Antarvasna Sex Story - जादुई लकड़ी
04-30-2022, 11:46 AM,
#12
RE: Antarvasna Sex Story - जादुई लकड़ी
अध्याय 10

मेरे दिमाग में चन्दू की बात घूम रही थी ,हल्का दारू का नशा भी था और साथ ही साथ वो दृश्य भी जो मैंने देखा था,

वो जितना मुझे याद आता मेरा लिंग उतना ही कड़ा हो जाता,मैं परेशान होने लगा,मुझे काजल मेडम की बात याद आई जब उन्होंने पूछा था की मास्टरबेशन करते हो..

मैंने आज तक नही हिलाया था ,लेकिन वो दृश्य मेरे कोमल मन के लिए बहुत ज्यादा था,दो औरतो को इस हालत में देखने के बाद मेरा अकेले होने पर मेरा हाल बेहाल हो रहा था,मैं पागल हो रहा था,मैं शबीना काकी को पापा की तरह निचोड़ने के ख्याल से भर गया वही कांता का शरीर भी मेरे आंखों में घूम रहा था.वो सचमें भरी हुई माल थी,

“कास साली को लिटा कर ..”

मेरा हाथ मेरे लिंग में आ गया था तभी ..

“भौ भौ”

ओह नो,ये साल टॉमी ..

मैन जब टॉमी को देखा वो मुझे ही देख रहा था जैसे मुझे देखकर मुस्कुरा रहा हो ,पता नही क्यो खुश था शायद मेरे कमरे में आने के कारण ,मैं बिस्तर में गिरा लेकिन टॉमी मेरे बाजू में आकर सो गया,अब मैं उसके सामने तो हिला नही सकता था,कमीना मुझे ही देख रहा था ,मैंने उसे उठाकर नीचे कर दिया ..

अब मैं आराम से पूरे बिस्तर में अकेले था,मैंने आंखे बंद की तो सामने वही दृश्य था..

“आओ ये देखो…”ऐसे लगा जैसे कांता काकी मुझे टांगे खोलकर अपने योनि को दर्शन करवा रही हो,मैंने तुरंत ही चद्दर ओढ़ ली और अपने लिंग को अपने शार्ट से निकाल कर उसे मसाला..

“आह…”क्या मजा था साला,मैं इतने दिनों तक इस मजे से बेगाना रहा ..

मैं थोड़ा और मसल पाता की..

“आप कहा चले गए थे..”

निशा सीधे कमरे में घुसकर मेरे बिस्तर में आकर चादर के अंदर घुस गई,

मुझे उसकी आवाज से एक जोर का झटका लगा ,मैंने तुरंत ही अपने अकड़े लिंग को अपने शार्ट के अंदर कर लिया,लगा जैसे वो चोरी ना पकड़ ले,लेकिन वो बेखबर थी और सीधे वो मुझसे लिपट गई ,लिंग अभी भी अकड़ा हुआ ही था,और सांसे अभी भी बेहद तेज थी ,धड़कने भी तेज ही चल रही थी ..

“क्या हुआ ऐसे हांफ क्यो रहे हो ,अपकी हार्टबीट तो मुझे सुनाई दे रही है “

उसने अपना चहरा ऊपर किया ..

“कुछ नही वो दौड़ते दौड़ते ऊपर आया ना इसलिये..”

मैंने जैसे तैसे कहा

“दारू पी है आपने ,”

उसने अपने नाक सिकोड़े

“हा वो थोड़ी सी ..”

“कभी मुझे भी पिला दिया करो क्या अकेले अकेले पीते हो “

वो फिर से मेरे सीने से लग गई ..

मैं बिना कुछ बोले ही उसे अपने बांहो में भर लिया,मुझे उसकी बात याद आयी की वो मुझसे आकर्षित है…

ऐसे भी लिंग तो अकड़ा हुआ था ही दिमाग ने दौड़ाना शुरू कर दिया लेकिन फिर मैंने ग्लानि महसूस की …

‘साला मैं सच में उसी हवसी बाप का बेटा हु जो अपनी प्यारी सी बहन के बारे में ऐसा कुछ सोच रहा हु …’मैंने अपने दिमाग में ही कहा …

मेरे हाथ उसकी पीठ पर थे की निशा थोड़ी मचली,मुझे उसके उन्नत वक्षो का अहसास हुआ,अपनी ढीली टीशर्ट के अंदर उसने ब्रा नही पहनी थी,उसके वक्ष बड़े ही कोमल लग रहे थे मैं सोचना तो नही चाहता था लेकिन जिस्म मेरा भी मर्द का था और वो एक पूरी जवान लड़की थी,मेरे नाक में उसके शरीर का सुगंध भी भर रही थी जो की बेहद ही प्यारी थी,

तभी निशा ने अपना एक पैर मेरे कमर से क्रॉस करके दूसरी ओर रख दिया ..

‘है भगवान उसे पता ना चले ‘मैंने मन ही मन सोचा क्योकि उसकी जांघ मेरे लिंग के ऊपर थी और लिंग ….वो पूरे शबाब में था,

उसने अपना सर उठाकर मुझे देखा ..

मेरी फट कर चार हो चुकी थी …

“आपको क्या हुआ आज इतने उत्तेजित हो..”

मैं समझ गया था की उसे इस बात का अहसास हो गया ,लेकिन अब मैं क्या बोलता, मैं चुप ही था,

“क्या देख लिया अपने ,या रश्मि की याद आ रही है ,या फिर काजल मेडम की ...कही मेरे कारण तो नही “

वो शरारत से मुस्कुराई

“चुप कर कुछ भी बोलती है तेरे कारण क्यो होगा ..असल में वो पार्किंग में ..”

मैं कुछ बोलने वाला था की मुझे अपनी गलती का अहसास हुआ ..

और मैं रुक गया ..

“ओह तो पापा की रासलीला देख ली अपने “

मैं बुरी तरह से चौक गया

“तुझे कैसे पता “

वो जोरो से हंसी

“आपके सिवा इस घर में सबको पता है ,ऐसे आज किसके साथ थे ..”

“किसके साथ होते है ..??”

मैंने तो सोचा था की शबीना और कांता के साथ ही हो सकते थे,

“उनका क्या भरोसा ,कभी शबीना काकी तो कभी कांता कभी देवकी(हमारी एक नॉकरानी) तो कभी एक साथ सभी ,या कोई दूसरी बाहर वाली कोई ..”

उसकी बात सुनकर मैं चुप हो गया था …

“कितना बड़ा कमीना है हमारा बाप “

मेरे मुह से घृणा से निकल गया ..

“और उसी के कमीनेपन को देखकर आप उत्तेजित हो रहे हो ,हा आप भी तो उसके ही बेटे हो मैं कैसे भूल गई ये “

उसके चहरे में अजीब से भाव आये ..

“मैंने ये पहली बार देखा इसलिए शायद बहक गया था,ऐसे तुझे उनपर गुस्सा नही आता “

“क्यो वो सभी औरते अपनी मर्जी से उनके साथ है,वो किसी पर कोई जबरदस्ती नही करते..”

“लेकिन माँ की तो सोच ..”

“ह्म्म्म माँ को सबकुछ पता है ,हमेशा से पता था वो बेचारी भोली भाली कभी पापा के सामने मुह नही खोलती ,हा उनके ऊपर दया आती है लेकिन पापा भी क्या करेंगे अगर माँ उनकी इच्छाओ को पूरा नही कर पाती होगी तो...उन्हें तो बाहर ही मुह मरना पड़ेगा ना “

अब क्या सही था और क्या गलत ये समझ पाना मेरे लिए मुश्किल था…..

“वो सब छोड़ो आप बताओ कैसा लगा देखकर “उसने फिर से शरारत से कहा

“चुप कर भाई से ऐसे बात करती है”

“क्यों नही अब तो मेरा भाई भी जवान हो गया है,और ये ...”

उसने अपनी जांघ को हल्के से हिलाया ,उसके नीचे मेरा लिंग तना हुआ था जो इस रगड़ से बुरी तरह से कांप गया..

मैंने झटके से उसके जांघ को अपनी कमर से हटा दिया ..

“कितनी बेशर्म है तू निशा...मैं तेरा भाई हुई और ये सब ..पाप है ..”

इस बार निशा ने अजीब निगाहों से मुझे देखा

“मैं जानती हु की ये सब पाप है लेकिन …”

वो चुप हो गई और उठकर जाने लगी ,उसका इस तरह उठकर जाना मुझे समझ नही आ रहा था मैंने तुरन्त ही उसका हाथ पकड़ लिया..

“”ए क्या हो गया तू उदास क्यो हो गई “

उसके आंखों में कुछ आंसू की बूंदे थी …

“कुछ नही भाई आप नही समझ पाओगे..”

उसकी आवाज में दर्द था एक अजीब सा दर्द …

“अरे बता तो सही ..”

“आई लव यू भाई…..”

“लव यू टू बेबी ..”

“लेकिन मेरा प्यार वैसा है जैसा आपके और रश्मि का ..”

इस बार मैं अवाक रह गया था ,आखिर ये क्या बात हो गई थी ,निशा जो हमेशा से मुझसे लड़ती रही वो अचानक कहती है की उसे मुझसे प्यार है वो भी भाई बहन वाला नही ,gf वाला …

मुझे लग रहा था की मुझे फिर से बाबा के पास जाकर इस लकड़ी के बारे में और अच्छे से जानना पड़ेगा वरना इसके ताकत के चक्कर में मैं ही फस जाऊंगा…

शक्ति के साथ प्रॉब्लम यही होती है की वो अच्छी या बुरी नही होती,उसका इस्माल करने वाला उसे अच्छा या बुरा बनाता है,और अगर आपके पास कोई जादुई शक्ति हो लेकिन आपको पता ही ना हो की उसका इस्तमाल कैसे करते है तो…...तो समझ लो आपकी लग गई …….

“तू कब से मुझे प्यार करने लगी ,हमेशा तो मुझसे लड़ती रहती थी मुझे नीचा दिखाने में लगी रहती थी “

उसने इस बार घूर कर मुझे देखा,उसका प्यार चहरा आंसुओ में और भी प्यार लग रहा था ,

“शायद मैं इसीलिए आपसे लड़ती थी की मैं आपसे बहुत प्यार करती थी,मैं आपसे कुछ नही मांग रही हु बस मुझे खुद से प्यार करने दीजिये ..”

“लेकिन तुझे कैसे पता की ये प्यार ही है ,महज आकर्षण नही ..”

वो थोड़ी देर तक चुप रही ..

“आपको मुझपर यकीन ना आये तो नेहा दीदी से पूछ लेना ,जब भी हमारी लड़ाई होती थी मैं अपने कमरे में आकर घण्टो तक रोती थी,उन्हें भी मेरे दिल की बात का पता है ,जब आप जंगल नही गए थे उससे पहले से पता है ,वो मुझे कुछ नही कहती और कभी कहती है तो मैं मना कर देती हु,लेकिन मुझे लगता है की वो जानती है की मैं आपसे कैसे वाला प्यार करती हु …”

“नेहा दीदी ??”

मैं कुछ और कह पाता उससे पहले निशा आकर मुझसे लिपट गई ..

“भाई यूज मि ...मैं जानती हु की आप रश्मि से प्यार करते हो ,मैं उससे आपको जुदा नही करूँगी ,जस्ट यूज मि भईया,मैं उसे ही अपना सौभाग्य मान लुंगी की मेरे कारण आपको कुछ मिला..प्लीज भइया प्लीज..”

निशा मेरे ऊपर जैसे टूट ही पड़ी थी वो मेरे होठो को चुम रही थी ,मैं उससे छूटने की कोशिस कर रहा था लेकिन मैं उसे चोट नही पहुचना चाहता था..

“निशा पागल हो गई है क्या ??ये सब क्या कर रही है तू …”

“भइया मैं जानती हु की आपके जिस्म को अभी एक लड़की की जरूरत है ,मैं वो लड़की क्यो नही हो सकती भइया,मुझे प्यार ना करो तो कम से कम मेरे जिस्म को ही भोग लो ,मुझे थोड़ा सुकून मिल जाएगा की मैं आपको कुछ दे पाई ..”

निशा के इस समर्पण से मैं भी पिघलने लगा था,मेरे मन में वासना तो पहले भी छलांग लगा रही थी लेकिन निशा ने जब खुद को मुझे सौप दिया तो उसके कोमल जिस्म की गर्माहट और उसके होठो की नर्माहट से मैं बेकाबू सा होने लगा था …

मेरा विरोध धीमा पड़ रहा था ,और हमारे होठ मिल गए पहले तो निशा ने ही अपने होठो को चलाया लेकिन फिर मैं भी उसका साथ देने लगा था …….

तभी मेरे फोन की घण्टी बजी ……

दूसरे बार काल करने आने पर मैंने उसे देखा कोई अननोन नंबर था ..

“हल्लो ..”

मेरी सांसे थोड़ी तेज हो गई थी निशा अब भी मेरे जिस्मो को चुम रही थी तो मैं वंहा से उठाकर उससे थोड़ी दूर चला गया ..

“राज ,मेरी बार ध्यान से सुनो कुछ भी मत बोलना जब तक बात पूरी ना हो जाए …….निशा के साथ अगर तुम कुछ करने वाले हो तो कुछ भी मत करना,ये सब एक जाल है तुम्हे फसाने के लिए,तुम मेरा फोन रोंग नंबर बोल कर काट दो और कल मुझे आकर मिलो मैंने अपना पता तुम्हे मेसेज कर रहा हु .. “

और काल कट गया ……

मैं बुरी तरह से परेशान था की ये क्या हुआ …

मेरी नजर निशा पर गई और चन्दू की कही बात मेरे दिमाग में घूमने लगी ,तो ये ताबीज का असर नही कोई चाल है..??
मैंने निशा की आंखों में देखा ...उसके आंखों में मुझे बस मासूमियत ही दिखाई दी ,..

आखिर क्या सच है और क्या गलत ,ये जाने बिना कुछ भी करना खुद किसी जाल में फसाना ही था…

“किसका फोन था “

निशा ने बड़े ही मासूमियत से कहा वही वो मुझे बड़ी अदा से अपने पास बुला रही थी ,

“रोंग नंबर था “

तभी मेरे मोबाइल में के मेसेज आया ..

“निशा प्लीज् ये सब मुझसे नही होगा तुम जाओ यंहा से “

उसका चहरा उतर गया लेकिन जाते जाते उसने मेरे गालो में एक जोर की पप्पी ले ली ..

“ठीक है लेकिन मैं आपकी हो चुकी हु मानो या ना मानो ..”

वो मुसकुराते हुए वंहा से निकल गई थी ..

मेरा ध्यान मेसेज पर गया उसमे के पता दिया गया था और साथ ही एक नाम ….

विवेक अग्निहोत्री ….
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