RE: XXX Kahani छाया - अनचाहे रिश्तों में पनपती कामुकता
भाग- 24
सोमिल की कंपनी पाटीदार फाइनेंस के मालिक रमेश पाटीदार एक 55- 56 वर्ष के प्रभावशाली आदमी थे. उनकी कंपनी में लगभग 200 लोग कार्यरत थे सोमिल और छाया भी उसी कंपनी के सॉफ्टवेयर विभाग में काम करते थे। फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन को नियंत्रित करना तथा उनकी गोपनीयता बनाए रखना सोमिल के कार्य का एक हिस्सा था। इस गबन के आरोप में सोमिल का नाम पेपर वालों ने भी उछाला था। सोमिल के फरार होने से यह बात और भी पुख्ता तरह से प्रमाणित हो रही थी।
कमरे में हुआ खून किसी और बात की तरफ भी इशारा करता था। मैं, छाया और सीमा को लेकर ही परेशान था वह दोनों नवयौवनाएँ जो अभी हाल में ही विवाहिता हुई थी और अपने जीवन का आनंद लेना शुरू कर रही थी उन्हें इस तनाव भरे छोड़ो से गुजर ना पढ़ रहा था उनके चेहरे की लालिमा गायब थी वह दोनों ही तनाव में थी।
इस केस को समझ पाना मेरे बस से बाहर था। मैंने सब कुछ भगवान पर छोड़ दिया। मैंने विवाह में आए लोगों को यथोचित अदर देकर अपने अपने घर जाने के लिए कहा। विवाह मंडप खाली करना भी अनिवार्य था। सूरज ढलते ढलते सभी लोग अपने अपने घर चले गए।
हम सब भी अपने घर आ चुके थे सोमिल के माता पिता भी मेरे घर पर आ गए थे। हम सब अपने ड्राइंग रूम में बैठे हुए आगे होने वाली घटनाओं के बारे में सोच रहे थे।
छाया और सीमा भी फ्रेश होकर हॉल में आ चुकीं थीं । उसने अपनी कंपनी के मालिक रमेश पाटीदार को फोन किया।
"सर मैं छाया"
" सोमिल की जूनियर।"
"मैंने पेपर में खबर पढ़ी पर सोमिल ऐसा नहीं कर सकता मैं आपको विश्वास दिलाती हूँ।"
मैंने छाया को फोन का स्पीकर चालू करने के लिए कहा
"मैं भी पहले यही समझता था मैंने सोमिल पर जरूरत से ज्यादा विश्वास किया और उसका यह नतीजा आज मुझे देखना पड़ रहा है। मैं उसे छोडूंगा नहीं देखता हूं वह कहां तक भाग कर जाएगा"
स्पीकर फोन पर आ रही इस आवाज ने हम सभी को रमेश पाटीदार के विचारों से अवगत करा दिया था हमें उनसे किसी भी सहयोग की उम्मीद नहीं थी।
शर्मा जी भी अपनी जान पहचान के पुलिस अधिकारियों से बात कर सोमिल का जल्द से जल्द पता लगाने का प्रयास कर रहे थे।
छाया और मैंने पिछली रात जो संभोग सुख लिया था उसने छाया को थका दिया था। वह सोफे पर बैठे बैठे ही सो गई थी निद्रा में जाने के पश्चात उसके चेहरे का लावण्या उसकी खूबसूरती को एक बार फिर बड़ा गया था यदि सोमिल के गायब होने का तनाव मेरे मन पर ना होता तो मैं छाया को अपनी गोद में उठाकर एक बार फिर बिस्तर पर होता पर आज कुदरत हमारे साथ नहीं थी मैंने और छाया ने इतना दुखद दिन आज से पहले कभी नहीं देखा था।
(मैं डिसूजा)
होटल समय 11 बजे
मैं होटल की सीसीटीवी फुटेज देख रहा था तभी सत्यनारायण का फोन आया
"सर दूसरे कमरे में भी खून के निशान मिले हैं"
"क्या? कहां?"
"सर' सर बिस्तर पर"
"ठीक है मैं आता हूं।"
(दूसरे वाले कमरे में)
गद्दे पर थोड़ा रक्त के निशान थे और उसके आसपास दाग बने हुए थे रक्त का निशान ताजा था।
मेरा सिपाही मूर्ति सामने आया और बोला
"सर इस गद्दे के ऊपर बिछी हुई चादर पर कोई भी दाग नहीं था पर गद्दे पर यह दाग ताजा लगता है"
पीछे से किसी दूसरे सिपाही ने कहा
"कहीं सुहागरात का खून तो नहीं है"
पीछे से दबी हुई हंसी आवाज आई।
" रूम सर्विस से पता करो इस दाग के बारे में"
दोनों ही रूम से मेरी टीम ने कई सारे सबूत इकट्ठा किए बिस्तर पर लगे हुए खून को भी मैंने फॉरेंसिक टीम में भेज दिया।
होटल के दोनों कमरों को सील कर हम लोग वापस पुलिस स्टेशन आ गए सोमिल की तलाश अभी भी जारी थी सोमिल की कॉल डिटेल का इंतजार था।
वापस पुलिस स्टेशन आते समय मैं उन दोनों युवतियों के बारे में सोच रहा था नाइटी पहने हुई युवती बेहद कामुक थी दूसरी वाली तो और भी सुंदर थी । मेरे मन में कामुकता जन्म ले रही थी पर मैंने अभी इंतजार करना उचित समझा।
मंगलवार सुबह 8:00 बजे, मानस का घर
(मैं मानस)
पिछली रात में और सीमा अपने बिस्तर पर थे । छाया को भी अपने कमरे में मन नहीं लग रहा था वह भी हमारे पास आ गई। हम सोमिल के बारे में बातें करते करते सो गए। हम तीनों एक ही बिस्तर पर के दिनों बाद थे।
छाया का विवाह भी हो चुका था और प्रथम संभोग भी। यदि आज कोई और दिन होता तो मैं,सीमाऔर छाया अपने अद्भुत त्रिकोणीय प्रेम का आनंद ले रहे होते। पर आज सोमिल के इस तरह गायब होने का दुख हम तीनों को था। हम तीनों की ही कामुकता जैसे सूख गई थी अन्यथा दो अप्सराओं को अपनी गोद में लिए हुए अपने राजकुमार को नियंत्रण में लाना असंभव था।
मेरे फोन पर घंटी बजी डिसूजा का फोन था
"10:00 बजे इन दोनों महिलाओं को लेकर टिटलागढ़ पुलिस स्टेशन आ जाइए"
"सोमिल का कुछ पता चला सर"
"अभी तक तो नहीं पर हां मुझे कुछ सबूत हाथ लगे हैं आइए बात करते हैं"
हम तीनों पुलिस स्टेशन के लिए निकल गए। सीमा और छाया ने जींस और टीशर्ट पहनी हुई थी वह दोनों ना चाहते हुए भी आज के दिन कामुक लग रही थी। भगवान ने उन्हें ऐसा शरीर ही दिया था चाहे वह कोई भी वस्त्र पहन ले उनकी कामुकता और यौवन स्वतः ही आस-पड़ोस के युवाओं को आकर्षित करता था। मुझे उन दोनों को हब्शी पुलिस वालों के पास ले जाने में डर भी लग रहा था पर हमारे पास कोई चारा नहीं था। मैं अपने मन की बात उन दोनों को बता भी नहीं सकता था। उन दोनों अप्सराओं को लेकर मैं मन ही मन चिंतित था।
उस बदबूदार पुलिस स्टेशन में पहुंचकर छाया और सीमा के चेहरे पर घृणा और तनाव दिखाई पड़ने लगा वह दोनों दीवार पर पड़ी हुई पान की पीक को देखकर उबकाई लेने लगीं। मैंने उन्हें धैर्य रखने के लिए कहा कुछ ही देर में हम डिसूजा के ऑफिस में थे।
हमें आपको होटल की लॉबी में लगे सीसीटीवी कैमरे की फुटेज दिखानी है आपको उसमें सोमिल की पहचान करनी है
छाया और सीमा के पैर कांपने लगे उन्हें अपने दिए गए बयानों और कैमरे में कैद हुई घटनाओं का विरोधाभास ध्यान आ गया था मैं स्वयं इस बात से डर गया कि मेरे और छाया के संबंध अब सार्वजनिक हो जाएंगे जिस समाज के डर से हम दोनों ने विवाह नहीं किया था वह समाज हमें इस घृणित कार्य ( हमारे लिए वो पवित्र ही था) के लिए दोषी ठहराएगा।
उसने अपने टीवी पर होटल के लॉबी की सीसीटीवी फुटेज लगा दी।
हम चारों लॉबी में चलते हुए आ रहे थे। छाया और सीमा की खूबसूरती में मैं एक बार फिर खो गया सोमिल को कमरे में छोड़ने के बाद जब हम तीनों एक कमरे में घुसे तभी डिसूजा ने वीडियो रोक दिया उसने पूछा...
"शादी किसकी हुई थी?"
"छाया शर्माते हुए आगे आई".
"तुम अपने पति को छोड़कर इन दोनों के कमरे में क्यों गई थी.?".
छाया बहुत डर गई थी उसके मुंह से कोई आवाज नहीं निकल पा रही थी. तभी सीमा ने पीछे से कहा..
"वह हमारा कमरा देखने और हम दोनों का आशीर्वाद लेने गई थी"
डिसूजा अपनी कामुक निगाहों से छाया और सीमा को सर से पैर तक देख रहा था मुझे पूरा विश्वास था कि वह उनके उभारों से अपनी आंख सेंक रहा है पर पुलिसवाला होने की वजह से मैं कुछ नहीं कर सकता था। मुझे यह अपमानजनक भी लग रहा था पर मैं मजबूर था। हमने तो एक बात छुपाई थी उस बात के लिए हम बहुत डरे हुए थे उसने वीडियो दोबारा चला दिया।
कुछ ही देर में सोमिल अपने कमरे से निकलकर वापस लिफ्ट की तरफ जाता हुआ दिखाई दिया। उसकी पीठ सीसीटीवी कैमरे से दिखाई पड़ रही थी। हमने उसे उसे पहचान लिया।
"अरे यह तो सोमिल है यह कहां जा रहे हैं?" सीमा ने आश्चर्यचकित होकर बोला.
इसके बाद टीवी पर आ रही तस्वीर धुंधली हो गई और स्क्रीन ब्लैंक हो गए ऐसा लगता था जैसे कैमरा खराब हो गया या कर दिया गया हो
मैंने डिसूजा से पूछा इसके आगे की रिकॉर्डिंग दिखाइए
उसने कहा
इसके बाद किसी ने सीसीटीवी कैमरे को डैमेज कर दिया है।
मैं मन ही मन बहुत खुश हो गया पर झूठा क्रोध दिखाते हुए कहा
"किसने तोड़ दिया"
"परेशान मत होइए अभी उत्तर मिल जाएगा"
उसने अपने एक सिपाही को बुलाया जिसने हम से हमारे बेंगलुरु में रहने वाले मित्रों और रिश्तेदारों के नंबर लिखवाए और कहा
आप लोग बाहर बैठिए मुझे छाया जी से कुछ बात करनी है। छाया डर गई पर कुछ कुछ बोली नहीं
मैं और सीमा कमरे से बाहर आकर बाहर पड़ी एक बेंच पर बैठ कर छाया का इंतजार करने लगे।
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