RE: XXX Kahani छाया - अनचाहे रिश्तों में पनपती कामुकता
भाग 20
छाया का विवाह
[मैं सीमा]
छाया का विवाह विधि विधान से सम्प्पन हुआ. हल्दी की रस्म में मैंने मुख्य भूमिका निभाई थी. मैंने छाया की राजकुमारी को हल्दी में भिगो दिया था और हल्दी छुड़ाते छुड़ाते उसे स्खलित करा दिया था वह उत्तेजित भी थी और खुश भी. शर्माजी ने कन्यादान दिया. गाव वाले उन्हें मानस का बॉस समझते थे और पितातुल्य मानते थे. हमारे लिए वो माया जी के भावी पति थे.
सुबह विदाई का कार्यक्रम संपन्न हुआ और छाया की विदाई भी हो गई. छाया विवाह मंडप के एक भाग से हटकर दूसरे भाग में चली गई थी. हम लोगों में से किसी को भी विदाई का पता भी नहीं चला. छाया की सुहागरात के लिए मैंने पांच सितारा होटल में कमरा बुक किया हुआ था. सोमिल की माता जी से मैंने पहले ही अनुमति ले ली थी. वह मुझसे बोली
“बेटा तुम सोमिल को भी बचपन से जानती हो और छाया को भी. वह तो तुम्हारी सहेली भी है और ननद भी. तुम दोनों की सुहागरात को जितना यादगार बना सकती हो बनाओ. मैं तो यही कहूंगी की उस दिन यह दोनों उस होटल में अकेले रहें इसकी बजाय तुम और मानस भी एक कमरा लेकर वहीं होटल में ही रहो. इससे उन दोनों को मानसिक बल मिलेगा.” सोमिल की मम्मी की यह बात मुझे पसंद आ गई. विवाह की भागा दौड़ी में मैंने भी मानस के साथ कई दिनों से खुलकर संभोग नहीं किया था मुझे पता था उन्हें इसकी सख्त आवश्यकता थी उनकी छाया भी उसी समय सुहागरात मना रही होगी ऐसे में उनकी वेदना को कम करना आवश्यकत था।
मैं छाया को लेकर ब्यूटी पार्लर चली गई. वह ब्यूटी पार्लर ब्राइडल मेकअप के लिए विख्यात था. वह दुल्हन को उसकी मनोदशा और इच्छा के अनुसार सजाता था. अपने विवाह के समय मुझे इस बात की जानकारी नहीं थी पर मेरी सहेली ने इस बारे में मुझे बताया था. यहां पर लड़कियों के स्तनों और जांघों पर भी मेहंदी से कलाकृति बनाई जाती थी. यह अत्यंत कामुक अनुभव होता होगा ऐसा मैंने सोचा था. मैंने छाया से उसकी राय मांगी उसने कहा चलो कराते हैं. फिर यह दिन बार-बार थोड़ी आएगा हम सब ब्यूटी पार्लर में दाखिल हो गए थे. लड़कियों ने हमारा स्वागत किया और हमारा मेकअप करने ले गई छाया ने मुझसे कहा
“सीमा भाभी आपको भी वैसा ही मेकअप करना पड़ेगा.”
“क्यों मेरी शादी थोड़ी है”
“आप भी करा लीजिए। आज आप मानस भैया के साथ ही रहिएगा. आप इस तरह सज धज कर उनके पास जाएगी तो उन्हें अच्छा लगेगा. जब मैं अपनी सुहागरात मना रही होउंगी उस समय आप मानस के साथ सुहागरात मनाईएगा. मुझे बहुत अच्छा लगेगा और मानस भैया भी खुस हो जाएंगे.” उसकी आँखों में आसूं थे. वो मानस को बहुत प्यार करती थी.
मैं उसकी बात मान गई मुझे उसकी बातों में प्यार भी दिख रहा था और मुझे अंदर ही अंदर हंसी भी आ रही थी. उन लड़कियों ने हम दोनों को अगल-बगल लिटा कर हमारा मेकअप शुरू कर दिया. उन्होंने हम दोनों की जाँघों, नितंबों और स्तनों पर तरह-तरह की कलाकृतियां बनाई जिससे हमारे अंग प्रत्यंग और निखर गए छाया की राजकुमारी के आसपास उन्होंने सजावट कर दी थी. मैंने अपनी राजकुमारी के ठीक ऊपर आई लव यू और एक दिल का निशान बनवा लिया था. हम दोनों एक दूसरे को देख कर खुश हो गए और मेकअप रूम में चले गए.
वहां पर हम दोनों को ब्राइडल मेकअप में तैयार किया गया. छाया की सुहागरात थी इसलिए उसकी सजावट मैंने कुछ ज्यादा करने के लिए कहा. पर हम दोनों को देखने के पश्चात यह कहना मुश्किल था असल में सुहागरात किसकी है. छाया ने सुर्ख लाल रंग की साड़ी पहनी हुई थी और मैंने हल्के हरे रंग की साड़ी पहनी हुई थी.
शाम को लगभग 9:00 बजे हम लोगों ने थोड़ा-थोड़ा खाना खाया और अब वक्त आ चुका था कि छाया और सोमिल को होटल पहुचाया जाए.
कुछ ही देर में हम लोग होटल के लिए निकल चुके थे.
मैं और मानस अलग गाड़ी में थे. छाया और सोमिल एक विशेष रूप से सजी-धजी गाड़ी में थे. मानस बहुत खुश थे वह मुझे बार-बार धन्यवाद देते और कहते
“सीमा इस शादी को संपन्न कराने में तुमने जो किया है मैं उसके लिए तुम्हारा शुक्रगुजार हूं. तुमने छाया और मुझे हमेशा के लिए ऋणी बना दिया” शायद मानस यह जानते थे कि मैंने सोमिल के वचन की लाज रख ली थी.
"छाया की खुशी में ही मेरी खुशी है” मैंने कहा. मैं खिड़की से बाहर देखने लगी.
मैं हमारे संबंधों में आये बदलाव के बारे में सोच रही थी. मुझे छाया से कुछ दिनों पहले हुए वार्तालाप की याद आ रही थी.
एक बार मैंने अंतरंग पलों के दौरान छाया से पूछा था
“सुहागरात के दिन तुम्हें अपना कौमार्य खोने के स्वप्न आते हैं”
“हां कभी-कभी आते हैं”
“तब तो मल्होत्रा जी सपने में आते होंगे ?”
वह मुस्कुराने लगी. मैंने कहा
“बता ना”
“अरे छोड़िए दीदी”
“नहीं नहीं प्लीज बताओ ना. तुम तो मेरी अतरंग सहेली हो मुझसे क्या छुपाना “
“सच कहूं तो अभी भी मानस भैया ही आते हैं”
“क्या?”
“वाह री भैया की प्यारी बहना” कह कर मैंने उसके गाल पर चिकोटी काट ली.
“भगवान करे तेरा सपना सच हो”
“दीदी आप भी मजाक करतीं हैं”
“कई बार सपने सच भी हो जाते हैं “
“सच हो गया तो तो मैं इस धरती की सबसे भाग्यशाली इंसान होउंगी.” यह कह कर वह मुस्कुरा दी थी.
टायरों के चीखने की आवाज से मेरी तन्द्रा भंग हुयी. हम होटल पहुच चुके थे.
हमारी गाड़ी होटल के पोर्च में रुकी. हम सब होटल में रिसेप्शन की तरफ बढ़ रहे थे. हमारे साथ सामान के नाम पर दो ब्रीफकेस थे. एक छाया का और एक ब्रीफकेस में मैंने अपने कुछ कपड़े रख लिए थे. रिसेप्शन पर हमें दो कमरों की चाबी ने दी गई और हम आठवीं मंजिल पर स्थित अपने कमरों की ओर चल पड़े. लिफ्ट में जाते समय हम चार लोग थे पर पूरी शांति थी. दो सजी-धजी नवयौनाए संभोग सुख लेने के लिए होटल के कमरे में जा रहीं थीं। कोई भी एक दूसरे से बात नहीं कर रहा था पर सभी एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा रहे थे.
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