RE: Antarvasna Sex Story - जादुई लकड़ी
अध्याय 48
मन प्रसन्न था ,दिल खुस था ,उमंगे भी जोरो में थी लेकिन हवस की नही बल्कि प्रेम की ,अभी अभी मैंने अपने अंदर के प्रेम को समझा था ,
नेहा दीदी की बातो को याद कर मेरे शरीर में एक अजीब सी सिहराना दौड़ रही थी ,
तभी निशा आयी मैं अपने बिस्तर में लेटा हुआ नीचे लेटे टॉमी से गुफ्तगुह कर रहा था ..
“बड़े खुश दिख रहे हो भाई बात क्या है “
निशा मेरे बाजू में आकर बैठ गयी ,
“क्या कहु जानेमन कुछ मिल सा गया है “
मैं उसके गालो में एक किस कर बिस्तर में ढेर हो गया
“क्या?”
वो भी मेरे सीने में अपने सीने को टिकाकर सो गई
“प्यार ..”
“वाट...रश्मि से बात हुई क्या आपकी ?:?:”
“नही नेहा दीदी से “
“वाट” उसे जैसे किसी ने करेंट मार दिया था वो झटके उसे उठ खड़ी हुई
“आपको नेहा दीदी से प्यार हो गया “उसके चहरे में एक नाराजगी भी झलक रही थी
“अरे मैं तो मेरी सभी बहनो से प्यार करता हु ,बस नेहा दीदी ने मुझे प्रेम का मतलब बता दिया ..”
उसने मुझे अजीब नजरो से घूरा ..
“कैसा मतलब “
“की प्रेम में हवस की कोई जगह नही होती “
“तो ये क्या आपको पता नही था “
अब वो नार्मल हो चुकी थी और फिर से आकर मेरे बाहों में समा गयी
“पता था लेकिन, महसूस नही किया था ,अब देख ना हम दोनो प्यार के नाम पर क्या क्या करते है “
वो फिर से उठ कर बैठ गई
“आप कहना क्या चाहते हो हमारे बीच प्यार नही है ??”
इसबार वो नाराज नही बल्कि गुस्सा थी ..
“अरे वो बात नही है लेकिन प्यार तो और भी बड़ी चीज होती है ना ..”
“अच्छा...नेहा दीदी ने लगता है कुछ ज्यादा ही ज्ञान दे दिया है ,प्यार को समझने चले हो ,हु ..”
उसने अपना मुखड़ा ही मोड़ लिया
“अब तुझे क्या हुआ ??”
“प्यार समझने की नही महसूस करने की चीज होती है ,मुझे अपनी बांहो में प्यार का अहसास होता है ,जब आप मेरे होठो में अपने होठो को रखते हो तब मुझे लगता है की लगता है की पूरी कायनात ही मेरी हो गई ,जब आप मुझे प्यार की गहराई में डूबकर मुझमे समा जाते हो तो लगता है …..तो लगता है की मैं बस आपकी हु ,आपके लिए ही बनी हु,मेरा होना सफल हो गया “
उसकी आंखों में आंसू थे और मैं हस्तप्रद ,प्यार के ये दो रंग मैंने जो आज देखे थे मैं बिल्कुल ही अचंभित सा हो गया था ,नेहा दीदी ने कहा की प्यार अहसास है लेकिन जरूरी नही की जिस्म का मिलन हो वही निशा ने जिस्म के मिलने से होने वाले प्रेम के अहसास का वर्णन कर दिया ,दोनो में सही क्या था ???
मेरे ख्याल से दोनो ही सही थे ,कही न कहि मुझे ही समझने में कोई गलती हुई …
मेरी हालत देखकर वो मेरे पास आयी और मेरे गालो को प्यार से सहलाया ..
“भाई तुम इतना क्यो सोच रहे हो ,इतना समझो की प्यार तो अहसास ही है लेकिन उसे जताने का तरीका अलग अलग होता है ,कहि छूकर तो कही किस करके ,कई एक दूसरे में डूबकर(सेक्स) तो कही बिना कुछ कहे ही बस देखकर ,कहि बस बिना कुछ किये ही प्यार जता दिया जाता है ,तो इन सब की सोचकर क्यो दिमाग खराब कर रहे हो ,जस्ट चील “
वो मेरे बांहो में फिर से समा गई थी ,मेरे जीवन में ऐसे भी बहुत सी आफ़ते थी मैं अब इन बातो को सोचकर। चिंता में नही पडना चाहता था ….
मैंने बस इतना समझा की दोनो ही अपने जगह पर सही थे बात खत्म …
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दूसरे दिन जब मैं ऑफिस गया तो केबिन के बाहर एक सवाली सी ,पतली दुबली सी औरत बैठी हुई मिली ,मांग में गढ़ा सिंदूर था और चहरे में जीवन का दुख झूल रहा था ,चहरे से तो सुंदर थी लेकिन कपड़ो से गरीबी झलक रही थी ,हाथ में एक फाइल लिए केबिन के बाहर सॉफ़्रे में बैठी हुई थी ,मुझे देखते ही मेरे चपरासी ने उसे कुछ इशारा किया और वो हाथ जोड़ कर खड़ी हो गई …
मुझे ये थोड़ा अटपटा सा लगा मैं रुक गया ..
“जी..”
“साहब मैं आरती वर्मा ,..अतुल वर्मा की बीबी ,वो आपके एक आदमी ने मुझे कहा था की आपसे मिल लू नॉकरी के लिए “
मुझे डॉ साहब की बात याद आ गई ..
“ओह हा आइये अंदर आइए ..”
वो मेरे साथ अंदर आ गई ,समीरा अभी वही मौजूद थी ,उसने आरती को प्रश्नवाचक नजर से देखा ..
“तो कहा तक पढ़ी है आप “
“जी मैंने तो 12वी पढ़कर छोड़ दिया “
“ये कौन है राज ?? रिक्रूटमेंट का काम तुम्हारा नही है वो भी 12वी वाले का “
समीरा ने मुझे मेरी पोजिशन के बारे में बताया लेकिन मैंने उसे इशारे से चुप करवा दिया
“ये थोड़ा अलग मामला है ,डोंट वारी “
समीरा जैसे सब समझ गई हो वो चुप हो गई
“तो क्या काम कर लेंगी आप “
“साहब आप जो भी बोलो “आरती की स्तिथि देखकर ही लग रहा था की बेचारी किस दौर से गुजर रही होगी ..
मैंने समीरा की ओर देखा
“इनके लायक कोई काम है हमारे पास “
“बहुत है ,चाय वगेरह बना देगी ,या साफ सफाई “
समीरा के आवाज में ही उसका प्रोफेसनल एटीट्यूड झलक रहा था ..
“नही यार कुछ और बताओ “
मुझे इतना छोटा काम उसे देंना सही नही लगा
“अपनी सेकेट्री ही बना लो “
इस बार पता नही लेकिन सामीरा के आवाज में थोडा गुस्सा था ,मुझे उसपर थोड़ी हंसी आयी क्योकि वो नाराजगी जलन की थी ,जबकि सामीरा और आरती के सटेट्स में बहुत ही ज्यादा फर्क था ..और मैं सचमे थोड़ा हँस पड़ा ..
“अकाउंट का काम कर लेंगी आप “
मैंने आरती की ओर देखा ,उसे शायद यकीन नही आया की मैं उसे थोड़ा डिसेंट टाइप का जॉब दे रहा हु ,वो कुछ बिना बोले ही मुझे घूर रही थी ..
“मतलब थोड़ा गणित से संबंधित “
“जी सर मैंने 12 आर्ट से किया है “
अब मैं हेल्पलेस था मेरी समझ में उसके लिए कोई काम नही आ रहा था और जो आ रहा था वो मैं उसे देना नही चाहता था ,मैं उसे बिना जताए उसपर थोड़ा ज्यादा अहसान करना चाहता था ताकि मेरा कुछ ऐसा काम भी वो कर दे जो मुझे उससे चाहिए था ,मलतब कुछ जानकारियां …
मैं फिर से सामीरा की ओर देखने लगा ,जैसे कह रहा हु हेल्प मि ..
वो समझ गई थी आखिर वो बहुत ही बेहतरीन सेकेट्री जो थी ..
“एक काम कीजिये आरती जी आप थोड़ी देर बाहर बैठिए मुझे बॉस से कुछ बाते करनी है “समीरा की इस बात से आरती थोड़ी डर गई ,क्योकि मुझे पता था की उसे इस जॉब की कितनी जरूरत है ,मैंने आंखों से ही उसे आश्वासन दिया और वो बाहर चली गई ..
“आखिर बात क्या है राज ..मुझे समझ नही आ रहा की तुम इस औरत पर इतना मेहरबान क्यो हो रहे हो “
अब मेरे दिमाग में एक चीज थी की क्या मैं इसे बताऊ या नही ...लेकिन मैंने सामीरा पर भरोसा किया ..
“ये अतुल वर्मा की बीबी है ,विवेक अग्निहोत्री के पास इसका पति काम करता था और अब विवेक और उसके वाईफ के मर्डर का प्राइम सस्पेक्ट है ,अतुल अपने घर का इकलौता कमाने वाला था ,और वो गायब है कई महीनों से तो सोचो घर की हालत क्या होगी ,एक बूढ़ी मा,बीबी और बच्चे ,सम्हलना भी तो पड़ता है ना यार “
“तुम एक मर्डर करने वाले के परिवार की चिंता कर रहे हो “
“अभी क्लियर नही हुआ है की उसी ने मर्डर किया ,और किया भी हो तो इन बेचारों की क्या गलती है “
मेरी बार सुनकर समीरा ने एक गहरी सांस ली
“ओके ,तो कोई छोटी मोटी जॉब दे दो ना ,इसमे इतना सोचने की क्या जरूरत “
इस बार गहरी सांस लेने की बारी मेरी थी ..
“यार इस औरत को देखो ,इसका पति एक अच्छे काम में था अच्छा कमाता भी था,इस बेचारी से मैं बर्तन धुलवाउ अच्छा लगेगा “
समीरा ने एक बार मुझे घूर कर देखा
“मुझे पता था ,तुम इसकी लेना चाहते हो है ना,वो वैसे काम करेगी फिर भी उसकी दिला दूंगी तुम्हे खुश “
उसकी बात सुनकर मुझे जोरो से गुस्सा आया ..
“पागल हो गई हो क्या “
“क्यों नही वो भी जवान है अभी ,और क्या पता तुम्हे भी अपने उम्र से बड़ी लड़कियों का शौक हो जैसा आजकल के लड़को के होता है “
“यार लेकिन मेरे पास तो तुम होही ना “
“एक से कहा दिल भरता है राज बाबु ,”उसने बड़े ही फिल्मी स्टाइल से कहा जिससे मुझे हंसी आ गई ,मैंने उसके कंधे को पकड़ कर उसे एक कुर्सी में बिठा दिया ..
“मेरी बात ध्यान से सुन ,मुझे जिसकी लेनी होगी मैं ले लूंगा,मुझे कोई नही रोक सकता ,ये बात तुम भी जानती हो है ना “
हा वो ये बात जानती थी इसलिए उसने हा में सर हिलाया …
“अब रही आरती की बात तो पता नही दिल से आवाज आ रही है की ये कुछ बड़े काम के लिए बनी है ,और साथ ही राज की बात ये भी है की मुझे लगता है की उसका पति कातिल नही है उसे कोईं फंसा रहा है साथ ही ये भी की उसका कत्ल हो चुका है,और उसका कातिल ही मेरे पिता का कातिल भी है ...अब बात समझ में आयी की उसके लिए मेरे दिल में इतनी हमदर्दी क्यो हो रही है “
मेरी बात सुनकर समीरा ने एक गहरी सांस ली ..
“ह्म्म्म तो ये बाते है ,इसलिए तुमने SP को पैसा भेजवाया था ...ठीक है ,मेरे पास इसके लिए एक काम है लेकिन ..”
“लेकिन क्या ??“
“देखो मुझे लोगो की परख है और मैं इस औरत को देख कर ही बात सकती हु की इसमे क्या काबिलयत है ,इसलिए मुझे इससे जलन सी हो गई “
इस बार मैं आश्चर्य में पड़ गया
“मतलब ??”
“मतलब की तुम अगर मुझे फ्री हैंड दो तो मैं इसे ग्रूम कर सकती हु ,इसे वो बना सकती हु जो मैं हु “
“मतलब” मुझे अभी भी समझ नही आया ,और समीरा जोरो से हंसी
“मतलब बुद्धू मैं इसे बना सकती हु ,हर मर्ज की दवा,जैसे तुम्हारे पिता ने मुझे बनाया था ,एकदम पर्सनल सेकेट्री वाला मटेरियल …”
मैं बस उसे देखता ही रहा क्योकि मुझे अभी तक समीरा की असली काबिलियत का पता ही नही था,बस मुझे इतना पता था की उसे जो बोलो तो झट से कर देती है ..मेरी हर बात को बिना बोले भी समझ जाती है ,इसलिए मैंने बस हा में सर हिलाया ..
“ओके उसे बुलाओ “
समीरा के कहने पर मैंने फोन घुमाया और आरती फिर से मेरे सामने आकर खड़ी हो गई
“ओके आरती हमने फैसला कर लिया है की तुम्हे क्या काम करना है “
“जी..”
“तुम आज से ट्रेनी हो ,समीरा के अंदर “
“जी..” आरती को कुछ भी समझ नही आया,असल में मुझे भी समझ नही आ रहा था लेकिन ठीक है
“मतलब समझने की जरूरत नही है ,तुम मेरे साथ काम करोगी,चलो मेरे साथ “समीरा ने आदेश दिया और आरती चुप चाप उसके पीछे जाने लगी …….
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