RE: XXX Kahani छाया - अनचाहे रिश्तों में पनपती कामुकता
भाग -21
सुहागरात
[मैं सीमा]
मैंने होटल वाले से बोलकर दोनों ही कमरों को सुहागरात के हिसाब से सजाया था. मानस की खुशी के लिए मैंने एक कमरे को उनकी पसंद से सजाया था. लॉबी में चलते हुए सबसे पहले जो कमरा आया उसकी चाबी सोमिल के पास थी सोमिल ने अपने कमरे का दरवाजा खोला और हम सब उसके कमरे में दाखिल हो गए. कमरा अत्यंत सुंदर तरीके से सजाया हुआ था मैंने सोमिल से कहा आप यहां इंतजार कीजिए हम लोग दूसरा कमरा देख कर आते हैं. छाया ने कहा
“मैं भी आती हूं” वह भी हमारे पीछे पीछे आ गई. हम लोगों ने बगल वाला कमरा भी खोला वह कमरा भी वैसे ही सजा हुआ था. छाया आश्चर्यचकित होकर बोली
“अरे आप लोगों ने भी अपना कमरा वैसे ही सजाया है” यह तो बड़ा आनंद दायक है मुझे बहुत खुशी हो रही है. आप लोग भी मुझे याद कर इस घड़ी का आनंद उठाएंगे” यह कहकर वो मुझसे लिपट गई. मैंने उसके कान में कहा
“छाया मेरी बात ध्यान से सुनो. तुम्हें आज सुहागरात इसी कमरे में मनानी है वह भी तुम्हारे मानस भैया के साथ. तुम्हारा सपना पूरा होने जा रहा है. मानस से सिर्फ इतना कहना कि सीमा भाभी वचन निभाने गई है. वह समझ जाएंगे” इतना कहकर मैं उस कमरे से चली आई और दरवाजा बंद कर दिया.
[मैं मानस]
“अरे सीमा कहां चली गई”
“पता नहीं वह अचानक चली गयीं और मुझसे कहा कि आपको बता दूं कि वह अपना वचन निभाने गई है”
“पर आज तो तुम्हारी सुहागरात है.”
“हां पर उन्होंने ऐसा ही कहा है”
सीमा के वचन से मुझे तो सारी परिस्थितियां समझ में आ गई थी. सीमा आज के दिन ही सोमिल का वचन पूरा करेगी यह मुझे उम्मीद कतई नहीं थी. उसने आज छाया की सुहागरात खराब कर दी थी. आज के दिन छाया को सोमिल के साथ होना चाहिए था. तभी छाया मेरे पास आई और मुझसे लिपट गई. छाया ने मुझसे पूछा
“सीमा दीदी किस वचन की बात कर रही थी?”
मैंने उसे सब कुछ बता दिया वह खुश हो गई थी. उसने मुझसे कहा
“सीमा दीदी की आज्ञा है कि मैं आपके साथ ही सुहागरात मनाऊं”
हम दोनों सारी बात समझ चुके थे और सीमा को दिल से धन्यवाद दे रहे थे कि उन्होंने हम दोनों के इस बहुप्रतीक्षित मिलन को इतना शुभ और आसान कर दिया था साथ ही साथ उसने सोमिल के वचन की लाज भी रख कर छाया के आने वाले वैवाहिक जीवन को खुशहाल करने का मार्ग प्रशस्त कर दिया था. दोनों अप्सराएं एक दुसरे के लिए ही बनीं थी. पहले छाया ने सीमा को मुझसे मिलाया और अब सीमा ने मेरी प्रियतमा को इस पावन अवसर पर संभोग के लिए प्रस्तुत कर दिया था।
छाया अब मेरी बाहों में आ चुकी थी. हमारे मन में कोई मलाल नहीं था. छाया का विवाह हो चुका था और अब वह संभोग के लिए तैयार थी. हम दोनों एक दूसरे के होंठों का चुंबन प्रारंभ कर चुके थे.
[मैं छाया]
मानस की बातें सुनने के बाद मैं पूरी तरह तैयार हो चुकी थी. मुझे मानस के साथ अपना सुहागरात मनाने का बहुप्रतीक्षित अवसर आ चुका था. मैं मानस के होठों को लगातार चूमे जा रही थी. मेरा सपना जो एक बार टूट चुका था आज पुनः जीवंत हो उठा था. मानस के चुंबन में आज अधीरता थी. आज मेरे प्यारे राजकुमार और राजकुमारी का पूर्ण मिलन होने वाला था. आज मैं पूरे तन मन से मानस की हो जाना चाहती थी. मेरे शरीर का रोम रोम उन्हें अपने से जोड़ लेना चाहता था. मेरे शरीर के हर अंग को उनका ही इन्तजार था. मेरे स्तनों को उन्होंने ही आकार दिया था. मेरी जाँघों और नितम्बों पर उनकी ही हथेलियों में मालिश की थी. मैं भावविभोर थी. मानस के हाथ धीरे धीरे मेरे घागरे तक पहुंच चुके थे. उन्होंने उसका नाडा धीरे से खोल दिया था. घागरा भारी होने की वजह से तुरंत ही नीचे गिर पड़ा. मैं नीचे से नग्न हो गयी थी. मानस अभी भी मुझे चुमने में व्यस्त थे उनके हाँथ नितम्बों को सहला रहे थे. कुछ ही देर में उन्हें मेरे स्तनों का ख्याल आया. धीरे से चोली ने भी मेरा साथ छोड़ दिया अब मैं उनके सामने नग्न खड़ी थी. शादी में सीमा भाभी ने मेरे लिए कई सारे गहने लिए थे. सिर से पैर तक लगभग हर अंग पर ज्वेलरी के अलावा और कुछ नहीं बचा था. मानस अभी मुझे लगातार चुम्बन दिए जा रहे थे.
[मैं मानस]
मैंने छाया को अपने शरीर से थोड़ा दूर किया ताकि मैं देख सकूं कि वह कैसी दिखाई दे रही है. छाया आज एक अप्सरा की तरह दिखाई पड़ रही थी. उसके शरीर से सारे वस्त्र निकले हुए थे परंतु सीमा द्वारा दी गई ज्वेलरी उसके शरीर पर अभी तक विद्यमान थी और उसे एक अद्भुत खूबसूरती प्रदान कर रही थी. उस समय छाया आदिकाल की कामुक मूर्ति लग रही थी. छाया छाया के आभूषण उसकी सुंदरता में चार चांद लगा रहे थे. उसके स्तनों पर मेहंदी से जो कलाकृति बनाई गई थी वह अत्यंत मादक थी. स्तन उभरकर बाहर आ रहे थे. निप्पलों के आसपास भी मेहंदी की सजावट की गई थी. छाया का कटी प्रदेश और नाभि अत्यंत मोहक लग रहे थे. नाभि प्रदेश के ठीक नीचे उसका कमरबंद दिखाई पड़ रहा था. मैंने और माया आंटी ने उसे बड़ी पसंद से चुना था और आज मैं छाया को उसी कमरबंद में नग्न देखकर अत्यंत खुश हो रहा था. उसके राजकुमारी के चारों तरफ भी सजावट की गई थी. छाया की मांसल जाँघों पर करीने से मेहंदी लगाई गई थी. मैं यकीन नहीं कर पा रहा था की छाया को इस ढंग से किसने सजाया होगा और वह खुद कितना उत्तेजित हुआ होगा. छाया ने नाक की नथ खूबसूरत थी. वह मुझे उसकी सुहागरात की याद दिला रही थी. छाया सिर झुकाए खड़ी थी वह मेरे अगले कदम की प्रतीक्षा कर रही थी. मैंने उसे फिर से अपने आलिंगन में ले लिया और बारी-बारी से उसके आभूषण खोलने लगा. उसकी अंगुलिया मेरे वस्त्रों की साथ खेलने लगी और मैं नग्न होता चला गया. हम दोनों हमेशा की तरह एक दुसरे के आलिंगन में नग्न खड़े थे. उसके माथे का सिन्दूर उसका मंगलसूत्र और नथ जो उसके सुहागरात की निशानी थे मुझे विशेष दिन की याद दिला रहे थे. मैंने उसके माथे पर चुम्बन लिया और उससे बोला
“तुम्हारी इच्छा थी की तुम जिसे चाहती थी वही तुम्हारा कौमार्य भेदन करे. मुझे उम्मीद करता हूं कि तुम खुश होगी”
उसने कुछ कहे बिना मेरे लिंग को अपने दोनों हाथों में ले लिया और बोली.
“मैंने सोते जागते इस दिन का अपने जीवन में पिछले ३ -४ सालों से प्रतीक्षा की है और सीमा दीदी की वजह से मुझे आपके राजकुमार से यह सुख मिलेगा यह मेरा सौभाग्य है.”
यह कहकर वह नीचे झुकी और राजकुमार को चूम ली. मैंने उसे गोद में उठा लिया. उसे इस तरह नंगी होकर मेरी बाहों में आना बहुत अच्छा लगता था. मेरा एक हाथ उसके नितंबों के नीचे था तथा दूसरे हाथ से मैंने उसकी पीठ को सहारा दिया था वह अपना दाहिना हाथ मेरे गर्दन में फसाई हुई थी. उसके स्तन मेरे स्तनों से टकरा रहे थे. इस अवस्था में उसे बहुत अच्छा लगता था वह बार-बार मुझे इसी तरह गोद में लेने के लिए बोलती थी. आज छाया बहुत खुश थी. मेरा राजकुमार बार बार उसके नितंबों से छू रहा था. मैं उसे बेड के साइड में लगे एक बड़े आईने के पास ले गया. वह यह दृश्य देखकर मंत्रमुग्ध हो गई थी. उसने अपने आप को इतना सजे धजे कभी नहीं देखा था और वह भी इस तरह मेरी बाहों में. वह मदमस्त थी मैं उसके गालों पर लगातार चुंबन ले रहा था. उसके माथे पर लगा हुआ सिंदूर जरूर मेरे नाम का नहीं था पर आज वह विवाहिता थी. उसने अपनी राजकुमारी को देखने की लिए अपनी जांघे फैलाई. हम दोनों उसकी सजावट देखकर खुश हो गए. उसने मुझे चूम लिया और कहा
“ आज मैं और मेरी राजकुमारी आप के लिए सजे हैं”
मैं उसे लेकर धीरे-धीरे बिस्तर पर आ गया. श्वेत धवल चादर पर उसका यह सजा धजा गोरा और कोमल बदन मेरी उत्तेजना को ऊंचाइयों तक ले गया. मैंने छाया को बिस्तर पर लिटा दिया उसके सर के नीचे लाल रंग का सुनहरा तकिया रख दिया. उसने अपने दोनों हाथ सिर के नीचे रख लिए. उसने अपनी जांघों को थोडा फैला दिया था. मैंने उसकी जाँघों को थोडा ऊपर उठाने को कोशिश की. वो समझ गयी और अपनी जाँघों को अपने हांथो से ऊपर खीच लिया ठीक वैसे ही जैसे उसने राजकुमारी दर्शन के समय किया था. मैंने आज राजकुमारी के दिव्य रूप के दर्शन कर रहा था उसकी राजकुमारी की सजावट राजकुमारी की खूबसूरती में चार चांद लगा रही थी. छाया मंद मंद मुस्कुरा रही थी. उसकी मुस्कुराहट में अजीब किस्म की मादकता थी. उसने अपने दोनों हाथ मेरी तरफ बढ़ा दिए. मैं अब उसकी जांघों के बीच आ चुका था इस दौरान सीमा की राजकुमारी के होठों पर प्रेम रस की बूंदें छलक आई थी. आज उसे किसी और उत्तेजना की आवश्यकता नहीं थी. छाया के हाथों का बुलावा देखकर मैं उसके आलिंगन में आने को बेताब हो गया और कुछ ही देर में मैं छाया के ऊपर आ चुका था . मेरा सीना छाया के स्तनों से टकरा रहा था और मेरा राजकुमार राजकुमारी के मुख पर दस्तक दे रहा था.
छाया ने दोनों हाथों से मेरे गाल को पकड़ा और बहुत प्यार से बोली
“मानस भैया इस दिन का इंतजार हम लोग कब से कर रहे थे. आज वह दिन आ गया. आज अपनी छाया को की राजकुमारी को रानी बना दीजिए” इतना कहकर उसने मेरे होठों को चूम लिया.
मैंने उसकी नथ उतारी वह मुस्कुरा रही थी.
मैंने भी अपने राजकुमार को उसकी राजकुमारी के मुख पर रखकर अपना दबाव बढ़ा दिया. जैसे ही राजकुमार उसकी कौमार्य झिल्ली से टकराया छाया की कमर में हलचल हुई. मैंने उसके होठों को और तेजी से चूसना शुरू कर दिया इसके पहले कि वह कुछ समझ पाती मैंने एक झटके में उसका कौमार्य भेदन कर दिया. इससे उसे पीड़ा अवश्य हुई यह उसकी आंखों और चेहरे के हाव भाव से स्पष्ट दिखाई पड़ रहा था. उसकी आंखों में आंसू भी आ गए थे पर वह जैसे इन सब के लिए तैयार थी. मैं उसी अवस्था में कुछ देर रुका रहा. वह मुझे लगातार चूम रही थी. मैंने अपने दोनों हाथों से उसके आंसू पोछे और उसके माथे पर चुंबन किया और एक बार फिर अपने राजकुमार का दबाव बढ़ा दिया. राजकुमार अब और गहराइयों में उतर चुका था लिंग का अंतिम भाग भी राजकुमारी में पूरी तरह उतर चुका था. अब इसके आगे जाने की संभावना नहीं थी छाया बेसुध होकर मेरे अगले कदम का इंतजार कर रही थी. उसकी सांसें बहुत तेज चल रही थी.
मैंने इसी अवस्था में उसको सामान्य करने के लिए उसके स्तनों पर हाथ फेरना शुरू किया. स्तनों पर हाथ फेरने और उन्हें सहलाने के बाद छाया को आनंद का अनुभव होने लगा. मैं लगातार चुंबन लेकर उसे खुश कर रहा था. सामान्य होते ही उसने कहा
“आज मेरी राजकुमारी रानी बन गई” यह कह कर उसने मुझे चूम लिया . मैं अब अपनी कमर को धीरे-धीरे आगे पीछे करने लगा और वह इस का आनंद लेने लगी. संभोग का सुख अतुलनीय है छाया यह बात समझ रही थी और इसका आनंद उठा रही थी. उसकी राजकुमारी के कंपन आज अति शीघ्र चालू हो गए. राजकुमार उन कम्पनों के बीच में स्वयं भी उछलने लगा था. मुझे लगा जैसे मैं छाया के अंदर ही स्खलित हो जाऊंगा. मैंने अपने आप को नियंत्रित किया. मेरे संभोग क्रिया के दौरान छाया अब स्खलित होने की कगार पर पहुंच चुकी थी. उसकी राजकुमारी के कंपन बढ़ते जा रहे थे. अचानक उसकी जांघें पूरी तरह फैल गई उसके चेहरे पर एक अजीब किस्म का खिंचाव आ गया. और उसके नाखून मेरी पीठ में गड गए. छाया स्खलित हो रही थी. स्खलित हो रही राजकुमारी में राजकुमार का तेज आवागमन अत्यंत सुख देता है ऐसा अनुभव मुझे सीमा ने बताया था. मैं वही अनुभव छाया को महसूस करना चाहता था. मैंने अपनी पूरी शक्ति से अपने राजकुमार को उसके राजकुमारी के अंदर आगे पीछे करने लगा. तेज गति से राजकुमार के आवागमन के कारण छाया का आनंद बढ़ता जा रहा था. उसके चेहरे पर दिख रहा यह आनंद अद्भुत था. मेरे राजकुमार का भी लावा फूटने वाला था पर मैं किसी भी हालत में छाया को स्खलित किए बिना अपना लावा नहीं छोड़ना चाहता था. अंततः छाया के जाँघों का तनाव कम पड़ते ही मैंने अपने राजकुमार की अंतिम झटका देते हुए राजकुमारी की पूरी गहराइयों तक उतार दिया . गहराइयों में जाने के बाद राजकुमार स्खलित होने लगा. मैंने उसे बाहर निकाल लिया और हमेशा की तरह मेरे वीर्य ने छाया के शरीर को ढक लिया. मैं छाया के बगल में लेट गया और उसे अपने आलिंगन में ले लिया. हम दोनों ही हांफ रहे थे. और एक दूसरे को प्यार से सहला रहे थे.
कुछ देर बाद हमारी सांसे सामान्य हो गयीं. छाया बिस्तर से उठ कर बाथरूम की तरफ जा रही थी. उसने बिस्तर पर लाल निशान देखा उसने मुझे उठाया और वह लाल निशान दिखाया . हम दोनों ही यह समझ गए थे कि यह छाया के कौमार्य भेदन का प्रतीक है. मैंने छाया को उसकी राजकुमारी की तरफ इशारा करके दिखाया. वह भी रक्त से सनी हुई थी पर छाया को साफ साफ नहीं दिखाई पड़ रही थी. मैं छाया को फिर से गोद में लेकर आईने के पास ले गया उसने अपनी जांघें फैलाकर अपनी राजकुमारी को देखा. वह फूली हुई थी और उसके निचले भाग पर रक्त लगा था जो सूख गया था. उसने मुझे गालों पर फिर से चुंबन लिया और मेरे कान में बोली
“थैंक्यू मानस भैया” भैया शब्द पर उसने विशेष जोर दिया और मेरे गाल पर फिर से एक पर चुंबन जड़ दिया.
अब वह मेरी गोद से उतर चुकी थी और बाथरूम की तरफ जा रही थी. उसकी जांघो पर भी रक्त के धब्बे थे जो पीछे से दिखाई पड़ रहे थे.
कुछ ही देर में वह वापस बिस्तर पर आई. मैं भी एक बार बाथरूम में जाकर अपने राजकुमार पर लगे रक्त के धब्बों को साफ कर कर आया. हम दोनों एक दूसरे के आलिंगन में फिर से आ गए. छाया बहुत खुश थी परंतु संतुष्ट नहीं थी. वह संभोग सुख दोबारा लेना चाहती थी. वह मुझे फिर से चूम रही थी कुछ ही देर में मेरा राज कुमार वापिस युद्ध लड़ने के लिए तैयार हो गया था. छाया अब मेरे ऊपर आ चुकी थी इस बार उसने खुद ही मोर्चा संभाल लिया था. अपनी कमर को मेरे राजकुमार के ऊपर व्यवस्थित करने के बाद उसने अपने हाथों में मेरे राजकुमार को पकड़ लिया और अपनी रानी के मुख पर रख दिया. वह अपनी कमर को नीचे करती गई और राजकुमार की रानी में विलुप्त होता चला गया. जैसे-जैसे राजकुमार अंदर की तरफ जा रहा था छाया के चेहरे पर एक अजीब किस्म का नशा दिखाई पड़ रहा था. वह बहुत खुश थी. पूरे राजकुमार को अपने अंदर लेने के बाद वह मुस्कुरा उठी इस कार्य में उसे कुछ दर्द हो रहा था कि नहीं पर वह उसको नजरअंदाज कर रही थी. वह वापिस मेरे चेहरे की तरफ आई और अपने स्तनों को मेरी छाती से रगड़ने लगी मैंने भी उसके सजे हुए स्तनों लो अपने दोनों हाथों में ले लिया और उन्हें सहलाने लगा. छाया की कमर हिलने लगी थी. वह धीरे-धीरे अपनी रानी को आगे पीछे करती और मेरा राजकुमार उसका साथ देता. धीरे-धीरे छाया के कमर की गति बढ़ती जा रही थी वह अद्भुत सुख में थी. मैं उसके नितंबों को लगातार सहला रहा था वह इस आनंद की अनुभूति इस बार और भी अच्छे से कर रही थी. बीच-बीच में मैं उसकी दासी को भी हाथ लगा देता था. जैसे ही मैं उसकी दासी को हाथ लगाता वह मेरी तरफ देखती मुस्कुराती और फिर अपनी रफ्तार बढ़ा देती. उसका इस तरह से मेरे साथ संभोग करना अकल्पनीय सुख दे रहा था. मैंने छाया से हमेशा कुछ नए की उम्मीद की थी और आज वह इतनी रफ्तार में और तरह तरह से अपनी कमर चला रही थी कि मुझे यकीन नहीं हो रहा था. राजकुमार अद्भुत सुख में था एक बार के लिए मुझे लगा की छाया ने जिम की मांग सही की थी इन दिनों उसकी कमर में कसाव आ गया था. कुछ ही समय में मैं उत्तेजना के शीर्ष पर पहुंच गया छाया की धड़कन भी और बढ़ गई थी. कुछ ही देर में मुझे महसूस हुआ जैसे मैं पहले स्खलित हो जाऊंगा. मैंने छाया की उत्तेजना बढ़ाने के लिए उसके निप्पलों को अपने मुंह में ले लिया मैं बारी-बारी से उसके निप्पल चूसने लगा. मेरा फार्मूला काम कर गया और छाया की रानी के कंपन महसूस होने लगे. मैंने भी अपने कमर की गति से रानी को और उत्तेजित करने की कोशिश की. अंततः स्खलित हो रही छाया की कमर हिलनी बंद हो गई. मैंने उसे अपने आगोश में जोर से खींच लिया और अपने कमर की गति और तेज कर दी. छाया काँप रही थी पर मैंने अपनी गति न रोकी. मैंने अपने राजकुमार को रानी के अंदर तक पूरा प्रवेश करा दिया था. मेरा लावा फूटने ही वाला था. मैंने लिंग को बाहर किया. वीर्य किधर जा रहा था यह मुझे होश नहीं था. वह छाया और मेरे पेट के बीच कहीं अपना रास्ता तलाश रहा था. मेरे हाथ छाया के नितंबों और पीठ पर थे वह मुझसे लिपटी हुई थी कुछ ही देर में वह मेरे बगल में आ गयी. और हम एक दूसरे के आगोश में फिर कुछ देर के लिए शांत हो गए
मैंने और छाया ने उस रात चार बार संभोग किया. छाया इस सुहागरात को यादगार बना देना चाहती थी 4 बार संभोग करने के पश्चात वह खुद भी बहुत थक गई थी. राजकुमारी पर एक साथ इतने प्रहार से वह भी आहत हो गई थी. मैंने उसे दिखाया राजकुमारी काफी फूल गई थी और उसके साथ दोबारा संभोग करना उचित नहीं होता. मैंने छाया को अपनी गोद में लेकर सो जाने के लिए कहा वह मान गई पर बोली
“ मानस भैया क्या यह हमारी आखिरी रात है”
मैंने उससे कहा
“ सीमा हैं ना, वो हमें फिर मिलवाएगी”
छाया खुश हो गयी और मेरी गोद में सो गई.
सोमिल के वचन की लाज
सोमिल बिस्तर पर बैठा इंतजार कर रहा था. मैं मानस और छाया को छोड़कर वापस आई
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