RE: Indian Sex Kahani मिस्टर & मिसेस पटेल (माँ-बेटा:-एक सच्ची घटना)
निप्पलों को चूसते चूसते मैंने अपनी नज़र अपनी माँ पर डाली जो मेरे बालों में उँगलियाँ फेरते हुए मुझे बेहद प्यार, स्नेह और ममतामई नज़र से देख रही थी.
हम दोनों माँ बेटे की नज़रें मिलती हैं और मैं आगे अपनी माँ के चेहरे की और बड़ता हु .
माँ भी मेरा चेहरा अपने हाथों में थाम अपने मुंह पर खींचती है .
मेरा चेहरा सीधा अपनी माँ के चेहरे पर झुक जाता है
और हमदोनों के होंठ आपस में जुड़ जाते हैं .
दोनों प्रेमियों की तरह एक दुसरे को चूम रहे थे . कभी माँ मेरे तो कभी मैं माँ के होंठों को चूस रहा था .
उधर माँ को अपनी जांघों पर मेरा पेनिस ठोकरें मारता महसूस होता है .
बेटे के पेनिस को अपनी योनि के इतने नजदीक पाकर उनके बदन में कामौत्तेजना लौटने लगती है
और उसकी साँसों की गहराई बढ़ने लगती है .
माँ की जिव्हा मेरे होंठो को चाटने लगती है और वो उसे मेरे मुंह में धकेलती है .
मैं अपना मुंह खोल देता हु और माँ की जिव्हा मेरे मुख में प्रवेश कर जाती है .
माँ मेरी जीभ को अपनी जीभ से सहलाती है .
मगर मैंने एकदम से उसकी जीभ को अपने होंठो में दबाकर उसे चूसने लगा क्या शहद के जैसा स्वाद था.
“उन्न्न्गग्घ्ह्ह......” माँ मेरे मुंह में सिसकने लगी और वो अपनी कमर इधर उधर हिलाने लगी.
मैं यह समझकर कि माँ क्या चाहती है अपनी कमर को थोडा सा हिलाता डुलाता हु और फिर हम दोनों एकदम से सिसक उठते हैं .
माँ योनि में पेनिस के एहसास को पाकर ठिठक गई थी वो मेरे चेहरे की और देखती है मैं उसी की और देख रहा था मैं सोच मैं पड गया इतनी छोटी योनि में मेरा पेनिस कैसे जाएगा जो ना सिर्फ नौ इंचलम्बा था बल्कि चार इंच मोटा भी था और उनका आगे का टोपा बहोत बडा किसी जंगली आलू की तरह.
वह इस संकरी जगह में कैसे जाएगा.
माँ को बहोत दर्द होगा क्या वह झेल पाएगी मैं अपनी माँ को कोई दर्द नही देना चाहता.
अब मैं गहरे सोच मैं पड़ गया
माँ ने मेरी तरफ देखा मुझे किसी सोच में पड़ा देखकर मुझे हिलाकर नजरोसे कहा
“क्या हुआ”?
मैने उन्हें सब बताया तब वह हस पड़ी और उन्होंने कहा
“कुछ नही होता आप कुछ मत सोचिये, जो होता है वह हो जाने दीजिए”
पर मैन कहा “आपको बहुत दर्द होगा कैसे सह पाओगी तुम”
तब माँ ने कहा “हर पत्नी यही चाहती है की उनका पति उसे बहोत सारा प्यार करे, हर नारी को यह दर्द सहना ही पड़ता है, जीवन मे सिर्फ एक बार, इसलिए आप कोई चिंता मत करिए”
मैंने उनकी और देखा तो माँ धीरे से हल्के से सर हिलाती है जैसे मेरे किसी सवाल का जवाब दे रही हो .
मैं माँ के इशारे को पाकर वापिस उठ गया
मैं ने माँ के पैरो पे किस करना शुरू किया.किस करते हुए धीरे धीरे उपर जाने लगा .
जब मैं ने माँ की जाँघो पर किस करना शुरू किया तब धीरे धीरे माँ अपने पैर को अलग कर रही थी.
जैसे मैं उपर जाता वैसे उनके पैर एक दूसरे से अलग हो रहे थे.
अब माँ की योनि मेरे सामने थी. माँ की स्मॉल योनि जिसके लिप्स अंदर की तरफ थे सिर्फ एक लकीर दिख रही थी किसी छोटी बच्ची की योनि की तरह थी बिना बालो की गुलाबी रंगत लिए हुये मैंने उँगलिसे लिप्स अलग करके देख तो अंदर से पूरी लाल थी मानो अंदर लिपस्टिक लगाई हो बहोत छोटा सा होल था इसमें मेरा इतना बड़ा लिंग कैसे जाएगा मेरा लिंग तो पूरी तबाही मचाएगा
माँ की योनि पूरी गीली हो चुकी थी. माँ की योनि चमक रही थी.
वो चमक मेरे आँखो को अपनी तरफ अट्रॅक्ट कर रही थी.
...मैं तो आँखो से माँ की चुदाई करने लगा.
माँ की योनि गीली थी जिस से मुझे पहले माँ की योनि को साफ करना था .
मैं ने अपनी जीभ से माँ की योनि को साफ करना शुरू किया.
जब भी मैं माँ के किसी पार्ट को अपने जीभ से टच करता तब मुझे क्या हो जाता
मैं अपने होश खो बैठता. मुझे ऐसा लगता कि इस दुनिया मे माँ और मैं,सिर्फ़ हम दोनो ही हो ,जो सिर्फ़ प्यार करना जानते है.
मैं अपनी जीभ से माँ की योनि चाटने लगा. माँ बस एक काम कर रही थी वो था सिसकिया लेना .
एक पत्नी जैसे सुहागरात के दिन अपने पति के साथ चुदाई करते हुए शरमा कर खुल कर सिसकिया नही लेती उसी तरह माँ भी मुझसे शरमा कर शीष्कारियो पर कंट्रोल रख रही थी.
पर जो भी था उसमे मुझे एक अलग ही आनंद मिल रहा था.
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