RE: Antarvasna Sex Story - जादुई लकड़ी
अध्याय 38
पिता की अन्तोष्टि का कार्यक्रम ख़त्म हो चूका था ,लेकिन अभी भी माँ को होश नहीं आया था ,मैं लगातार रश्मि के संपर्क में था ...
अभी घर में आये मेहमानो की भीड़ को सम्हला ही रहा था की एक सफ़ेद रंग के सलवार में लिपटी हुई कोई हुस्न परी सी लड़की मेरी ओर आते हुए मुझे दिखी ..
"हैल्लो मिस्टर सिंह ,कैसे है आप "
उसने मेरे बाजु में खड़े हुए भैरव सिंह से कहा
"ओह समीरा तुम ..मैं तो अच्छा हु तुम कैसी हो "
"बॉस के गुजर जाने के बाद कैसी हो सकती हु सर "
उसने चेहरे पर एक दुःख का भाव तो लाया लेकिन साफ साफ पता चल रहा था की उसका ये दुःख बिलकुल बनावटी था .
"हम्म इनसे मिलो ये तुम्हारे नए बॉस है मिस्टर राज "
भैरव अंकल ने मुझे अड्रेस करते हुए कहा
"हैल्लो सर मैं आपसे मिलने ही वाली थी की ये हादसा हो गया ,मैंने सोचा की बिजनेस की बाते ये सब ख़त्म होने के बाद करेंगे "
उसने मेरी ओर हाथ बढ़ाया और मैंने भी उसके साथ हाथ मिला लिया ..
"कोई बात नहीं शायद आप पापा की पर्सनल सेकेट्री है ??"
मैंने कभी कभी इसका नाम सुना था ..
"जी सर और अब आपकी .."
उसके चेहरे में एक सौम्य सी मुस्कान आई ..
"जी ..मेरे ख्याल से हम आराम से बिजनेस के बारे में चर्चा करेंगे ,अभी ये समय सही नहीं है "
"जी सर मुझे भी यही लगता है लेकिन आपको कल ही ऑफिस ज्वाइन कर लेना चाहिए ,क्या है ना की सर के गुजरने के बाद और पूरी प्रॉपर्टी का बटवारा होने के बाद हमारे इन्वेस्टर थोड़े से परेशान है ,अगर आप आगे आकर उन्हें हिम्मत दे तो बात अलग होगी .."
मैं जानता था की बिजनेस में पर्सनल इमोशंस की कोई जगह नहीं होती और सभी इन्वेस्टर्स कंपनी के भविष्य को लेकर चिंतित होंगे ,इसलिए मैंने हां में सर हिला दिया .....
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"इस लड़की को ध्यान से देख लो राज ,ये है एक दो धारी तलवार है ,ये तुम्हे आसमान में भी पंहुचा सकती है और गर्त में भी "
अंकल ने समीरा की और दिखते हुए कहा ..
"आखिर आप ऐसा क्यों बोल रहे हो अंकल ?"
उन्होंने एक गहरी साँस ली ,
"समीरा खन्ना ,एक रिक्शा चलने वाले की बेटी,MBA इन हर,झोपडी में पली बढ़ी लेकिन ख्वाब हमेशा ही इसने ऊंचे देखे,अपनी मेहनत और काबिलियत के बल पर यंहा पहुंची है ,तुम्हारे पापा की सबसे खास और भरोसेमंद मुलाजिम और तुम्हारे कंपनी चांदनी के बाद नंबर 2 का पावर रखने वाली शख्स ,कंपनी की 20% की शेयर होल्डर ,और अब तुम्हारी कंपनी की सबसे पावर फूल पर्सन ...."
मैंने आश्चर्य से भैरव अंकल की और देखने लगा
"हां राज ये सही है ,बिजनेस में पैसा और पावर ही सब कुछ होता है ,और समीरा के पास दोनों ही है साथ ही है एक गजब का दिमाग जिसका उपयोग करके तुम्हारे पिता ने अपने पुरखो की दौलत को कई गुना तक बड़ा दिया ,चांदनी की एक खासियत थी की उसे हीरो की समझ रही उसने समीरा जैसे हिरे को खोज निकला और अपना राइट हेंड बनाया ,उसे कंपनी में शेयर दिए ,समीरा ही थी जो तुम्हारे पिता की राजदार थी ,उसके पर्सनल और प्रोफेसनल जिंदगी की राजदार ....तुम ये मत समझना की तुम कंपनी के मालिक हो तो तुम समीरा से जयदा पावर फूल हो गए ,नहीं ऐसा नहीं होता क्योकि तुम्हारे साथ कंपनी के बाकि शेयर होल्डर्स भी है और बोर्ड ऑफ़ डिरेक्टर्स भी ,अब तुम्हे ऑफिसियल कंपनी का CEO बना दिया जायेगा लेकिन तुम अब भी इतने पावर फूल नहीं हो की तुम अपनी बात मनवा सको क्योकि उस बोर्ड में अब तुम्हारी बहने भी होंगी ,चांदनी के पास तुमसे ज्यादा पावर थी लेकिन अब पावर बोर्ड के पास होगी ,और इस समय बोर्ड की सबसे तजुर्बेकार और शक्तिशाली मेंबर समीरा ही होगी ,इसने ही कंपनी को इतने इन्वेर्स्टर दिलाये है तो इसकी एक इज्जत सभी के दिल में है और वो लोग तुम्हारी नहीं इसकी बात ही सुनेंगे ,ये मत समझना की ये तुम्हरी पर्सनल सेकेट्री है तो तुम इसके बॉस हो ,इसने वो पद अपनी मर्जी से अपनाया था तुम्हारे पिता के लिए,लेकिन ये तुम्हारी लिए भी उतनी ही वफादार रहे इस बात की कोई गारंटी नहीं है,ये जब चाहे तुम्हारा जॉब छोड़कर जा सकती है और इसके जाने का एक ही मतलब है की सारे इन्वेस्टर भी इसके साथ जायेंगे .."
मैं उनकी बात ध्यान से सुन रहा था मुझे तो लगा था की बिजनेस आसान सी चीज होगी ,मैं मालिक और बाकि मेरे मुलाजिम लेकिन ये बात इतने भी आसान नहीं थी ,खासकर जबकि मुझे बिजनेश की कोई खास समझ भी नहीं थी ..
"अंकल मुझे क्या करना चाहिए "
"अभी तो कुछ ज्यादा नहीं ,जब तक तुम अपने इन्वेस्टर्स को और बोर्ड के लोगो को अपने काबू में नहीं कर लेते तब तक तुम्हे समीरा का ही भरोसा है ,और सभी को बस एक ही चीज चाहिए वो है प्रॉफिट ,अगर किसी को भी लगा की तुम्हारे फैसले से कंपनी को लॉस होगा तो समझो वो तुम्हे छोड़ने में थोड़ी भी देरी नहीं लगाएंगे ,यंहा पर्सनल इमोशंस की कोई क़द्र नहीं होती ,चांदनी की ये बात सबसे खास थी की वो आदमी भले ही कितना भी कमीना हो लेकिन बिजनेस मैन वो कमाल का था सभी को अपने काबू में रखता था ...अब तुम्हे भी ये सब करना होगा सीखना होगा ,खासकर समीरा को नाराज मत करना ,वो भी शेयर होल्डर है तो उसे भी कंपनी की फिक्र है ,और वो भी लॉस बर्दास्त नहीं करेगी ,"
मैंने हां में सर हिलाया
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मैं हॉस्पिटल में बैठा हुआ था बाकि सभी लोग जा चुके थे ,मेरे अलावा वंहा बस निकिता दीदी ही बैठी थी ..
"क्या हुआ भाई इतने टेंसन में दिख रहा है .."
"दीदी कल से मुझे कंपनी सम्हालनी है पता नहीं कैसे कर पाउँगा ,पापा की बात अलग थी उनका रुतबा था ,उनके पास पहचान थी सब था ,लेकिन मेरे पास .."
मैं चुप ही हो गया ,स्वाभाविक था जो लड़का अभी अभी स्कुल से निकला हो कालेज में जिसने कदम भी नहीं रखा उसके ऊपर अब 14 हजार करोड़ की कम्पनी की जिम्मेदारी थी ,इन्वेस्टर और शेयर होल्डर्स को खुस करना था ,सभी को अपने ऊपर भरोसा दिलाना था ,माँ ने कभी बिजनेस किया नहीं था ,मैं ही एक फेस था जिसके ऊपर लोग उम्मीद करके बैठे थे ...
दीदी मुझसे ज्यादा मेच्युर थी ,उनके बिजनेस की सेन्स भी मुझसे ज्यादा थी इसलिए वो मेरी बात को तुरंत ही समझ गई ,उन्होंने मेरे सर पर हाथ फेरा ..
"भाई ऐसे डरने से कुछ नहीं होगा,मुझे पता है की अभी हमारी स्तिथि क्या है लेकिन तुझ फिक्र करने की जरूरत नहीं है हमारे परिवार के कुछ बहुत ही वफादार लोग अब भी कंपनी में है ,हमरे बिजनेस में मेरा थोड़ा दखल रहा था ,मैं पापा के साथ कभी कभी ऑफिस जाया करती थी ,मुझे वंहा की थोड़ी समझ है ,मैं तुम्हे उन लोगो से मिलवा दूगी .."
"दीदी आज मैं समीरा से मिला .."
समीरा का नाम सुनते ही दीदी का चेहरा लाल हो गया था ..
"वो साली रंडी ...'
इतना ही बोलकर दीदी चुप हो गई
"क्या बात है दीदी ..??"
"मेरा बस चलता तो मैं उसका कत्ल ही कर देती लकिन क्या करू उसने पापा का दिल जीत रखा था ,अपने हुस्न और काम से पापा ने उसे कंपनी का शेयर होल्डर भी बना दिया ,पता नहीं वो पापा के लिए ऐसा क्या करती थी की पापा उसपर इतने मेहरबान थे ,कहने को तो वो बस एक पर्सनल सेकेट्री है लेकिन कंपनी उसके ही इशारो में चलती है ,मुझे ये डर है भाई की वो हमारे इन्वेस्टर को डाइवर्ट न कर दे "
"क्या हम उसे कंपनी से निकाल नहीं सकते ??"
मेरे दिमाग में ये प्रश्न बहुत देर से घूम रहा था
"नहीं भाई अभी वो है जो इस कंडीसन में हमारे इन्वेस्टर्स को रोके रख सकती है ,और उसकी अहमियत इतनी है की उसे निकलने के बारे में तो हम सोच भी नहीं सकते ,लेकिन तुम्हे उससे होशियार रहना होगा ,वो हमारे लिए इतनी काम की है उससे कही ज्यादा खतरनाक भी ,साली रंडी की औलाद जो है .."
"आप उससे इतना क्यों चिढ़ती हो दीदी ??"
दीदी के मन में समीरा के लिए बहुत गुस्सा था ..
"साली सड़क छाप लड़की है जिसे पिता जी ने अपने सर में बिठा दिया ,उसका बाप रिक्शा चलाता था और माँ एक रंडी थी ,उसने अपने हुस्न से पिता जी को फंसा लिया और क्या देखो आज क्या बन गई है,अब ऐसी लकड़ी का क्या भरोसा करोगे "
दीदी गुस्से में लग रही थी ,इसलिए मैंने उनसे कुछ कहना ठीक नहीं समझा ,एक तरफ भैरव अंकल समीरा की तारीफ करते नहीं थक रहे थे तो दूसरी तरफ दीदी उसकी बुराई करते नहीं थक रही थी ...
साली मेरी जिंदगी में कभी आराम से काम करना लिखा ही नहीं था ,जंहा भी जाता था षडयंत्र पहले पहुंच जाती थी ,
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