RE: Antarvasna Sex Story - जादुई लकड़ी
अध्याय 53
जब मेरी आंखे खुली तो मैं मां के गोद में ही लेटा हुआ था ,ना जाने कितने देर तक मैं बच्चों की माफिक रोता रहा है ,
वही मां मेरे बालो पर अपनी उंगली चला रही थी ,
“मैं कितने देर से सोया हुआ था ,??”
मैंने उठाते हुए कहा वही मां मुझे देखकर मुस्कुराने लगी थी ..
“कितने दिनों बाद तू मेरी गोद में सोया “
“हा मां आज जैसी निश्चिंतता मुझमे सालो के बाद आयी है ,आज ऐसा लग रहा है जैसे सर से मन भर का बोझ उतर गया हो ,इतनी बेफिक्री सी महसूस हो रही है ..मैं इन चीजो में इतना इन्वॉल्व हो गया था की ऐसी निश्चिंता मुझसे कोसो दूर चली गई थी ,मन के किसी कोने में बस अपने परिवार की सुरक्षा का ही ख्याल चलता रहता था “
मैं उठकर उनके पास बैठ चुका था उन्होंने मेरे बालो को हल्के से सहलाया …
“बेटा इस उम्र में तुमने इतना कर लिया ,मुझे तो कभी कभी यकीन ही नही होता “
उनकी बात सुनकर मैं हल्के से मुस्कुराया ..
“सब आप लोगो के कारण ही तो हुआ है ,पहले भी बता देते मुझे तो ये सब प्रॉब्लम्स नही आती ,चलिए ठीक है आपने जो भी किया हमारी भलाई के लिए ही किया ,लेकिन इन परेशानियों से मैं और भी निखर कर बाहर आया,वरना शायद मैं कुएं का मेढक बन कर ही रह जाता,इन्ही परेशानियों के बदौलत मुझे मेरी ताकतों और कमजोरियों का ज्ञान हुआ “
मां मुझे मुस्कराते हुए देख रही थी ,
“हा और तू इतनी बड़ी बड़ी बाते बोलना भी सिख गया “
हम दोनो ही हँसने लगे थे ,उनके चहरे में खिली हुई वो मुस्कुराहट मुझे बेहद ही सुकन दे रही थी ,
यही वो चहरा था जिसमे मैंने अपने पूरे जीवन में मेरे लिए सिर्फ और सिर्फ प्यार ही देखा था ,शायद मुझे नेहा दीदी द्वारा बताई गई प्रेम की परिभाषा की समझ आने लगी थी ..
“बेटा मुझे तुझसे रश्मि के बारे में बात करनी थी “
अचानक से रश्मि का नाम आने पर मैं थोड़ा शॉक्ड हो गया ..
“क्या माँ”
“मेरी भैरव से बात हुई थी कुछ दिनों पहले ,उसने मुझे बताया की तुम्हारे अंदर भी वही पावर है जो की तुम्हारे पिता के अंदर था ,और उससे भी थोड़ा ज्यादा है ,क्या ये सच है ..”
“अब मैं उनका ही खून हु मा तो इतना तो आएगा ही ना अंदर “
उनका चहरा संजीदा हो गया था ..
“बेटा ये शक्ति आदमी का जीवन बनाती भी है तो बिगाड़ भी देती है ,देखो ना तुम्हारे पिता ने इससे क्या किया ,बेटा भैरव को डर है की तुम भी अपने पिता की तरह ही निकलोगे,मैंने उसे समझाने की कोशिस भी की कि तुम अपने पिता से अलग हो लेकिन उसने कहा की बात उसके बेटी की है और वो अपनी बेटी को ऐसे आदमी के साथ नही देख सकता ,वो रश्मि के हालात मेरे जैसे नही होते देख सकता ...उसकी बात भी अपने जगह सही है बेटा,भैरव मुझे कभी ना नही कहता अगर बात उसके बेटी की ना होती ...बेटा मुझे सच सच बताओ क्या तुमने उस शक्ति के प्रयोग से रश्मि को फसाया है ..”
उनकी बात सुनकर पता नही क्यो लेकिन मेरे होठो में मुस्कान आ गई
“माँ मैंने रश्मि को फसाया नही है ,हमने तो प्यार किया है ,वो भी तब जब मुझे इस शक्ति के बारे में पता भी नही था ,रश्मि से पूछकर देखो क्या मैंने उसे कभी अपनी ओर आकर्षित करने की कोई भी कोशिस की थी?? नही माँ ..”
माँ ने गहरी सांस ली ..
“मेरे ख्याल से तुम्हे भैरव से मिलना चाहिए ,वो रश्मि को विदेश भेजने की सोच रहा है ..मैं उससे बात करती हु तुम आज ही उसके पास चले जाओ ,मैं चाहती हुई इस घर में खुशियां दुबारा दस्तक दे ,मैं चाहती हु की तुम्हारी शादी जल्द से जल्द हो जाए ..”
मैंने मां को आश्चर्य से देखा
“अभी तो हमारा कॉलेज भी कंप्लीट नही हुआ है ??”
“तो क्या हुआ हो जाएगा,तुम दोनो आज नही तो कल शादी तो करोगे ही ,क्यो ना अभी कर लो ,साथ ही तुम्हारे निकिता दीदी की भी शादी करवा देंगे रोहित से ..”
“माँ ये थोड़ी जल्दबाजी नही हो जाएगी “
मेरे माथे में चिंता की लकीरे आ गई ,अभी रोहित तैयार नही था ..
लेकिन मां ने बड़े ही प्यार से मेरे सर पर अपना हाथ फेरा
“बेटा मैंने जीवन में बहुत दुख देखे है ,अब मैं चाहती हु की मेरे परिवार में खुशियां वापस आ जाए..अगर तुम तैयार नही हो तो कोई बात नही लेकिन मुझे लगता है की तुम्हारे पास किसी ऐसे का रहना बहुत जरूरी है जो तुम्हे समझता हो और तुम्हे प्यार भी करता हो ,और जो तुम्हे सही नसियत भी दे सके ,रशमी वैसी ही लड़की है जो तुम्हे सम्हाल सकती है ..”
मैं चुप ही था ,माँ ने इनडायरेक्ट ही सही लेकिन ये जरूर कह दिया था की मुझे प्यार से सम्हालने वाली की जरूरत है ,शायद वो मेरे शारीरिक बदलाव से भी वाकिफ थी और शायद उन्हें एक डर ये भी रहा हो की मैं भी अपने पिता की तरह वासना का पुजारी ना बन जाऊ ..
मैंने सहमति में अपना सर हिला दिया ..
“मैं आज ही भैरव अंकल से मिलता हु “
मैंने माँ के सर पर एक प्यारा सा चुम्मन दिया और वंहा से निकल गया ,
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मैं अभी भैरव अंकल के साथ अकेले में ही बैठा था ,वो मुझे देखकर असहज थे और करवट बदल रहे थे ,शायद उन्हें समझ नही आ रहा था की वो मुझसे क्या बात करे ...मैंने ही बात बढ़ानी शुरू की
“अंकल आपके मन में जो डर है वो स्वाभाविक है ,मुझे पता नही की आपको मेरी शक्तियों के बारे में कैसे पता चला (असल में मुझे पता था ये सामीरा ने उन्हें बताया था) ..लेकिन अंकल मेरा यकीन मानिए की मैं अपने पिता की तरह नही हु,ना ही कभी मैंने इन शक्तियों का प्रयोग रश्मि पर किया है,हम एक दूजे को बचपन से जानते है और ये दोस्ती कब प्यार में बदली हमे तो पता भी नही चला ,मुझे खुद इन शक्तियों के बारे में पता नही था,परिस्थितियों के कारण मुझे इसका पता चला लेकिन मैंने कभी इसका कोई गलत प्रयोग नही किया ,मैं ये भी समझता हु की प्रेम जिस्म की नही बल्कि रूह से निकलने वाली चीज है और जिस्म के अलावा भी औरत का एक बजूद होता है (नेहा दीदी के दिए ज्ञान को यंहा चिपका दिया )”
“लेकिन ये मेरी बेटी की जिंदगी का सवाल है राज ..”
“अंकल अगर आपको मेरे बातो पर यकीन नही होता तो आप रश्मि से अकेले में इस बारे में बात कीजिये,रश्मि के साथ मेरे संबंध हमेशा से ही रूहानी रहे है जिस्मानी नही ..आप खुद उससे बात कर सकते है,आप उसके पिता है और आपका डर भी स्वाभाविक है आपने इतना कुछ देखा भी है मैं समझ सकता हु ,लेकिन अब समय आ गया है की अपने बेटी के भविष्य के लिए आप उससे बात करे ,उससे खुल कर बात करे और हमारे रिश्ते के बारे में पूछे ..
अंकल उसके बाद भी आपको लगता है की मैं उसके लायक नही हु तो मैं कभी भी उसके रास्ते में नही आऊंगा ,आप जन्हा चाहे उसे भेज दे ,मैं कभी आपका रोड़ा नही बनूंगा ..”
इतना कहकर मैंने उनके पैर छुए और वंहा से निकल गया ,मैं सर उठाकर देखा तो रश्मि मुझे अपने खिड़की से देख रही थी लेकिन मैं उससे बिना मिले ही वंहा से निकल गया ……
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रात का वक्त था और मैं अभी अभी अपने ऑफिस से घर आया था ,मैंने अपने मन में फैसला किया की मैं अब किसी बात की फिक्र किये बिना अपना काम करूँगा ,बहुत दिनों से मैं ध्यान और एक्सरसाइज नही कर पाया था ,मैंने नियम से उसे करने की बात सोची ,जीवन फिर से लाइन में लाना था मुझे ,
मैं अभी अपने कमरे में आया था की मेरा फोन बजने लगा ..
फोन रश्मि ने किया था ,
“हल्लो रश्मि ..”
उधर से मुझे सिसकियों की आवाज सुनाई दी ,वो रो रही थी
“रश्मि रश्मि क्या हुआ ??”
किसी बुरे की आशंका ने मुझे घेर लिया था
“राज ..” वो बस इतना ही कह पाई थी ,रोने की वजह से वो बोल भी नही पा रही थी
“क्या हुआ मेरी जान बोलो तो सही ,तुम ठीक तो हो क्या मैं वंहा आऊ,अंकल ने कुछ बोला तुम्हे ??”
मैं उठकर खड़ा हो चुका था ,शायद मैं उसके घर के लिए निकल जाता ..
“राज मेरी बात सुनो ,अभी पापा ने मुझसे बात की और ..”
“और क्या ..”
मेरे दिल की धड़कने थोड़ी तेज होने लगी थी
“और उन्होंने कहा की अगले महीने..”
उसका रोना फिर से बढ़ गया
“क्या..रश्मि “
मैं भी घबरा चुका था
“अगले महीने ..हमारी शादी है राज “
मैं अपना सर पकड़ कर धम से अपने बिस्तर में बैठ गया,मुझे समझ नही आया की आखिर रश्मि इतना क्यो रो रही है लेकिन फिर समझ आ गया क्योकि खुशी से मेरे आंखों में भी आंसू आ गए थे ..
“पगली इसमे कोई रोता है क्या “
असल में मेरा भी गाला थोडा भर गया था
“आई लव यू राज,मुझे लगा था की पापा कभी नही मानेगे,और मुझे विदेश भेज देंगे तुमसे दूर ..लेकिन जब उन्होंने ये कहा मैं खुद को रोक नही पाई,आई लव यू बेबी,मैं तुम्हारे बिना नही जी सकती थी ,पापा ने मुझे बचा लिया वरना मैं अपनी जान दे देती “
“खबरदार ऐसी बात की तो ..पागल कहि की ..”
मैंने खुद को थोड़ा नार्मल किया
“तो मेरी रानी अब मेरी दुल्हन बनेगी ..”
उधर से कुछ नही बोला गया ,वो शायद मुस्कुरा रही होगी ,बहुत ही गाढ़ी मुस्कान रही होगी मेरी जान की ,
“कुछ तो बोलो ..”
“क्या..”
“तुम मेरी दुल्हन बनने वाली हो “
“ह्म्म्म “
“क्या हम्म “
“मुझे शर्म आती है”
“कब से ??”मैंने उसे छेड़ा
“चुप करो ,रखती हु ..”
“अरे अपने पति से ऐसे बात करते है “
“मिस्टर अभी बने नही हो “इतने देर में अभी मुझे उसकी प्यारी हंसी सुनाई दी
“अच्छा बेटा ,तुम तो कहती थी की तुम मेरी हो ..”
“वो तो हमेशा से हु जान...आई लव यू मेरे सोना,मेरे होने वाले पति देव..”
वो फिर से हंसी ,मेरे होठो में भी मुस्कान गहरी हो गई
“तुम शादी के लिए तैयार तो हो ना ,हमारी उम्र अभी बहुत छोटी है “
मैंने एक आशंका जाहिर की ,और बदले में वो जोरो से हंसी
“नही करनी है क्या पागल ,कितने मुश्किल में तो पापा का मुड़ बदला है इससे पहले फिर से उनका मुड़ बदले मुझे अपना बना लो ,अगर वो शादी नही करवाये तो मुझे उठा लेना और भगा कर शादी कर लेना “
उसकी आवाज में वही चिरपरिचित सी शरारत सुनाई दी ..
“अच्छा ,अभी भगा कर ले आता हु ,आज ही सुहागरात भी हो जाएगी “
“धत ..बदमाश चलो मैं रखती हु,बाय लव यू ..”
“ऐसे ही सूखा सूखा ..”
“लव यू मेरी जान ऊऊऊम्म्म्म्ममआआ ओके “
“बस इतना ही “
“आये अब ज्यादा मत उड़ो ,बाकी का गीला शादी के बाद अभी इससे ही काम चलाओ “
वो फिर से हंसी
“लव यू मेरी रानी ..”
फोन कट चुका था और मैं मानो आसमान में उड़ रहा था ,तभी मुझे याद आया की मेरा रिश्ता असल में एक झूठ की बुनियाद पर खड़ा था ,मैंने ना ही रश्मि को और ना ही भैरव अंकल को पूरा सच बताया था ,मैंने अपनी शक्ति का उपयोग किया है और मेरा जिस्मानी संबंध अब भी मेरी दो बहनो के साथ था वही सामीरा के साथ भी …
मेरे चहरे में आई खुशी थोड़ी फीकी सी हो गयी ,लेकिन इसका इलाज हो सकता था और सही सलाह के लिए मेरे दिमाग में एक ही नाम कौंधा ..
नेहा दीदी ...
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