RE: XXX Kahani छाया - अनचाहे रिश्तों में पनपती कामुकता
जंगल का कैदखाना (सुबह के 9:00 बजे)
[मैं सोमिल]
मैं एक बार फिर खिड़की के पास खड़ा हुआ बाहर प्रकृति के नजारे देख रहा था अद्भुत रमणीय माहौल था. वही पास से एक नदी भी गुजर रही थी काश मेरी छाया यहां होती. मैं अब भी यह बात नहीं सोच पा रहा था कि मुझे यहां पर लाने का क्या प्रयोजन हो सकता है। मैंने गार्ड से कहा
"मुझे तुम्हारे साहब से बात करनी है" कुछ ही देर में कमरे में फोन की घंटी बजी..
"जी सर, क्या बात है?"
"प्लीज मुझे बताइए मुझे यहां पर क्यों लाया गया है"
"सर यह तो मुझे नहीं पता. मुझे आपका ख्याल रखने के लिए कहा गया है. आपको कोई दिक्कत हो तो बताइए."
" मैंने गार्ड से कुछ कपड़े लाने के लिए कहे हैं"
"सर माफ कीजिएगा जहां आप हैं वहां से आबादी बहुत दूर है" मैंने जरूरत के कपड़े वहां पहले ही भेज दिए हैं. प्लीज उनसे ही काम चला लीजिए". वैसे भी आपको उसी कमरे के अंदर ही रहना है कपड़ों की कोई विशेष आवश्यकता नहीं पड़ेगी."
फोन कट हो गया
.उधर शांति गार्ड से भिड़ गई थी सर का अंडर गारमेंट क्यों नहीं लाया. उन दोनों की बातचीत तल्ख हो चली थी। अचानक शांति रोते हुए अंदर आई। उसके होंठ से खून बह रहा था। मैं भागकर बाहर गया पर गार्ड बाहर जा चुका था। मैं वापस शांति के पास आया मैंने पास पड़े तौलिए से उसके होठों पर लगा खून पोछने की कोशिश की।
शांति सुबक रही थी मेरी आत्मीयता भरे व्यवहार से वह मुझसे सटती चली गई। इस बात का एहसास तब हुआ जब उसके कोमल स्तन मेरे सीने से टकराये। मेरे शरीर में करंट दौड़ गई मेरा ल** एक बार फिर उत्तेजित हो गया। इससे पहले कि वह मेरे ल** की चुभन अपने पेट पर महसूस करती। मैंने उसे थोड़ा सा अलग किया।
वह अभी भी सुबक रही थी। मैं उसके चेहरे को अपने दोनों हाथों से सहला रहा था जितना ही मैं उसे छूता मेरा ल** उतना ही तन रहा था। कुछ देर में वह चुप होकर मुझसे अलग हुई और सोफे पर बैठ गई और बोली
"सर, ये लोग बहुत दुष्ट हैं. यह हमारी कोई बात नहीं मानेंगे. मैंने पैसे के लिए इनकी बात मान कर बहुत बड़ी गलती कर दी."
मुझे वह भी मेरी तरह बेबस दिखाई पड़ने लगी. कुछ देर बाद उसने कहा सर आप नहा लीजिए तब तक मैं खाना बना लेती हूँ। मैं बाथरूम में नहाने चला गया उसने एक नया पजामा कुर्ता बिस्तर पर रख दिया था अंडरवियर आज भी नहीं था।
बाथरूम में रखे गए बॉडी शावर जेल और तरह-तरह की खुशबू वाले शैंपू को देखकर मुझे लगा सालों ने इतनी व्यवस्था यहां कैसे कर ली थी मेरा एक अंडरवियर तक तो ला नहीं पा रहे थे।
मेरे बाहर आने के बाद शांति भी नहाने चली गई। बाथरूम के अंदर नहा रही शांति की सुंदर काया मेरे विचारों में घूमने लगी। जब वह बाहर आयी तब मैं उसे देख कर आश्चर्यचकित रह गया। शांति ने मेरी वही सफेद शर्ट पहनी थी जो मैंने सुहागरात के दिन पहनी थी। शांति के शरीर पर एकमात्र वही वस्त्र था। मेरी शर्ट उसके नितंबों के ठीक नीचे तक आ रही थी पर उसकी जांघें स्पष्ट दिखाई पड़ रही थी। वह उन्हें छुपाने की कोशिश कर रही थी पर यह संभव नहीं था। मेरी सफेद शर्ट शांति के शरीर पर जगह-जगह चिपक गई थी। शांति का गोरा रंग शर्ट के अंदर से अपनी चमक बिखेर रहा था। शर्ट विशेषकर उसके स्तनों पर चिपक गई थी जिससे स्तनों का आकार स्पष्ट दिखाई पड़ रहा था। वह मुझे अत्यंत उत्तेजक लग रही थी। उसके होंठ का कट एक दाग जैसा दिखाई पड़ रहा था मैंने अपने इतने करीब किसी सुंदर लड़की को इस तरह कामुक अवस्था मे पहली बार देखा था। मुझे अपने ल** में फिर उत्तेजना महसूस होने लगी। शांति बला की खूबसूरत लग रही थी। यदि वह मेरी छाया होती तो अब तक मैं उसे उठाकर बिस्तर पर ले आया होता आगे क्या होता या आप सोच सकते हैं।
अचानक मैं अपने विचारों से बाहर आया और उससे पूछा
"तुम्हारे कपड़े कहां गए? सर मैं दो नाइटी लेकर आई थी कल एक बाहर सूखने डाली थी गार्ड कहता है वह आंधी में उड़ गई। वही पुराने वाले से काम चलाओ। सर मुझे गंदे कपड़े पहनना बिल्कुल पसंद नहीं है। इसलिए मैंने आपकी यह पुरानी शर्ट पहन ली.मुझे माफ कर दीजिए"
वह बढ़कर मेरी तरफ आने लगी.
मैंने कहा "ठीक है कोई बात नहीं"
मैं उसे इस तरह अपने पास नहीं बुलाना चाह रहा था. वह ड्रेसिंग टेबल के पास चली गई और अपने बाल सवारने लगी मैं उसे पीछे से देख रहा था. उसके नितम्ब मेरी आंखों के सामने अठखेलियां कर रहे थे। उसकी जाँघें पीछे से और स्पस्ट दिखाई दे रहीं थीं। मैं अपनी आंखों से सफेद शर्ट के पीछे उसकी ब्रा और पेंटी खोज रहा था मुझे अभी तक उनके दर्शन नहीं हुए थे। अचानक शांति में ड्रेसिंग टेबल के ऊपर पड़ी किसी चीज को हटाने के लिए अपने हाथ ऊपर किये और मेरी शर्ट ऊपर उठ गयी। मुझे उसके नितंबों के अर्ध दर्शन हो गए। उसके नितंबों का मुझे उतना ही भाग दिखाई पड़ा जितना चतुर्थी के दिन चंद्रमा दिखाई देता है।
उसके साथ ही यह बात भी प्रमाणित हो गई कि उसने पैन्टी नहीं पहनी थी। मैंने किसी लड़की के नग्न नितंब आज पहली बार देखे थे। मेरा ल** पूरी तरह विद्रोह करने पर उतारू था। ऐसा लगता था यदि मैंने उसे उसी समय नहीं सहलाया तो वह उत्तेजना से फट जाएगा।
शांति अपने शरीर पर कभी बॉडी लोशन लगाती कभी अपने बालों पर कंघी करती। उसकी हर गतिविधि में उसके अंग प्रत्यंग मेरी आंखों के सामने नाचते। ऐसी गजब की उत्तेजना मेरे जीवन में पहली बार मिल रही थी। अचानक शांति की कंघी नीचे गिर गई। जैसे वह उसे उठाने के लिए नीचे झुकी मेरी शर्ट एक बार और ऊपर आ गई मुझे उसकी जांघों के जोड़ पर उसकी चू** एक झलक दिखाई दे दी। जब तक मैं उसे देख कर उसके स्वरूप को अपनी निगाहों में कैद कर पाता शांति उठ कर खड़ी हो गयी और मेरी तरफ पलटी। उसने मुझे अपनी तरफ देखते हुए पकड़ लिया था।
उसकी खूबसूरती देखकर मैं दंग रह गया था। आज वह बहुत सुंदर लग रही थी। उसके शरीर पर एक मात्र वस्त्र मेरी शर्ट थी जो उसे और भी खूबसूरत बना रही थी। वह उसके शरीर को ढक कम रही थी उसकी बल्कि उसमें छुपी कामुकता को जगा रही थी। मेरा मन मचलने लगा मैं उसे अपनी बाहों में भर कर उसे प्यार करने की सोचने लगा। मुझे अपने वचन की याद आई मुझे अपना कौमार्य सीमा की चू** में ही तोड़ना था। मेरी सुहागरात के दिन मुझे सीमा के साथ संभोग करना था पर मुझे निष्ठुर नियति ने यहां कैद कर दिया था।
आज फिर मेरे सामने साक्षात रति, शांति के रूप में उपस्थित थी। वह मुझे संभोग के लिए प्रेरित कर रही थी। मुझे नहीं पता शांति के मन में क्या भावनाएं थी।
शांति तैयार होने के बाद खाना बनाने चली गई मैं उसे देखने के लिए तड़प रहा था। मैंने एक दो बार हॉल में आकर किचन की तरफ देखा। उसकी नग्न जाँघें मुझे किचन में जाने के लिए प्रेरित कर रहीं थीं। मैं उसके पास गया और पानी के लिए कहा। उसने मुझे पानी दिया और बड़ी मादक अदा से कहा सर मुझे बुला लिया होता।
उसे क्या पता था मुझे उसे देखना था पानी नही पीना था। मेरी कैद को शांति ने खुशनुमा बना दिया था। वापस आकर मैं बिस्तर पर बैठ गया और अपने मन ही मन शांति के साथ रंगरलिया मनाने लगा। मेरा ल** पूरी तरह उत्तेजित था उसे मेरा इस तरह सहलाना बहुत अच्छा लग रहा था।
शांति आज दिन भर मेरी शर्ट पहन कर रही थी. हम धीरे-धीरे एक दूसरे से बात करने लगे थे मेरे द्वारा सुबह दिखाई गई आत्मीयता से वह मेरे और करीब आ गई थी।
शाम को उसने कौतूहल वश टीवी के नीचे की अलमारी खोली। उसमें शराब की बोतलें देखकर वह आश्चर्य से बोली
"सर, यह देखिए" वह चहक उठी थी। वहां पर रेड वाइन तथा व्हिस्की की कुछ बोतलें रखी थी। शांति ने पूछा
"सर आप लेना पसंद करेंगे" मेरी इच्छा तो थी पर मैंने ना में सर हिला दिया.
वह मायूस हो गई थी उसने कहा ठीक है तब मैं भी नहीं लूंगी. मैं उसकी बात सुनकर आश्चर्यचकित था। यह कैसी सुंदरी थी जो सुरा पान भी करती थी। मैंने फिर कहा ठीक है तुम्हारी इच्छा है तो मैं भी ले लूंगा।
शांति मुझे एक चुलबुली पर संजीदा लड़की लगी थी। सुबह से अभी तक वह सिर्फ मेरे शर्ट में घूम रही थी पर उसने अपनी योनि को मेरी नजरों से बचा कर रखा था। सिर्फ सुबह की एक गलती को छोड़कर जो उससे अनजाने में हो गई लगती थी। हर समय वह अपने दोनों पैरों को सटाए रखती या एक दूसरे के ऊपर चढ़ा कर रखती थी। वह अपनी जांघों को तो मेरी नजरों से नहीं बचा पायी पर अपनी योनि को वह सदैव आवरण देने में कामयाब थी।
कुछ ही देर में वह पूरी व्यवस्था के साथ वापस आ गयी। उसने अपने लिए रेड वाइन निकाली और मेरे ग्लास में भी रेड लाइन डालने लगी। मैंने उसे मना किया मुझे व्हिस्की ही देना उसने रेड लेबल की बोतल निकाल ली और मेरे लिए व्हिस्की का एक पेग बना दिया। हम दोनों अपने-अपने पैग का आनंद लेने लगे वह सोफे पर बैठी थी उसने फिर अपने पैर एक दूसरे पर चढ़ा लिए थे वह किसी भी अवस्था में अपनी चू** (माफ कीजिएगा मैं आगे उसे मुनिया शब्द से संबोधित करूंगा) को मेरी नजरों से बचाना चाहती थी. धीरे-धीरे हम दोनों शराब के सुरूर में आ गए। शांति कुछ ही देर में खाना ले आई। मैं बिस्तर पर बैठकर खाने लगा और वह सोफे पर। अचानक उसके हाथ से खाने की प्लेट सोफे पर गिर पड़ी। वह घबरा गई उसे साफ करने के चक्कर में उसे और गंदा कर दिया। पानी के प्रयोग से सोफा पूरी तरह गीला हो गया था। मुझे लगता है उस पर शराब का नशा हावी था।
मैंने उसे बिस्तर पर बैठने के लिए कहा वह सर झुकाए हुए थी। मुझे उसे देख कर बहुत प्यार आ रहा था। मैंने खाने की प्लेट किचन तक पहुंचाई। और जब तक मैं वापस आता वह बिस्तर पर गिर चुकी थी। उसके पैर अभी भी लटके हुए थे। मेरी शर्ट उसकी मुनिया को बमुश्किल ढकी हुई थी। यदि मैं अपने होठों से उसे फूक मारता तो उसकी मुनिया मेरी आंखों के सामने होती।
पर मुझे यह अच्छा नहीं लगा मैंने उसे आवाज दी
" शांति ..शांति" उसने आंखें खोली और एक बार फिर उठ कर बैठ गयी। मैंने कहा तुम सो जाओ वह उठकर गीले हो चुके सोफे की तरफ जाने लगी। सोफा किसी भी हाल में सोने लायक नहीं बचा था। मुझे उस पर दया आ गई मैंने उसे अपने ही बिस्तर पर एक तरफ सुला दिया। उसने अपनी आंखें कुछ पल के लिए खोली और बोली
" सर आप बहो…...त अच्छे हैं" उसकी आवाज में गजब की मादकता थी। उसकी आंखें बंद हो गई मैने उसे चादर से उसे ढक दिया कुछ ही देर में वह नींद में चली गई। कमरे में इतनी ठंड नहीं थी फिर भी मैंने उसे चादर से ढक दिया था। मुझे पता था जब तक उसे मैं इस अर्धनग्न स्थिति में देखता रहूंगा मुझे नींद नहीं आएगी।
मैं बिस्तर पर लेटा हुआ शांति के बारे में ही सोच रहा था वह एक परी के रूप में इस कमरे में मेरे साथ थी पर क्यों? यह प्रश्न अनुत्तरित था। वासना ने मुझे भी अपने आगोश में ले लिया था। मैं उसके साथ छेड़खानी करना चाहता था। मुझे उसके स्तनों को सहलाने और उसे अपनी बाहों में लेने के लिए तड़प पैदा हो चुकी थी पर हिम्मत नहीं थी। काश वह मेरी सीमा या छाया होती। अब तक हम दो जिस्म एक जान हो गए होते।
मैंने ध्यान भटकाने के लिए फिर मोबाइल हाथ में उठा लिया इस बार मैंने सावधानी से मोबाइल का वॉल्यूम कम किया और उसमें पढ़ी हुई वीडियो क्लिप्स देखने लगा सारी वीडियो क्लिप उत्तेजक ब्लू फिल्म से भरीं थीं। मेरा ल** जो कुछ समय के लिए ढीला हुआ था फिर तन कर वापस खड़ा हो गया मैंने अपने ल** को कुछ देर सहलाया। शराब का नशा मुझ पर आ ही चुका था मुझे भी जल्दी ही नींद आ गई।
पुलिस स्टेशन (शाम 6:00 बजे)
(मैं डिसूजा)
मूर्ति भागता हुआ मेरे कमरे में आया
"सर, सर, उस मरे हुए आदमी का पता चल गया"
" कौन है?"
"सर वह एक कंप्यूटर हैकर है. पहले भी वह फर्जी बैंक ट्रांसफर के मामले में पकड़ा जा चुका है. इंदिरा नगर पुलिस थाने में उसके नाम से दो एफ आई आर दर्ज है. लगभग 3 साल पहले पुलिस ने उसे पकड़ा भी था"
"मूर्ति तुमने बहुत अच्छा काम किया है"
मूर्ति के सफेद दांत काले चेहरे के बीच से दिखाई पड़ने लगे।
मैंने साइबर क्राइम टीम को फोन किया
"एनी अपडेट"
"जी सर, मैं आपको रिंग करने ही वाला था"
"बताइए"
"सर, जिस कमरे में मर्डर हुआ है उसी कमरे से रात 12:00 बजे पैसे ट्रांसफर किए गए हैं। इसमें सोमिल के मोबाइल का भी प्रयोग किया गया है। ऐसा लगता है जैसे किसी कंप्यूटर हैकर ने अकाउंटेंट का पासवर्ड हैक कर लिया है। उसने सोमिल के फोन की ओटीपी और उस पासवर्ड की मदद से पैसे विदेश ट्रांसफर कर दिए हैं।"
"ठीक है सारी रिपोर्ट्स मेरे ऑफिस में भेज दो"
पाटीदार की कंपनी का मुख्य अकाउंटेंट उसका अपना बेटा था जिसने पैसों के गबन की रिपोर्ट लिखाई थी। मुझे यह बात समझ आ चुकी थी के गबन में सोमिल का हाथ नहीं है। होटल के रिसेप्शन में लगे कैमरे की रिकॉर्डिंग से मैंने सोमिल को लगभग 10:00 बजे बाहर निकलते हुए देखा था। उसके बाद सोमिल के होटल में आने का कोई प्रमाण नहीं था। ऐसा लग रहा था जैसे उसे कमरे से बाहर निकाल कर उसके कमरे से ही होटल का इंटरनेट प्रयोग कर किसी ने उस हैकर की मदद से पैसों का गबन किया और अंत में उसे मार दिया।
सोमिल को गायब करवा कर वह इस खून और गबन का आरोप उस पर लगाना चाहता था। मुझे अब सिर्फ उस व्यक्ति की तलाश थी। मेरे पास छाया द्वारा बताए गए दो नाम थे लक्षमन और विकास। मैंने आगे की रणनीति बना ली।
छाया से मिलने का वक्त आ चुका था। मेरी अप्सरा को देखने के लिए मेरी आंखें तरस रही थी। मैं उसका सुख एक बार भोगना अवश्य चाहता था। जो युवती अपने भाई के साथ सहर्ष सुहागरात मना सकती है वह स्त्री कितनी कामुक होगी मुझे इसका अंदाजा लग चुका था।
इस व्यभिचार के लिए मैं मन ही मन तैयार हो गया था। मुझे सिर्फ छाया को रजामंद करना था। मुझे पता था वह मुझे जैसे कुरूप व्यक्ति से कभी संभोग करना नहीं चाहेगी पर मेरे हाथ में जो सबूत थे वह उसे रजामंद करने के लिए काफी थे।
छाया जैसी सुंदरी के साथ रजामंदी से किया गया संभोग स्वर्गीय सुख से कम नहीं होगा मेरा मन बेचैन हो रहा था।
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