RE: Indian Sex Kahani मिस्टर & मिसेस पटेल (माँ-बेटा:-एक सच्ची घटना)
उस रात सब सोने के बाद जब में माँ का तस्वीर खोलके माँ को देख रहा थ, मुझे शाम का याद आया। माँ मेरे गाल पकड़ के मेरी तरफ एक प्यार भरी आँखों से जो नज़र दिया था, वह इनोसेंस से मेरा प्यार और बढ गया। मैं उन में खो गया और मुझमे मधहोसी छ गई। मैं झुक के कॉम्प स्क्रीन में खुला हुआ माँ का एक बिग क्लोज अप पिक्चर के पास गया। और आँख बंध करके धीरे धीरे उनकी लिप्स के साथ मेरा लिप्स मिलवाया। मेरा बदन में करंट सा खेल गया। पूरा बदनकाँपने लगा। मैं झट से ज़िप खोलके अपना पेनिस को पक़डा। आज मेरा पेनिस एक दम फूल कर, खड़ा होके, फुल रहा था। मैं फुली हुई पेनिस को पकड़के ज़ोर ज़ोर से झटका देणे लगा। और लिप्स में फिर से किस करने लगा। जल्दी ही ओर्गास्म के तरफ पहुच गया। मैं सीधा होके बैठ के फुल स्पीड से हिलाने लगा। मेरा पूरे बॉडी से निचोड के सब सीमेन पेनिस की नली भर के तेजी से बाहर की तरफ आने लगा। मैं आँख बंध किया । ओर्गास्म चरम सीमा में पहुच गया। जस्ट मेरा सीमेन निकल ने से पहले मेरा मुह खुल गया , हवा लेने के लिए में मुह ऊपर के तरफ किया और मेरा मुह से निकल ने लगा ''मंजू आई लव यू'' और पेनिस से सीमेन छिटक छिटक के गिरने लगा।
तीन महिना भी कट गया। इसी बीच मेरा फाइनल एग्जाम का रिजल्ट भी आगया। और मेरा जॉब ज्वाइन करने का टाइम भी आगया।
पहली बार में घर से दूर जाके रहने वाला हू। आज तक कभी नाना नानी और माँ को छोड़ के कहीं रहा नहि। एक दो बार स्कूल कॉलेज का ट्रिप में जाके दो चार दिन बाहर रात बिताया। पर वह रहना और अब बाहर अकेला रहने में बहुत ही अंतर है। लेकिन मुझे डर नहीं लगा। एक अलग चैलेंज जैसा मेरे सामने खड़ा हो गया। और में उस चैलेंज को मुकाबिला करने के लिए तैयार हूँ मेंटली। पर एक दुःख मुझे खाये जा रहा है।।।की मुझे मेरी माँ को बिना देख के वहां रहना पडेगा। नानाजी का स्ट्रिक्ट इंस्ट्रक्शन है की हर सैटरडे वापस आना पड़ेगा और फिर मंडे जाके ऑफिस ज्वाइन करना है। लेकिन बीच का ६ दिन मेरे पास ६ साल लगने लगा। जब माँ हर रात सोने से पहले मेरे पास आके मेरे बाल में उँगलियाँ फिराती है, और मेरे तरफ प्यार भरी नज़र से देख के स्माइल करती है-वह पल के लिए में कितना बेताब रहता था रोज। पर अब वह चीज़ से मुझे दूर रहना पडेगा। माँ ऐसे बोलती कम। बस देखती ऐसे है की जैसे आँखों में ही सब को कुछ बोल देती है। और अब मेरा जाने का वक़्त नज़्दीक आने में तो वह और भी चुप हो गई। बस नानीजी को किचन में हेल्प कर रही है, घर का बाकि काम कर रही है, टीवी देख रही है, मेरा जाने के लिए सब ज़रूरी चीज़ों को रेडी करके मेरे रूम में रख रही है। पर कभी कभी मायुस नज़र से मुझे एक पल देख के फिर चले जाती है। उनको भी तकलीफ हो रहा है होंगा। वह भी मेरे बगैर कभी रहा नहि। मेरे लिए ही उन्होंने ज़िन्दगी का सब सुख सब खुशियां विसर्जन कीया था। अब वह सोच के में भी मायुस होता हू।
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