RE: XXX Kahani छाया - अनचाहे रिश्तों में पनपती कामुकता
भाग 19
छाया के विवाह की तैयारी
[मैं सीमा]
बेंगलुरु शहर में मोबाइल की उपलब्धता धीरे-धीरे होने लगी थी. हम सब ने भी अपने लिए एक एक मोबाइल खरीद लिया था. मोबाइल पर हम सब की बातें आसान हो चुकी थी. एक दूसरे से मिलना भी अब इतना कठिन नहीं रहा था हम आपस में एक दूसरे से बात करते और कभी कभार मिल लिया करते थे. शादी के दिन धीरे-धीरे करीब आते जा रहे थे. हम सब शादी की तैयारियों में मशगूल थे.
मानस में छाया की शादी की तैयारी में कोई कसर बाकी नहीं रखी थी. उसने गांव के सभी लोगों को न्योता भेजा था. अब जब समाज की नजरों में छाया उसकी बहन हो ही चुकी थी तो वह उसकी शादी बहुत धूमधाम से करना चाहते थे. गांव में उनकी प्रतिष्ठा वैसे ही बनी हुई थी. सभी उनकी तारीफ करते थे कि कैसे उन्होंने छाया को अपनी बहन के रूप में अपना लिया था और उसका जीवन ग्रामीण स्तर से उठाकर उसने उच्च स्तर पर ले आया था. मैं जानती थी कि मानस छाया को बहन नहीं मानता था बल्कि वो उसकी प्रेमिका थी. पर अब तो उसकी शादी थी. हम तीनों हमेशा एक साथ रहते थे. वह हम दोनों की प्यारी थी. वो मेरी छोटी बहन, ननद और कभी कभी सौतन लगती थी. सौतन बोलने पर वह दुखी हो जाती थी. वो कहती
“दीदी मैंने अपने आप को मानस को आपको समर्पित किया है. आप जब चाहेंगी मैं आप दोनों के बीच से हट जाउंगी.”
मैं उसे चुम्बन लेती और बोलती
“तुम हम दोनों के बीच की कड़ी हो. जब तक जीवन हैं तुम हम दोनों की प्यारी रहोगी.” वह खुश हो जाती. छाया बहुत ही अच्छी थी.
हम लोगों ने शादी में अपने सभी दोस्तों और रिश्तेदारों को बुलाया था. पर छाया ने अपनी सहेलियों को बुलाने से साफ मना कर दिया था. उन्हें मानस और उसकी असलियत मालूम थी. छाया यह बात अपनी सहेलियों को नहीं बता सकती थी कि मानस से उसका ब्रेकअप हो गया है. मानस उसका भाई था यह बताना उसके लिए संभव नहीं था. पर उसकी सहेली पल्लवी यह बात जानती थी.
मानस ने एक बहुत बड़ा मैरिज हॉल बुक किया हुआ था. जिसमें गांव से आने वाले सभी लोग रुके हुए थे. गांव की महिलाएं और बच्चे इस भव्य व्यवस्था से बहुत खुश थे. वह इस उत्सव का पूरा आनंद लेते थे. वहां पर सभी के अलग-अलग कमरे बुक थे. खानपान की भी उत्तम व्यवस्था थी. गांव के लोग इन बातों में बहुत खुश थे और मानस की तारीफ करते हुए नहीं थक रहे थे. हम सब भी सुबह-सुबह वही पहुंच जाते और दिन भर उन लोगों के साथ रहते थे. छाया की खूबसूरती गांव वालों के लिए आश्चर्य का विषय थी. मैं भी उतनी ही खूबसूरत थी परंतु छाया की कोमलता उसे मुझसे दो कदम आगे रखती.
मुझे इस बात का कोई मलाल नहीं था मैं छाया से बहुत प्यार करती थी. जब हम दोनों एक साथ होते तो गांव वाले यही कहते आ गई ननद भाभी की जोड़ी . हम दोनों पक्की सहेलियां भी थी. गांव की महिलाएं और लड़कियां छाया को अपने साथ बैठा आशीर्वाद देतीं और अपने अंदाज में उससे सुहागरात और शादी के बाद की बातें करतीं. मैंने एक बार देखा, एक गांव की एक लड़की अपने घुटनों को मोड़कर और घुटने के ऊपर और नीचे के दोनों मांसल भागों को अपनी उंगलियों से सटाकर योनि का आकार बना रही थी और अपनी उंगली को उसमें फंसा कर छाया को सम्भोग के बारे में बता रही थी. छाया भी मुस्कुराते हुए वह सब सुन रही थी. ऐसा लग रहा था जैसे आई आई टी के प्रोफेसर को कोई पाइथागोरस थ्योरम समझा रहा हो...
छाया साक्षात रति थी यह उन्हें नही पता था. उसके चेहरे की मासूमियत उसका सबसे बड़ा हथियार थी. विवाह समारोह में आया हुआ कोई भी व्यक्ति चाहे वह पुरुष हो या महिला या कितना भी कुत्सित विचारों वाला हो वह यह बात सोच नहीं सकता था कि छाया मेरे और मानस के बीच की कड़ी थी. मैं और मानस यह सोच कर ही उत्तेजना से भर जाते थे कि हमारी प्यारी छाया की शादी हो रही है और कुछ ही दिनों मैं वह संभोग सुख का आनंद ले पाएगी.
छाया ने अपनी कामुकता को बड़ी खूबसूरती से जिया था. बहुत कम ही लोग ऐसे होते हैं जिन्हें अपने आसपास में मानस जैसा साथी मिल जाता है और वह उनकी सारी इच्छाओं की पूर्ति करता है. छाया मानस से तीन-चार महीनों के लिए दूर थी पर भगवान ने उसे मुझसे मिला दिया था. मैंने उसकी कामुकता को उस दौरान भी सीचतीं रही. मेरे विवाह के बाद से तो उसे दोहरा मजा मिल रहा था मैं और मानस उसकी हर इच्छा पूरी करते थे.
अब कुछ दिनों बाद उसे संभोग सुख प्राप्त होने वाला था. हम सब बहुत खुश थे. उसने एक दिन मुझसे बातों ही बातों में एक बात बोली
“सीमा दीदी जब तक मेरी शादी नहीं हो जाती पूरे विवाह समारोह में आप अपनी पैंटी नहीं पहनियेगा और मैं भी नहीं पहनूंगी. हम दोनों बीच-बीच में मानस भैया का ख्याल रखते रहेंगे. जब तक वह उत्तेजित रहेंगे तब तक वह दुखी नहीं होंगे”
मैंने उससे कहा
“अरे इसकी फुर्सत कहां मिलेगी.”
“आप सिर्फ मानस भैया को यह बात बता दीजिएगा”
मैने मुस्कुराते हुए कहा
"मैं यह बात सोमिल को भी बता दूंगी”
वह हंसते हुए बोली
“अरे वह एकदम सज्जन है. वह यह सब काम शादी के पहले नहीं करेंगे”
हम दोनों हँसने लगे.
छाया मेरे गले लगते हुए कान में बोली
“आपकी शादी में भी मैंने पैंटी नहीं पहनी थी. मानस भैया सुहाग रात मनाने तक मुझे सहलाते रह गए थे.” वह हसते हंसते भाग गयी. सच में वह बड़ी नटखट थी.
हम सब अपने काम में मशगूल हो गए. छाया ने सच ही कहा था मेरे बताने से पहले ही उसने मानस को बता दिया था. जहां भी मौका मिलता वह मेरे पास आते मेरे घागरे को ऊपर करते मेरी रानी और नितंबों को सहला देते तथा अपने राजकुमार में तनाव भर कर चले जाते. मैं भी कभी-कभी उनके राजकुमार को अपने हाथों में लेकर दबा देती और उनके तनाव को महसूस करती. यह बड़ा आकर्षक लगता था. दिन भर हम एक दूसरे को उत्तेजित करते रहते मुझे पता था वह यही काम छाया के साथ भी कर रहे थे. मुझे यह और भी उत्तेजक लगता है कि छाया की दो-तीन दिनों में शादी है और वह अपने मानस भैया के साथ यह सब काम कर रही है पर छाया की यही मादकता और कामुकता उसका स्वभाव था. हम इसका आनंद ले रहे थे. छाया कभी-कभी मेरे पास भी आती और और मेरी रानी को हाथ लगा कर देखती और बोलती
“दीदी इसको सूखने नहीं देना है”
रात में घर पहुंचते-पहुंचते हम लोग पूरी तरह उत्तेजित रहते और अपने अपने अंदाज में अपना स्खलन करते. कभी कभी छाया विवाह भवन में भी स्खलन करा देती थी.
छाया की राजकुमारी अब राजकुमार को आगोश में लेने के लिए पूरी तरह तैयार हो चुकी थी
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