक सीमा की राजकुमारी के दोनों होंठ आपस में चिपके रहते थे पर आज 15 दिनों के अंदर ही राजकुमारी के दोनों होठों में थोड़ी दूरी आ चुकी थी और राजकुमारी का मुख से झलक रहा था. मैंने सीमा को चूम लिया और कहा सच में राजकुमारी और रानी में स्पष्ट अंतर दिखाई दे रहा है. वह हंसने लगी और बोली
“यह तुम्हारे मानस भैया का किया धरा है. पिछले 15 दिनों में 45 बार राजा जी ने रानी पर चढ़ाई की है. मैंने सीमा की रानी साहिबा को चूम लिया सीमा खुश हो गयी थी. उसकी रानी को भी एक अलग आनंद प्राप्त हुआ था. कुछ ही देर में हम दोनों एक दूसरे की रानी और राजकुमारी को अपने होठों से तृप्त कर रहे थे. यह कला मुझे सीमा ने हीं सिखाई थी. कुछ ही देर में हम दोनों स्खलित हो गए. और उसी अवस्था में सो गए. सीमा मेरी अंतरंग सहेली भी थी और एक अच्छी दोस्त भी. मैं उसे कभी दीदी कहती कभी भाभी कभी नाम लेकर भी पुकारती वह हर स्थिति में मुझसे खुश रहती थी और हर हाल में मेरी खुशी चाहती थी.
अपने रूम में वह मेरे लिए उचित जगह की तलाश में थी जहां से मैं उसके और मानस के संभोग को देख सकूं. आखिरकार कमरे में बने ड्रेसिंग एरिया में उसने एक जगह खोज ली. उसने मुझसे कहा तुम यहीं पर छुप जाना और यहां से तुम हम दोनों का संभोग देख सकती हो पर ध्यान रहे मानस तुम्हारा भाई है यह तुम्हें निर्णय लेना है कि उसे मेरे साथ नग्न होकर संभोग करते हुए देखना तुम्हें अच्छा लगेगा या नहीं. मैंने उसे फिर चूम लिया एक बार फिर सीमा के संबोधन ने मेरी राजकुमारी को मुस्कुराने पर मजबूर कर दिया था मैं स्वयं शरमा रही थी. दो-तीन दिनों बाद मानस वापस आ चुके थे.
मेरे मन में नयी उम्मीद जाग चुकी थी।
|