RE: XXX Kahani छाया - अनचाहे रिश्तों में पनपती कामुकता
भाग -16
अविश्वसनीय ननद
[मैं सीमा]
सम्भोग दर्शन
शनिवार को हम तीनों की ऑफिस की छुट्टियां थीं. सीमा ने आज शाम को ही मेरे लिए संभोग दर्शन की व्यवस्था की थी. रात को संभोग से कुछ देर पहले ही उसने मानस को किचन में कॉफी बनाने के लिए भेज दिया और इसी दौरान मुझे ड्रेसिंग एरिया में आकर छुप जाने के लिए कहा. कुछ ही देर में मानस दो कप कॉफी लेकर आ चुके थे . वह दोनों कॉफी पीते पीते मेरे ही बारे में बात कर रहे थे. सीमा ने कहा
"शादी के दिन छाया कितनी खूबसूरत लग रही थी. मैंने अपने गांव के कई लड़कों और चचेरे भाइयों को उसके बारे में कामुक बातें करते हुए सुना था मुझे लगता है वह विवाह योग्य हो चुकी है" मानस ने कहा " हां, हमें छाया की शादी कर देनी चाहिए."
"हां सच में वह भी अब जवान हो गई उसका भी मन करता होगा."
"हां यह तो शरीर की स्वाभाविक जरूरत है. तुम भी अपने ऑफिस में कोई लड़का देखो"
सीमा ने कहा “हां मैं भी देखूंगी.”
उन दोनों की काफी खत्म हो चुकी थी. कुछ ही देर में मानस और सीमा ने एक दुसरे के कपड़े उतारने शुरू कर दिए. मानस को नग्न देखकर मेरी राजकुमारी एक बार फिर प्रेम रस से भीगने लगी. मानस के नग्न शरीर से मैंने जितना संपर्क बनाया था और उसके आगोश में जितनी रातें गुजारी थी अभी सीमा के लिए दूर की बात थी. पर आज नियति के खेल ने मेरी जगह सीमा को रख दिया था. मानस अनभिज्ञ होकर सीमा के स्तनों से खेल रहे थे और उसकी जांघों के बीच आकर अपने राजकुमार को उसकी रानी के मुख और होठों के बीच में रगड़ रहे थे. सीमा खुद इस तरह लेटी थी जिससे मुझे उसकी रानी स्पष्ट दिखाई पड़े. यह दृश्य मेरी राजकुमारी के लिए असहनीय हो रहा था कुछ ही देर में राजकुमार रानी के अंदर प्रवेश कर गया. सीमा को पता था मैं यह सब देख रही हूं वह मुझे और उत्तेजित करने के लिए आह…. की आवाज निकाली. मानस ने अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया था और सीमा मानस को अपनी तरफ खींच रही थी. उनकी सम्भोग क्रिया तेजी से आगे बढ़ रही थी. सीमा अपनी कला का प्रदर्शन मेरे सामने खुश होकर कर रही थी. उसे मुझे संभोग दर्शन कराने में एक अलग आनंद मिल रहा था. कुछ ही देर में सीमा डॉगी स्टाइल में आ चुकी थी. मानस उसकी कमर को पकड़ कर पीछे से धक्के लगा रहे थे. मेरी आखों के सामने एक जीती जागती ब्लू फिल्म चल रही थी. मेरे हाथ अपनी राजकुमारी को सहला रहे थे. इससे पहले मानस और सीमा स्खलित होते मैं यह दृश्य देख कर अपने विवाह की कल्पना और कामना करने लगी.
कुछ ही समय पश्चात मानस और सीमा स्खलित हो गए. सीमा के स्तन भी मानस के प्रेम रस से सन गए थे। सीमा ने जानबूझकर मानस को फिर किचन में कॉफी का कप रखने के लिए भेजा और मैं कमरे से बाहर निकल गइ.
अगले दिन सीमा ने मुझे अपनी बांहों में भरते हुए मेरा अनुभव पूछा. मैं चटखारे लेकर अपने अनुभव को उसे बतायी. वह बहुत खुश थी कि उसने अपनी सहेली को संभोग सुख के साक्षात दर्शन कराए थे. पर मैं कहां संतुष्ट होने वाली थी मैंने उससे कहा मुझे राजकुमार को छूना है. मैंने आज तक किसी पुरुष का लिंग अपने हाथों से नहीं छुआ. वह हंस रही थी. उसने मुझसे कहा
“ पगली वो तुम्हारा भाई है सगा ना सही सौतेला है. तुम उसका लिंग अपने हाथों में लोगी क्या तुम्हें शर्म नहीं आएगी?”
मैंने उससे कहा
“जब उसे पता चलेगा तब ना मुझे तो उसे छूकर एहसास करना है.”
उसे मेरी इन सब बातों में बहुत मजा आता था उसने कहा ठीक है. रविवार को रात को उसने मुझे फिर उसी तरह छुपा दिया और सेक्स के दौरान मानस की आंखों पर पट्टी बाँध दी. मानस की आंखों पर पट्टी बजे होने की वजह से वो हमें देख नहीं पा रहे थे. छाया ने मुझे अपने पास बुला लिया. बिस्तर पर अब मैं और सीमा दोनों थे. मानस नग्न अवस्था में बिस्तर पर लेटे हुए थे. सीमा ने मुझे इशारा किया और मैंने मानस का लिंग अपने हाथों में ले लिया. मानस के चेहरे पर एक अजब सा भाव आया. वह मेरे हाथों की अनुभूति पहचानते थे पर वह यह यकीन नहीं कर सकते थे की सीमा की उपस्थिति में मैं यह कर सकती हूँ. वह आंखें बंद किए हुए इसका आनंद ले रहे थे. मैंने उनके लिंग को अपरिचित की भांति छूकर महसूस कर रही थी. सीमा मेरे चेहरे को देख कर हंस रही थी. और आंखों से ही प्रश्न कर रही थी कि मुझे कैसा महसूस हो रहा है?
मैं बड़ी उत्सुकता से राजकुमार को आगे पीछे कर रही थी. लिंग में तनाव बढ़ चुका था और वह उछल रहा था. मानस के राजकुमार की यह उछाल मैंने कई वर्षों तक महसूस की थी. कुछ ही देर में मैंने अपने हाथ उनके राजकुमार से हटा लिए. सीमा ने उसी स्थिति में मानस के राजकुमार पर अपनी रानी को रख दिया और कुछ ही देर में राजकुमार रानी में विलुप्त हो गया. इतने करीब से सीमा को सम्भोग करते देख मेरी राजकुमारी पानी पानी हो रही थी. सीमा की कमर के ऊपर जाते ही कुछ देर के लिए राजकुमार दिखाई पड़ता और फिर रानी में विलुप्त हो जाता. सीमा मेरे सामने ही सम्भोग कर रही थी और मैं उसके बगल में खड़ी थी. यह एक अद्भुत दृश्य था. मैं वहां से हट कर वापिस जाने लगी पर सीमा ने मेरा हाथ पकड़ लिया. जीवंत संभोग को इतने करीब से देख कर मेरे मन में अभूतपूर्व वासना का संचार हुआ था मैं उत्तेजना से कांप रही थी. मेरी उत्तेजना को शांत करने वाले मेरे दोनों ही साथी मुझे छोड़ आपस में संभोग कर रहे थे मैं तरस रही थी. उन दोनों की खुशी को देख कर मैं मन ही मन खुश भी थी. एक न एक दिन यह सुख मुझे भी प्राप्त होना था. मैं ईश्वर से इसके लिए प्रार्थना भी कर रही थी मेरा कौमार्य भेदन भी मानस भैया के राजकुमार द्वारा ही हो पर शायद यह असंभव था हम दोनों ही वचनबद्ध थे. मानस भैया के लिंग से वीर्य वर्षा होते ही मेरा साक्षात दर्शन खत्म हो चुका था. मैं सधे हुए कदमों से धीरे-धीरे चलते हुए कमरे से बाहर आ गयी दरवाजा मैंने सटा दिया था.
सीमा ने मुझे बाद में यह बताया कि मेरी उपस्थिति में उसे संभोग करने में एक अलग किस्म का मजा आता है. वह चाहती थी कि काश मैं हमेशा उस समय उसके पास ही रहती.
अगले दिन मानस मेरे पास किचन में आए मैं चाय बना रही थी उन्होंने पूछा "छाया क्या तुम कल मेरे कमरे में आई थी?"
"मैंने कहा कब"
"जब मैं और सीमा साथ थे" वो खुलकर नहीं बोल रहे थे.
"नहीं"
"सच बताओ ना"
"क्यों क्या हो गया?"
"कल अचानक मुझे महसूस हुआ कि तुम्हारे हाथों ने राजकुमार को छुआ था" मैंने कहा
"अब आप मुझे भूलकर सीमा दीदी में मन लगाइए" और हंसने लगी. वह देखिये मेरी भाभी की उमर लंबी है... सीमा कमरे से निकलकर किचन में आ रही थी.
मानस भैया डाइनिंग टेबल पर बैठकर चाय पीते हुए अपनी दोनों परियों को एक साथ देख रहे थे उनके मन में उठे कई प्रश्न अधूरे थे पर मुझे उनका उत्तर देना अभी आवश्यक नहीं लग रहा था. उनके इंतजार में ही हम सबकी भलाई थी.
एक दिन मानस की आंखों पर पट्टी बांधकर फिर सीमा ने मुझे अपने पास बुला लिया मैं मानस का लिंग सहला रही थी तभी उसने मेरे घागरे का नाड़ा खोल दिया मैं पूरी तरह नग्न हो चुकी थी. कुछ ही देर में उसने मेरा टॉप भी हटा दिया. अब हम दोनों पूरी तरह नंगे थे. सीमा मेरी राजकुमारी को छू रही थी और मैं मानस के लिंग को अपने हाथों से खिला रही थी. मुझे मानस के लिंग को हिलाते देखकर उसके मन में एक अजीब किस्म की खुशी आती थी. उसने मुझसे चुप रहने के लिए कहा और मानस के हाथ लाकर मेरी राजकुमारी पर रख दिए. मानस की उंगलियां मेरी राजकुमारी को बहुत अच्छे से पहचानती थीं. मानस जान चुके थे उन्होंने सीमा से कहा
“अरे तुम्हारी रानी तो आज अलग ही लग रही है”
“हां मैंने इसे विशेष रूप से तैयार किया है” सीमा अभी मानस के मनोदशा से अनभिज्ञ थी
सीमा को इस खेल में मजा आ रहा था. उसने मुझे झुकने का इशारा किया और मानस के हाथ मेरे स्तनों पर रख दिए. मानस पूरी तरह जान चुके थे कि मैं वहीं पर पूर्ण नग्न अवस्था में थी. उन्होंने मुझे अपने पास खींच लिया. मैं पूर्ण नग्न अवस्था में मानस भैया के ऊपर आ चुकी उनके एक हाथ मेरी पीठ पर और दूसरा नितंबों पर आ गया. सीमा हतप्रभ थी.उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें. मानस भैया लगातार मुझे सहला रहे थे कुछ ही सेकंड में उसने स्वयं मानस की आंखों पर से पट्टी हटा दी. शायद वह डर गई थी की थोड़ी ही देर में मानस भैया का राजकुमार मेरी राजकुमारी का कौमार्य भेदन कर देता और वह इस अनचाही घटना की जिम्मेदार होती। सीमा सिर झुका कर खड़ी हो गई । वह अबोध नवबधु की तरह नग्न अवस्था में सिर झुकाए खड़ी थी और अपराध बोध से ग्रस्त थी.
उसे मानस मिलने वाले डांट की प्रतीक्षा थी. उसने स्वयं की उत्तेजना के लिए कुछ ऐसा कर दिया था जो उसकी नजर में एक असीम गुनाह था. उसकी आंखों में थोड़े आंसू भी थे. वह डर से कांप रही थी मानस भैया के चेहरे पर मुस्कान थी. मैं भी मुस्कुरा रही थी.
अचानक ही मानस ने हाथ बढ़ाकर सीमा को अपने पास खींच लिया. मानस भैया की एक तरफ मैं और दूसरी तरफ से वह आ चुकी थी. हम तीनों नग्न अवस्था में बिस्तर पर एक साथ थे. वह सीमा के आंसू पूछ रहे थे और अपने होठों से उसके गालो और होठों को चूम रहे थे. सीमा सुबक कर रही थी. मानस के प्यार से वह धीरे-धीरे सामान्य हो रही थी. उसमे थोड़ी हिम्मत आ गई थी. सीमा सुबकते हुए बोली
"मुझे माफ कर.……." वह कुछ बोल पाती इससे पहले हम दोनों हंस पड़े. सीमा आश्चर्यचकित होकर हमें देख रही थी. मानस ने उसे उठाकर हम दोनों के बीच में कर दिया. हम दोनों सीमा के गालों को चूम रहे थे. मानस ने सारी बातें एक ही बार में उसे बता दी. सीमा मेरी तरफ मुड़ी और मेरे काम खींचते हुए बोली
"तू तो मेरी पक्की सहेली थी. कम से कम तू तो बता देती. मैंने उसे होठों पर चूम लिया मानस का राजकुमार अपनी रानी को खोजता हुआ उसमें प्रवेश कर चुका था. हमारा अद्भुत मिलन गंगा जमुना और सरस्वती की भांति हो चुका था सरस्वती जिस तरह विलुप्त है मेरी खुशियों में भी अभी ग्रहण लगा हुआ था. मैं अभी भी संभोग सुख से वंचित थी पर हम तीनों के मिलन का आनंद एक नई उपलब्धि थी.
सीमा को यकीन ही नहीं हो रहा था कि हम दोनों पिछले तीन-चार वर्षो से यह कार्य साथ में करते आ रहे हैं. उसने मेरा कौमार्य देखा था और उसके लिए यह यकीन करना संभव नहीं हो पा रहा था कि इतने दिनों तक साथ में रहने के बाद मेरा कौमार्य किस तरह सुरक्षित था.
सीमा हम दोनों के बीच में थी मानस की कमर हिलाने की वजह से उसका शरीर धीरे-धीरे एक लय में हिल रहा था. मैं उसके स्तनों को प्यार से सहला रही थी. वह मंद मंद मुस्कुराते हुए आने वाले जीवन की कल्पना कर रही थी. निश्चय ही उसकी इस कल्पना में मेरा भी स्थान था.
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